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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बौद्धिक संपदा अधिकार (Al & Intellectual Property Rights)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बौद्धिक संपदा अधिकार (AI & Intellectual Property Rights)

भूमिका:

21वीं सदी की सबसे प्रभावशाली तकनीकी उपलब्धियों में से एक है – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)। यह तकनीक न केवल कार्यों को ऑटोमेट करने में सहायक है, बल्कि अब ऐसी कृतियाँ भी उत्पन्न कर रही है जिन्हें पारंपरिक रूप से केवल मनुष्य ही बना सकता था – जैसे कविता, चित्रकला, संगीत, लेखन, डिजाइन, यहां तक कि आविष्कार भी। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि जब कोई AI प्रणाली किसी रचनात्मक कार्य का सृजन करती है, तो उस पर बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPR) किसका होगा?


बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) का अर्थ:

बौद्धिक संपदा अधिकार वे विधिक अधिकार होते हैं जो किसी व्यक्ति या संस्था को उनकी मौलिक रचनाओं, आविष्कारों, डिज़ाइनों, प्रतीकों, नामों, और कलाकृतियों पर प्राप्त होते हैं। इसके अंतर्गत मुख्यतः निम्न अधिकार आते हैं:

  • कॉपीराइट (Copyright)
  • पेटेंट (Patent)
  • ट्रेडमार्क (Trademark)
  • डिजाइन अधिकार
  • ट्रेड सीक्रेट (Trade Secret)

IPR का उद्देश्य रचनात्मकता को बढ़ावा देना और रचनाकारों को उनके कार्य के लिए संरक्षण और प्रोत्साहन प्रदान करना होता है।


AI द्वारा सृजित कृतियाँ और चुनौती:

आजकल AI टूल्स जैसे ChatGPT, MidJourney, DALL·E, Google DeepMind आदि चित्र, लेख, संगीत और कोड बना रहे हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि:

  • क्या AI को कानूनी रूप से “रचनाकार” (author or inventor) माना जा सकता है?
  • अगर नहीं, तो मालिकाना हक किसे मिलेगा – डेवलपर, उपयोगकर्ता या कोई और?
  • क्या मौजूदा बौद्धिक संपदा कानूनों में AI-जनित कृतियों को कवर करने की क्षमता है?

कानूनी दृष्टिकोण:

1. कॉपीराइट और AI:

कॉपीराइट कानून अधिकतर देशों में केवल “मानव” द्वारा सृजित कार्यों को ही सुरक्षा प्रदान करता है। भारत में कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 2(d) के अनुसार, “लेखक” वही होता है जो कार्य की रचना करता है – और यह मानव ही हो सकता है।

AI द्वारा निर्मित रचना में यह स्पष्ट नहीं होता कि:

  • लेखक AI है या उसे संचालित करने वाला व्यक्ति?
  • कॉपीराइट का दावा सॉफ्टवेयर डेवलपर करेगा या AI यूजर?

2. पेटेंट और AI:

पेटेंट के क्षेत्र में भी यही प्रश्न उठता है – यदि कोई AI सिस्टम नया आविष्कार करता है, तो क्या उसे “आविष्कारक (inventor)” माना जाएगा?
अंतरराष्ट्रीय उदाहरण:

  • DABUS केस (यूके, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया) – जहाँ एक AI को पेटेंट के लिए आविष्कारक के रूप में मान्यता दिलवाने की कोशिश की गई। अधिकांश देशों ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि उनका मानना है कि “आविष्कारक केवल प्राकृतिक व्यक्ति हो सकता है।”

3. ट्रेडमार्क और डिजाइन:

AI द्वारा डिजाइन किए गए लोगो या उत्पादों की डिजाइन पर भी विवाद हो सकता है, यदि यह स्पष्ट न हो कि इसे किसने बनाया।


प्रमुख चुनौतियाँ:

  1. मानव बनाम मशीन – रचनात्मकता की परिभाषा: कानूनों में “रचनात्मकता” को मानव संदर्भ में परिभाषित किया गया है, न कि मशीनों के लिए।
  2. उत्तरदायित्व का निर्धारण: यदि AI द्वारा सृजित कोई कृति कॉपीराइट उल्लंघन करती है या संवेदनशील जानकारी लीक करती है, तो जिम्मेदार कौन होगा?
  3. डेटा और एल्गोरिदम का स्वामित्व: AI मॉडल जिन डाटा पर प्रशिक्षित होते हैं, क्या वे डाटा भी बौद्धिक संपदा अधिकार से सुरक्षित हैं?

भारत की स्थिति:

भारत में अभी तक कोई स्पष्ट कानून नहीं है जो AI और IPR को विशेष रूप से संबोधित करता हो। हालांकि, NITI Aayog और MeitY (Ministry of Electronics and IT) AI नीति पर कार्य कर रहे हैं, लेकिन कानूनों में संशोधन की आवश्यकता है जिससे AI जनित कृतियों के लिए स्पष्ट दिशा मिल सके।


समाधान और भविष्य की दिशा:

  1. IPR कानूनों का पुनर्विलोकन (Reform): आवश्यक है कि मौजूदा IPR कानूनों को अपडेट किया जाए जिससे AI-जनित कार्यों को कानूनी रूप से परिभाषित किया जा सके।
  2. “AI उपयोगकर्ता” को अधिकार देना: कई विशेषज्ञ मानते हैं कि जो व्यक्ति AI टूल का प्रयोग करता है, उसी को रचनाकार माना जाए, यदि वह रचनात्मक योगदान देता है।
  3. AI के लिए अलग कानूनी ढांचा: जैसे हम कॉर्पोरेट संस्थाओं को कानूनी व्यक्तित्व देते हैं, वैसे ही भविष्य में “AI व्यक्तित्व” की अवधारणा पर विचार हो सकता है।
  4. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: WIPO (World Intellectual Property Organization) जैसे वैश्विक निकायों को एकरूपता लाने के लिए दिशा-निर्देश बनाने होंगे।

निष्कर्ष:

AI और बौद्धिक संपदा अधिकारों का संबंध आधुनिक युग की सबसे जटिल कानूनी चुनौतियों में से एक है। तकनीक जिस तेजी से विकसित हो रही है, उसके साथ कानूनों का अद्यतन आवश्यक है। पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और न्यायसंगत अधिकारों के वितरण को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि हम बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में AI की भूमिका को गंभीरता से समझें और उसका एक संतुलित और व्यावहारिक समाधान विकसित करें।