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Public International Law & Human Rights (संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार, युद्ध कानून) part-1

1. अंतरराष्ट्रीय विधि क्या है?

अंतरराष्ट्रीय विधि वह विधिक ढांचा है जो राष्ट्रों के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है। यह संधियों, रीति-रिवाजों, सामान्य सिद्धांतों, न्यायिक निर्णयों और विद्वानों की मान्य राय पर आधारित होता है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा, मानवाधिकारों की रक्षा और न्यायपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित करना होता है। इसमें युद्ध कानून, समुद्री कानून, कूटनीतिक संबंध, और मानवाधिकार कानून शामिल होते हैं।


2. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब और क्यों हुई?

संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना, राष्ट्रों के बीच सहयोग बढ़ाना, और मानवाधिकारों की रक्षा करना है। इसके चार्टर में छह प्रमुख अंग हैं, जैसे कि महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद आदि। यह अंतरराष्ट्रीय विधि को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


3. मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) क्या है?

UDHR (Universal Declaration of Human Rights) को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को अंगीकार किया था। यह 30 अनुच्छेदों में मानव के मूलभूत अधिकारों का वर्णन करता है जैसे—जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता, समानता, शिक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। यद्यपि यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, परंतु यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का आधार बन चुका है।


4. संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की संरचना क्या है?

सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का एक मुख्य अंग है, जिसमें 15 सदस्य होते हैं—5 स्थायी (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, यूके) और 10 अस्थायी। स्थायी सदस्यों को वीटो शक्ति प्राप्त है। यह परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है। यह शांति अभियानों, प्रतिबंध, और सैन्य हस्तक्षेप के निर्णय ले सकती है।


5. युद्ध के नियम क्या होते हैं?

युद्ध के नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी विधि (IHL) कहा जाता है। जिनेवा संधियों और हेग सम्मेलन के अंतर्गत, ये नियम युद्ध के दौरान नागरिकों की रक्षा, बंदियों के साथ मानवीय व्यवहार और निषिद्ध हथियारों का उपयोग रोकने हेतु बनाए गए हैं। इन नियमों का उद्देश्य मानवीय पीड़ा को कम करना है। युद्ध के अपराधों की पहचान और दंड भी इसी कानून के तहत तय किए जाते हैं।


6. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की भूमिका क्या है?

ICJ, संयुक्त राष्ट्र का न्यायिक अंग है, जिसकी स्थापना 1945 में हुई थी और यह हेग (नीदरलैंड) में स्थित है। इसका कार्य राष्ट्रों के बीच विवादों का समाधान करना और कानूनी परामर्श देना है। इसका निर्णय बाध्यकारी होता है, लेकिन केवल उन्हीं देशों पर लागू होता है जिन्होंने न्यायालय के क्षेत्राधिकार को मान्यता दी हो।


7. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) क्या है?

UNHRC एक अंतर-सरकारी संस्था है जो मानवाधिकारों की रक्षा और प्रचार हेतु कार्य करती है। इसकी स्थापना 2006 में हुई थी और यह जिनेवा में स्थित है। यह विभिन्न देशों में मानवाधिकार की स्थिति की समीक्षा करता है, जांच आयोग भेजता है और प्रस्ताव पारित करता है। भारत भी इसका सदस्य रह चुका है।


8. शरणार्थी का अधिकार क्या है?

शरणार्थियों के अधिकार 1951 की संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संधि और 1967 प्रोटोकॉल द्वारा निर्धारित किए गए हैं। शरणार्थियों को बिना भेदभाव के सुरक्षा, गैर-निर्वासन (non-refoulement), स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और कानूनी सहायता का अधिकार प्राप्त होता है। UNHCR (United Nations High Commissioner for Refugees) इस अधिकार के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।


9. मानवाधिकारों का भारतीय संविधान में संरक्षण

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 14 से 32) के माध्यम से मानवाधिकारों की रक्षा की गई है। इनमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, शोषण के विरुद्ध अधिकार, शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट रिट अधिकार के तहत इनके संरक्षण हेतु सक्षम हैं।


10. युद्ध अपराध क्या हैं?

