मानवाधिकार कानून (Human Rights Law) Part-1

1. मानवाधिकार क्या हैं?

उत्तर:
मानवाधिकार वे मौलिक अधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को केवल मानव होने के कारण प्राप्त होते हैं। ये अधिकार जीवन, स्वतंत्रता, समानता, गरिमा और सुरक्षा से संबंधित होते हैं। मानवाधिकार सार्वभौमिक, अविच्छेद्य और अपरिहार्य होते हैं। ये अधिकार अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों जैसे कि मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 (UDHR), और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 32 में भी परिलक्षित होते हैं।


2. मानवाधिकार कानून की प्रकृति क्या है?

उत्तर:
मानवाधिकार कानून सार्वजनिक अंतरराष्ट्रीय कानून की एक शाखा है जो राज्यों और व्यक्तियों के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है। इसकी प्रकृति नैतिक और विधिक दोनों है। यह व्यक्ति को राज्य की शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह न्याय, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा की अवधारणा पर आधारित होता है।


3. मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR), 1948 क्या है?

उत्तर:
UDHR, 1948 संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई एक ऐतिहासिक घोषणा है, जो सभी व्यक्तियों के लिए बुनियादी मानवाधिकारों की पहचान करती है। इसमें कुल 30 अनुच्छेद हैं जो जीवन, स्वतंत्रता, समानता, शिक्षा, कार्य, धार्मिक स्वतंत्रता आदि अधिकारों को सुनिश्चित करते हैं। यद्यपि यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का आधार बन चुका है।


4. भारतीय संविधान में मानवाधिकारों का स्थान क्या है?

उत्तर:
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 12-35) के माध्यम से मानवाधिकारों को संरक्षित किया गया है। इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 51A में नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख है। भारतीय न्यायपालिका ने भी अपने निर्णयों के माध्यम से मानवाधिकारों की व्याख्या और विस्तार किया है।


5. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) क्या है?

उत्तर:
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना 1993 में “मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993” के तहत की गई थी। इसका मुख्य कार्य मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन करना है। यह आयोग स्वत: संज्ञान लेकर, या शिकायत मिलने पर जांच कर सकता है। इसके पास अनुशंसा देने की शक्ति होती है लेकिन दंडात्मक शक्ति नहीं है।


6. मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण क्या हैं?

उत्तर:
मानवाधिकारों के उल्लंघन के प्रमुख कारणों में गरीबी, अशिक्षा, जातीय भेदभाव, लैंगिक असमानता, अत्यधिक पुलिस बल प्रयोग, सशस्त्र संघर्ष, और सरकारी असंवेदनशीलता शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भ्रष्टाचार और न्यायिक प्रक्रिया में देरी भी इन अधिकारों के हनन में योगदान देती है।


7. मानवाधिकारों और मौलिक अधिकारों में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर:
मौलिक अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त होते हैं, जबकि मानवाधिकार प्राकृतिक और सार्वभौमिक होते हैं। मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों को विशेष रूप से प्रदान किए जाते हैं, जबकि मानवाधिकार किसी भी व्यक्ति को प्राप्त होते हैं। मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर सीधे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में याचिका की जा सकती है।


8. संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार परिषद (UNHRC) क्या है?

उत्तर:
UNHRC संयुक्त राष्ट्र का एक प्रमुख अंग है जिसकी स्थापना 2006 में हुई थी। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा और उल्लंघन की निगरानी करना है। यह परिषद विभिन्न देशों में मानवाधिकार की स्थिति की समीक्षा करती है और आवश्यक सिफारिशें देती है।


9. बाल अधिकार क्या हैं?

उत्तर:
बाल अधिकार उन अधिकारों का समूह है जो प्रत्येक बच्चे को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, पोषण और विकास के लिए प्राप्त होते हैं। बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, 1989 (CRC) इन अधिकारों को विस्तार से परिभाषित करता है। भारत ने भी इसे 1992 में स्वीकार किया है।


10. मानवाधिकारों का ऐतिहासिक विकास कैसे हुआ?

