1. Penology क्या है?
Penology अपराधियों के दंड, उनके सुधार और दंड व्यवस्था के अध्ययन की वह शाखा है जो यह जानने का प्रयास करती है कि अपराध के लिए किस प्रकार की सजा दी जानी चाहिए तथा सजा का उद्देश्य क्या होना चाहिए। यह अपराध विज्ञान (Criminology) की एक उपशाखा है। Penology का मुख्य उद्देश्य समाज की सुरक्षा करना, अपराधियों को पुनर्स्थापित करना और भविष्य के अपराधों को रोकना है। इसमें जेल प्रणाली, सुधारात्मक संस्थान, बंदीगृह नीति और पुनर्वास कार्यक्रमों का अध्ययन किया जाता है।
2. Victimology क्या है?
Victimology अपराध के शिकार व्यक्ति (पीड़ित) और अपराध के बीच संबंध का अध्ययन करती है। इसमें यह समझने का प्रयास किया जाता है कि अपराध पीड़ित को किस प्रकार से प्रभावित करता है, उसका मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक प्रभाव क्या होता है, और राज्य व समाज पीड़ित की सहायता के लिए क्या कदम उठाते हैं। Victimology न्याय प्रक्रिया में पीड़ित को केंद्र में रखने की वकालत करता है।
3. सजा के उद्देश्य क्या हैं?
सजा के प्रमुख उद्देश्य होते हैं:
- प्रतिरोध (Deterrence) – ताकि अपराधी व अन्य लोग डरकर अपराध न करें।
- सुधार (Reformation) – अपराधी को एक अच्छा नागरिक बनाना।
- प्रतिशोध (Retribution) – समाज को न्याय की अनुभूति देना।
- निरोध (Incapacitation) – अपराधी को समाज से अलग करना।
- प्रतिपूर्ति (Restitution) – पीड़ित को हानि की भरपाई दिलाना।
4. दण्ड का सुधारात्मक सिद्धांत क्या है?
सुधारात्मक सिद्धांत का उद्देश्य अपराधी को सुधारना और उसे समाज का उपयोगी सदस्य बनाना है। इसके अंतर्गत शिक्षा, मनोवैज्ञानिक परामर्श, प्रशिक्षण और समाजिक पुनर्वास की व्यवस्था की जाती है। यह दण्ड को एक नैतिक और सामाजिक उपाय के रूप में देखता है, जो न केवल अपराध को रोकता है, बल्कि व्यक्ति को मानवतावादी दृष्टिकोण से सुधारता भी है।
5. प्रतिरोधात्मक सिद्धांत (Deterrent Theory) क्या है?
Deterrent Theory का मुख्य उद्देश्य यह है कि सख्त सजा देकर समाज में डर का माहौल बने और लोग अपराध करने से बचें। यह सिद्धांत मानता है कि यदि अपराधियों को कठोर दंड मिलेगा, तो अन्य लोग भी अपराध करने से डरेंगे। यह विशेष रूप से गंभीर अपराधों, जैसे हत्या, बलात्कार आदि के लिए लागू किया जाता है।
6. पीड़ित के अधिकार क्या होते हैं?
पीड़ित के अधिकारों में शामिल हैं:
- न्याय पाने का अधिकार,
- मुआवज़ा पाने का अधिकार,
- सुरक्षित वातावरण का अधिकार,
- अपराध प्रक्रिया में भागीदारी,
- गोपनीयता और सम्मान का अधिकार।
भारत में कई योजनाएँ जैसे ‘विक्टिम कम्पनसेशन स्कीम’ इन्हीं अधिकारों को सुनिश्चित करती हैं।
7. जेल सुधार क्या हैं?
जेल सुधारों का उद्देश्य जेल व्यवस्था को मानवीय बनाना है। इसमें कैदियों को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कानूनी सहायता, पुनर्वास की सुविधा आदि देना शामिल है। सुधारों का जोर यह सुनिश्चित करने पर होता है कि कैदी को दंड मिलने के साथ-साथ सुधारने का अवसर भी मिले। हालिया प्रयासों में Open Prisons, Legal Aid Clinics, और Parole System प्रमुख हैं।
8. Parole और Probation में अंतर बताइए।
Parole सजा के दौरान दी जाने वाली अस्थायी रिहाई है, जिसमें कैदी कुछ शर्तों पर जेल से बाहर रह सकता है।
Probation वह वैकल्पिक दंड है जिसमें दोषी को जेल भेजे बिना कुछ शर्तों पर समाज में रहने दिया जाता है।
Parole जेल के भीतर अच्छे व्यवहार के आधार पर दी जाती है, जबकि Probation अदालत के आदेश से होती है।
9. भारत में पीड़ित मुआवजा योजना (Victim Compensation Scheme) क्या है?
