🧾 51. संपत्ति अंतरण में धोखाधड़ी का प्रभाव
यदि संपत्ति का अंतरण धोखाधड़ी, कपट या गलत जानकारी के आधार पर किया गया हो, तो वह अंतरण अमान्य (Voidable) होता है। पीड़ित पक्ष न्यायालय में मामला दर्ज कर सकता है और संपत्ति पुनः प्राप्त करने की मांग कर सकता है। कानून के अनुसार, किसी भी संपत्ति का हस्तांतरण तभी वैध होता है जब वह निष्कपट, पारदर्शी और स्वेच्छा से किया गया हो। धोखाधड़ी से किया गया अंतरण भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय भी हो सकता है।
🧾 52. कब्जाधारी स्वामित्व (Possessory Ownership) क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर बिना विधिक स्वामित्व के केवल कब्जे के आधार पर अधिकार जताता है, तो उसे कब्जाधारी स्वामित्व कहा जाता है। यह स्वामित्व पूर्ण नहीं होता, परंतु यदि व्यक्ति लंबे समय तक निर्विरोध कब्जा बनाए रखता है, तो वह Adverse Possession के आधार पर संपत्ति का कानूनी स्वामी बन सकता है। न्यायालय इसे केवल साक्ष्य और परिस्थितियों के आधार पर मान्यता देता है।
🧾 53. संपत्ति अंतरण में अल्पवयस्क की भूमिका
कोई अल्पवयस्क (Minor) व्यक्ति संपत्ति का वैध अंतरण नहीं कर सकता, क्योंकि वह भारतीय संविदा अधिनियम के तहत अनुबंध करने में अक्षम है। यदि अल्पवयस्क के नाम पर संपत्ति है, तो उसका अंतरण कानूनी संरक्षक के माध्यम से न्यायालय की अनुमति से ही किया जा सकता है। अल्पवयस्क द्वारा किया गया अंतरण स्वतः अमान्य होता है।
🧾 54. किराएदार की उत्तराधिकारिता (Tenancy Succession)
किराएदार की मृत्यु के पश्चात उसका कानूनी उत्तराधिकारी, जैसे पत्नी, पुत्र या आश्रित, किराए की संपत्ति पर अधिकार बनाए रख सकते हैं। किराया नियंत्रण अधिनियमों में यह प्रावधान है कि जब तक उत्तराधिकारी उस संपत्ति में निवास करता रहे, वह किराएदार के रूप में मान्य रहेगा। लेकिन यह उत्तराधिकार आजीवन या कुछ सीमाओं तक ही होता है।
🧾 55. ट्रस्ट संपत्ति के अंतरण के नियम
ट्रस्ट के अंतर्गत रखी गई संपत्ति का अंतरण ट्रस्टी की शक्ति और ट्रस्ट डीड की शर्तों पर निर्भर करता है। ट्रस्टी संपत्ति का अंतरण तभी कर सकता है जब वह ट्रस्ट के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु आवश्यक हो और ऐसा करने की अनुमति ट्रस्ट डीड में स्पष्ट हो। ट्रस्टी द्वारा नियमों का उल्लंघन ट्रस्ट के हित में नहीं माना जाता और उसे न्यायालय द्वारा चुनौती दी जा सकती है।
🧾 56. संपत्ति का साझेदारी के रूप में अंतरण
जब दो या अधिक व्यक्ति साझेदारी के रूप में संपत्ति खरीदते हैं, तो उसे साझेदारी अंतरण कहते हैं। इसमें सभी पक्षों के अधिकार, हिस्सेदारी और उपयोग को अनुबंध के माध्यम से तय किया जाता है। यदि साझेदारों के बीच विवाद हो, तो न्यायालय विभाजन का आदेश दे सकता है। साझेदारी संपत्ति को कोई एक पक्ष बिना सहमति के नहीं बेच सकता।
🧾 57. संपत्ति में प्रतिकूल स्वामित्व का दावा कैसे सिद्ध करें?