युद्ध अपराध वे गंभीर उल्लंघन हैं जो युद्ध के समय किए जाते हैं, जैसे—नागरिकों की हत्या, बलात्कार, यातना, बंदियों की हत्या, अस्पतालों पर हमला आदि। इन अपराधों को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय या विशेष ट्राइब्यूनल द्वारा दंडित किया जा सकता है, जैसे—रवांडा या युगोस्लाविया ट्राइब्यूनल। यह मानवता के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में आता है।


11. अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी विधि (International Humanitarian Law) क्या है?

यह विधि युद्ध की स्थिति में लागू होती है और इसके अंतर्गत नागरिकों, घायलों, युद्ध बंदियों, और मानवीय संस्थाओं की रक्षा की जाती है। इसके अंतर्गत मुख्यतः जिनेवा संधियाँ आती हैं। यह यह सुनिश्चित करती हैं कि संघर्षों में भी कुछ मानवीय मूल्यों का पालन हो।


12. जिनेवा संधियाँ क्या हैं?

जिनेवा संधियाँ चार अंतरराष्ट्रीय संधियाँ हैं जो युद्ध के समय मानवीय व्यवहार को नियमित करती हैं। इनमें युद्ध बंदियों के अधिकार, घायल सैनिकों की देखभाल, नागरिकों की सुरक्षा आदि विषय शामिल हैं। इनका पालन करना सभी देशों पर अनिवार्य है, चाहे वे किसी भी पक्ष में हों।


13. मानवाधिकार उल्लंघन के उपाय क्या हैं?

मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में व्यक्ति राष्ट्रीय अदालतों, मानवाधिकार आयोगों, और अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे UNHRC या ICJ में न्याय की मांग कर सकते हैं। भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) भी शिकायतें स्वीकार करता है। NGOs और अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


14. संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उद्देश्य क्या है?

संयुक्त राष्ट्र चार्टर 1945 में लागू हुआ और यह संयुक्त राष्ट्र का संवैधानिक दस्तावेज है। इसका उद्देश्य विश्व में शांति बनाए रखना, मानवाधिकारों का संरक्षण, आर्थिक-सामाजिक सहयोग बढ़ाना और अंतरराष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान सुनिश्चित करना है। इसमें 19 अध्याय और 111 अनुच्छेद हैं।


15. मानवाधिकार आयोग की भूमिका क्या है?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना 1993 में हुई। यह भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करता है, रिपोर्ट प्रस्तुत करता है, सरकार को सिफारिश देता है और जनजागरूकता बढ़ाने का कार्य करता है। यह स्वतः संज्ञान लेकर भी कार्रवाई कर सकता है और पीड़ित को मुआवज़ा दिला सकता है।

16. मानवाधिकारों की तीन पीढ़ियां क्या हैं?

मानवाधिकारों को तीन पीढ़ियों में विभाजित किया गया है:
प्रथम पीढ़ी में नागरिक और राजनीतिक अधिकार आते हैं जैसे जीवन, स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति और मतदान का अधिकार।
द्वितीय पीढ़ी में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और काम का अधिकार।
तृतीय पीढ़ी में सामूहिक अधिकार जैसे पर्यावरण, शांति और विकास का अधिकार आता है। यह वर्गीकरण मानवाधिकारों के विकास की ऐतिहासिक प्रक्रिया को दर्शाता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारों की समझ को गहराई देता है।


17. अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) क्या है?

ICC एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है जिसकी स्थापना 2002 में रोम संविधि (Rome Statute) के तहत हुई। यह युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध, नरसंहार, और आक्रामकता जैसे गंभीर अपराधों की सुनवाई करता है। इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में है। यह व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर आधारित होता है, यानी व्यक्ति—not राज्य—इसके दायरे में आते हैं।


18. संयुक्त राष्ट्र महासभा की शक्तियाँ क्या हैं?

महासभा संयुक्त राष्ट्र का परामर्शदाता अंग है जिसमें सभी सदस्य राष्ट्रों की बराबर भागीदारी होती है। यह बजट को स्वीकृति देती है, नए सदस्य देशों को अनुमोदन देती है और शांति, सुरक्षा, मानवाधिकार, पर्यावरण आदि पर चर्चा कर संकल्प पारित करती है। इसके संकल्प बाध्यकारी नहीं होते लेकिन नैतिक और राजनीतिक महत्त्व रखते हैं।


19. संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन क्या है?

संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन (UN Peacekeeping) का उद्देश्य संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और स्थायित्व स्थापित करना होता है। ये मिशन सैनिकों, पुलिस और नागरिक कर्मचारियों के माध्यम से कार्य करते हैं। शांति संधियों की निगरानी, नागरिकों की सुरक्षा और चुनाव प्रक्रिया में सहायता इनकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ होती हैं।


20. मानवता के विरुद्ध अपराध (Crimes against Humanity) क्या होते हैं?

मानवता के विरुद्ध अपराध वे कृत्य हैं जो व्यापक और संगठित ढंग से नागरिक आबादी पर किए जाते हैं, जैसे—हत्या, बलात्कार, दासता, उत्पीड़न आदि। ये अपराध सामान्य अपराधों से भिन्न होते हैं क्योंकि ये राजनीतिक या सैन्य नीति के तहत बड़ी संख्या में लोगों पर किए जाते हैं। ICC इन अपराधों की जांच कर सकती है।


21. शांति स्थापना और शांति निर्माण में अंतर बताएं।

शांति स्थापना (Peacekeeping) संघर्ष के बाद स्थिति को स्थिर करने हेतु संयुक्त राष्ट्र द्वारा सैनिक और नागरिक सहायता भेजना है।
शांति निर्माण (Peacebuilding) दीर्घकालीन शांति के लिए संस्थानों, शासन प्रणाली और आर्थिक सुधारों को मज़बूत करने की प्रक्रिया है।
दोनों प्रक्रियाएँ युद्धोत्तर स्थायित्व हेतु आवश्यक हैं, परंतु उनका दृष्टिकोण और अवधि अलग होती है।


22. भारत का मानव अधिकार आयोग (NHRC) क्या कार्य करता है?

भारत में NHRC की स्थापना 1993 में हुई थी। यह आयोग मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायतों की जांच करता है, रिपोर्ट तैयार करता है और सरकार को सिफारिशें देता है। यह आयोग स्वतः संज्ञान भी ले सकता है। साथ ही, यह मानवाधिकार जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षा और प्रचार-प्रसार के कार्यक्रम भी संचालित करता है।


23. महिला अधिकार अंतरराष्ट्रीय विधि के तहत कैसे संरक्षित हैं?

महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1979 में CEDAW (Convention on the Elimination of All Forms of Discrimination Against Women) को अपनाया। यह संधि सभी प्रकार के लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने की मांग करती है। सदस्य देश इसके अनुसार अपने राष्ट्रीय कानूनों में सुधार करते हैं। यह शिक्षा, काम, स्वास्थ्य, राजनीतिक भागीदारी में समानता की गारंटी देता है।


24. बाल अधिकारों की रक्षा के लिए कौन-सी संधि है?

CRC (Convention on the Rights of the Child), 1989, बाल अधिकारों की सबसे महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि है। यह जीवन, शिक्षा, स्वास्थ्य, संरक्षण और अभिव्यक्ति के अधिकार देती है। सभी देश—अमेरिका को छोड़कर—इसका हिस्सा हैं। भारत ने भी इसे स्वीकार किया है और इसके अनुसार बच्चों से संबंधित नीतियाँ बनाई हैं।


25. रेस्क्यू और रिलीफ ऑपरेशन में अंतरराष्ट्रीय विधि की भूमिका

आपदा, युद्ध या संघर्ष के समय राहत और पुनर्वास कार्यों के संचालन में अंतरराष्ट्रीय विधि सहायता प्रदान करती है। जिनेवा संधियों और अन्य मानवीय संधियों के तहत राहत एजेंसियों को सुरक्षित पहुंच, मानवाधिकारों की रक्षा और बेसिक आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित की जाती है। रेड क्रॉस जैसी संस्थाएँ इस विधि के तहत कार्य करती हैं।


26. मान्यता (Recognition) का सिद्धांत क्या है?

