Taxation Law (“कराधान विधि” या “कर कानून”) part -1

1. कराधान विधि क्या है?

कराधान विधि वह विधिक व्यवस्था है जिसके अंतर्गत सरकार नागरिकों एवं व्यवसायों से कर वसूलती है। इसका उद्देश्य देश के विकास हेतु राजस्व एकत्र करना होता है। भारत में कराधान विधि दो प्रकार के करों को नियंत्रित करती है – प्रत्यक्ष कर जैसे आयकर, और अप्रत्यक्ष कर जैसे GST। इस विधि के अंतर्गत कर निर्धारण, कर भुगतान की प्रक्रिया, कर चोरी के दंड, अपील और छूट आदि से संबंधित नियम शामिल होते हैं। कराधान कानून का पालन करना प्रत्येक नागरिक और कंपनी का संवैधानिक कर्तव्य है।


2. प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में क्या अंतर है?

प्रत्यक्ष कर वह कर होता है जो व्यक्ति की आय या संपत्ति पर सीधे लगाया जाता है, जैसे – आयकर या निगम कर। इसे करदाता खुद सरकार को देता है। वहीं, अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं व सेवाओं पर लगता है, जैसे – GST। यह उपभोक्ता से वसूला जाता है लेकिन सरकार को व्यापारी या सेवा प्रदाता द्वारा दिया जाता है। प्रत्यक्ष कर में करदाता और भार वहन करने वाला एक ही होता है, जबकि अप्रत्यक्ष कर में दोनों अलग होते हैं।


3. आयकर अधिनियम, 1961 क्या है?

आयकर अधिनियम, 1961 भारत का प्रमुख प्रत्यक्ष कर कानून है। यह अधिनियम व्यक्तियों, कंपनियों, HUFs, साझेदारियों आदि की आय पर कर लगाने, कर दरें तय करने, छूट और कटौती की व्यवस्था करने का अधिकार देता है। इसमें कुल 298 धाराएं और 14 अनुसूचियां हैं। हर वर्ष सरकार इस अधिनियम के अंतर्गत वित्त अधिनियम के माध्यम से कर दरों को संशोधित करती है।


4. GST (माल एवं सेवा कर) क्या है?

GST भारत में 1 जुलाई 2017 से लागू एक अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है। यह ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की अवधारणा पर आधारित है। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष कर जैसे – सेवा कर, उत्पाद शुल्क, वैट आदि को समाहित कर दिया गया। GST केंद्र और राज्य दोनों द्वारा लगाया जाता है और इसमें CGST, SGST और IGST जैसे घटक शामिल होते हैं।


5. कर चोरी (Tax Evasion) और कर बचाव (Tax Avoidance) में अंतर बताइए।

कर चोरी गैरकानूनी तरीका है जिससे व्यक्ति अपनी कर देनदारी को छिपाकर कम कर देता है। इसमें झूठे दस्तावेज, गलत आय विवरण देना शामिल है। वहीं, कर बचाव एक वैध तरीका है जिसमें व्यक्ति उपलब्ध छूट और कटौतियों का उपयोग कर अपनी कर देनदारी को कम करता है। कर बचाव वैधानिक होता है जबकि कर चोरी अपराध है।


6. आय के स्रोत कितने प्रकार के होते हैं?

आयकर अधिनियम के अनुसार, किसी व्यक्ति की आय को पाँच प्रमुख स्रोतों में बाँटा गया है: (1) वेतन से आय, (2) मकान संपत्ति से आय, (3) व्यवसाय या पेशे से आय, (4) पूंजीगत लाभ, और (5) अन्य स्रोत से आय जैसे ब्याज, लॉटरी आदि। कर निर्धारण में इन सभी स्रोतों की गणना होती है।


7. PAN क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों होती है?

PAN (Permanent Account Number) एक दस अंकों की अल्फान्यूमेरिक संख्या होती है, जो आयकर विभाग द्वारा जारी की जाती है। यह टैक्स से संबंधित सभी लेनदेन की निगरानी के लिए आवश्यक होता है। बैंकिंग, निवेश, संपत्ति खरीद/बिक्री और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए PAN अनिवार्य है।


8. टीडीएस (TDS) क्या है?

TDS का पूर्ण रूप है – Tax Deducted at Source। यह कर संग्रह की एक प्रणाली है जिसमें भुगतानकर्ता, प्राप्तकर्ता को भुगतान करते समय स्रोत पर ही कर काट लेता है और उसे सरकार के पास जमा करता है। उदाहरण: वेतन, किराया, ब्याज आदि पर TDS लागू होता है।


9. आयकर रिटर्न (ITR) क्या है?