प्रतिकूल स्वामित्व का दावा करने के लिए निम्नलिखित बातें सिद्ध करनी होती हैं:
- लगातार कब्जा – 12 वर्षों तक (सरकारी भूमि पर 30 वर्ष)
- स्वेच्छा से और मालिक की जानकारी में कब्जा
- बिना अनुमति और सार्वजनिक रूप से कब्जा
- मालिक ने कोई आपत्ति नहीं की
यदि ये सभी तथ्य प्रमाणित हो जाएं, तो कब्जाधारी को वैध स्वामित्व का दावा मिल सकता है।
🧾 58. निषेधाज्ञा (Injunction) का प्रयोग संपत्ति कानून में
निषेधाज्ञा एक न्यायिक आदेश होता है जो किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने या न करने का आदेश देता है। संपत्ति कानून में यह तब प्रयोग होता है जब कोई व्यक्ति अतिक्रमण करता है, अवैध निर्माण करता है या किसी संपत्ति के वैध स्वामी के अधिकारों का उल्लंघन करता है। यह आदेश अस्थायी या स्थायी हो सकता है और न्यायालय से प्राप्त किया जाता है।
🧾 59. रजिस्ट्री न होने पर विक्रय विलेख का प्रभाव
यदि विक्रय विलेख का पंजीकरण नहीं हुआ है, तो वह न्यायालय में साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। बिना रजिस्ट्री के विक्रय विलेख संपत्ति का कानूनी अंतरण नहीं कर सकती। यह केवल एक अनौपचारिक दस्तावेज माना जाएगा। अचल संपत्ति का पंजीकरण भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के अनुसार अनिवार्य है।
🧾 60. स्थायी पट्टा (Permanent Lease) क्या होता है?
स्थायी पट्टा एक ऐसा पट्टा होता है जिसमें संपत्ति किसी व्यक्ति को लंबी अवधि (आमतौर पर 99 वर्ष या उससे अधिक) के लिए किराए पर दी जाती है। इसमें किराया बहुत कम या नाममात्र का हो सकता है। ऐसे पट्टों में प्रायः स्वामित्व जैसे अधिकार मिलते हैं, लेकिन तकनीकी रूप से स्वामित्व हस्तांतरित नहीं होता। स्थायी पट्टे का पंजीकरण अनिवार्य होता है।
🧾 61. किराएदार द्वारा उप-किरायेदारी का कानूनी पक्ष
किराएदार, मकान मालिक की लिखित सहमति के बिना संपत्ति को किसी अन्य को उप-किराए पर नहीं दे सकता। यदि ऐसा किया जाता है, तो वह अनुबंध का उल्लंघन माना जाएगा और मकान मालिक को किराएदार को बेदखल करने का अधिकार होगा। उप-किरायेदारी का स्पष्ट उल्लेख अनुबंध में होना चाहिए।
🧾 62. संपत्ति का आंशिक विक्रय (Partial Sale) क्या है?
जब संपत्ति के एक हिस्से को किसी अन्य व्यक्ति को बेचा जाता है, तो उसे आंशिक विक्रय कहा जाता है। यह विक्रय स्पष्ट रूप से सीमांकित किया जाना चाहिए और विक्रय विलेख में संपत्ति का वर्णन व सीमा दर्शाई जानी चाहिए। आंशिक विक्रय भी पंजीकरण योग्य होता है और उसके लिए खरीदार को संपूर्ण अधिकार प्राप्त होता है।
🧾 63. सीमित स्वामित्व (Limited Ownership) क्या होता है?
