“वसीयत के बिना पिता की मृत्यु पर संपत्ति में बहन का अधिकार और धमकी देने पर कानूनी कार्रवाई: सुप्रीम कोर्ट की दृष्टि”
परिचय
भारत में पारिवारिक संपत्ति विवाद आम हैं, विशेष रूप से तब जब किसी व्यक्ति की मृत्यु वसीयत (Will) के बिना होती है। ऐसे मामलों में संपत्ति उत्तराधिकार कानून के अंतर्गत विभाजित होती है। यदि कोई भाई बहनों का हिस्सा न देकर सम्पत्ति पर अकेले कब्जा कर लेता है और धमकी देता है, तो यह केवल दीवानी विवाद नहीं बल्कि आपराधिक अपराध भी बनता है। सुप्रीम कोर्ट एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों ने ऐसे मामलों में महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं।
1. वसीयत न होने पर उत्तराधिकार का नियम
जब कोई हिन्दू व्यक्ति बिना वसीयत के मरता है, तो उसकी संपत्ति हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act, 1956) के अनुसार बांटी जाती है।
धारा 8 के अनुसार:
यदि मृतक पुरुष के पीछे पत्नी, पुत्र और पुत्री (बेटी) जीवित हैं, तो वे सभी क्लास-I उत्तराधिकारी हैं और समान अधिकार रखते हैं।
👉 इसका मतलब है कि बेटी को भी बेटे के बराबर संपत्ति में हिस्सा मिलेगा, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित।
2. जब भाई ने कब्जा कर लिया और बहन को धमकी दी
यदि भाई ने:
- बिना बहनों की सहमति के सारी संपत्ति अपने नाम कर ली है,
- बहनों को हिस्सेदारी से वंचित कर रहा है,
- धमकी दी है (जैसे “हिस्सा मांगा तो जान से मार देंगे”)
तो यह मामला दो हिस्सों में विभाजित होता है:
(A) दीवानी Remedy – संपत्ति में हिस्सा पाने के लिए:
- बहन दीवानी अदालत (Civil Court) में जाकर उत्तराधिकार/विभाजन का मुकदमा (Partition Suit) दायर कर सकती है।
- अदालत संपत्ति का सर्वेक्षण (survey) करवा सकती है और बराबरी का बंटवारा आदेशित कर सकती है।
(B) आपराधिक Remedy – धमकी देने के लिए:
- भाई के खिलाफ IPC की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की जा सकती है:
- धारा 506 IPC – आपराधिक धमकी (Criminal Intimidation)
- धारा 504 IPC – अपमान करके शांति भंग करने का प्रयास
- धारा 323/352 IPC – मारपीट या जान से मारने की धमकी
- यदि जान को गंभीर खतरा है, तो पुलिस सुरक्षा भी मांगी जा सकती है।
3. सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी एवं निर्णय
1. Omprakash v. Radhacharan (AIR 2009 SC 1159):
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेटी का पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार है, और बिना वसीयत के मृत्यु होने पर सभी उत्तराधिकारियों को समान हिस्सा मिलेगा।
2. Vineeta Sharma v. Rakesh Sharma, 2020 (9) SCC 1:
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि 2005 संशोधन के बाद बेटी को पुत्र के समान अधिकार प्राप्त हैं, भले ही पिता की मृत्यु पहले हो गई हो, यदि उत्तराधिकार खुला न हो।
3. K.K. Modi v. K.N. Modi, AIR 1998 SC 1297:
यदि कोई सदस्य जानबूझकर अन्य उत्तराधिकारियों को संपत्ति से वंचित करता है और जान से मारने की धमकी देता है, तो यह न केवल सिविल फ्रॉड है, बल्कि क्रिमिनल इंटिमिडेशन का मामला भी बनता है।
4. बहन को क्या करना चाहिए (कदम दर कदम कानूनी कार्रवाई)
Step 1: पुलिस में शिकायत दर्ज करें
- नजदीकी थाने में जाकर भाई की धमकी के विरुद्ध शिकायत करें।
- यदि FIR दर्ज नहीं होती, तो धारा 156(3) CrPC के तहत मजिस्ट्रेट के पास शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
Step 2: दीवानी अदालत में संपत्ति बंटवारे का वाद दायर करें
- Partition Suit फाइल करें और अपनी हिस्सेदारी का दावा करें।
Step 3: स्थगन आदेश (Stay Order) लें
- भाई को संपत्ति बेचने या छेड़छाड़ करने से रोकने के लिए Temporary Injunction (स्थगन आदेश) प्राप्त करें।
Step 4: सुरक्षा हेतु अदालत से अनुरोध करें
- यदि धमकी गंभीर है, तो अदालत से पुलिस सुरक्षा मांगी जा सकती है।
5. यदि भाई ने फर्जी दस्तावेजों से संपत्ति अपने नाम करवाई हो?
- ऐसे मामलों में फॉरजरी (धोखाधड़ी) और जालसाजी की धाराएं लागू होती हैं:
- IPC 420 – धोखाधड़ी
- IPC 467/468/471 – जालसाजी और फर्जी दस्तावेज़
निष्कर्ष
यदि पिता की मृत्यु वसीयत के बिना होती है, तो बेटियों को संपत्ति में पूरा और समान हिस्सा मिलता है। कोई भी भाई बहनों को इस अधिकार से वंचित नहीं कर सकता। यदि बहनों को धमकी दी जाती है, तो वे दीवानी और आपराधिक दोनों स्तर पर कानूनी कार्रवाई कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट की कई निर्णयों में यह सिद्ध हो चुका है कि महिलाएं संपत्ति में समान अधिकार रखती हैं और उन्हें न्यायिक संरक्षण भी उपलब्ध है।