पिता की संपत्ति में बहन को हिस्सा न देकर भाई ने दी जान से मारने की धमकी – इलाहाबाद कोर्ट में मामला पहुंचा

लेख शीर्षक: पिता की संपत्ति में बहन को हिस्सा न देकर भाई ने दी जान से मारने की धमकी – इलाहाबाद कोर्ट में मामला पहुंचा

इलाहाबाद/प्रयागराज:
एक ओर जहाँ संविधान महिलाओं को समान अधिकार देता है, वहीं दूसरी ओर आज भी कई बहनों को उनके पैतृक संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है। ऐसा ही एक गंभीर मामला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) से सामने आया है, जहाँ एक महिला ने आरोप लगाया है कि उसके पिता की मृत्यु के बाद उसके भाई ने न केवल संपत्ति में उसका हिस्सा देने से इनकार कर दिया, बल्कि उसे जान से मारने की धमकी भी दी।

पीड़िता बहन ने इलाहाबाद की अदालत में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। मामला अब कानूनी मोड़ पर पहुँच चुका है और कोर्ट ने मामले को गंभीरता से संज्ञान में लिया है।


घटना का विवरण:

  • पीड़िता महिला के अनुसार, उनके पिता की मृत्यु बिना वसीयत (Will) के हुई थी।
  • उनकी पैतृक संपत्ति में बहन का भी समान अधिकार बनता है, जैसा कि हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act) के तहत प्रावधान है।
  • महिला का आरोप है कि भाई ने संपत्ति पर एकतरफा कब्जा कर लिया और जब बहन ने अपना हक मांगा, तो उसे धमकाया गया और कहा गया कि “अगर दोबारा जायदाद की बात की, तो जान से मार दूंगा।”
  • पीड़िता ने पहले स्थानीय थाने में शिकायत की, लेकिन कार्रवाई न होने पर इलाहाबाद कोर्ट की शरण ली

कानूनी पहलू:

भारतीय कानून के अनुसार:

  • यदि पिता ने कोई वसीयत नहीं की है, तो उनकी संपत्ति संपूर्ण रूप से उनके कानूनी उत्तराधिकारियों में विभाजित होती है।
  • हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 में हुए संशोधन के बाद, पुत्री को पुत्र के समान अधिकार प्राप्त है।
  • यदि कोई भाई या परिवार का अन्य सदस्य बहन को विरासत से वंचित करता है, तो यह अवैध और असंवैधानिक है।
  • धमकी देने पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज हो सकता है।

पीड़िता का बयान:

“मैंने अपने हक की बात की, लेकिन मेरे ही भाई ने मुझे पराया कर दिया। उसने मुझे धमकाया कि अगर दोबारा इस विषय में बोला तो अंजाम बुरा होगा। मुझे डराया गया, अपमानित किया गया। अब मैं न्यायालय से न्याय की उम्मीद रखती हूं।”


न्यायिक कार्यवाही की स्थिति:

  • इलाहाबाद जिला न्यायालय में मामला दर्ज कर लिया गया है।
  • अदालत ने प्राथमिक सुनवाई के बाद संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।
  • मामले में संपत्ति का बंटवारा, धमकी और महिला के उत्तराधिकार अधिकारों पर सुनवाई जारी है।

निष्कर्ष:

यह मामला न केवल एक महिला के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय समाज की उस सोच को भी उजागर करता है जहाँ बहनों को आज भी संपत्ति से बाहर रखने की कोशिश की जाती है।
समाज और कानून दोनों की यह जिम्मेदारी है कि ऐसी बहनों को न्याय दिलाया जाए और उनके अधिकारों की रक्षा की जाए।

न्यायपालिका से उम्मीद की जा रही है कि वह इस मामले में समयबद्ध और न्यायोचित निर्णय देकर महिला को उसका अधिकार दिलाएगी और दोषी को सज़ा देगी।