सीमित स्वामित्व वह स्थिति होती है जिसमें किसी व्यक्ति को संपत्ति पर कुछ अधिकार होते हैं, परंतु वह सम्पूर्ण स्वामी नहीं होता। जैसे – विधवा को आजीवन भरण-पोषण हेतु संपत्ति का उपयोग करने का अधिकार, परंतु वह उसे बेच नहीं सकती। यह अधिकार जीवनकाल तक सीमित होता है और समाप्ति के बाद संपत्ति पुनः उत्तराधिकारियों को जाती है।
🧾 64. संपत्ति अंतरण में “न्यायसंगत हित” (Equitable Interest) का महत्व
न्यायसंगत हित वह हित है जो वैधानिक स्वामित्व के बिना भी किसी व्यक्ति को संपत्ति पर अधिकार देता है। उदाहरणतः – संपत्ति की अग्रिम राशि देकर कब्जा लेने वाला व्यक्ति न्यायसंगत हित प्राप्त करता है, भले ही विधिक स्वामित्व अभी न मिला हो। यह हित अदालत द्वारा संरक्षित होता है और इसे निषेधाज्ञा या विशिष्ट निष्पादन (Specific Performance) के माध्यम से लागू किया जा सकता है।
🧾 65. Rent Agreement और Lease Deed में अंतर
Rent Agreement सामान्यतः 11 महीनों तक के लिए होता है और इसमें पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती।
Lease Deed एक वर्ष या उससे अधिक के लिए होती है और उसका पंजीकरण अनिवार्य होता है।
Rent Agreement अधिक लचीला होता है, जबकि Lease Deed एक मजबूत विधिक अनुबंध होता है जो अधिक अधिकार व उत्तरदायित्व प्रदान करता है। दोनों दस्तावेज़ किराएदार और मकान मालिक के अधिकारों को तय करते हैं।
🧾 66. हिबा (Hiba) क्या होता है?
हिबा मुस्लिम कानून के अंतर्गत दिया जाने वाला बिना मूल्य का उपहार होता है। इसमें तीन तत्व आवश्यक होते हैं –
- इच्छा (Intent)
- स्वीकृति (Acceptance)
- हस्तांतरण (Delivery of Possession)
हिबा जीवनकाल में दिया जाता है और इसके लिए रजिस्ट्री अनिवार्य नहीं है। केवल वचन और कब्जा आवश्यक होता है। यदि हिबा एक बार पूर्ण हो जाए तो उसे रद्द नहीं किया जा सकता।
🧾 67. संपत्ति का सशर्त अंतरण और उसकी वैधता
यदि किसी संपत्ति का अंतरण कुछ शर्तों के अधीन किया गया हो, तो वह तब तक प्रभावी नहीं होता जब तक वह शर्त पूरी न हो। उदाहरण के लिए – “यदि लाभार्थी स्नातक हो जाए, तब उसे संपत्ति मिलेगी।” ऐसी शर्तें वैध तभी मानी जाती हैं जब वे कानूनी, नैतिक और व्यावहारिक हों। अनैतिक या असंभव शर्तों को न्यायालय अस्वीकार कर सकता है।
🧾 68. पट्टे की समाप्ति (Termination of Lease) के तरीके
पट्टे की समाप्ति निम्नलिखित तरीकों से हो सकती है –
- समय अवधि पूर्ण होने पर
- आपसी सहमति से
- अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन पर
- कानूनी नोटिस (30 दिन का) देकर
- विलय या संपत्ति नष्ट होने पर
समाप्ति के बाद किराएदार को संपत्ति खाली करनी होती है, अन्यथा विधिक कार्रवाई संभव है।
🧾 69. स्वामित्व और कब्जा में अंतर
स्वामित्व (Ownership) का अर्थ है संपत्ति पर पूर्ण अधिकार – उपयोग, विक्रय, उपहार या स्थानांतरण का अधिकार।
कब्जा (Possession) केवल भौतिक नियंत्रण है, चाहे वैध हो या अवैध।
हर स्वामी कब्जेदार हो सकता है, पर हर कब्जेदार स्वामी नहीं होता। कानून कब्जे की रक्षा करता है, लेकिन स्वामित्व अंतिम अधिकार को दर्शाता है।
🧾 70. अचल संपत्ति का अंतर vivos और testamentary अंतरण
Inter vivos transfer जीवनकाल में किया गया संपत्ति का अंतरण होता है, जैसे – उपहार या विक्रय।
Testamentary transfer मृत्यु के पश्चात वसीयत द्वारा किया गया अंतरण होता है।
Inter vivos में हस्तांतरणकर्ता जीवित रहता है जबकि testamentary में संपत्ति का अधिकार मृत्यु के बाद प्रभावी होता है।
🧾 71. अविभाजित हिंदू संयुक्त परिवार में स्वामित्व
HUF (Hindu Undivided Family) में संपत्ति सभी सदस्यों की संयुक्त होती है। कोई एक सदस्य अकेले उसका अंतरण नहीं कर सकता। सभी सह-उत्तराधिकारियों का अधिकार समान होता है। विभाजन के बाद ही प्रत्येक को पृथक स्वामित्व मिलता है। Karta (कुर्ता) प्रबंधन करता है, लेकिन पूर्ण स्वामी नहीं होता।
🧾 72. कानून के अनुसार ‘स्वामित्व प्रमाण’ क्या है?