अंतरराष्ट्रीय विधि में मान्यता का अर्थ होता है एक नए राज्य या सरकार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा वैध माना जाना। यह दो प्रकार की होती है: (1) वास्तविक मान्यता (De facto) – अस्थायी; (2) वैधानिक मान्यता (De jure) – स्थायी। मान्यता मिलने से राज्य को संधियों में भाग लेने, कूटनीतिक संबंध स्थापित करने और अंतरराष्ट्रीय मंचों में भाग लेने का अधिकार मिल जाता है।


27. युद्ध में निषिद्ध हथियार कौन-से हैं?

अंतरराष्ट्रीय विधि के अनुसार कुछ हथियारों का उपयोग युद्ध में निषिद्ध है, जैसे—रासायनिक हथियार, जैविक हथियार, क्लस्टर बम और लैंड माइंस। इन पर विभिन्न संधियाँ लागू होती हैं जैसे—Chemical Weapons Convention (CWC) और Biological Weapons Convention (BWC)। इनका उद्देश्य मानवीय पीड़ा को सीमित करना और युद्ध के मानवीयकरण को बढ़ावा देना है।


28. समुद्री कानून (Law of the Sea) क्या है?

समुद्री कानून का मुख्य आधार UNCLOS (United Nations Convention on the Law of the Sea) है। यह देशों की समुद्री सीमाओं, समुद्री संसाधनों, और नेविगेशन अधिकारों को निर्धारित करता है। इसके अंतर्गत समुद्र क्षेत्र को तीन हिस्सों में बाँटा गया है: क्षेत्रीय जल, अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ), और महाद्वीपीय पट्टी। यह समुद्री विवादों का समाधान भी करता है।


29. पर्यावरणीय मानवाधिकार क्या हैं?

पर्यावरण का अधिकार अब मानवाधिकारों का भाग माना जा रहा है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ, सुरक्षित और टिकाऊ पर्यावरण में जीने का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंच अब इसे मानवाधिकारों की तीसरी पीढ़ी में शामिल करते हैं। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और संसाधनों की कमी से संबंधित विषयों पर इसका दायरा बढ़ रहा है।


30. मानव अधिकारों का उल्लंघन और राज्य की जिम्मेदारी

यदि कोई राज्य मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है तो वह अंतरराष्ट्रीय विधि के तहत उत्तरदायी होता है। यह जिम्मेदारी तब बनती है जब राज्य स्वयं या उसके एजेंट किसी नागरिक या समूह के अधिकारों का हनन करते हैं। पीड़ित व्यक्ति अंतरराष्ट्रीय मंचों या मानवाधिकार आयोगों में अपील कर सकते हैं और मुआवजा या कार्रवाई की मांग कर सकते हैं।


31. राजनयिक संबंधों के नियम क्या हैं?

राजनयिक संबंधों को वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशन, 1961 द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह संधि दूतावासों, राजदूतों और अन्य राजनयिक प्रतिनिधियों के अधिकारों और कर्तव्यों को तय करती है। इसके अनुसार, राजदूत को राजनयिक संरक्षण प्राप्त होता है—उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, उसके निवास की तलाशी नहीं ली जा सकती। उसे मेज़बान देश के कानून का सम्मान करना होता है, लेकिन उसके खिलाफ अभियोजन नहीं चलाया जा सकता।


32. “अपराध के विरुद्ध सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र” क्या है?

सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र का अर्थ है कि कुछ अपराध इतने गंभीर होते हैं कि किसी भी देश की अदालत उन्हें न्यायिक प्रक्रिया में ले सकती है, चाहे अपराध उस देश में न हुआ हो। उदाहरण के लिए: जनसंहार, समुद्री डकैती, युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध। इसका उद्देश्य वैश्विक न्याय और दण्ड से मुक्ति को समाप्त करना है।


33. अंतरराष्ट्रीय कानून में संधि (Treaty) क्या है?

संधि दो या अधिक राष्ट्रों के बीच एक कानूनी समझौता होता है जो लिखित रूप में होता है और अंतरराष्ट्रीय विधि के अनुसार बाध्यकारी होता है। यह वियना संधि कानून, 1969 के अंतर्गत आती है। संधि के प्रकार हैं—द्विपक्षीय (दो देशों के बीच) और बहुपक्षीय (कई देशों के बीच)। संधियों के माध्यम से राष्ट्रों के बीच सहयोग, व्यापार, रक्षा, और मानवाधिकार सुनिश्चित किए जाते हैं।


34. युद्ध बंदियों के अधिकार क्या हैं?

