51. नजमाना (Indenture) क्या होता है?
Indenture एक प्रकार का लिखित समझौता होता है जो दो पक्षों के बीच संपत्ति, ऋण या अनुबंध से संबंधित होता है। पारंपरिक रूप से इसका उपयोग अंग्रेजी कानून प्रणाली में होता था, परंतु भारत में अब इसका प्रयोग कुछ विशेष संपत्ति दस्तावेजों या डीड में होता है। इसमें दोनों पक्षों की सहमति, अधिकार, कर्तव्य और शर्तों का उल्लेख होता है। यह एक औपचारिक और विधिसम्मत दस्तावेज़ होता है।
52. एजेंसी अनुबंध (Agency Agreement) का प्रारूप
एजेंसी अनुबंध वह विधिक दस्तावेज़ है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति (प्रिंसिपल) किसी अन्य व्यक्ति (एजेंट) को अपने लिए कार्य करने का अधिकार देता है। इसमें एजेंट की भूमिका, कार्य क्षेत्र, अधिकार, पारिश्रमिक, गोपनीयता, समाप्ति की शर्तें और विवाद निवारण विधि का उल्लेख होता है। यह अनुबंध व्यापार, विपणन, कानूनी कार्यों आदि में उपयोगी होता है।
53. परित्याग विलेख (Disclaimer Deed) क्या है?
Disclaimer Deed वह दस्तावेज़ है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति किसी अधिकार, उत्तराधिकार या संपत्ति पर अपने अधिकार से स्वेच्छा से त्याग करता है। यह प्रायः उत्तराधिकार मामलों में प्रयोग होता है, जब कोई वारिस संपत्ति पर दावा नहीं करना चाहता। इसमें संबंधित संपत्ति, त्यागकर्ता का विवरण, त्याग का उद्देश्य और उसकी स्वेच्छा से लिया गया निर्णय स्पष्ट रूप से उल्लेखित होता है।
54. पारिवारिक समझौता पत्र (Family Settlement Deed)
पारिवारिक समझौता पत्र वह दस्तावेज़ होता है जिसके द्वारा परिवार के सदस्य आपसी सहमति से संपत्ति या विवादों का निपटारा करते हैं। इसमें संपत्ति का विवरण, लाभार्थियों की सूची, सहमति की शर्तें और विवाद रहित समाधान का उल्लेख होता है। यह विलेख न्यायालय में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है और पंजीकरण से इसकी वैधानिकता बढ़ती है।
55. घोषणा पत्र द्वारा नाम में अशुद्धि सुधार
किसी दस्तावेज़ या प्रमाणपत्र में नाम की अशुद्धि सुधारने हेतु घोषणा पत्र तैयार किया जाता है। इसमें पुराना नाम, सही नाम, सुधार का कारण और यह स्पष्ट किया जाता है कि दोनों नाम एक ही व्यक्ति को संदर्भित करते हैं। इसे नोटरीकृत किया जाता है और आवश्यक होने पर गजट प्रकाशन कराया जाता है।
56. मूक अनुबंध (Silent Agreement) क्या होता है?
मूक अनुबंध वह समझौता होता है जिसमें स्पष्ट रूप से लिखित या मौखिक सहमति नहीं होती, लेकिन पक्षों के व्यवहार से अनुबंध की स्थिति निर्मित हो जाती है। जैसे – ग्राहक और दुकानदार के बीच क्रय-विक्रय। यह अनुबंध भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत वैध माने जाते हैं, बशर्ते इसमें अन्य आवश्यक तत्व मौजूद हों।
57. न्यायालय शुल्क (Court Fee) का निर्धारण कैसे होता है?