स्वामित्व प्रमाण में निम्नलिखित दस्तावेज़ प्रमुख माने जाते हैं –
- विक्रय विलेख (Sale Deed)
- पंजीकरण प्रमाणपत्र
- राजस्व अभिलेख
- कब्जे का प्रमाण (Possession Letter)
- निर्माण अनुमति / नक्शा
इन दस्तावेजों से व्यक्ति संपत्ति पर वैध स्वामित्व सिद्ध कर सकता है।
🧾 73. सार्वजनिक सीमित अधिकार (Public Easement) क्या है?
जब किसी सार्वजनिक समुदाय को किसी निजी संपत्ति पर विशिष्ट उपयोग का अधिकार मिलता है, जैसे – रास्ता निकालना या पानी भरना, तो वह सार्वजनिक सीमित अधिकार कहलाता है। यह अधिकार लंबे समय से प्रयुक्त होने पर या स्थानीय परंपरा द्वारा स्थापित होता है। इसका उल्लंघन जनहित में अवैध माना जाता है।
🧾 74. किराए की वसूली के लिए कानूनी प्रक्रिया
मकान मालिक किराया वसूली हेतु पहले किराएदार को नोटिस देता है। यदि भुगतान नहीं होता, तो वह अदालत में सिविल वाद दाखिल कर सकता है। अदालत किराया वसूली, ब्याज व कानूनी खर्च का आदेश दे सकती है। किराया नियंत्रण अधिनियम किराएदार को वाजिब सुरक्षा देता है, परंतु भुगतान न करने पर उसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
🧾 75. अचल संपत्ति पर दोहरे विक्रय का प्रभाव
यदि कोई व्यक्ति एक ही संपत्ति दो बार अलग-अलग लोगों को बेच देता है, तो जिसमें पहले पंजीकरण हुआ हो, वह अधिक वैध माना जाएगा। भारतीय अंतरण अधिनियम की धारा 48 के अनुसार, पहली वैध पंजीकृत डीड ही मान्य मानी जाएगी, जब तक कि धोखाधड़ी प्रमाणित न हो।
🧾 76. संपत्ति विवादों में लोक अदालतों की भूमिका
लोक अदालतें संपत्ति से जुड़े छोटे-छोटे मामलों को समझौते के आधार पर निपटाती हैं। इनमें प्रक्रिया सरल, शीघ्र और सस्ती होती है। लोक अदालत का निर्णय अंतिम होता है और उसके विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती। यह न्याय तक पहुँच को सरल बनाती है।
🧾 77. संपत्ति के पुनः कब्जे का अधिकार
यदि किसी व्यक्ति की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा हो गया हो, तो वह न्यायालय से पुनः कब्जे की मांग कर सकता है। इसके लिए वह स्वामित्व प्रमाण, कब्जे का प्रमाण और अवैध कब्जे की सूचना अदालत को देता है। अदालत निषेधाज्ञा और बेदखली का आदेश देकर पुनः कब्जा दिला सकती है।
🧾 78. संपत्ति में अविभाज्यता का सिद्धांत
जब संपत्ति का कोई भाग स्वभाविक रूप से मुख्य भाग से जुड़ा हो और अलग नहीं किया जा सकता, तो उसे अविभाज्य संपत्ति माना जाता है। जैसे – भूमि पर निर्मित मकान। ऐसे मामलों में सम्पूर्ण इकाई को एक साथ अंतरण किया जाता है। यह सिद्धांत स्वामित्व व उपयोग की समानता को सुनिश्चित करता है।
🧾 79. ‘वास्तविक स्वामित्व’ और ‘नामधारी स्वामित्व’ में अंतर
वास्तविक स्वामी (Beneficial Owner) वह होता है जो संपत्ति का प्रयोग और लाभ लेता है।
नामधारी स्वामी (Benami Owner) केवल दस्तावेजों में दर्ज होता है, परंतु संपत्ति का नियंत्रण किसी और के पास होता है।
भारत में Benami Transactions (Prohibition) Act, 1988 के तहत बेनामी स्वामित्व को अवैध करार दिया गया है।
🧾 80. संपत्ति का विवादित अंतरण क्या होता है?