भारत में ‘Criminal Procedure Code, Section 357A’ के अंतर्गत यह योजना है, जिसके तहत राज्य सरकारें गंभीर अपराधों के पीड़ितों को मुआवज़ा देती हैं। इसका उद्देश्य पीड़ितों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उनका पुनर्वास करना है। यह योजना खासतौर पर बलात्कार, एसिड अटैक, बच्चों पर अपराध, और मानव तस्करी जैसे मामलों में मददगार होती है।
10. पुनरावृत्त अपराधी कौन होता है?
पुनरावृत्त अपराधी (Recidivist) वह व्यक्ति होता है जो एक बार दंडित होने के बाद फिर से अपराध करता है। यह Penology में गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि यह सजा की विफलता को दर्शाता है। ऐसे अपराधियों के लिए सुधारात्मक कार्यक्रमों की आवश्यकता अधिक होती है।
11. अपराध के शिकार बच्चों के लिए क्या उपाय हैं?
अपराध के शिकार बच्चों के लिए विशेष कानून (जैसे POCSO Act), विशेष न्यायालय, परामर्श, पुनर्वास, और गोपनीय सुनवाई की व्यवस्था की जाती है। Juvenile Justice Act, 2015 भी उनकी सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करता है। बाल पीड़ितों को संवेदनशील प्रक्रिया द्वारा न्याय दिलाना ज़रूरी होता है।
12. अपराध पीड़ित के मनोवैज्ञानिक प्रभाव क्या होते हैं?
अपराध पीड़ित व्यक्ति पर मानसिक आघात (Trauma), चिंता, अवसाद, आत्मग्लानि, PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder), नींद की समस्या, और सामाजिक अलगाव का असर पड़ सकता है। इन्हें ठीक करने के लिए परामर्श, समर्थन समूह और चिकित्सा सहायता की जरूरत होती है।
13. दंड के प्रकार क्या हैं?
दंड के मुख्य प्रकार हैं –
- मृत्युदंड (Capital Punishment),
- कारावास (Imprisonment),
- जुर्माना (Fine),
- संपत्ति की जब्ती (Forfeiture),
- सशर्त रिहाई (Parole/Probation)।
इनमें से दंड का चुनाव अपराध की प्रकृति, गंभीरता और अपराधी के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है।
14. कारावास के स्थान पर वैकल्पिक दंड की आवश्यकता क्यों है?
जेलों में भीड़, सुधार की कमी और पुनरावृत्ति के कारण वैकल्पिक दंड जैसे Probation, Community Service, Fine आदि की आवश्यकता महसूस की जाती है। ये दंड अपराधी को समाज से जोड़े रखते हैं और उन्हें सुधारने का मौका देते हैं। यह न्यायिक प्रणाली पर बोझ भी कम करता है।
15. पीड़ित-उन्मुख न्याय प्रणाली क्या है?
यह न्याय प्रणाली अपराध के शिकार व्यक्ति को केंद्र में रखकर काम करती है। इसमें पीड़ित को न्याय, मुआवजा, सुरक्षा, और भागीदारी का अधिकार मिलता है। Victim Impact Statement और Compensation Scheme जैसे उपाय इसी विचार के तहत आते हैं। यह प्रणाली न्याय को अधिक मानवीय और संतुलित बनाती है।
16. अपराधियों के पुनर्वास की आवश्यकता क्यों है?
अपराधियों के पुनर्वास का उद्देश्य उन्हें फिर से समाज का उपयोगी सदस्य बनाना है। केवल सजा देने से अपराध की जड़ें नहीं समाप्त होतीं, बल्कि व्यक्ति को सामाजिक, मानसिक और आर्थिक रूप से सुधारने की आवश्यकता होती है। पुनर्वास के माध्यम से अपराधी को शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, मनोवैज्ञानिक परामर्श, और परिवार से पुनः जुड़ने का अवसर मिलता है। इससे पुनरावृत्ति की संभावना कम होती है और समाज में अपराध दर घटती है।
17. दण्ड का प्रतिशोधात्मक सिद्धांत (Retributive Theory) क्या है?
