“खुला (Khula) द्वारा मुस्लिम पत्नी द्वारा विवाह विच्छेद: तेलंगाना हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय – M.A. Ali बनाम Smt. A.”

लेख शीर्षक:
“खुला (Khula) द्वारा मुस्लिम पत्नी द्वारा विवाह विच्छेद: तेलंगाना हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय – M.A. Ali बनाम Smt. A.”


परिचय

इस्लामी कानून में “खुला” (Khula) एक ऐसा प्रावधान है जिसके अंतर्गत एक मुस्लिम पत्नी विवाह समाप्ति के लिए पहल कर सकती है। यह तलाक का एक “नो-फॉल्ट” (No-fault) तरीका है जिसमें पत्नी अपने विवाहित जीवन से असंतुष्ट होने पर पति से विवाह विच्छेद की मांग कर सकती है। हाल ही में तेलंगाना हाईकोर्ट ने M.A. Ali बनाम Smt. A., फैमिली कोर्ट अपील संख्या 7907/2023, में दिनांक 24 जून 2025 को एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जो इस्लामी विवाह कानून की व्यावहारिकता और संवैधानिक अधिकारों को और स्पष्ट करता है।


1. केस का संक्षिप्त विवरण: M.A. Ali vs. Smt. A.

  • याचिका संख्या: Family Court Appeal No. 7907/2023
  • तारीख: 24 जून 2025
  • न्यायालय: तेलंगाना उच्च न्यायालय
  • विषय: मुस्लिम पत्नी द्वारा खुला (Khula) के माध्यम से विवाह विच्छेद

प्रमुख तथ्य:

  • मुस्लिम महिला ने विवाह समाप्त करने के लिए खुला (Khula) की प्रक्रिया अपनाई।
  • पति ने इसका विरोध यह कहकर किया कि उसने “मेहर (Dower)” वापस नहीं लिया।
  • पति की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि धार्मिक सलाह (Fatwa) या मुफ्ती की राय के बिना विवाह का विघटन मान्य नहीं है।

2. तेलंगाना हाईकोर्ट का निर्णय:

मुख्य टिप्पणियाँ:

  1. खुला एक निसंदेह अधिकार है
    कोर्ट ने कहा कि खुला मुस्लिम पत्नी का वैध और स्वतंत्र अधिकार है, जिसे वह पति की सहमति के बिना भी लागू कर सकती है।
  2. मेहर वापस न करने पर भी खुला रोका नहीं जा सकता
    न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि पत्नी मेहर वापस करने से मना करती है, तब भी पति को विवाह विच्छेद से इनकार करने का कोई अधिकार नहीं है।
    👉 “Dower is a matter of settlement, not a condition precedent to Khula.”
  3. फतवा (Fatwa) या मुफ्ती की राय कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं
    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मुफ्ती से संपर्क करना या फतवा प्राप्त करना विवाह विच्छेद के लिए आवश्यक नहीं है, और न ही ऐसी सलाह अदालत के लिए बाध्यकारी होती है।
  4. विवाह विच्छेद की शांतिपूर्ण प्रक्रिया
    न्यायालय ने इस बात को रेखांकित किया कि खुला एक शांतिपूर्ण और सम्मानजनक तरीका है विवाह समाप्त करने का, जो महिला को उसका जीवन स्वतंत्र रूप से पुनः आरंभ करने का अवसर देता है।

3. इस्लामी कानून में खुला (Khula) की अवधारणा

  • खुला का अर्थ: पत्नी द्वारा विवाह समाप्ति के लिए पति से पहल करना।
  • दूसरे पक्ष की सहमति: पति की सहमति की आवश्यकता नहीं है, यदि पत्नी कारण बताकर न्यायालय से अनुरोध करे।
  • क़ुरान और हदीस में आधार:
    • सूरह अल-बक़रा (2:229): यदि आपसी सहमति न हो सके और पत्नी को डर हो कि वह सीमाओं का पालन नहीं कर सकती, तो विवाह तोड़ा जा सकता है।

4. अन्य न्यायिक दृष्टांत (Judicial Precedents)

1. Shamim Ara v. State of U.P., AIR 2002 SC 3551

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पत्नी तलाक़ को चुनौती दे सकती है यदि यह उचित प्रक्रिया और कारणों के बिना हुआ हो।

2. Khula Bano v. Wahid Khan, (MP HC)

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने माना कि खुला केवल पति की अनुमति पर निर्भर नहीं है; यदि पत्नी असंतुष्ट है और विवाह असहनीय हो गया है, तो खुला लागू किया जा सकता है।


5. इस निर्णय का प्रभाव और महत्व

महिलाओं के अधिकारों को मजबूती
धार्मिक प्रथाओं की कानूनी व्याख्या स्पष्ट
फतवा और मुफ्ती की राय को गैर-बाध्यकारी करार दिया गया
मुस्लिम महिलाओं को न्याय की पहुंच सुलभ हुई


6. निष्कर्ष

तेलंगाना उच्च न्यायालय का यह निर्णय इस बात का प्रमाण है कि मुस्लिम महिला को वैधानिक संरक्षण प्राप्त है, और वह खुला के माध्यम से विवाह विच्छेद का अधिकार रखती है। पति द्वारा इसे रोकने का कोई अधिकार नहीं है, भले ही मेहर वापस न किया गया हो। यह निर्णय महिलाओं की कानूनी स्वतंत्रता, समानता और सम्मानजनक जीवन के अधिकार को और सशक्त करता है।