जब कोई संपत्ति न्यायालय में विवादित हो और फिर भी उसका अंतरण किया जाए, तो वह ‘विवादित अंतरण’ कहलाता है। भारतीय अंतरण अधिनियम की धारा 52 – Lis Pendens के अनुसार, ऐसा अंतरण उस वाद के निर्णय पर निर्भर करेगा। इस सिद्धांत का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखना है।
🧾 81. निजी संपत्ति और सार्वजनिक संपत्ति में अंतर
निजी संपत्ति किसी व्यक्ति या संस्था के स्वामित्व में होती है और उसका उपयोग सीमित होता है।
सार्वजनिक संपत्ति सरकार या नगरपालिका के स्वामित्व में होती है और आम जनता के उपयोग के लिए होती है।
निजी संपत्ति पर व्यक्ति के अधिकार होते हैं, जबकि सार्वजनिक संपत्ति पर सीमित उपयोग अधिकार होते हैं।
🧾 82. वसीयत के निष्पादन की प्रक्रिया
वसीयत को निष्पादक (Executor) द्वारा निष्पादित किया जाता है। यह व्यक्ति मृतक द्वारा नियुक्त किया जाता है और संपत्ति का वितरण वसीयत के अनुसार करता है। यदि निष्पादक नहीं है, तो लाभार्थी कोर्ट से प्रबेट (Probate) प्राप्त कर सकते हैं। वसीयत का कार्यान्वयन मृतक की मृत्यु के बाद ही प्रभावी होता है।
🧾 83. संपत्ति पर न्यायिक रोक (Stay Order) का प्रभाव
जब किसी संपत्ति पर न्यायालय रोक (Stay Order) लगा देता है, तो तब तक उस पर कोई निर्माण, अंतरण, या परिवर्तन नहीं किया जा सकता। यह आदेश अस्थायी या स्थायी हो सकता है। उल्लंघन करने पर अवमानना की कार्रवाई हो सकती है।
🧾 84. संपत्ति में सह-स्वामित्व की समाप्ति के उपाय
सह-स्वामित्व समाप्त करने हेतु निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं –
- आपसी सहमति से विभाजन
- अदालती वाद द्वारा विभाजन
- एक स्वामी का अन्य के हिस्से का क्रय
इससे प्रत्येक को स्वतंत्र स्वामित्व प्राप्त होता है।
🧾 85. रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की संपत्ति कानून में भूमिका
पंजीकरण अधिनियम, 1908 संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों के पंजीकरण को नियंत्रित करता है। ₹100 से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति के अंतरण हेतु पंजीकरण अनिवार्य है। यह कानून स्वामित्व के प्रमाण और पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। इससे धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े और विवाद की संभावना कम होती है।
🧾 86. संपत्ति पर ऋण चुकता करने के बाद बंधक समाप्ति का तरीका
जब ऋण पूरी तरह चुका दिया जाए, तो ऋणदाता को बंधनमुक्त प्रमाण पत्र (No Dues Certificate) देना चाहिए। इसके बाद बंधक रद्द करने हेतु रजिस्ट्री ऑफिस में रीकॉनवेयेंस डीड या बंधक समाप्ति विलेख दाखिल किया जाता है। इससे संपत्ति पर ऋण का कोई बोझ नहीं रह जाता और स्वामित्व पूर्ण हो जाता है।
🧾 87. संपत्ति पर बंधक (Mortgage) के प्रकार क्या हैं?