न्यायालय शुल्क वाद की प्रकृति और उसमें मांगी गई राहत पर आधारित होता है। यह राज्य सरकार द्वारा निर्धारित ‘Court Fee Act’ के तहत तय किया जाता है। संपत्ति विवादों, धन वापसी, निषेधाज्ञा, विवाह आदि मामलों में भिन्न-भिन्न शुल्क निर्धारित होते हैं। न्यायालय शुल्क वाद पत्र के साथ नत्थी कर स्टांप के रूप में अदा किया जाता है।
58. नोटरीकृत और पंजीकृत दस्तावेज़ में अंतर
नोटरीकृत दस्तावेज़ को अधिकृत नोटरी द्वारा सत्यापित किया जाता है, जबकि पंजीकृत दस्तावेज़ को सरकारी रजिस्ट्रार कार्यालय में कानूनी रूप से दर्ज किया जाता है। पंजीकृत दस्तावेज़ संपत्ति और अधिकारों के मामले में अधिक प्रभावशाली और न्यायालय में साक्ष्य के रूप में मान्य होता है, जबकि नोटरीकृत दस्तावेज़ औपचारिक प्रमाण का कार्य करता है।
59. शपथपत्र और घोषणापत्र में अंतर
शपथपत्र (Affidavit) एक सत्यापित दस्तावेज़ होता है जिसे शपथ लेकर प्रस्तुत किया जाता है, जबकि घोषणापत्र (Declaration) केवल बिना शपथ के एक औपचारिक घोषणा होती है। शपथपत्र न्यायालयीन या विधिक प्रक्रिया में अधिक उपयोग होता है, जबकि घोषणापत्र दैनिक प्रशासनिक कार्यों या पहचान प्रमाण में प्रयुक्त होता है।
60. हस्ताक्षर का सत्यापन पत्र (Specimen Signature Certificate)
यह दस्तावेज़ किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर को प्रमाणित करता है और प्रायः बैंक, संस्थागत पंजीकरण, पासपोर्ट आदि में उपयोग होता है। इसमें व्यक्ति का पूरा नाम, पता, हस्ताक्षर के 2-3 नमूने और प्रमाणित अधिकारी के हस्ताक्षर व मुहर होती है। यह प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होता है।
61. जनहित याचिका का प्रारूप
जनहित याचिका (Public Interest Litigation – PIL) ऐसी याचिका होती है जो किसी सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर दाखिल की जाती है। इसमें याचिकाकर्ता का विवरण, सार्वजनिक हित का उल्लेख, समस्या की जानकारी, संबंधित अधिकार और अपेक्षित राहत का वर्णन होता है। यह उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की जाती है।
62. विरासत प्रमाण पत्र (Succession Certificate) का आवेदन
विरासत प्रमाण पत्र मृत व्यक्ति की संपत्ति या देनदारियों पर उत्तराधिकार प्राप्त करने हेतु जारी किया जाता है। इसके लिए आवेदन जिला न्यायालय में किया जाता है, जिसमें मृतक का विवरण, वारिसों की सूची, संपत्ति की जानकारी और अन्य संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत किए जाते हैं। यह प्रमाण पत्र ऋण, बैंक खाता, बीमा आदि मामलों में आवश्यक होता है।
63. संपत्ति का सीमांकन पत्र (Boundary Declaration)
सीमांकन पत्र वह दस्तावेज़ है जो किसी अचल संपत्ति की सीमा रेखाओं और सीमाओं को स्पष्ट रूप से चिन्हित करता है। इसमें नक्शा, पड़ोसी भूमि धारकों की सहमति, खसरा संख्या और अन्य भू-अभिलेखों का उल्लेख होता है। यह दस्तावेज़ संपत्ति विवादों से बचने और स्पष्टता हेतु आवश्यक होता है।
64. कंपनी समझौता पत्र (MOA & AOA) क्या होते हैं?
MOA (Memorandum of Association) कंपनी के उद्देश्य और कार्यक्षेत्र को दर्शाता है, जबकि AOA (Articles of Association) कंपनी के आंतरिक प्रबंधन और नियमों का विवरण देता है। दोनों दस्तावेज़ कंपनी रजिस्ट्रेशन के समय अनिवार्य होते हैं और कंपनी एक्ट, 2013 के तहत आवश्यक प्रावधानों के अनुरूप बनाए जाते हैं।
65. संपत्ति ऋण अनुबंध (Mortgage Agreement) का प्रारूप
Mortgage Agreement वह दस्तावेज़ है जिसके द्वारा संपत्ति को ऋण के बदले गिरवी रखा जाता है। इसमें ऋणदाता और उधारकर्ता का विवरण, ऋण की राशि, ब्याज दर, चुकौती शर्तें, संपत्ति का विवरण और न चुकाने की स्थिति में कार्रवाई का उल्लेख होता है। इसे पंजीकृत कराना आवश्यक होता है।