Retributive Theory के अनुसार, अपराध के लिए अपराधी को उसी अनुपात में दंड मिलना चाहिए। यह “Tit for Tat” के सिद्धांत पर आधारित है। इस सिद्धांत का उद्देश्य अपराधी को पीड़ित के साथ किए गए अन्याय का परिणाम चुकाना है। इसे न्याय की भावना के रूप में देखा जाता है, जिसमें समाज यह मानता है कि अपराधी को उसके कृत्य के लिए सजा मिलनी ही चाहिए।
18. Open Prison क्या होता है?
Open Prison (खुला कारागार) एक ऐसी जेल होती है जहाँ कैदियों को सीमित निगरानी के साथ स्वतंत्रता दी जाती है। इसमें कैदी दिन में बाहर जाकर काम कर सकते हैं और शाम को लौटकर जेल में रहते हैं। ये जेल उन कैदियों के लिए होते हैं जिनका आचरण अच्छा रहा हो और जिन्हें पुनर्वास की दिशा में लाया जा रहा हो। यह जेल प्रणाली अपराधियों को समाज में फिर से जोड़ने और जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए उपयोगी है।
19. पुनरावृत्ति रोकने के उपाय क्या हैं?
पुनरावृत्ति (Recidivism) को रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
- सुधारात्मक और पुनर्वास आधारित दंड,
- कैदियों को शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण,
- जेलों में परामर्श सेवाएँ,
- समाज में स्वीकृति और रोजगार के अवसर,
- अपराधियों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता।
इन उपायों से अपराधी समाज के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ सकते हैं।
20. पीड़ित प्रभाव वक्तव्य (Victim Impact Statement) क्या है?
Victim Impact Statement एक लिखित या मौखिक बयान होता है जो पीड़ित या उसके परिजनों द्वारा अदालत में दिया जाता है, जिसमें बताया जाता है कि अपराध ने उनके जीवन को कैसे प्रभावित किया। इससे न्यायालय को सजा तय करने में पीड़ित के पक्ष को समझने में मदद मिलती है। यह पीड़ित को न्याय प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर देता है।
21. पीड़ित सहायता सेवाएँ क्या होती हैं?
Victim Assistance Services वे कार्यक्रम होते हैं जो अपराध के पीड़ितों को कानूनी सहायता, चिकित्सा सेवा, परामर्श, आश्रय और पुनर्वास जैसी सुविधाएं प्रदान करते हैं। इसका उद्देश्य पीड़ित को न्याय दिलाना और उनके जीवन को सामान्य बनाने में सहायता करना है। भारत में विभिन्न राज्य सरकारें और NGOs इन सेवाओं का संचालन करते हैं।
22. सामुदायिक सेवा (Community Service) क्या है?
Community Service एक वैकल्पिक दंड है जिसमें दोषी को समाज की सेवा करनी पड़ती है, जैसे – सफाई करना, वृद्धों की सहायता, सार्वजनिक संस्थानों में कार्य आदि। यह दंड उन मामलों में दिया जाता है जहाँ अपराध गंभीर न हो। इससे अपराधी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता है और सुधार की दिशा में बढ़ता है।
23. दण्ड और प्रतिपूर्ति में अंतर बताइए।
दण्ड राज्य द्वारा अपराधी को दिया गया विधिक दंड है, जैसे – जेल या जुर्माना।
प्रतिपूर्ति (Restitution) वह प्रक्रिया है जिसमें अपराधी पीड़ित को हानि की भरपाई करता है।
दण्ड अपराध के विरुद्ध राज्य की प्रतिक्रिया है, जबकि प्रतिपूर्ति पीड़ित के अधिकार की रक्षा का साधन है।
24. restorative justice क्या है?
Restorative Justice एक वैकल्पिक न्याय प्रणाली है जिसमें अपराधी, पीड़ित और समाज मिलकर न्याय प्रक्रिया में भाग लेते हैं। इसका उद्देश्य सजा देने के बजाय नुकसान की भरपाई करना, अपराधी का पश्चाताप सुनिश्चित करना और पीड़ित को संतोष प्रदान करना है। यह प्रक्रिया संवाद, मुआवजा और पुनर्वास पर आधारित होती है।
25. भारत में मृत्युदंड की स्थिति क्या है?