भारतीय संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 के अनुसार बंधक के मुख्य प्रकार हैं –
- सरल बंधक (Simple Mortgage)
- संपत्ति पर कब्जे वाला बंधक (Mortgage by Possession)
- उपबंध (Usufructuary Mortgage)
- सशर्त बिक्री वाला बंधक (Mortgage by Conditional Sale)
- प्रतिज्ञा बंधक (English Mortgage)
- विचाराधीन बंधक (Anomalous Mortgage)
प्रत्येक का स्वरूप अलग होता है और ऋणदाता के अधिकार भी उसी अनुसार निर्धारित होते हैं।
🧾 88. संपत्ति का वैध विक्रय किन शर्तों पर होता है?
संपत्ति का वैध विक्रय तब माना जाता है जब –
- विक्रेता स्वामी हो
- खरीदार सक्षम हो
- मूल्य तय हो और दिया जाए
- पंजीकरण हो
- धोखाधड़ी न हो
भारतीय संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 54 वैध विक्रय की व्याख्या करती है। पंजीकरण न होने पर विक्रय अवैध माना जाता है।
🧾 89. सीमित अधिकार के अधिग्रहण की विधि क्या है?
सीमित अधिकार (Easement) निम्न माध्यमों से प्राप्त किया जा सकता है –
- लंबे समय से उपयोग (Prescription) – 20 वर्षों तक निरंतर उपयोग
- अनुदान (Grant)
- आवश्यकता (Necessity) – बिना उस अधिकार के संपत्ति का उपयोग असंभव हो
- स्थानीय परंपरा या समझौता
एक बार सीमित अधिकार स्थापित हो जाए, तो वह वैध अधिकार बन जाता है।
🧾 90. किराया नियंत्रण अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
Rent Control Act का उद्देश्य किराएदारों की सुरक्षा करना है। इसकी विशेषताएँ हैं –
- किराए की सीमा तय करना
- मनमानी बेदखली पर रोक
- किराएदार की उत्तराधिकारिता सुनिश्चित करना
- मरम्मत व सुरक्षा के अधिकार
- न्यायाधिकरण की स्थापना
यह अधिनियम मकान मालिक और किराएदार दोनों के अधिकारों का संतुलन बनाए रखता है।
🧾 91. संपत्ति के अंतर vivos उपहार की विधिक स्थिति क्या है?
Inter vivos gift वह उपहार होता है जो एक व्यक्ति द्वारा जीवनकाल में किसी अन्य को दिया जाता है। इसके लिए तीन शर्तें आवश्यक होती हैं –
- स्वेच्छा से देना
- प्राप्तकर्ता की स्वीकृति
- संपत्ति का हस्तांतरण
अचल संपत्ति के लिए पंजीकरण आवश्यक होता है जबकि चल संपत्ति के लिए नहीं।
🧾 92. संपत्ति विवाद में स्थगन आदेश की भूमिका
स्थगन आदेश (Stay Order) न्यायालय द्वारा तब दिया जाता है जब किसी संपत्ति पर विवाद लंबित हो और प्रतिवादी द्वारा कोई कार्रवाई रुकवानी हो। इससे यथास्थिति बनी रहती है और न्याय की प्रक्रिया बाधित नहीं होती। यदि आदेश का उल्लंघन किया जाए, तो अवमानना की कार्यवाही हो सकती है।
🧾 93. उत्तराधिकार और संपत्ति कानून में अंतर
उत्तराधिकार संपत्ति का वैधानिक हस्तांतरण होता है जब कोई व्यक्ति बिना वसीयत के मरता है। यह व्यक्तिगत विधियों द्वारा नियंत्रित होता है।
संपत्ति कानून किसी जीवित व्यक्ति द्वारा संपत्ति के अंतरण की व्यवस्था करता है, जैसे विक्रय, उपहार आदि।
उत्तराधिकार मृत्यु के बाद लागू होता है, जबकि संपत्ति कानून जीवनकाल में प्रभावी होता है।
