“सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना: सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और न्यायिक सक्रियता – S. Rajaseekaran बनाम भारत संघ मामला”

🔷 शीर्षक: “सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना: सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और न्यायिक सक्रियता – S. Rajaseekaran बनाम भारत संघ मामला”


🔹 प्रस्तावना:

भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ती जा रही है। प्रत्येक वर्ष लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं में घायल होते हैं, जिनमें से कई अपनी जान गंवा देते हैं या समय पर चिकित्सा सहायता के अभाव में गंभीर नुकसान उठाते हैं। इन स्थितियों को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक आदेश पारित किया है, जिसमें केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि “सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना, 2025” को पूरी निष्ठा और प्रभावशीलता के साथ लागू किया जाए।

यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा S. Rajaseekaran बनाम भारत संघ व अन्य (Union of India & Ors) मामले में दिया गया, जो कि सड़क सुरक्षा और पीड़ितों की चिकित्सा सहायता के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण न्यायिक पहल है।


🔹 मामले की पृष्ठभूमि:

  • याचिकाकर्ता: डॉ. एस. राजसीकरन, एक प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन और सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ हैं।
  • उन्होंने जनहित याचिका (Public Interest Litigation – PIL) दायर की थी, जिसमें भारत में सड़क सुरक्षा के निम्न स्तर, अव्यवस्थित आपात चिकित्सा सेवाएं, और दुर्घटना पीड़ितों के प्रति सरकारी उदासीनता को चुनौती दी गई थी।

🔹 सुप्रीम कोर्ट का आदेश (2025):

कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम का संदर्भ:

  • केंद्र सरकार ने 5 मई 2025 को एक नई योजना अधिसूचित की:
    “Cashless Treatment Scheme for Road Accident Victims, 2025”
  • इस योजना का उद्देश्य यह है कि किसी भी सड़क दुर्घटना पीड़ित को प्राथमिक उपचार और आवश्यक जीवन रक्षक चिकित्सा बिना किसी अग्रिम भुगतान के उपलब्ध कराई जाए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:

  • केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया कि योजना को “true letter and spirit” में लागू किया जाए।
  • राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी यह निर्देशित किया गया कि वे इस योजना के तत्काल और प्रभावी कार्यान्वयन में सहयोग करें।
  • अदालत ने कहा कि कोई भी पीड़ित केवल इसलिए चिकित्सा से वंचित नहीं रहना चाहिए क्योंकि वह भुगतान करने में असमर्थ है

🔹 योजना की मुख्य विशेषताएं:

  1. 24×7 कैशलेस इलाज की व्यवस्था:
    • सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में सभी सड़क दुर्घटना पीड़ितों को उपचार मिलेगा।
  2. समर्पित फंड की स्थापना:
    • केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कोष से खर्च वहन करेगी।
  3. एम्बुलेंस और प्राथमिक चिकित्सा नेटवर्क का विस्तार:
    • सड़क दुर्घटनास्थलों पर तुरंत पहुंच और आपातकालीन चिकित्सा सहायता की व्यवस्था।
  4. लाभार्थियों के लिए कोई दस्तावेज़ी जटिलता नहीं:
    • पहचान पत्र या बीमा की अनिवार्यता नहीं होगी।

🔹 न्यायिक सक्रियता का महत्व:

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न केवल सरकार को उत्तरदायी बनाया बल्कि एक लोककल्याणकारी शासन की दिशा में न्यायिक हस्तक्षेप का आदर्श प्रस्तुत किया। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि:

  • चिकित्सा सहायता मौलिक अधिकार के तहत जीवन के अधिकार (Article 21) का अभिन्न हिस्सा है।
  • सड़क दुर्घटनाएं केवल आंकड़े नहीं हैं, बल्कि मानवीय त्रासदी हैं, और राज्य का दायित्व है कि वह तुरंत उपचार सुनिश्चित करे।

🔹 निष्कर्ष:

S. Rajaseekaran बनाम भारत संघ मामला केवल एक कानूनी निर्णय नहीं है, बल्कि न्यायपालिका की नैतिक नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है। सुप्रीम कोर्ट ने यह दिखाया कि जब प्रशासनिक उदासीनता जनजीवन को प्रभावित करती है, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप कर संविधान की आत्मा की रक्षा करती है।

सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना, 2025” एक क्रांतिकारी पहल है, लेकिन इसकी सफलता इस पर निर्भर करती है कि इसे कितनी निष्ठा, पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारत में सड़क सुरक्षा और स्वास्थ्य न्याय के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।