आयकर रिटर्न एक दस्तावेज है जिसे करदाता अपनी साल भर की आय, खर्च, निवेश और चुकाए गए कर की जानकारी देने के लिए भरता है। भारत में अलग-अलग प्रकार के ITR फॉर्म होते हैं – ITR-1 से लेकर ITR-7 तक, जो व्यक्ति की आय और स्त्रोत पर निर्भर करते हैं।


10. टैक्स ऑडिट क्या होता है?

टैक्स ऑडिट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि व्यवसाय ने कर कानूनों का ठीक से पालन किया है। आयकर अधिनियम की धारा 44AB के अंतर्गत कुछ निर्धारित सीमा (जैसे ₹1 करोड़ या ₹10 करोड़ तक का टर्नओवर) पार करने पर टैक्स ऑडिट करवाना अनिवार्य होता है। इसे चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाता है।


11. पेशेवर कर (Professional Tax) क्या है?

पेशेवर कर एक राज्य सरकार द्वारा लगाया जाने वाला कर है जो किसी व्यक्ति की पेशेवर आय पर लगाया जाता है, जैसे डॉक्टर, वकील, इंजीनियर आदि। यह कर अधिकतम ₹2500 प्रति वर्ष तक हो सकता है। सभी राज्य यह कर नहीं लगाते – जैसे उत्तर प्रदेश में यह नहीं है, जबकि महाराष्ट्र में है।


12. पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) क्या है?

जब कोई व्यक्ति अपनी पूंजी संपत्ति (जैसे जमीन, भवन, शेयर आदि) को बेचता है और लाभ प्राप्त करता है, तो उस लाभ पर जो कर लगता है, वह पूंजीगत लाभ कर कहलाता है। इसे दो प्रकार में बांटा गया है – अल्पकालिक (Short Term) और दीर्घकालिक (Long Term), जिन पर अलग-अलग दरें लागू होती हैं।


13. उत्पाद शुल्क (Excise Duty) क्या है?

उत्पाद शुल्क एक अप्रत्यक्ष कर था जो भारत में उत्पादित वस्तुओं पर लगाया जाता था। यह निर्माता द्वारा चुकाया जाता था और उपभोक्ता से वसूला जाता था। अब यह GST के अंतर्गत समाहित हो चुका है, लेकिन कुछ वस्तुओं (जैसे पेट्रोल, शराब) पर अभी भी अलग से उत्पाद शुल्क लागू होता है।


14. सेवा कर (Service Tax) क्या था?

सेवा कर एक अप्रत्यक्ष कर था जो सेवा प्रदाताओं द्वारा दी जाने वाली सेवाओं पर लगता था। यह केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता था और इसकी दर लगभग 15% थी। GST लागू होने के बाद सेवा कर समाप्त हो चुका है, और अब सभी सेवाएं GST के तहत कर योग्य हैं।


15. कर अपील की प्रक्रिया क्या है?

यदि करदाता आयकर विभाग के किसी आदेश से असंतुष्ट है, तो वह निर्धारित समय सीमा में अपील दायर कर सकता है। प्रथम अपील आयकर अपीलीय अधिकरण (CIT-Appeals) में की जाती है। इसके बाद आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल (ITAT), फिर हाईकोर्ट और अंततः सुप्रीम कोर्ट तक अपील की जा सकती है।


16. भारत में दोहरे कराधान (Double Taxation) क्या है?

दोहरे कराधान की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब एक ही आय पर दो अलग-अलग देशों में कर लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति भारत में निवास करता है लेकिन उसकी आय विदेश से आती है, तो उस पर भारत और उस विदेशी देश दोनों में कर लग सकता है। भारत ने इस समस्या को हल करने के लिए Double Taxation Avoidance Agreements (DTAA) विभिन्न देशों के साथ किए हैं। DTAA के अंतर्गत, करदाता को या तो छूट (Exemption) या कर में राहत (Tax Credit) मिलती है। इससे दोहरे कराधान से बचा जा सकता है। DTAA का उद्देश्य व्यापार को बढ़ावा देना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।