उत्तर:
मानवाधिकारों का इतिहास प्राचीन काल से मिलता है। आधुनिक मानवाधिकारों का विकास मैग्ना कार्टा (1215), अमेरिकी स्वतंत्रता घोषणा (1776), फ्रांसीसी मानवाधिकार घोषणापत्र (1789), और अंततः UDHR (1948) के माध्यम से हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मानवाधिकारों की आवश्यकता को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली।


11. मानवाधिकारों की सुरक्षा में न्यायपालिका की भूमिका क्या है?

उत्तर:
भारतीय न्यायपालिका विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय ने मानवाधिकारों की रक्षा में अत्यंत सक्रिय भूमिका निभाई है। PIL (लोकहित याचिका) के माध्यम से गरीब और वंचित वर्गों को न्याय दिलाने में सहायता की गई। विषकन्या केस, मनका गांधी केस, आदि में न्यायालय ने मानवाधिकारों की व्याख्या कर उन्हें सशक्त बनाया।


12. मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

उत्तर:
इस अधिनियम के अंतर्गत NHRC, राज्य मानवाधिकार आयोग, और मानवाधिकार न्यायालयों की स्थापना की जाती है। यह अधिनियम मानवाधिकार उल्लंघन की जांच, सिफारिशें देने और सुधारात्मक उपायों की अनुशंसा की व्यवस्था करता है। यह अधिनियम सभी नागरिकों को समान रूप से संरक्षण प्रदान करता है।


13. महिला अधिकार और मानवाधिकार में क्या संबंध है?

उत्तर:
महिलाओं को समानता, सुरक्षा, सम्मान, शिक्षा, रोजगार आदि अधिकार मानवाधिकार के तहत प्राप्त होते हैं। महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता मानवाधिकार कानून का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। CEDAW (Convention on the Elimination of All Forms of Discrimination Against Women) महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संधि है।


14. मानवाधिकार शिक्षा का महत्व क्या है?

उत्तर:
मानवाधिकार शिक्षा व्यक्ति को उसके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करती है। यह सामाजिक समानता, न्याय, और सहिष्णुता की भावना को बढ़ावा देती है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने अधिकारों को जानता है बल्कि दूसरों के अधिकारों का सम्मान करना भी सीखता है।


15. आतंकवाद और मानवाधिकार में क्या संबंध है?

उत्तर:
आतंकवाद मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करता है क्योंकि इसमें निर्दोष नागरिकों का जीवन और स्वतंत्रता खतरे में पड़ती है। वहीं, आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा भी मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। इसलिए संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है जिसमें सुरक्षा और अधिकार दोनों की रक्षा हो।


16. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अधिकार मानवाधिकारों के अंतर्गत कैसे संरक्षित हैं?

उत्तर:
अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अधिकारों को मानवाधिकारों के अंतर्गत विशेष संरक्षण प्राप्त है। संविधान के अनुच्छेद 15, 17, 46 एवं 338 के तहत इन्हें सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से समानता देने का प्रयास किया गया है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 इनके खिलाफ होने वाले भेदभाव और हिंसा से रक्षा करता है। मानवाधिकार आयोग इन वर्गों के अधिकारों के उल्लंघन की निगरानी करता है।


17. हिरासत में प्रताड़ना मानवाधिकारों का उल्लंघन कैसे है?

उत्तर:
हिरासत में प्रताड़ना या पुलिस कस्टडी में मारपीट, शारीरिक और मानसिक शोषण, और बिना न्यायिक प्रक्रिया के दंड, मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह जीवन और गरिमा के अधिकार का हनन है जो अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। सुप्रीम कोर्ट ने डी. के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य केस में हिरासत में अधिकारों को स्पष्ट किया और दिशानिर्देश जारी किए।


