“Order VI Rule 17 CPC के अंतर्गत मृत वादी के कानूनी उत्तराधिकारियों को प्रतिस्थापित करने और अतिरिक्त वादी जोड़ने की अनुमति नहीं – सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोलकाता हाईकोर्ट के निर्णय की समीक्षा”
भूमिका:
न्यायिक प्रक्रिया में वादियों का प्रतिस्थापन और संशोधन एक संवेदनशील विषय है, विशेषकर तब जब मूल वादी की मृत्यु हो जाए और उसके उत्तराधिकारियों को वाद में शामिल करने की आवश्यकता हो। Order VI Rule 17 CPC वाद-पत्र में संशोधन से संबंधित है, लेकिन इसके दायरे और सीमाओं को लेकर न्यायालयों की व्याख्या महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हाल ही में “Thakurani Shree Shree Durga Mata Jew & Others Vs. Kangali Charan Raul & Another” वाद में सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के निर्णय को देखा, जिसमें यह माना गया कि मृत वादी के कानूनी उत्तराधिकारियों को प्रतिस्थापित करना तथा नए वादियों को जोड़ना Order VI Rule 17 के अंतर्गत संभव नहीं है।
प्रकरण की पृष्ठभूमि:
इस वाद में मूल वादी की मृत्यु के बाद उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को वाद में प्रतिस्थापित करने और कुछ अन्य व्यक्तियों को वादी के रूप में जोड़ने का आवेदन किया गया था। यह याचिका Order VI Rule 17 CPC के अंतर्गत प्रस्तुत की गई थी, जो कि वाद-पत्र में संशोधन से संबंधित प्रावधान है।
कोलकाता हाईकोर्ट का निर्णय:
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
- Order VI Rule 17 CPC केवल वाद-पत्र में संशोधन की अनुमति देता है।
- यह नियम नए पक्षकारों (Parties) को जोड़ने अथवा मृत वादी के उत्तराधिकारियों को प्रतिस्थापित करने के लिए उपयुक्त नहीं है।
- इस प्रकार के प्रतिस्थापन या पक्षकार जोड़ने हेतु Order I Rule 10 (Parties को जोड़ने या हटाने का प्रावधान) अथवा Order XXII (पक्षकार की मृत्यु के बाद कार्यवाही) लागू होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की पुष्टि:
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के इस निर्णय का समर्थन करते हुए स्पष्ट किया कि Order VI Rule 17 के अंतर्गत:
- किसी मृत वादी की विधिक उत्तराधिकारियों को जोड़ना – संशोधन नहीं माना जा सकता।
- यह एक पक्षकार का परिवर्तन या प्रतिस्थापन है, जो संशोधन की श्रेणी में नहीं आता।
- वादियों की संख्या में वृद्धि करना भी Order VI Rule 17 का उद्देश्य नहीं है।
महत्त्वपूर्ण विधिक बिंदु:
- Order VI Rule 17 CPC:
यह केवल वाद-पत्र के तथ्यों या दावों में सुधार या परिवर्तन की अनुमति देता है, न कि पक्षकारों के परिवर्तन की। - Order XXII CPC:
वादी या प्रतिवादी की मृत्यु के मामले में उनके उत्तराधिकारियों को प्रतिस्थापित करने की प्रक्रिया बताता है। - Order I Rule 10 CPC:
आवश्यक पक्षकारों को वाद में जोड़ने या हटाने से संबंधित प्रावधान प्रदान करता है।
न्यायिक महत्त्व:
यह निर्णय स्पष्ट करता है कि प्रक्रिया संहिता के विभिन्न प्रावधानों का उचित प्रयोग अत्यंत आवश्यक है। संशोधन के लिए गलत प्रावधान का सहारा लेने से याचिका अस्वीकार की जा सकती है। इसके अलावा, यह निर्णय न्यायिक दक्षता और तकनीकी सटीकता की ओर भी संकेत करता है।
निष्कर्ष:
Thakurani Shree Shree Durga Mata Jew & Ors Vs. Kangali Charan Raul & Anr मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोलकाता हाईकोर्ट के निर्णय की पुष्टि करते हुए यह स्पष्ट कर दिया गया कि वादियों को प्रतिस्थापित करना या नए वादियों को जोड़ना Order VI Rule 17 CPC के अंतर्गत संभव नहीं है। यह निर्णय न केवल विधिक प्रक्रिया की सटीक व्याख्या का उदाहरण है, बल्कि भावी वादियों और अधिवक्ताओं को प्रक्रियात्मक मार्गदर्शन भी प्रदान करता है।