शीर्षक: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 69: झूठे वादे पर सहमति से यौन संबंध – एक कानूनी विश्लेषण
प्रस्तावना
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS), 2023 के तहत धारा 69 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो महिलाओं की गरिमा और यौन स्वायत्तता की रक्षा के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह धारा उन परिस्थितियों से संबंधित है जब कोई पुरुष किसी महिला से झूठे वादे (विशेषकर विवाह का झूठा वादा) के आधार पर सहमति प्राप्त कर यौन संबंध बनाता है। यह प्रावधान बलात्कार के अपराध की परिभाषा को धोखे से प्राप्त सहमति तक विस्तारित करता है।
धारा 69 का प्रावधान: सारांश
धारा 69 के अंतर्गत, यदि कोई पुरुष किसी महिला से इस आश्वासन के साथ यौन संबंध बनाता है कि वह उससे विवाह करेगा, जबकि उस पुरुष का वास्तव में ऐसा कोई इरादा नहीं होता, और वह यह जानबूझकर करता है कि उसकी यह मंशा झूठी है, तो यह आपराधिक कृत्य माना जाएगा।
प्रमुख तत्व:
- झूठा वादा या आश्वासन – विशेषकर विवाह का वादा।
- सहमति की प्राप्ति – महिला की सहमति धोखे पर आधारित होती है।
- जानबूझकर धोखा – पुरुष को पहले से ज्ञात होता है कि वह वादा पूरा नहीं करेगा।
- यौन संबंध की स्थापना – धोखे से प्राप्त सहमति पर आधारित।
कानूनी व्याख्या और उद्देश्य
धारा 69 यह स्पष्ट करती है कि केवल सहमति होना पर्याप्त नहीं है, बल्कि वह सहमति मुक्त, स्वेच्छा और जानकारीपूर्ण (free, voluntary and informed) होनी चाहिए। यदि सहमति किसी धोखे या झूठे वादे के कारण दी गई है, तो वह सहमति कानून की दृष्टि में अमान्य मानी जाएगी।
यह प्रावधान भारतीय न्याय व्यवस्था में लैंगिक न्याय और महिलाओं की गरिमा की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यह स्पष्ट संदेश जाता है कि किसी महिला की सहमति को प्राप्त करने के लिए उसे धोखा देना एक दंडनीय अपराध है।
महत्वपूर्ण निर्णय
हालांकि यह प्रावधान नया है, किंतु सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों ने पूर्व में IPC की धारा 375 के अंतर्गत ऐसे मामलों में निर्णय दिए हैं, जिनमें यह माना गया कि झूठे वादे पर दी गई सहमति बलात्कार के अंतर्गत आती है, यदि पुरुष का इरादा शुरू से ही धोखा देने का था।
उदाहरण:
- Deepak Gulati v. State of Haryana (2013): सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि सहमति धोखे से प्राप्त की गई है, तो वह सहमति नहीं मानी जाएगी।
दंड और प्रक्रिया
धारा 69 के अंतर्गत अपराध को संज्ञेय (Cognizable) और गैर-जमानती (Non-Bailable) माना गया है। दोषी पाए जाने पर सजा भारतीय न्याय संहिता की अन्य संबंधित धाराओं के अनुसार दी जाएगी, जिसमें बलात्कार के लिए निर्धारित कठोर कारावास की सजा भी शामिल हो सकती है।
निष्कर्ष
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 69 महिलाओं की यौन स्वायत्तता और गरिमा की रक्षा के लिए एक प्रभावी और आवश्यक प्रावधान है। यह समाज में उन पुरुषों के विरुद्ध एक कानूनी हथियार के रूप में काम करता है जो झूठे वादों के माध्यम से महिलाओं को धोखा देते हैं। न्यायिक व्याख्या और सामाजिक संवेदनशीलता के साथ, यह प्रावधान महिलाओं को न्याय दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
नोट: धारा 69 के तहत कार्रवाई के लिए यह सिद्ध करना आवश्यक होता है कि वादा शुरू से ही झूठा था और उसका उद्देश्य केवल सहमति प्राप्त करना था।