18. पर्यावरण संरक्षण और मानवाधिकारों का संबंध बताइए।

उत्तर:
स्वस्थ पर्यावरण में जीवन का अधिकार भी मानवाधिकार का हिस्सा है। यदि वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण से जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है, तो यह मानवाधिकार का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने सुभाष कुमार बनाम बिहार राज्य केस में पर्यावरण को जीवन के अधिकार के अंतर्गत माना। इसलिए पर्यावरण संरक्षण मानवाधिकार की रक्षा से जुड़ा हुआ है।


19. मानवाधिकारों के संरक्षण में मीडिया की भूमिका।

उत्तर:
मीडिया मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करने और समाज में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पीड़ितों की आवाज बनकर न्याय प्रणाली तक पहुंचाने का कार्य करता है। मीडिया के कारण कई मामलों में NHRC और न्यायालयों ने स्वत: संज्ञान लिया है। हालांकि मीडिया की स्वतंत्रता के साथ ज़िम्मेदारी भी जरूरी है।


20. जेल सुधार और कैदियों के मानवाधिकार।

उत्तर:
कैदी अपनी स्वतंत्रता खो देता है, परंतु मानवता, गरिमा और स्वास्थ्य जैसे अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। उन्हें शारीरिक यातना, अमानवीय व्यवहार और अस्पष्ट कानूनी प्रक्रिया से बचाना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने सनल एर्नाकुलम बनाम भारत सरकार केस में कैदियों को भी मौलिक अधिकारों का भागीदार माना है। जेल सुधारों में मानवाधिकार एक केंद्रीय बिंदु है।


21. आपातकाल में मानवाधिकारों की स्थिति क्या होती है?

उत्तर:
आपातकाल की स्थिति में कुछ मानवाधिकारों को स्थगित किया जा सकता है, परंतु जीवन और मानव गरिमा जैसे अधिकार अछूते रहते हैं। भारत में 1975 के आपातकाल के दौरान कुछ मौलिक अधिकार निलंबित किए गए थे, जिससे न्यायपालिका और मानवाधिकार संगठनों ने इसकी आलोचना की। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार भी, कुछ अधिकारों का निलंबन अनुचित है।


22. बच्चों के अधिकार और बाल श्रम।

उत्तर:
बच्चों को शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य और सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है। बाल श्रम इन अधिकारों का उल्लंघन है। भारत में बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 तथा बच्चों का अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा की जाती है। शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21A) भी एक महत्वपूर्ण मानवाधिकार है।


23. आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा में मानवाधिकार कानून की भूमिका।

उत्तर:
आदिवासी समुदायों को भूमि, संस्कृति, संसाधन, और आजीविका से जुड़े अधिकार प्राप्त हैं। संविधान के अनुच्छेद 244, 5वीं और 6वीं अनुसूचियों में इन अधिकारों की सुरक्षा की गई है। मानवाधिकार आयोग इन अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाता है। वन अधिकार अधिनियम, 2006 ने भी आदिवासियों को भूमि अधिकार दिया है।


24. आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार क्या हैं?

उत्तर:
ये वे अधिकार हैं जो व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए आवश्यक हैं। जैसे – शिक्षा का अधिकार, कार्य का अधिकार, स्वास्थ्य सेवाएं, सामाजिक सुरक्षा, और सांस्कृतिक भागीदारी। ये अधिकार International Covenant on Economic, Social and Cultural Rights (ICESCR), 1966 में उल्लेखित हैं और भारत इसका हस्ताक्षरकर्ता है।


25. मानवाधिकार उल्लंघन पर दंडात्मक प्रक्रिया क्या है?

उत्तर:
मानवाधिकार उल्लंघन की स्थिति में पीड़ित NHRC या राज्य आयोग में शिकायत दर्ज कर सकता है। न्यायालय में रिट याचिका (जैसे – हैबियस कॉर्पस, मैंडमस आदि) दायर की जा सकती है। आयोग जांच कर संबंधित अधिकारियों पर अनुशंसा भेज सकता है, लेकिन उन्हें दंडित करने की शक्ति नहीं होती। न्यायालय के आदेश बाध्यकारी होते हैं।


26. मानवाधिकारों की निगरानी के अंतरराष्ट्रीय तंत्र कौन-कौन से हैं?

