एआई द्वारा सृजित सामग्री पर कॉपीराइट अधिकार (Copyright on AI-Generated Content)
परिचय:
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) ने रचनात्मकता की दुनिया में एक नई क्रांति ला दी है। आज AI न केवल गणनाएं और निर्णय ले सकता है, बल्कि वह चित्र बना सकता है, लेख लिख सकता है, संगीत रच सकता है, और कोडिंग कर सकता है। परंतु जैसे-जैसे AI-जनित रचनात्मक सामग्री (AI-Generated Content) बढ़ रही है, एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न उठता है – क्या AI द्वारा सृजित सामग्री पर कॉपीराइट अधिकार लागू होते हैं? और यदि हां, तो वह अधिकार किसका होगा – AI का, उसके डेवलपर का या उपयोगकर्ता का?
कॉपीराइट क्या है?
कॉपीराइट वह विधिक अधिकार है जो किसी रचनात्मक कार्य के सृजनकर्ता को प्राप्त होता है। इसमें साहित्यिक, संगीत, नाट्य, कलात्मक, सॉफ्टवेयर, ऑडियो-विजुअल आदि कृतियाँ शामिल होती हैं। भारत में यह अधिकार कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत प्रदान किया गया है।
कॉपीराइट का मूल उद्देश्य है रचनाकार को उसकी मौलिक सृजनात्मकता की सुरक्षा देना और उसके कार्य के वाणिज्यिक उपयोग का अधिकार सुरक्षित रखना।
AI-जनित सामग्री की समस्या:
AI से उत्पन्न सामग्री की दो प्रमुख विशेषताएं हैं:
- यह मानव द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्मित नहीं होती — बल्कि यह एल्गोरिथ्म द्वारा पूर्व-प्रशिक्षित डेटा के आधार पर उत्पन्न होती है।
- AI के पास कानूनी व्यक्तित्व नहीं है — अर्थात यह किसी भी अधिकार या उत्तरदायित्व का दावा नहीं कर सकता।
ऐसी स्थिति में यह प्रश्न उठता है कि:
- क्या AI को “लेखक” या “रचनाकार” माना जा सकता है?
- यदि नहीं, तो कॉपीराइट किसे मिलेगा?
भारत में स्थिति:
भारत के कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 2(d) के अनुसार, “लेखक” वह व्यक्ति है जो रचना करता है। इसमें केवल प्राकृतिक व्यक्ति (human being) को लेखक माना गया है।
हालांकि, अधिनियम में कंप्यूटर-जनित कृतियों के लिए एक अलग प्रावधान है:
धारा 2(d)(vi) के तहत यदि कोई कार्य कंप्यूटर द्वारा उत्पन्न होता है, तो उस कार्य का लेखक वह व्यक्ति होगा जो इसे बनाने के लिए आवश्यक प्रबंध करता है।
इसका अर्थ यह हुआ कि यदि कोई AI सॉफ्टवेयर कोई चित्र या लेख तैयार करता है, तो वह व्यक्ति जिसने AI को निर्देश दिए या जो इसे संचालित करता है, वह लेखक माना जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य:
1. अमेरिका:
अमेरिकी कॉपीराइट कार्यालय (US Copyright Office) ने स्पष्ट किया है कि मानव रचनात्मकता कॉपीराइट के लिए अनिवार्य है। AI द्वारा स्वतः उत्पन्न सामग्री कॉपीराइट संरक्षण के योग्य नहीं मानी जाती।
2. यूरोपीय संघ (EU):
EU में भी कॉपीराइट केवल इंसानों को प्राप्त होता है। हालांकि, AI से संबंधित नई नीतियाँ और संशोधन प्रस्तावित हैं।
3. यूनाइटेड किंगडम (UK):
UK का कॉपीराइट, डिज़ाइन और पेटेंट अधिनियम 1988 कहता है कि कंप्यूटर जनित रचनाओं का लेखक वह व्यक्ति है जो कार्य के निर्माण की व्यवस्था करता है – यह प्रावधान AI से सृजित सामग्री को आंशिक सुरक्षा देता है।
मुख्य कानूनी प्रश्न:
1. क्या AI को “लेखक” माना जा सकता है?
नहीं। किसी भी देश में AI को कानूनी व्यक्तित्व नहीं दिया गया है, इसलिए उसे लेखक के रूप में मान्यता नहीं मिलती।
2. कॉपीराइट किसे दिया जाए?
तीन संभावित पक्ष उभरते हैं:
- AI डेवलपर – जिसने AI मॉडल बनाया।
- AI यूजर – जिसने AI टूल का उपयोग कर रचना उत्पन्न की।
- AI ओनर – जिसके पास सॉफ़्टवेयर/सिस्टम का स्वामित्व है।
अधिकांश मामलों में, यह तय किया जाता है कि किसने रचनात्मक नियंत्रण और योगदान दिया है।
3. क्या AI पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से रचनात्मक हो सकता है?
तकनीकी दृष्टि से हाँ, लेकिन कानूनी दृष्टि से नहीं। AI केवल इंसानी प्रशिक्षण और डेटा पर आधारित होता है – इसलिए उसके द्वारा की गई रचना अप्रत्यक्ष रूप से मानव से जुड़ी होती है।
भविष्य की दिशा:
1. विशेष कानूनों की आवश्यकता:
AI से संबंधित कॉपीराइट मामलों के लिए विशेष और अद्यतन कानूनों की आवश्यकता है, ताकि स्पष्टता लाई जा सके।
2. “उपयोगकर्ता अधिकार” का सिद्धांत:
AI टूल का जो उपयोगकर्ता होता है, अगर वह रचनात्मक निर्देश और कंट्रोल प्रदान करता है, तो उसे ही कॉपीराइट मिलना चाहिए – यह विचार तेजी से उभर रहा है।
3. “सह-लेखकता” का मॉडल:
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि AI और मानव उपयोगकर्ता को संयुक्त रूप से रचनाकार माना जा सकता है, बशर्ते उपयोगकर्ता ने रचनात्मक दिशा दी हो।
निष्कर्ष:
AI द्वारा सृजित सामग्री पर कॉपीराइट अधिकार का प्रश्न आधुनिक डिजिटल युग की सबसे जटिल कानूनी चुनौतियों में से एक है। परंपरागत कॉपीराइट कानून केवल मानवीय रचनात्मकता को पहचानते हैं, जबकि AI अब ऐसी सामग्री उत्पन्न कर रहा है जिसे समझना और नियंत्रित करना दोनों ही कठिन हो गया है। ऐसे में जरूरी है कि हम अपने विधिक ढांचे को अद्यतन करें और AI-जनित सामग्री के लिए स्पष्ट, न्यायसंगत और तकनीक-संगत नीतियां विकसित करें। तभी हम नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए रचनात्मक अधिकारों की रक्षा कर पाएंगे।