युद्ध बंदियों को जिनेवा संधि, 1949 के तहत संरक्षण प्राप्त है। उन्हें सम्मानपूर्वक व्यवहार मिलना चाहिए, भोजन, चिकित्सा, और आवास की सुविधा दी जानी चाहिए। उन्हें मजबूर श्रम नहीं करवाया जा सकता और किसी भी प्रकार की यातना नहीं दी जा सकती। युद्ध समाप्त होने पर उन्हें बिना विलंब के मुक्त किया जाना चाहिए।


35. आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रयास क्या हैं?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने हेतु कई संधियाँ और संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव हैं। उदाहरण—UN Global Counter-Terrorism Strategy, और विभिन्न Counter-Terrorism Conventions। इसके अतिरिक्त FATF (Financial Action Task Force) आतंकवाद को वित्तीय सहायता रोकने का कार्य करता है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग, खुफिया साझेदारी, और कानूनी सहयोग इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं।


36. समुद्री डकैती (Piracy) पर अंतरराष्ट्रीय कानून क्या है?

समुद्री डकैती को UNCLOS (Law of the Sea Convention) के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय अपराध माना गया है। किसी भी देश की नौसेना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में डकैती रोकने और डाकुओं को गिरफ्तार करने का अधिकार रखती है। यह सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है, और इसे रोकना हर राष्ट्र का कर्तव्य है।


37. अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कानून (International Criminal Law) का उद्देश्य क्या है?

इस कानून का उद्देश्य व्यक्तियों को उन गंभीर अपराधों के लिए उत्तरदायी ठहराना है जो मानवता के विरुद्ध होते हैं, जैसे—युद्ध अपराध, नरसंहार, आक्रामकता। यह न सिर्फ पीड़ितों को न्याय दिलाता है, बल्कि संभावित अपराधियों को भी रोकने का कार्य करता है। यह सिद्धांत न्यूरेंबर्ग ट्रायल के बाद विकसित हुआ।


38. मानवाधिकारों के प्रचार में UNESCO की भूमिका क्या है?

UNESCO (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के माध्यम से मानवाधिकारों का प्रचार करता है। यह शिक्षा के अधिकार, सांस्कृतिक विविधता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लैंगिक समानता, और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देता है। यह विश्व धरोहर स्थलों की रक्षा और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा में भी अग्रणी भूमिका निभाता है।


39. शरणार्थियों की सुरक्षा में UNHCR की भूमिका क्या है?

UNHCR (United Nations High Commissioner for Refugees) शरणार्थियों की रक्षा और पुनर्वास हेतु कार्य करता है। यह उन्हें आश्रय, भोजन, शिक्षा, चिकित्सा और कानूनी सहायता प्रदान करता है। साथ ही, यह देशों को शरणार्थी नीति बनाने में सहायता देता है और स्वैच्छिक पुनर्वास या पुनर्स्थापन की व्यवस्था करता है। इसका मिशन “हर शरणार्थी को सम्मान और सुरक्षा” देना है।


40. वनों का अधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानून

वनों और जैव विविधता की रक्षा के लिए Convention on Biological Diversity (CBD), 1992 एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संधि है। यह देशों को जैव विविधता के संरक्षण, सतत उपयोग, और लाभों के समान बंटवारे हेतु बाध्य करता है। वनों को बचाना जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार और जनजातीय जीवन के संरक्षण से भी जुड़ा है।


41. अल्पसंख्यकों के अधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानून

अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए UN Declaration on the Rights of Minorities, 1992 एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह उन्हें सांस्कृतिक, भाषायी, धार्मिक पहचान बनाए रखने, शिक्षा और भागीदारी का अधिकार देता है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियाँ भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव को रोकती हैं।


42. “No Refoulement” सिद्धांत क्या है?