भारत में मृत्युदंड अभी भी कानूनन वैध है, परंतु इसे ‘दुर्लभतम मामलों’ (rarest of rare cases) में ही लागू किया जाता है। Supreme Court ने Bachan Singh v. State of Punjab (1980) में यह सिद्धांत स्थापित किया। हालाँकि मृत्युदंड पर निरंतर बहस होती रहती है – कुछ इसे न्याय मानते हैं, तो कुछ इसे अमानवीय मानते हैं।
26. जेल के प्रकार क्या हैं?
भारत में मुख्यतः चार प्रकार की जेलें होती हैं –
- केंद्रीय जेल (Central Jails),
- जिला जेल (District Jails),
- उप-जेल (Sub-Jails),
- विशेष जेल (Special Jails)।
इसके अतिरिक्त, सुधार गृह, खुली जेलें और महिला जेलें भी होती हैं। जेल का प्रकार अपराध की गंभीरता और कैदी की श्रेणी के अनुसार तय किया जाता है।
27. अपराध विज्ञान (Criminology) और दण्डशास्त्र (Penology) में अंतर बताइए।
Criminology अपराध, उसके कारणों और रोकथाम का अध्ययन करता है।
Penology दण्ड देने की प्रक्रिया, जेल प्रणाली और अपराधियों के सुधार का अध्ययन करता है।
Criminology का फोकस अपराध है, जबकि Penology का केंद्रबिंदु दंड और सुधार है। दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
28. पीड़ित के प्रकार क्या हैं?
पीड़ित कई प्रकार के हो सकते हैं:
- प्रत्यक्ष पीड़ित (जिस पर अपराध हुआ),
- अप्रत्यक्ष पीड़ित (जैसे परिजन),
- द्वितीयक पीड़ित (जिन्हें न्याय प्रणाली से पीड़ा हुई)।
इसके अलावा पीड़ितों को वर्गीकृत किया जा सकता है – लैंगिक आधार पर, आयु के आधार पर, अपराध की प्रकृति के आधार पर।
29. विक्टिमोलॉजी का महत्व क्या है?
Victimology न्याय प्रणाली को अधिक मानवीय और पीड़ित-उन्मुख बनाता है। यह सुनिश्चित करता है कि अपराधी के साथ-साथ पीड़ित के अधिकारों और आवश्यकताओं पर भी ध्यान दिया जाए। पीड़ित की मानसिक, सामाजिक और आर्थिक सहायता करना केवल न्याय नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व भी है।
30. भारत में पीड़ित उन्मुख कानून कौन-कौन से हैं?
भारत में कई कानून पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं, जैसे –
- POCSO Act, 2012 (बाल पीड़ितों के लिए),
- Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005,
- SC/ST (Prevention of Atrocities) Act,
- Section 357A CrPC – मुआवजा योजना,
- Acid Attack Victim Compensation Scheme।
इन कानूनों का उद्देश्य पीड़ित को न्याय दिलाना और पुनर्वास सुनिश्चित करना है।
31. पीड़ित के सामाजिक अधिकार क्या होते हैं?
पीड़ित के सामाजिक अधिकारों में समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार, सुरक्षा, सहायता प्राप्त करने का अधिकार, पुनर्वास और रोजगार की सुविधा शामिल है। इन अधिकारों का उद्देश्य पीड़ित को अपराध के बाद उत्पन्न सामाजिक बहिष्करण, कलंक और भेदभाव से बचाना है। सरकारी योजनाओं, NGOs और सामुदायिक समर्थन से पीड़ित को मुख्यधारा में वापस लाने का प्रयास किया जाता है।
32. महिला पीड़ितों के लिए विशेष कानून कौन-कौन से हैं?
भारत में महिला पीड़ितों के लिए विशेष कानून हैं –
- Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005
- Sexual Harassment of Women at Workplace Act, 2013
- Dowry Prohibition Act, 1961
- Section 498A IPC
- CrPC Section 125 (भरण-पोषण)
इन कानूनों के माध्यम से महिलाओं को घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न आदि से सुरक्षा प्रदान की जाती है।
33. अपराध के शिकार बच्चों के लिए भारत में क्या प्रावधान हैं?