🧾 94. सीमा निर्धारण (Boundary Dispute) के समाधान की विधि
सीमा विवाद के समाधान हेतु –
- राजस्व अभिलेख और नक्शा देखना
- माप-तौल (Demarcation) कराना
- राजस्व अधिकारी या कोर्ट से स्थगन/आदेश लेना
- स्थानीय जांच या गवाहों की सहायता लेना
यदि विवाद गंभीर हो, तो अदालत में वाद दायर कर समाधान पाया जा सकता है।
🧾 95. सार्वजनिक उद्देश्य हेतु भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया
सरकार सार्वजनिक उद्देश्य जैसे सड़क, अस्पताल आदि के लिए भूमि अधिग्रहण कर सकती है। इसके लिए –
- अधिसूचना जारी होती है
- आपत्ति का अवसर दिया जाता है
- मुआवज़ा तय होता है
- भूमि अधिग्रहण अधिकारी आदेश पारित करता है
इस प्रक्रिया को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
🧾 96. संपत्ति के उप-स्वामित्व (Sub-ownership) का अर्थ
उप-स्वामित्व वह स्थिति है जब किसी संपत्ति पर एक से अधिक व्यक्ति के स्वामित्व अधिकार हों, परंतु उनका अधिकार मुख्य स्वामी के अधीन हो। यह अक्सर लीज या पट्टे में देखने को मिलता है, जहां किराएदार आगे किसी और को उप-स्वामित्व दे देता है। यह केवल तभी वैध होता है जब मूल अनुबंध इसकी अनुमति देता हो।
🧾 97. संपत्ति कानून में “Doctrine of Election” क्या है?
इस सिद्धांत के अनुसार जब कोई व्यक्ति एक ही दस्तावेज में लाभ और हानि दोनों प्राप्त करता है, तो उसे चुनाव करना होता है – या तो वह लाभ ले या हानि स्वीकार करे। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति किसी और की संपत्ति को तीसरे को देता है और बदले में उसे लाभ देता है। प्राप्तकर्ता को तय करना होता है कि वह लाभ स्वीकार करेगा या संपत्ति की स्वीकृति को अस्वीकार करेगा।
🧾 98. संपत्ति का संयुक्त स्वामित्व कैसे विभाजित होता है?
संयुक्त स्वामित्व का विभाजन –
- आपसी सहमति से
- सिविल अदालत में वाद दायर कर
- राजस्व विभाग से सीमांकन कराकर
विभाजन के बाद प्रत्येक स्वामी स्वतंत्र रूप से अपने हिस्से की संपत्ति का उपयोग कर सकता है।
🧾 99. किराएदार द्वारा जबरन बेदखली से सुरक्षा कैसे मिलती है?
किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत कोई भी मकान मालिक किराएदार को बिना न्यायालय की अनुमति के नहीं निकाल सकता। किराएदार निम्नलिखित उपाय अपना सकता है –
- स्थगन आदेश लेना
- किराया भुगतान के साक्ष्य देना
- उचित मरम्मत या विवाद का प्रमाण देना
इस प्रकार कानून किराएदार को मनमानी बेदखली से सुरक्षा प्रदान करता है।
🧾 100. संपत्ति के ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया
अब अधिकतर राज्यों में संपत्ति पंजीकरण की ऑनलाइन सुविधा है। इसकी प्रक्रिया –
- ई-पंजीकरण पोर्टल पर आवेदन
- प्रॉपर्टी विवरण और दस्तावेज अपलोड
- स्टांप शुल्क का ऑनलाइन भुगतान
- रजिस्ट्री कार्यालय में समय बुकिंग और सत्यापन
- बायोमेट्रिक और फोटो लेकर अंतिम पंजीकरण
इससे प्रक्रिया पारदर्शी और शीघ्र हो गई है।