66. शपथ पत्र में सत्यापन खंड (Verification Clause)
शपथ पत्र के अंत में सत्यापन खंड होता है जिसमें यह घोषित किया जाता है कि दस्तावेज़ में दी गई सभी जानकारियाँ सत्य और विश्वास के आधार पर दी गई हैं। यह खंड व्यक्ति द्वारा दिनांक और स्थान सहित स्वहस्ताक्षरित होता है और यह न्यायालय में दस्तावेज़ की प्रामाणिकता को पुष्ट करता है।
67. एजुकेशनल एफिडेविट (Educational Affidavit)
यह शपथ पत्र शैक्षणिक प्रयोजन हेतु बनाया जाता है जैसे – नाम/जन्मतिथि में सुधार, ब्रेक इन स्टडी, गुमशुदा प्रमाणपत्र आदि। इसमें आवश्यक जानकारी, संबंधित विवरण और सत्यता की घोषणा होती है। इसे नोटरी या प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट से प्रमाणित कराना आवश्यक होता है।
68. अवयस्क वारिस हेतु शपथ पत्र
यदि किसी संपत्ति पर अवयस्क का उत्तराधिकार है, तो अभिभावक को शपथ पत्र देना होता है जिसमें यह घोषित किया जाता है कि वह बालक का वैध संरक्षक है और उसके हित में कार्य करेगा। यह दस्तावेज़ उत्तराधिकार, बैंक खाते, बीमा क्लेम आदि में प्रयुक्त होता है।
69. हस्ताक्षर अस्वीकृति शपथ पत्र
यदि किसी दस्तावेज़ पर किया गया हस्ताक्षर व्यक्ति का नहीं है, तो वह शपथ पत्र के माध्यम से अस्वीकार कर सकता है। इसमें दस्तावेज़ का विवरण, हस्ताक्षर की स्थिति और अस्वीकार करने का कारण बताया जाता है। यह दस्तावेज़ फर्जीवाड़े से बचाव का सशक्त माध्यम है।
70. विवाह प्रमाण पत्र हेतु शपथ पत्र
यदि विवाह प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है या विवाह रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है, तो दंपत्ति एक संयुक्त शपथ पत्र देकर विवाह की पुष्टि कर सकते हैं। इसमें दोनों का विवरण, विवाह की तिथि, स्थान, धर्म, गवाहों की जानकारी और स्वेच्छा से विवाह होने की घोषणा होती है।
71. मृतक के बैंक खातों के लिए दावा पत्र
मृत व्यक्ति के बैंक खातों की राशि प्राप्त करने हेतु उत्तराधिकारी को संबंधित बैंक में दावा पत्र प्रस्तुत करना होता है। इसमें मृतक का नाम, खाता संख्या, मृत्यु प्रमाण पत्र, दावेदार का विवरण, संबंध का प्रमाण और पहचान पत्र संलग्न होते हैं। यदि उत्तराधिकारी एक से अधिक हों तो सहमति पत्र भी संलग्न करना आवश्यक होता है। बैंक इस दस्तावेज़ के आधार पर दावेदार को राशि प्रदान कर सकता है।
72. पहचान प्रमाण पत्र (Identity Certificate) का महत्व
यह प्रमाण पत्र किसी व्यक्ति की पहचान और नागरिकता को प्रमाणित करता है। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, जन्मतिथि, फोटो, हस्ताक्षर और प्रमाणित अधिकारी की पुष्टि होती है। यह दस्तावेज़ सरकारी योजनाओं, पासपोर्ट, नौकरी, कानूनी प्रक्रिया और बैंकिंग में आवश्यक होता है। प्रामाणिकता के लिए यह राजपत्रित अधिकारी द्वारा प्रमाणित होना चाहिए।
73. गुमशुदा दस्तावेज़ के लिए एफिडेविट
जब कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ (जैसे – मार्कशीट, डिग्री, डीड आदि) गुम हो जाए तो एक एफिडेविट तैयार किया जाता है। इसमें दस्तावेज़ का नाम, गुम होने की तिथि व स्थान, प्रयास का विवरण, एफआईआर नंबर (यदि कोई हो), और घोषणा शामिल होती है कि इसका दुरुपयोग नहीं हुआ है। इसे नोटरी द्वारा सत्यापित करना होता है।
74. सेवा समाप्ति पत्र (Termination Letter)
यह पत्र नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को सेवा समाप्ति की सूचना देने हेतु जारी किया जाता है। इसमें समाप्ति की तिथि, कारण, भुगतान/निलंबन की स्थिति, अनुभव प्रमाण और समस्त औपचारिकताओं का उल्लेख होता है। यह पत्र निष्पक्ष और स्पष्ट भाषा में तैयार किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।