17. Advance Tax (अग्रिम कर) क्या होता है?

अग्रिम कर वह कर होता है जो अनुमानित वार्षिक आय पर साल के दौरान किस्तों में पहले ही चुका दिया जाता है। यदि किसी करदाता की वार्षिक कर देनदारी ₹10,000 से अधिक है, तो उसे अग्रिम कर भरना आवश्यक होता है। यह कर चार किस्तों में 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च तक जमा किया जाता है। अग्रिम कर का पालन न करने पर ब्याज (Interest u/s 234B & 234C) देना पड़ता है। फ्रीलांसर, बिज़नेस मैन और निवेशक वर्ग के लिए यह व्यवस्था विशेष रूप से लागू होती है।


18. GST के अंतर्गत HSN कोड क्या होता है?

HSN (Harmonized System of Nomenclature) कोड एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रणाली है, जिसका उपयोग वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है। GST में हर वस्तु को एक विशिष्ट HSN कोड दिया गया है जिससे कर की दर का निर्धारण किया जाता है। इससे व्यापारियों को वस्तु की पहचान करने, बिलिंग में स्पष्टता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सुविधा मिलती है। उदाहरण: अगर कोई उत्पाद प्लास्टिक का है तो उसका HSN कोड 39 से शुरू होगा।


19. GSTIN क्या होता है?

GSTIN का पूरा नाम Goods and Services Tax Identification Number है। यह एक 15 अंकों का विशिष्ट पहचान संख्या है जो हर GST रजिस्टर्ड व्यवसाय को प्रदान किया जाता है। इस नंबर में राज्य कोड, PAN नंबर, एंटिटी कोड आदि शामिल होते हैं। GSTIN के बिना व्यापारी GST रिटर्न दाखिल नहीं कर सकते, और यह उनके व्यापार की वैधता को दर्शाता है।


20. Composition Scheme क्या है?

Composition Scheme एक सरल GST योजना है जिसे छोटे व्यापारियों के लिए लागू किया गया है। इसके अंतर्गत व्यापारी को कम दर पर कर अदा करना होता है और उसे मासिक रिटर्न की आवश्यकता नहीं होती। यह योजना उन व्यापारियों के लिए है जिनका टर्नओवर ₹1.5 करोड़ से कम है (कुछ राज्यों में ₹75 लाख)। इसमें व्यापारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता और वह टैक्स इनवॉइस नहीं बना सकता।


21. इन्पुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्या है?

ITC वह सुविधा है जिसमें व्यापारी अपने खरीद पर दिए गए GST को अपनी बिक्री पर देय GST से समायोजित कर सकता है। उदाहरण: अगर किसी व्यापारी ने ₹10,000 की वस्तु पर ₹1800 GST चुकाया है और उसने वही वस्तु ₹15,000 में ₹2700 GST के साथ बेची है, तो उसे ₹2700 – ₹1800 = ₹900 ही सरकार को देना होगा। ITC व्यापार में पारदर्शिता और दोहरे कर से बचाव करता है।


22. Self-Assessment Tax क्या होता है?

Self-assessment tax वह कर है जो करदाता अपनी कुल आय का मूल्यांकन करके रिटर्न भरने से पहले चुकाता है। यह तब आवश्यक होता है जब टीडीएस या अग्रिम कर के बावजूद कुछ कर देनदारी बची हो। इसे चुकाए बिना रिटर्न दाखिल नहीं किया जा सकता। इसे ऑनलाइन चालान 280 के माध्यम से आयकर पोर्टल पर भुगतान किया जाता है।


23. संपत्ति कर (Property Tax) क्या होता है?

संपत्ति कर स्थानीय निकाय (नगर निगम/पालिका) द्वारा लगाया जाने वाला कर है जो किसी भवन, जमीन या व्यावसायिक संपत्ति पर लागू होता है। इसे सालाना आधार पर संपत्ति के मूल्य, स्थान, प्रकार और उपयोग के अनुसार तय किया जाता है। यह कर स्थानीय बुनियादी सुविधाओं जैसे – सड़क, सीवेज, लाइट आदि के लिए आवश्यक राजस्व प्रदान करता है।


24. Capital Receipts और Revenue Receipts में अंतर बताइए।

Capital receipts वे धनराशि होती हैं जो सरकार या संस्था द्वारा उधार लेने, संपत्ति बेचने या निवेश पर प्राप्त होती हैं और जिन्हें पुनर्भुगतान करना पड़ता है। वहीं, Revenue receipts वे आय होती हैं जो सरकार को कर, शुल्क, जुर्माना या ब्याज से प्राप्त होती है, और जिसे वापस नहीं करना पड़ता। उदाहरण: आयकर राजस्व रिसिप्ट है, जबकि सरकार द्वारा बॉन्ड जारी कर उगाही की गई राशि कैपिटल रिसिप्ट है।


