“उत्पादन लक्ष्य आधारित छूट को ‘प्रभावशाली स्थिति का दुरुपयोग’ नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट”
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने एक महत्वपूर्ण फैसले में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India – CCI) की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने एक कांच निर्माण कंपनी Schott Glass India Pvt. Ltd. द्वारा अपनाई गई वॉल्यूम-आधारित (टारगेट) छूट प्रणाली को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत प्रभावशाली स्थिति का दुरुपयोग (Abuse of Dominant Position) करार देने की मांग की थी।
⚖️ मामले की पृष्ठभूमि:
Schott Glass India Pvt. Ltd. ने अपने व्यापारिक ग्राहकों को उत्पाद की खरीद की मात्रा (volume) के आधार पर छूट देने की प्रणाली लागू की थी। CCI ने इस प्रणाली पर आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि यह रणनीति बाजार में प्रतिस्पर्धा को बाधित करती है और अधिनियम की धारा 4 (धारा 4 – प्रभुत्व का दुरुपयोग) का उल्लंघन करती है।
CCI ने तर्क दिया कि इस प्रकार की वॉल्यूम-आधारित छूट प्रणाली उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धियों से दूर कर कंपनी की स्थिति को अनुचित रूप से मजबूत करती है, जिससे अन्य कंपनियों को बाजार में टिकना कठिन हो जाता है।
🏛️ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट ने CCI की अपील को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि:
“केवल लक्ष्य आधारित छूट देना, जब तक कि वह भेदभावकारी न हो या स्पष्ट रूप से प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रभाव उत्पन्न न करता हो, तब तक उसे प्रभुत्व के दुरुपयोग के रूप में नहीं देखा जा सकता।”
न्यायालय ने कहा कि व्यापारिक छूट व्यापार नीति का हिस्सा है, और यदि वह पारदर्शी, निष्पक्ष और समान रूप से लागू की गई हो, तो यह प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित भी कर सकती है, न कि बाधित।
🔍 मुख्य बिंदु संक्षेप में:
- CCI की याचिका खारिज
- वॉल्यूम-आधारित (target-based) छूट को वैध ठहराया गया
- प्रभुत्व के दुरुपयोग की कोई स्पष्ट प्रमाणित स्थिति नहीं पाई गई
- व्यवसायिक छूट प्रतिस्पर्धी रणनीति के तहत स्वीकार्य
📌 न्यायिक महत्व:
यह निर्णय प्रतिस्पर्धा कानून के अनुप्रयोग की सीमाओं को रेखांकित करता है, और यह स्पष्ट करता है कि सभी प्रकार की व्यावसायिक रणनीतियों को प्रभुत्व का दुरुपयोग नहीं माना जा सकता जब तक कि उनके प्रतिकूल प्रभावों के ठोस प्रमाण न हों। इससे प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की व्याख्या को संतुलनपूर्ण दृष्टिकोण प्राप्त होता है जो व्यापारिक स्वतंत्रता और बाज़ार प्रतिस्पर्धा दोनों की रक्षा करता है।