75. अनुभव प्रमाण पत्र (Experience Certificate)
यह दस्तावेज़ संस्था द्वारा कर्मचारी को उसके सेवा काल की पुष्टि हेतु दिया जाता है। इसमें कर्मचारी का नाम, पद, कार्यकाल, कार्य क्षेत्र, प्रदर्शन की जानकारी और संस्था की ओर से प्रशंसा/टिप्पणी शामिल होती है। इसे संस्था के लेटरहेड पर जारी किया जाता है और प्रबंधक/अधिकृत अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होता है।
76. निविदा फॉर्म (Tender Form) का प्रारूप
निविदा फॉर्म एक प्रस्ताव होता है जिसमें विक्रेता या सेवा प्रदाता किसी सरकारी या निजी परियोजना हेतु सेवा/सामग्री उपलब्ध कराने की शर्तों सहित आवेदन करता है। इसमें बोली की राशि, समयसीमा, कार्य की गुणवत्ता, पात्रता, और शर्तों की स्वीकृति शामिल होती है। यह दस्तावेज़ सरकारी टेंडर प्रक्रिया में अनिवार्य होता है।
77. सेवा अनुबंध (Service Agreement) का प्रारूप
यह अनुबंध नियोक्ता और कर्मचारी या सेवा प्रदाता के बीच सेवा शर्तों को निर्धारित करता है। इसमें सेवा का स्वरूप, वेतन/पारिश्रमिक, सेवा अवधि, गोपनीयता, प्रतिबंध, कार्य क्षेत्र, और विवाद समाधान की प्रक्रिया शामिल होती है। यह अनुबंध दोनों पक्षों के हस्ताक्षर और दिनांक सहित वैधानिक रूप से तैयार किया जाता है।
78. गवाह प्रमाण पत्र (Witness Certificate)
यह दस्तावेज़ किसी घटना, अनुबंध या प्रक्रिया में उपस्थित व्यक्ति द्वारा दिया जाता है कि वह घटना का साक्षी रहा है। इसमें गवाह का नाम, पता, संबंध, घटना का विवरण और उसकी पुष्टि शामिल होती है। यह दस्तावेज़ अदालत में साक्ष्य के रूप में भी प्रस्तुत किया जा सकता है।
79. विवाह विच्छेद (Divorce Deed) हेतु याचिका का प्रारूप
यह याचिका पति-पत्नी द्वारा पारस्परिक सहमति से विवाह विच्छेद हेतु पारिवारिक न्यायालय में प्रस्तुत की जाती है। इसमें विवाह की तिथि, दांपत्य जीवन का संक्षेप, अलगाव की अवधि, बच्चों की जानकारी, भरण-पोषण की शर्तें और भविष्य के दावे न करने की घोषणा शामिल होती है।
80. चल संपत्ति विक्रय विलेख (Movable Property Sale Deed)
यह दस्तावेज़ दो पक्षों के बीच किसी चल संपत्ति जैसे वाहन, मशीन, फर्नीचर आदि की बिक्री हेतु तैयार किया जाता है। इसमें विक्रेता और क्रेता का विवरण, संपत्ति का वर्णन, मूल्य, भुगतान का तरीका, और जोखिम स्थानांतरण की स्थिति दी जाती है। यह विधिसम्मत बिक्री का प्रमाण होता है।
81. एलपीए (Letters Patent Appeal) क्या होता है?
एलपीए एक विशेष प्रकार की अपील है जो उच्च न्यायालय के एकल पीठ के आदेश के विरुद्ध उसी न्यायालय की खंडपीठ में दाखिल की जाती है। यह अपील संविधान के अनुच्छेद 226 या विशेष अधिनियम के अंतर्गत दायर याचिकाओं के निर्णय के विरुद्ध होती है। इसका प्रारूप सिविल अपील जैसा होता है।
82. प्रतिरक्षण याचिका (Caveat Petition) का प्रारूप
Caveat Petition वह याचिका होती है जिसे कोई व्यक्ति संभावित याचिका के विरुद्ध पहले से ही न्यायालय में दाखिल करता है ताकि उसे सुने बिना कोई आदेश पारित न हो। इसमें पक्षकार का विवरण, विवाद का विषय, संभावित याचिका का संक्षेप और यह आग्रह होता है कि किसी कार्यवाही से पूर्व उसे सुना जाए।
83. अर्जेंट अंतरिम राहत हेतु आवेदन पत्र
जब किसी व्यक्ति को तुरंत राहत की आवश्यकता होती है, तो वह न्यायालय में अंतरिम आदेश हेतु आवेदन करता है। इसमें विवाद का संक्षेप, हानि की संभावना, स्थायी राहत प्राप्त होने तक अस्थायी संरक्षण की मांग और संबंधित दस्तावेज़ संलग्न होते हैं। यह आदेश तात्कालिक राहत हेतु होता है।
84. पुनरीक्षण याचिका (Revision Petition) क्या है?