25. Section 80C के अंतर्गत मिलने वाली छूट क्या है?

Section 80C आयकर अधिनियम के अंतर्गत वह धारा है जिसके तहत करदाता ₹1.5 लाख तक की छूट पा सकता है। इसके अंतर्गत जीवन बीमा प्रीमियम, PPF, EPF, NSC, बच्चों की ट्यूशन फीस, होम लोन का मूलधन, टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट आदि शामिल हैं। यह छूट व्यक्ति और HUF के लिए लागू होती है।


26. ई-फाइलिंग (e-Filing) क्या है?

ई-फाइलिंग एक ऑनलाइन प्रणाली है जिसके माध्यम से व्यक्ति या कंपनी अपनी आयकर रिटर्न बिना किसी पेपर के इलेक्ट्रॉनिक रूप से जमा कर सकते हैं। आयकर विभाग की वेबसाइट (www.incometax.gov.in) पर लॉगिन कर ITR फॉर्म भरकर उसे ऑनलाइन सत्यापित किया जाता है। ई-फाइलिंग से प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और सुलभ हो गई है।


27. TCS (Tax Collected at Source) क्या होता है?

TCS एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो विक्रेता द्वारा खरीदार से कुछ खास वस्तुओं की बिक्री पर वसूला जाता है और सरकार को जमा किया जाता है। उदाहरण: स्क्रैप, शराब, लकड़ी आदि की बिक्री पर TCS लागू होता है। यह आयकर अधिनियम की धारा 206C के अंतर्गत आता है। TCS को खरीदार अपने टैक्स क्रेडिट में समायोजित कर सकता है।


28. क्लबिंग ऑफ इनकम (Clubbing of Income) क्या होता है?

क्लबिंग का अर्थ है किसी व्यक्ति की आय को उसके किसी परिवार के सदस्य की आय में जोड़कर कर निर्धारण करना। उदाहरण: पति द्वारा पत्नी के नाम निवेश कर उसकी आय उत्पन्न करना। ऐसे मामलों में आय को वास्तविक लाभार्थी की आय में जोड़ा जाता है। यह नियम कर बचाव के दुरुपयोग को रोकने हेतु है।


29. Exempted Income क्या होती है?

Exempted Income वह आय होती है जो आयकर अधिनियम के अंतर्गत पूरी तरह कर-मुक्त होती है। जैसे – कृषि आय, PPF से प्राप्त ब्याज, कुछ प्रकार की छात्रवृत्तियाँ, HUF से प्राप्त लाभांश आदि। हालांकि ऐसी आय रिटर्न में दर्शाना आवश्यक होता है, लेकिन उस पर कोई कर नहीं लगता।


30. Section 234A, 234B और 234C क्या हैं?

इन धाराओं के अंतर्गत करदाता पर देरी से रिटर्न दाखिल करने, अग्रिम कर न देने या कम देने पर ब्याज लगाया जाता है।

  • 234A – रिटर्न देरी से दाखिल करने पर
  • 234B – अग्रिम कर न देने या कम देने पर
  • 234C – अग्रिम कर की किस्तें समय पर न देने पर
    इन धाराओं के तहत 1% प्रति माह की दर से ब्याज लगता है।

31. Tax Planning क्या है?

Tax Planning एक वैध प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति या व्यवसाय अपने वित्तीय लेन-देन को इस तरह व्यवस्थित करता है कि कर देनदारी न्यूनतम हो सके। इसमें छूट, कटौती, निवेश, पुनर्गठन आदि के माध्यम से लाभ उठाया जाता है। यह कानूनी होता है, लेकिन कर चोरी (Evasion) नहीं होनी चाहिए।


32. Assessment Year और Financial Year में अंतर बताइए।

Financial Year वह वर्ष होता है जिसमें व्यक्ति आय अर्जित करता है (1 अप्रैल से 31 मार्च)। Assessment Year वह वर्ष होता है जिसमें उस आय का मूल्यांकन और कर निर्धारण किया जाता है। उदाहरण: FY 2024–25 की आय AY 2025–26 में आकलित होती है।


33. Section 44AD क्या है?

Section 44AD छोटे व्यापारियों को अपनी आय को अनुमानित दर (Presumptive Taxation) पर घोषित करने की अनुमति देता है। इसमें 8% (या डिजिटल लेन-देन पर 6%) की दर से टर्नओवर पर कर लगाया जाता है। यह सुविधा उन व्यापारियों के लिए है जिनका टर्नओवर ₹2 करोड़ तक है।