भारत में बच्चों को अपराध से बचाने हेतु POCSO Act, 2012 लागू है, जो बच्चों के यौन शोषण, उत्पीड़न और अश्लील सामग्री के मामलों में सख्त प्रावधान करता है। इसके अतिरिक्त Juvenile Justice Act, 2015 के तहत बाल पीड़ितों के संरक्षण और पुनर्वास की व्यवस्था है। बच्चों के लिए विशेष न्यायालय, चाइल्ड लाइन (1098), और परामर्श केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
34. दण्ड का निरोधात्मक सिद्धांत (Preventive Theory) क्या है?
Preventive Theory के अनुसार, अपराधी को समाज से अलग करके अपराध को रोका जा सकता है। इसका उद्देश्य अपराधी को जेल में रखकर उसे दोबारा अपराध करने से रोकना है। इस सिद्धांत के अनुसार, दंड का उद्देश्य प्रतिशोध नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा है। यह सिद्धांत विशेष रूप से खतरनाक अपराधियों पर लागू होता है।
35. सामुदायिक सहभागिता का पीड़ित न्याय में क्या महत्व है?
समुदाय, पीड़ित की सहायता, पुनर्वास और न्याय प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समुदाय के सहयोग से पीड़ित को भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक समर्थन मिलता है। कई बार सामाजिक बहिष्कार के डर से पीड़ित सामने नहीं आते, ऐसे में जागरूक और सहायक समुदाय न्याय दिलाने में महत्त्वपूर्ण होता है।
36. जेल प्रशासन में सुधार के सुझाव क्या हैं?
- जेलों में भीड़ कम करना,
- कैदियों को शिक्षा और रोजगार प्रशिक्षण देना,
- स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था,
- मनोवैज्ञानिक परामर्श,
- भ्रष्टाचार की रोकथाम,
- महिला और किशोर कैदियों के लिए अलग व्यवस्था।
इन सुधारों से जेल एक सुधारगृह के रूप में कार्य कर सकता है, न कि केवल दंड केंद्र के रूप में।
37. CrPC की धारा 357A का महत्व क्या है?
CrPC की धारा 357A के अंतर्गत भारत में Victim Compensation Scheme का प्रावधान है। इसके तहत यदि अपराध के कारण पीड़ित को शारीरिक या मानसिक हानि हुई हो, तो राज्य सरकार उसे आर्थिक मुआवजा देती है। इसका उद्देश्य पीड़ित का पुनर्वास और न्याय सुनिश्चित करना है, भले ही अपराधी पकड़ा गया हो या नहीं।
38. Parole का उद्देश्य क्या है?
Parole एक अस्थायी रिहाई है जो अच्छे व्यवहार के आधार पर दी जाती है। इसका उद्देश्य कैदी को परिवार से संपर्क बनाए रखने, पुनर्वास की प्रक्रिया में सहायता, और समाज में धीरे-धीरे पुनः प्रवेश की सुविधा देना है। यह जेल के कठोर वातावरण को कम कर, कैदी में उत्तरदायित्व और सुधार की भावना पैदा करता है।
39. दण्ड नीति (Penal Policy) क्या होती है?
Penal Policy किसी राज्य की वह नीति है जिसके अनुसार अपराधियों को दंडित किया जाता है। इसमें दंड के उद्देश्य, प्रकार, प्रक्रिया, सुधार, पुनर्वास, और सामाजिक सुरक्षा शामिल होती है। यह नीति सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक संदर्भों पर आधारित होती है और समय-समय पर इसमें संशोधन आवश्यक होता है।
40. पुनरावृत्ति दर कम करने के लिए क्या रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं?
- कैदियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देना,
- जेल में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ,
- परिवार और समाज का सहयोग,
- सामुदायिक पुनर्वास केंद्र,
- रोजगार और शिक्षा की सुविधा।
इनसे अपराधियों को एक नई शुरुआत मिलती है और वे दोबारा अपराध की ओर नहीं लौटते।
41. दण्डात्मक न्याय (Punitive Justice) क्या है?
