विदेश में रह रहे सैन्य सौदागर संजय भंडारी को आर्थिक भगोड़ा घोषित करने का ऐतिहासिक फैसला: एक विशेष अदालत की कानूनी दृष्टि से विवेचना

शीर्षक: विदेश में रह रहे सैन्य सौदागर संजय भंडारी को आर्थिक भगोड़ा घोषित करने का ऐतिहासिक फैसला: एक विशेष अदालत की कानूनी दृष्टि से विवेचना


प्रस्तावना
भारतीय न्यायपालिका ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय में सैन्य सौदागर संजय भंडारी को आर्थिक भगोड़ा अपराधी अधिनियम, 2018 (Fugitive Economic Offenders Act, 2018) के अंतर्गत आर्थिक भगोड़ा घोषित कर दिया है। दिल्ली की विशेष अदालत द्वारा सुनाया गया यह फैसला न केवल आर्थिक अपराधों के विरुद्ध भारत की कानूनी शक्ति को रेखांकित करता है, बल्कि इस बात का स्पष्ट संकेत भी देता है कि भारत अब ऐसे अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए तैयार है, जो विदेशी धरती पर जाकर कानून से बचने का प्रयास करते हैं।


संजय भंडारी: कौन हैं?
संजय भंडारी एक नामचीन रक्षा सौदागर हैं, जिन पर भारत सरकार के साथ रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार, काला धन, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी जैसे गंभीर आरोप हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग ने उनके खिलाफ कई मामलों की जांच की है। आरोपों के अनुसार, भंडारी ने कई विदेशी बैंक खातों और अघोषित संपत्तियों के माध्यम से अवैध रूप से धन एकत्र किया और विदेश में निवेश किया।


क्या है आर्थिक भगोड़ा अपराधी अधिनियम, 2018?
यह अधिनियम ऐसे आर्थिक अपराधियों के विरुद्ध लाया गया है जो अपराध करने के बाद देश छोड़कर भाग जाते हैं और कानूनी प्रक्रिया से बचते हैं। इसके तहत यदि किसी पर ₹100 करोड़ या उससे अधिक की आर्थिक धोखाधड़ी का आरोप है और वह देश से बाहर रहकर न्याय से बच रहा है, तो उसे “आर्थिक भगोड़ा” घोषित किया जा सकता है और उसकी संपत्ति ज़ब्त की जा सकती है।


अदालत का फैसला: क्या कहा गया?
दिल्ली की विशेष अदालत ने संजय भंडारी को “जानबूझकर कानून की प्रक्रिया से भागने वाला” पाया और उनके देश लौटने से बार-बार इनकार को गंभीर माना। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि उनकी संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया तेज की जाए और सरकार उनके प्रत्यर्पण के प्रयासों को तेज करे। यह फैसला ED द्वारा दायर याचिका पर सुनाया गया।


न्यायिक महत्व और कानूनी प्रभाव
यह फैसला भविष्य के ऐसे मामलों के लिए एक मजबूत कानूनी उदाहरण स्थापित करता है। यह संदेश देता है कि देश की न्यायिक व्यवस्था अब किसी भी उच्च प्रभाव वाले या शक्तिशाली आर्थिक अपराधी को कानून से भागने नहीं देगी। इससे अन्य मामलों में भी आरोपी के विरुद्ध कठोर कदम उठाने का रास्ता प्रशस्त हुआ है।


निष्कर्ष
संजय भंडारी को आर्थिक भगोड़ा घोषित करना भारत के आर्थिक न्याय तंत्र के लिए एक मील का पत्थर है। यह फैसला केवल एक व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि एक ऐसी मानसिकता के विरुद्ध है जो यह मानती है कि धन, विदेश यात्रा और राजनैतिक संबंधों के बल पर कानून से बचा जा सकता है। यह निर्णय भारतीय न्याय प्रणाली की निष्पक्षता, दृढ़ता और पारदर्शिता को प्रदर्शित करता है।