पुनरीक्षण याचिका उच्चतर न्यायालय में तब दायर की जाती है जब अधीनस्थ न्यायालय ने कोई त्रुटिपूर्ण आदेश पारित किया हो। इसका उद्देश्य आदेश की वैधानिकता की जांच करना होता है, न कि साक्ष्यों का पुनः परीक्षण। यह याचिका सामान्यतः सीपीसी की धारा 115 के अंतर्गत दाखिल होती है।
85. निषेधाज्ञा हेतु प्रारंभिक आवेदन
निषेधाज्ञा (Injunction) एक ऐसा आदेश है जिसके द्वारा न्यायालय किसी व्यक्ति को कुछ करने या न करने का निर्देश देता है। इसका प्रारूप वादी द्वारा संभावित हानि, अधिकार का उल्लंघन, अपर्याप्त कानूनी उपाय आदि तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया जाता है। यह अस्थायी या स्थायी दोनों रूपों में हो सकता है।
86. वादा उल्लंघन वाद पत्र का प्रारूप
यदि कोई पक्ष अनुबंध का पालन नहीं करता, तो पीड़ित पक्ष वादा उल्लंघन (Breach of Contract) का वाद दायर कर सकता है। वाद पत्र में अनुबंध का विवरण, उल्लंघन की स्थिति, हानि का मूल्यांकन और राहत की मांग स्पष्ट की जाती है। इसके साथ अनुबंध की प्रति और अन्य दस्तावेज़ संलग्न होते हैं।
87. वस्तु वापसी हेतु कानूनी नोटिस
यदि किसी ने कोई वस्तु उधार ली हो और उसे वापस नहीं कर रहा हो, तो कानूनी नोटिस के माध्यम से उसे वस्तु लौटाने की मांग की जाती है। इसमें वस्तु का विवरण, उधार लेने की तिथि, वापसी की मांग, और तय समय सीमा दी जाती है। असफलता की स्थिति में कानूनी कार्यवाही की चेतावनी भी दी जाती है।
88. मृत व्यक्ति के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन पत्र
यह पत्र स्थानीय निकाय कार्यालय में प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें मृतक का नाम, मृत्यु की तिथि, स्थान, मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता का कारण और साथ में अस्पताल की रिपोर्ट/स्थानीय गवाह की सूचना दी जाती है। यह प्रमाण पत्र सरकारी कार्यों, उत्तराधिकार, बीमा आदि में आवश्यक होता है।
89. गारंटी पत्र (Guarantee Letter) का प्रारूप
गारंटी पत्र में कोई व्यक्ति किसी तीसरे पक्ष के ऋण या दायित्व के लिए आश्वासन देता है। इसमें गारंटर का विवरण, दायित्व की राशि, भुगतान की स्थिति, शर्तें और वैधता की अवधि का उल्लेख होता है। यह दस्तावेज़ विशेष रूप से बैंक ऋण, ठेके और किरायेदारी में उपयोग होता है।
90. विलेखों के पंजीकरण की प्रक्रिया
किसी भी संपत्ति, वसीयत, समझौता आदि से संबंधित विलेख को उप-पंजीयक कार्यालय में प्रस्तुत किया जाता है। पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत प्रक्रिया निर्धारित है जिसमें दस्तावेज़, पहचान प्रमाण, गवाह, स्टांप ड्यूटी और शुल्क आवश्यक होता है। पंजीकरण के बाद दस्तावेज़ कानूनी रूप से प्रमाणित हो जाता है।
91. बैंक खाता नामांतरण हेतु प्रार्थना पत्र
यदि खाता धारक की मृत्यु हो जाती है, तो उत्तराधिकारी/नामित व्यक्ति द्वारा बैंक में खाता नामांतरण हेतु आवेदन किया जाता है। इसमें खाता विवरण, मृतक का मृत्यु प्रमाण पत्र, उत्तराधिकारी प्रमाण या नामांकन फॉर्म संलग्न होते हैं। बैंक जाँच के बाद राशि हस्तांतरित करता है।
92. पासबुक गुमशुदगी हेतु शपथ पत्र