34. Customs Duty क्या होती है?

Customs Duty वह कर है जो किसी वस्तु के आयात (Import) या निर्यात (Export) पर लगाया जाता है। इसका उद्देश्य घरेलू उद्योग की रक्षा, विदेशी मुद्रा नियंत्रण और राजस्व एकत्र करना होता है। यह केंद्र सरकार द्वारा सीमाशुल्क अधिनियम, 1962 के तहत लगाया जाता है।


35. Notice u/s 143(1) क्या है?

धारा 143(1) के तहत आयकर विभाग द्वारा करदाता को प्रासंगिक रिटर्न का प्राथमिक मूल्यांकन करके नोटिस भेजा जाता है। इसमें रिटर्न में की गई गणनाओं की पुष्टि, कर/रिफंड की जानकारी और किसी त्रुटि की जानकारी होती है। इसे रिटर्न दाखिल के कुछ महीनों के भीतर भेजा जाता है।


36. ITR-1 और ITR-4 में क्या अंतर है?

ITR-1 ‘सहज’ फॉर्म है जो ₹50 लाख तक की वेतन, पेंशन, एक मकान संपत्ति और अन्य स्रोत (जैसे ब्याज) से आय वाले व्यक्तियों के लिए है। इसमें व्यवसाय या पेशे से आय शामिल नहीं होती।
ITR-4 ‘सुगम’ फॉर्म उन व्यक्तियों, HUFs और फर्मों के लिए है जो Presumptive Taxation Scheme (44AD, 44ADA) के अंतर्गत आय घोषित करते हैं और जिनकी कुल आय ₹50 लाख तक है। यदि आप व्यवसाय से जुड़े हैं और सरल आय गणना के तहत रिटर्न भरना चाहते हैं, तो ITR-4 उपयुक्त है।


37. Rebate u/s 87A क्या है?

धारा 87A के अंतर्गत उन व्यक्तियों को कर में छूट (rebate) मिलती है जिनकी कुल आय ₹5 लाख तक है। ऐसी स्थिति में उन्हें अधिकतम ₹12,500 तक की कर छूट मिलती है, जिससे उनकी कर देनदारी शून्य हो जाती है। यह छूट केवल व्यक्तिगत करदाताओं के लिए होती है, कंपनियों या फर्मों के लिए नहीं। यह मध्यम वर्ग के लिए राहत प्रदान करने का प्रावधान है।


38. Notice u/s 148 क्या होता है?

धारा 148 के तहत पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी किया जाता है जब कर अधिकारी को लगता है कि किसी करदाता ने अपनी आय का सही खुलासा नहीं किया है या आय छुपाई है। यह नोटिस पिछले 3 से 10 वर्षों तक की आय की पुन: जांच हेतु भेजा जा सकता है। नोटिस मिलने पर करदाता को पुनः रिटर्न दाखिल करना होता है और कारणों का स्पष्टीकरण देना होता है।


39. Wealth Tax क्या होता था?

Wealth Tax एक प्रत्यक्ष कर था जो उन व्यक्तियों पर लगता था जिनके पास निर्धारित सीमा से अधिक संपत्ति होती थी, जैसे – आभूषण, कार, बंगला आदि। यह कर 2015 में समाप्त कर दिया गया और इसकी जगह सुपर रिच व्यक्तियों पर सर्प्लस (Surcharge) लगाया गया। अब भारत में वेल्थ टैक्स नहीं लिया जाता।


40. Faceless Assessment क्या है?

Faceless Assessment आयकर विभाग की एक नई डिजिटल पहल है, जिसमें कर निर्धारण बिना भौतिक उपस्थिति या पहचान के किया जाता है। इसमें करदाता और कर अधिकारी के बीच सीधा संपर्क नहीं होता। दस्तावेज़ ऑनलाइन जमा होते हैं और प्रक्रिया पारदर्शी व निष्पक्ष होती है। इससे भ्रष्टाचार में कमी और दक्षता में वृद्धि होती है।


41. GST रिटर्न के प्रकार क्या हैं?

GST के अंतर्गत मुख्यतः ये रिटर्न होते हैं:

  • GSTR-1: बिक्री विवरण
  • GSTR-3B: कर भुगतान और समग्र विवरण
  • GSTR-9: वार्षिक रिटर्न
  • GSTR-2B: ITC विवरण
    छोटे व्यापारियों के लिए QRMP योजना में त्रैमासिक रिटर्न भी लागू है। सही समय पर रिटर्न दाखिल करने से ITC का लाभ सुनिश्चित होता है।

42. Reverse Charge Mechanism (RCM) क्या है?

RCM एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें कर का भुगतान सेवा प्रदाता की बजाय सेवा प्राप्तकर्ता द्वारा किया जाता है। यह उन मामलों में लागू होता है जहां सप्लायर अनरजिस्टर्ड है या खास सेवाओं/वस्तुओं के लिए सरकार ने अधिसूचना जारी की है। इसमें सेवा प्राप्तकर्ता को GST का भुगतान कर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने की अनुमति होती है।


43. Tax Deduction under Section 80D क्या है?

धारा 80D के अंतर्गत व्यक्ति या HUF को मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर कर छूट मिलती है। स्वयं, जीवनसाथी और बच्चों के लिए ₹25,000 तक, और वरिष्ठ नागरिक माता-पिता के लिए ₹50,000 तक की छूट प्राप्त की जा सकती है। चिकित्सा खर्च, हेल्थ चेकअप और विशेष बीमा योजनाएं भी इस दायरे में आती हैं।


44. E-way Bill क्या है?

E-way Bill एक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज है जो ₹50,000 से अधिक मूल्य की वस्तुओं के एक राज्य से दूसरे राज्य या एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन के दौरान तैयार किया जाता है। यह GST पोर्टल से जनरेट किया जाता है और इसमें प्रेषक, वाहन, गंतव्य आदि की जानकारी होती है। इसका उद्देश्य माल परिवहन में पारदर्शिता और कर अपवंचन रोकना है।


45. TDS रिटर्न क्या होता है?

TDS रिटर्न एक तिमाही विवरण होता है जिसमें कटे हुए TDS की जानकारी आयकर विभाग को दी जाती है। इसमें कटौतीकर्ता (Deductor) द्वारा किस व्यक्ति से कितना कर काटा गया और जमा किया गया, उसकी जानकारी होती है। इसे Form 24Q, 26Q, 27Q आदि में भरा जाता है।


46. GST Council क्या है?

GST Council एक संवैधानिक संस्था है जो GST से संबंधित सभी निर्णय लेती है। इसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री करते हैं और इसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य होते हैं। यह कर दरें तय करने, नियम संशोधित करने, छूट देने आदि के लिए उत्तरदायी है। यह सहकारी संघवाद का एक श्रेष्ठ उदाहरण है।


47. Taxable Income कैसे तय होती है?

Taxable Income वह आय होती है जिस पर कर लगाया जाता है। इसे तय करने के लिए व्यक्ति की कुल आय से सभी वैधानिक छूट (Exemptions) और कटौतियाँ (Deductions) घटा दी जाती हैं। जैसे – आय = ₹7 लाख, कटौती = ₹1.5 लाख (80C), तो कर योग्य आय ₹5.5 लाख मानी जाएगी।


48. Tax Audit Report क्या होती है?

Tax Audit Report एक सीए (CA) द्वारा तैयार की जाती है जिसमें व्यापार की वित्तीय जानकारी, अनुपालन स्थिति, लेन-देन और नियमों का पालन शामिल होता है। इसे Form 3CA/3CB और Annexure 3CD में दाखिल किया जाता है। यह रिपोर्ट कर अधिकारियों को ईमानदारी से कर निर्धारण में सहायता करती है।


49. Income Escaping Assessment क्या है?

जब आयकर विभाग को पता चलता है कि करदाता ने आय छुपाई है या गलत जानकारी दी है, तो वह Income Escaping Assessment की प्रक्रिया शुरू करता है। इसके तहत नोटिस u/s 148 भेजा जाता है और आय का पुनः मूल्यांकन किया जाता है। इसका उद्देश्य कर अपवंचन पर लगाम लगाना है।


50. Section 10(14) Allowances क्या हैं?

Section 10(14) के अंतर्गत कुछ विशेष भत्तों (Allowances) को कर से छूट दी जाती है, जैसे – यात्रा भत्ता (Transport Allowance), दैनिक भत्ता (Daily Allowance), विशेष ड्यूटी भत्ता आदि। ये भत्ते तभी छूट के योग्य होते हैं जब वे कर्मचारी की नौकरी की शर्तों के अनुसार प्राप्त हों। इनका उपयोग टैक्स प्लानिंग में किया जा सकता है।