🔖 सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: “Pravin Kumar Jain बनाम Anju Jain” — भरण-पोषण (Alimony) निर्धारण के लिए 8 महत्वपूर्ण मानदंड निर्धारित
🧾 केस शीर्षक:
Pravin Kumar Jain vs Anju Jain
याचिका संख्या: SLP (C) Nos. 21710-21711 of 2024
न्यायालय: सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
निर्णय वर्ष: 2024
मुख्य विषय: भरण-पोषण (Maintenance / Alimony) का न्यायसंगत निर्धारण
⚖️ सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 8 प्रमुख कारक:
सुप्रीम कोर्ट ने इस महत्वपूर्ण निर्णय में भरण-पोषण या गुज़ारा भत्ता तय करने के लिए निम्नलिखित 8 आधारभूत मानकों (Determinants) को स्थापित किया है:
- पत्नी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति
➤ उसका पारिवारिक पृष्ठभूमि, सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक संसाधन - पत्नी और बच्चों की भविष्य की मूलभूत आवश्यकताएं
➤ जैसे रहन-सहन, शिक्षा, चिकित्सा, और जीवन यापन की स्थिरता - पत्नी की शैक्षिक योग्यता और वर्तमान रोजगार की स्थिति
➤ क्या वह आत्मनिर्भर है या नहीं - पति और पत्नी दोनों के आय के स्रोत और संपत्ति का स्वामित्व
➤ बैंक बैलेंस, अचल संपत्ति, व्यवसाय, निवेश आदि - वैवाहिक घर में पत्नी का जीवन स्तर
➤ जो जीवनशैली वह विवाह के दौरान जी रही थी, उसी स्तर की गरिमा युक्त जीवन अपेक्षित है - क्या पत्नी ने पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण नौकरी छोड़ी थी?
➤ बच्चों की देखभाल या गृहस्थी चलाने के लिए त्याग किए गए करियर की मान्यता - विधिक खर्च वहन करने की पत्नी की स्वतंत्र क्षमता की अनुपस्थिति
➤ न्याय तक पहुँच को सुनिश्चित करने हेतु - पति की वित्तीय क्षमता: आय, देनदारियाँ और जिम्मेदारियाँ
➤ कुल आय, कर्ज, माता-पिता या अन्य आश्रितों की जिम्मेदारी
📌 न्यायालय की टिप्पणी:
“Maintenance is not a matter of charity but of right. It must be assessed holistically, ensuring fairness, dignity, and justice to the financially weaker spouse.”
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भरण-पोषण केवल रकम का भुगतान नहीं, बल्कि सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है, विशेषकर उस पक्ष के लिए जो आर्थिक रूप से निर्भर है।
🧾 निर्णय का प्रभाव:
✅ यह निर्णय न्यायालयों को दिशानिर्देश देता है कि वे केस-दर-केस स्थिति का व्यापक मूल्यांकन करें।
✅ इससे अत्यधिक या अत्यल्प भरण-पोषण की संभावनाएं घटती हैं।
✅ यह महिलाओं की गरिमा और अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक सशक्त कदम है।
✅ यह निर्णय उन पत्नियों के लिए विशेष रूप से सहायक है जिन्होंने विवाह के बाद घरेलू जिम्मेदारियों के कारण करियर का त्याग किया।
📚 निष्कर्ष:
Pravin Kumar Jain बनाम Anju Jain मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
🔹 भरण-पोषण का निर्धारण केवल “आय पर आधारित” नहीं, बल्कि सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत परिस्थितियों के संतुलित विश्लेषण पर आधारित होना चाहिए।
🔹 यह निर्णय देशभर के मामलों में समानता और न्यायसंगतता सुनिश्चित करेगा।
🔹 “अलिमनी = गरिमा + न्याय + संतुलन” के सिद्धांत को यह निर्णय मजबूती प्रदान करता है।