बैंक पासबुक गुम हो जाने पर खाता धारक एक एफिडेविट के माध्यम से इसकी सूचना बैंक को देता है। इसमें पासबुक की जानकारी, गुमशुदगी की तिथि और स्थान, एफआईआर संख्या (यदि कोई हो), और यह घोषणा होती है कि कोई गलत इस्तेमाल नहीं हुआ है।
93. आपराधिक शिकायत पत्र का प्रारूप
यह पत्र पुलिस या मजिस्ट्रेट के समक्ष दिया जाता है जिसमें आपराधिक कृत्य की जानकारी दी जाती है। इसमें घटना का विवरण, समय, स्थान, आरोपी का नाम (यदि ज्ञात हो), साक्ष्य और कार्रवाई की मांग की जाती है। यह शिकायत भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज हो सकती है।
94. चालान प्रतिवेदन का प्रारूप (Police Charge Sheet)
चालान या चार्जशीट पुलिस द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत की जाती है जिसमें जांच के आधार पर आरोपी के विरुद्ध अपराध का आरोप लगाया जाता है। इसमें घटना का विवरण, साक्ष्य, गवाह, धारा, आरोपी का नाम आदि का उल्लेख होता है। यह आपराधिक मुकदमे की शुरुआत करता है।
95. उत्तराधिकार नामांतरण हेतु प्रार्थना पत्र (Mutation Application)
संपत्ति के स्वामित्व में परिवर्तन के लिए यह आवेदन तहसील/नगर निगम को दिया जाता है। इसमें मृतक का विवरण, उत्तराधिकारी की जानकारी, संपत्ति के दस्तावेज़ और मृत्यु प्रमाणपत्र संलग्न किए जाते हैं। नामांतरण रजिस्टर में दर्ज होने पर उत्तराधिकारी विधिसम्मत स्वामी बन जाता है।
96. चरित्र प्रमाण पत्र (Character Certificate)
यह प्रमाण पत्र व्यक्ति के अच्छे आचरण की पुष्टि करता है और यह स्कूल, कॉलेज, नौकरी या पुलिस सत्यापन में आवश्यक होता है। इसे राजपत्रित अधिकारी, ग्राम प्रधान, संस्थान प्रमुख या थाने से प्राप्त किया जा सकता है। इसमें नाम, पता, आचरण विवरण और प्रमाणक के हस्ताक्षर होते हैं।
97. किसी संपत्ति पर दावा हेतु कानूनी नोटिस
यदि किसी संपत्ति पर अवैध कब्जा हो या उत्तराधिकार विवाद हो, तो संबंधित व्यक्ति को कानूनी नोटिस भेजा जाता है। इसमें दावा, दस्तावेज़ों का उल्लेख, कब्जे की स्थिति, और दावे की वैधता के आधार दिए जाते हैं। समय सीमा में उत्तर न मिलने पर वाद दाखिल किया जाता है।
98. न्यायालय में दीवानी अपील का प्रारूप
यह अपील अधीनस्थ न्यायालय के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय में दाखिल की जाती है। इसमें अपीलार्थी का विवरण, आदेश की प्रति, आपत्ति के कारण, कानूनी आधार और अपेक्षित राहत का विवरण होता है। यह सीपीसी की धारा 96 के अंतर्गत दाखिल होती है।
99. बैंक गारंटी समाप्ति प्रमाण पत्र (Release Letter)
जब बैंक गारंटी की शर्तें पूरी हो जाती हैं, तो लाभार्थी एक प्रमाण पत्र देता है कि उसे कोई और दावा नहीं है और बैंक गारंटी समाप्त की जा सकती है। यह दस्तावेज़ बैंक द्वारा सुरक्षा जमा या ऋण पत्र को रद्द करने हेतु आवश्यक होता है।
100. पावती और रसीद पत्र में अंतर
पावती (Acknowledgment) किसी दस्तावेज़, वस्तु या सूचना की प्राप्ति की पुष्टि है, जबकि रसीद (Receipt) आमतौर पर धनराशि प्राप्ति का प्रमाण होती है। दोनों में तारीख, प्राप्तकर्ता का नाम और हस्ताक्षर अनिवार्य होते हैं, परंतु रसीद अधिक कानूनी दायित्व दर्शाती है।