“No Refoulement” का अर्थ है कि किसी शरणार्थी को ऐसे देश वापस नहीं भेजा जा सकता जहाँ उसे उत्पीड़न, यातना या मृत्यु का खतरा हो। यह सिद्धांत 1951 Refugee Convention में निहित है और यह शरणार्थियों की सुरक्षा का मूल आधार है। भारत ने यद्यपि इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया, फिर भी इस सिद्धांत का सम्मान करता है।


43. साइबर अपराध और अंतरराष्ट्रीय विधि

साइबर अपराधों से निपटने हेतु कोई एकीकृत अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं है, लेकिन Budapest Convention on Cybercrime, 2001 एक प्रमुख प्रयास है। यह कंप्यूटर अपराधों की परिभाषा, जांच और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करता है। अंतरराष्ट्रीय कानून साइबर युद्ध, डेटा चोरी, और साइबर आतंकवाद से सुरक्षा के लिए संयुक्त प्रयास की माँग करता है।


44. पर्यावरणीय न्याय और मानवाधिकार

पर्यावरण और मानवाधिकार आपस में गहरे जुड़े हुए हैं। प्रदूषित वातावरण, जल की कमी, और जलवायु संकट लोगों के जीवन, स्वास्थ्य और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। UN Human Rights Council ने 2021 में यह घोषणा की कि “स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण” एक मानव अधिकार है। यह न्याय की अवधारणा को प्राकृतिक संसाधनों के साथ भी जोड़ता है।


45. जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय प्रयास

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए United Nations Framework Convention on Climate Change (UNFCCC), 1992, और पेरिस समझौता 2015 महत्वपूर्ण हैं। इनका उद्देश्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना, तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे रखना और सतत विकास को बढ़ावा देना है। यह प्रयास मानवाधिकार, आजीविका और वैश्विक न्याय से गहराई से जुड़ा है।


46. पर्यावरणीय विस्थापन और मानवीय अधिकार

प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन या पर्यावरणीय संकटों के कारण जब लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर होते हैं, तो उन्हें पर्यावरणीय विस्थापित कहा जाता है। इन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है, लेकिन कई संगठन जैसे IOM और UNHCR इनकी सहायता करते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून अब इस वर्ग को भी मानवाधिकार संरक्षण देने की दिशा में कार्य कर रहा है।


47. मानवीय हस्तक्षेप (Humanitarian Intervention) क्या है?

जब कोई राज्य अपने नागरिकों पर अत्याचार करता है या नरसंहार करता है, तब दूसरे देश या संयुक्त राष्ट्र द्वारा उस राज्य में हस्तक्षेप को मानवीय हस्तक्षेप कहा जाता है। इसका उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा है। यह हस्तक्षेप कभी-कभी विवादास्पद होता है क्योंकि यह संप्रभुता और हस्तक्षेप के बीच संतुलन का मुद्दा बन जाता है।


48. Responsibility to Protect (R2P) सिद्धांत क्या है?

R2P सिद्धांत 2005 में UN महासभा द्वारा स्वीकार किया गया। इसके अनुसार, यदि कोई राज्य अपने नागरिकों को नरसंहार, युद्ध अपराध, जातीय सफाया या मानवता के विरुद्ध अपराधों से बचाने में असमर्थ हो, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हस्तक्षेप करना चाहिए। यह संप्रभुता की परिभाषा को जनकल्याण से जोड़ता है।


49. भारत और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियाँ

भारत ने कई मानवाधिकार संधियों को स्वीकार किया है जैसे—ICCPR (International Covenant on Civil and Political Rights), ICESCR (International Covenant on Economic, Social and Cultural Rights), CEDAW, CRC आदि। भारत ने इन संधियों के अनुसार अपने संविधान और कानूनों में सुधार भी किए हैं। हालांकि कुछ संधियों पर अभी भी हस्ताक्षर नहीं किया है जैसे—1951 Refugee Convention।


50. सतत विकास लक्ष्य (SDGs) और मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में 17 सतत विकास लक्ष्य (SDGs) घोषित किए जो 2030 तक प्राप्त करने का लक्ष्य है। ये लक्ष्य—गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल, और जलवायु कार्रवाई—मानवाधिकारों से गहराई से जुड़े हैं। ये लक्ष्य “किसी को पीछे न छोड़ो” के सिद्धांत पर आधारित हैं।