उत्तर:
मुख्य अंतरराष्ट्रीय निगरानी तंत्रों में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC), संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR), और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) शामिल हैं। ये संस्थाएं वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा, निगरानी और रिपोर्टिंग का कार्य करती हैं।


27. लैंगिक समानता और मानवाधिकार कानून।

उत्तर:
लैंगिक समानता मानवाधिकारों की मूल भावना है। यह सुनिश्चित करता है कि स्त्री, पुरुष और अन्य सभी लैंगिक पहचान वालों को समान अवसर और सुरक्षा मिले। CEDAW संधि और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 व 16 इसके प्रमुख आधार हैं। यौन उत्पीड़न से सुरक्षा, समान कार्य के लिए समान वेतन, और संपत्ति में अधिकार इसके प्रमुख पहलू हैं।


28. मानव तस्करी और मानवाधिकार।

उत्तर:
मानव तस्करी व्यक्ति की गरिमा, स्वतंत्रता और सुरक्षा का गंभीर उल्लंघन है। यह एक संगठित अपराध है जो विशेषकर महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करता है। भारत में Immoral Traffic (Prevention) Act, 1956, और Indian Penal Code के विभिन्न प्रावधानों के तहत इसे अपराध माना गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Palermo Protocol इस पर रोक लगाने हेतु बनाया गया।


29. मानवाधिकारों पर राष्ट्रीय न्यायपालिका का प्रभाव।

उत्तर:
भारतीय न्यायपालिका ने अनेक ऐतिहासिक निर्णयों के माध्यम से मानवाधिकारों को मजबूती प्रदान की है। मनु शर्मा केस, विशाखा बनाम राजस्थान राज्य, और ऑल इंडिया जजेज़ केस जैसे निर्णयों ने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की है। PIL के माध्यम से कमजोर वर्गों को भी न्याय दिलाने की दिशा में न्यायपालिका ने सक्रिय भूमिका निभाई है।


30. भिक्षावृत्ति और मानवाधिकार।

उत्तर:
भिक्षावृत्ति एक सामाजिक समस्या है, लेकिन इसे अपराध के रूप में देखना मानवाधिकार हनन हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा से जीवन जीने का अधिकार है। कई राज्यों में भिक्षावृत्ति को अपराध घोषित किया गया है, परंतु हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक कहा। इससे यह स्पष्ट है कि गरीबी से निपटने के लिए सामाजिक समाधान जरूरी हैं।


31. COVID-19 और मानवाधिकार पर प्रभाव।

उत्तर:
कोविड-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन, चिकित्सा सुविधाओं की कमी, बेरोज़गारी और प्रवासी मज़दूरों की समस्याओं ने मानवाधिकारों पर गहरा प्रभाव डाला। स्वास्थ्य सेवा का अधिकार, भोजन, आवास और गरिमा से जीवन जैसे अधिकार प्रभावित हुए। न्यायालयों और NHRC ने सक्रिय भूमिका निभाकर राहत और हस्तक्षेप किया।


32. सूचना का अधिकार और मानवाधिकार।

उत्तर:
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 नागरिकों को शासन के प्रति पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की गारंटी देता है। यह मानवाधिकारों की रक्षा में सहायक है क्योंकि सूचना के बिना व्यक्ति अपने अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकता। यह विधेयक लोकतंत्र को सशक्त बनाता है और भ्रष्टाचार से लड़ने का माध्यम है।


33. अल्पसंख्यक अधिकार और मानवाधिकार।

उत्तर:
भारत में धार्मिक, भाषायी और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत विशेष अधिकार प्राप्त हैं। यह उनके मानवाधिकारों की रक्षा करता है। शिक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और पहचान की रक्षा अल्पसंख्यकों को समान दर्जा दिलाने में सहायक है।