Punitive Justice वह प्रणाली है जिसमें अपराधी को सजा देकर न्याय किया जाता है। इसका उद्देश्य प्रतिशोध, समाज की रक्षा, और अपराध रोकना होता है। यह परंपरागत न्याय प्रणाली है जो अपराधी पर केंद्रित रहती है। हालाँकि आजकल इसके साथ-साथ Restorative Justice को भी महत्त्व दिया जा रहा है।
42. पीड़ित संरक्षण आयोग (Victim Protection Commission) की आवश्यकता क्यों है?
भारत में पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा और सहायता सुनिश्चित करने हेतु एक स्वतंत्र आयोग की आवश्यकता महसूस की जाती है, जो –
- पीड़ितों की शिकायतें सुने,
- पुनर्वास योजनाओं की निगरानी करे,
- पीड़ितों को कानूनी सहायता दिलवाए।
यह आयोग न्यायिक प्रक्रिया को पीड़ित-केंद्रित बनाने में सहायक होगा।
43. बाल अपराधियों की सजा और वयस्क अपराधियों की सजा में अंतर क्या है?
बाल अपराधियों को सुधार की दृष्टि से देखा जाता है। Juvenile Justice Act, 2015 के तहत 18 वर्ष से कम आयु के अपराधियों को सुधार गृह भेजा जाता है। जबकि वयस्कों को कारावास या अन्य कठोर सजा दी जाती है। बाल अपराधियों को सजा के बजाय परामर्श, शिक्षा और पुनर्वास दिया जाता है।
44. दण्ड व्यवस्था में तकनीकी सुधारों का क्या योगदान है?
- जेलों में CCTV निगरानी,
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अदालत कार्यवाही,
- e-Prisons Portal,
- डिजिटल रिकॉर्ड प्रबंधन,
- पैरोल व प्रोबेशन की ऑनलाइन ट्रैकिंग।
इनसे पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रशासनिक दक्षता बढ़ती है।
45. सजा से पहले पीड़ित को न्याय कैसे मिल सकता है?
- FIR के दौरान संवेदनशीलता,
- पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई,
- मेडिकल और मनोवैज्ञानिक सहायता,
- अस्थायी मुआवजा योजना,
- सुरक्षित आवास व सुरक्षा।
ये कदम सजा से पहले भी पीड़ित के लिए न्याय के पहले चरण को सशक्त बनाते हैं।
46. भारत में अपराध पीड़ितों के लिए न्याय की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- लंबी अदालती प्रक्रिया,
- सामाजिक कलंक,
- पुलिस की उदासीनता,
- मुआवजा में देरी,
- असुरक्षा की भावना।
इन चुनौतियों से पार पाने हेतु कानून, प्रशासन, और समाज का समन्वित प्रयास आवश्यक है।
47. सजा के वैकल्पिक उपायों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
वैकल्पिक उपाय जैसे Probation, Community Service, Parole आदि से समाज में पुनर्वास का वातावरण बनता है। यह अपराधी को समाज से जोड़ता है और उसे अपराध से दूर रखता है। साथ ही जेलों में भीड़ कम होती है और राज्य पर वित्तीय बोझ घटता है।
48. पीड़ित पुनर्वास की आवश्यकता क्या है?
पीड़ित को मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक रूप से पुनः स्थापित करना अत्यावश्यक है। अपराध का प्रभाव अक्सर स्थायी होता है – जैसे PTSD, बेरोजगारी, सामाजिक बहिष्कार। पुनर्वास से पीड़ित अपनी गरिमा और आत्मविश्वास पुनः प्राप्त कर सकता है।
49. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पीड़ित अधिकारों की क्या मान्यता है?
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1985 में Declaration of Basic Principles of Justice for Victims of Crime and Abuse of Power जारी की। इसमें पीड़ितों को सूचना, मुआवज़ा, पुनर्वास, भागीदारी, और सुरक्षा के अधिकार दिए गए हैं। यह घोषणा पीड़ित न्याय की दिशा में वैश्विक मानदंड स्थापित करती है।
50. दण्डशास्त्र में “सुधार बनाम प्रतिशोध” की बहस क्या है?
यह बहस इस पर केंद्रित है कि सजा का उद्देश्य सुधार होना चाहिए या प्रतिशोध। कुछ मानते हैं कि सख्त सजा से डर पैदा होता है, जबकि अन्य मानते हैं कि सुधारवादी दृष्टिकोण से अपराध की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है। आधुनिक न्याय प्रणाली इन दोनों के संतुलन की आवश्यकता को मानती है।