🏛️ “पिता की संपत्ति में बहनों का अधिकार: इनकार करना न केवल अन्याय, बल्कि अपराध भी है”
“भाई द्वारा बहनों को पिता की संपत्ति में से हिस्सा न देना, केवल नैतिक दोष नहीं, अब कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है।”
यह बात सर्वोच्च न्यायालय ने अपने स्पष्ट और दृढ़ निर्णयों के माध्यम से स्थापित की है। भारतीय समाज में लंबे समय तक बेटियों को संपत्ति के अधिकार से वंचित रखा गया, लेकिन अब कानून और न्यायालय दोनों इस असमानता के विरुद्ध दृढ़ता से खड़े हैं।
⚖️ भारतीय कानून में बेटियों का संपत्ति में अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में वर्ष 2005 के संशोधन के बाद बेटियों को भी पुत्रों के समान अधिकार दिए गए।
अब बेटी जन्म से ही अपने पिता की संयुक्त पारिवारिक संपत्ति में बराबर की सह-उत्तराधिकारी (coparcener) होती है।
🔹 धारा 6 (Hindu Succession Act, Amendment 2005):
“यदि कोई हिंदू पुरुष अपनी संपत्ति के उत्तराधिकार के बिना मरता है, तो उसकी पुत्री को भी पुत्र के समान अधिकार और उत्तरदायित्व प्राप्त होंगे।”
👨⚖️ सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय:
🧾 Vineeta Sharma v. Rakesh Sharma, (2020) 9 SCC 1
सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने स्पष्ट कहा:
“बेटी का अपने पिता की संपत्ति में जन्म से ही बराबरी का अधिकार है, चाहे पिता की मृत्यु 2005 संशोधन से पहले हुई हो या बाद में।”
यह निर्णय बेटियों के अधिकारों को ऐतिहासिक न्याय देता है और यह स्पष्ट करता है कि भाई द्वारा बहनों को संपत्ति में से हिस्सा न देना अब न्यायिक उल्लंघन माना जाएगा।
❌ यदि भाई संपत्ति में हिस्सा नहीं देता तो क्या यह अपराध है?
जी हां, यदि कोई भाई:
- जानबूझकर बहनों से संपत्ति की जानकारी छुपाता है,
- गलत दस्तावेज प्रस्तुत करता है,
- दबाव डालकर उनके अधिकार का हनन करता है,
तो यह धोखाधड़ी (IPC धारा 420), जालसाजी (IPC धारा 468/471) और आपराधिक विश्वास भंग (IPC धारा 406) के अंतर्गत दंडनीय अपराध बन सकता है।
⚠️ कानूनी उपाय:
- बहनें सिविल कोर्ट में बंटवारा (Partition Suit) का वाद दायर कर सकती हैं।
- यदि धोखा हुआ है, तो FIR दर्ज कराई जा सकती है।
- संपत्ति की बिक्री को अवैध घोषित करवाया जा सकता है।
👩⚖️ न्यायालय का रुख अब सख्त
सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों ने अब साफ कहा है कि:
“नारी को संपत्ति में वंचित करना केवल सामाजिक भेदभाव नहीं, बल्कि विधिक अन्याय है, जिसके विरुद्ध कड़ा कदम आवश्यक है।”
✅ निष्कर्ष
आज बेटियां सिर्फ परिवार का हिस्सा नहीं, बल्कि संपत्ति में बराबरी की हकदार भी हैं। भाई द्वारा उन्हें उनका हिस्सा न देना न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध भी है।
इसलिए समाज को चाहिए कि वह बेटियों के अधिकारों को केवल सम्मान से न देखे, बल्कि व्यवहार में लागू करे — क्योंकि अब कानून उनके साथ है।