34. प्रवासी श्रमिक और मानवाधिकार।

उत्तर:
प्रवासी श्रमिकों को उचित कार्य की स्थिति, वेतन, आवास और सुरक्षा का अधिकार होना चाहिए। कोविड-19 के दौरान इनके अधिकारों का उल्लंघन प्रमुखता से देखा गया। सुप्रीम कोर्ट और सरकार ने राहत दी, परंतु यह एक गंभीर मानवाधिकार चुनौती बनी रही। इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कर्स एक्ट, 1979 इनके संरक्षण का प्रयास करता है।


35. साइबर अपराध और मानवाधिकार।

उत्तर:
साइबर अपराध जैसे साइबर बुलिंग, पहचान की चोरी, निजी डाटा लीक आदि से व्यक्ति की निजता, सुरक्षा और सम्मान प्रभावित होते हैं। ये सब मानवाधिकार हनन के अंतर्गत आते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ऐसे अपराधों से निपटने के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। डिजिटल अधिकारों की सुरक्षा आज के समय में मानवाधिकार का नया क्षेत्र बन चुका है।


36. बुजुर्गों के अधिकार और मानवाधिकार कानून

उत्तर:
बुजुर्गों को गरिमा, देखभाल, स्वास्थ्य और सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 41 में राज्य से अपेक्षा की गई है कि वह वृद्धजनों को सहायता प्रदान करे। भरण-पोषण और माता-पिता भरण-पोषण अधिनियम, 2007 बुजुर्गों को उनके बच्चों से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार देता है। मानवाधिकार दृष्टिकोण से वृद्धजनों को उपेक्षा, हिंसा और असम्मान से मुक्त जीवन जीने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।


37. मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के मानवाधिकार

उत्तर:
मानसिक रोगियों के लिए गरिमापूर्ण जीवन, उपचार की सुविधा, सामाजिक स्वीकृति और बिना भेदभाव के व्यवहार आवश्यक है। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 में इन्हें व्यापक अधिकार प्रदान किए गए हैं। मानवाधिकार के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया गया है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को भी संवैधानिक अधिकारों की पूरी प्राप्ति हो।


38. LGBTQ+ समुदाय और मानवाधिकार

उत्तर:
LGBTQ+ समुदाय को भी समानता, स्वतंत्रता, गरिमा और निजी जीवन का अधिकार प्राप्त है। नवतेज सिंह जोहर बनाम भारत संघ (2018) में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाया और LGBTQ+ समुदाय के मानवाधिकारों को मान्यता दी। इस समुदाय को अब धीरे-धीरे सामाजिक और कानूनी संरक्षण मिल रहा है, लेकिन व्यवहारिक स्तर पर अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।


39. सार्वजनिक स्वास्थ्य और मानवाधिकार

उत्तर:
स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करना प्रत्येक व्यक्ति का मूलभूत मानवाधिकार है। कोविड-19 जैसी आपदाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता और गुणवत्ता मानव जीवन के लिए आवश्यक है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार में स्वास्थ्य का अधिकार भी निहित है। राज्य की जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करे।


40. शरणार्थियों के अधिकार और मानवाधिकार

उत्तर:
शरणार्थी वे व्यक्ति होते हैं जो युद्ध, धार्मिक उत्पीड़न या अन्य कारणों से अपने देश को छोड़कर अन्यत्र शरण लेते हैं। इन्हें भी जीवन, सुरक्षा, शिक्षा, और स्वास्थ्य का अधिकार प्राप्त होना चाहिए। भारत ने शरणार्थी सम्मेलन 1951 पर हस्ताक्षर नहीं किया है, फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने इनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई निर्णय दिए हैं, जैसे कि चंद्रा बनाम भारत संघ केस


41. मानवाधिकारों के संरक्षण में NGOs की भूमिका

उत्तर:
गैर-सरकारी संगठन (NGOs) मानवाधिकारों की रक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। ये संगठन वंचित वर्गों को सहायता, कानूनी सहायता, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं। साथ ही, मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को उजागर कर शासन और समाज को जागरूक करते हैं। जैसे – PUCL, Amnesty International, Human Rights Watch आदि।


42. सांप्रदायिक दंगे और मानवाधिकार हनन

उत्तर:
सांप्रदायिक दंगों के दौरान अल्पसंख्यकों के जीवन, संपत्ति, और धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात होता है, जो मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन है। 1984, 2002 और अन्य दंगों ने यह दिखाया कि यदि राज्य निष्क्रिय या पक्षपाती हो, तो मानवाधिकार खतरे में पड़ जाते हैं। NHRC और न्यायपालिका ने दंगों से पीड़ितों को न्याय दिलाने में भूमिका निभाई।


43. कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और मानवाधिकार

उत्तर:
CSR के तहत कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनका कार्यक्षेत्र मानवाधिकारों का सम्मान करता हो। श्रमिकों के अधिकार, पर्यावरण की रक्षा, समुदाय के विकास और उपभोक्ता संरक्षण को भी मानवाधिकार की दृष्टि से देखा जाता है। भारत में कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत CSR को अनिवार्य किया गया है।


44. शिक्षा का अधिकार और मानवाधिकार

उत्तर:
शिक्षा एक मौलिक मानवाधिकार है जो व्यक्तित्व के पूर्ण विकास और गरिमापूर्ण जीवन के लिए आवश्यक है। भारत में अनुच्छेद 21A के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के माध्यम से इसे लागू किया गया है। शिक्षा सामाजिक समानता और जागरूकता लाती है।


45. अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों के अधिकार

उत्तर:
संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षिक संस्थान स्थापित करने और उनका संचालन करने का अधिकार है। यह अधिकार मानवाधिकार के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो सांस्कृतिक स्वतंत्रता और आत्म-निर्णय को बढ़ावा देता है। यह बहुलवादी समाज के लिए आवश्यक है।


46. बाल विवाह और मानवाधिकार

उत्तर:
बाल विवाह बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। यह विशेषकर बालिकाओं के लिए अत्यंत हानिकारक है। भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 इसे दंडनीय अपराध मानता है। मानवाधिकारों की दृष्टि से यह जरूरी है कि विवाह की न्यूनतम आयु का पालन हो और लड़कियों को शिक्षा व अवसर मिलें।


47. मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता

उत्तर:
धार्मिक स्वतंत्रता मानवाधिकारों का एक अहम पहलू है। व्यक्ति को अपनी पसंद का धर्म मानने, प्रचार करने और आचरण करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता का स्पष्ट प्रावधान है। किसी धर्म को मानने या न मानने का अधिकार भी इसी श्रेणी में आता है।


48. विकलांग व्यक्तियों के अधिकार

उत्तर:
विकलांग व्यक्तियों को शिक्षा, रोजगार, परिवहन, और सार्वजनिक स्थानों पर पहुंच जैसे अधिकारों की आवश्यकता होती है। RPWD अधिनियम, 2016 (Rights of Persons with Disabilities Act, 2016) उन्हें समानता और अवसरों की गारंटी देता है। मानवाधिकारों की दृष्टि से यह आवश्यक है कि विकलांगता के आधार पर भेदभाव न किया जाए।


49. मानवाधिकार कानून और न्यायिक सक्रियता

उत्तर:
भारतीय न्यायपालिका ने कई बार न्यायिक सक्रियता दिखाकर मानवाधिकारों को बढ़ावा दिया है। विशेषकर PIL (Public Interest Litigation) के माध्यम से अदालतों ने गरीबों, बच्चों, महिलाओं, मजदूरों आदि के अधिकारों की रक्षा की है। यह सक्रियता न्यायपालिका को जनहित में संविधान के संरक्षक की भूमिका में लाती है।


50. डिजिटल निजता और मानवाधिकार

उत्तर:
डिजिटल युग में निजता का अधिकार मानवाधिकार का अभिन्न अंग बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पुट्टस्वामी केस (2017) में निजता को अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार माना। डिजिटल डेटा की सुरक्षा, निगरानी, और सोशल मीडिया की निगरानी पर मानवाधिकार कानून की दृष्टि से संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।