⚖️ इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्त्वपूर्ण निर्णय: अंतरिम भरण-पोषण (Interim Maintenance) पर समानांतर न्यायिक अधिकारक्षेत्र (Overlapping Jurisdiction) की स्थिति में स्पष्टीकरण
📌 मामले का सारांश:
मुद्दा:
जब पत्नी ने भरण-पोषण की मांग एक साथ धारा 125 सीआरपीसी और घरेलू हिंसा अधिनियम (DV Act) की विभिन्न धाराओं के तहत की हो, तो क्या दोनों कार्यवाहियों में अंतरिम भरण-पोषण दिया जा सकता है? क्या यह एक-दूसरे के आदेशों में टकराव (conflict) उत्पन्न करता है?
⚖️ प्रासंगिक कानूनी प्रावधान:
- धारा 125, दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) – पत्नी, बच्चे और माता-पिता के भरण-पोषण हेतु।
- घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धाराएं:
- धारा 12 – शिकायत / याचिका की प्रारंभिक प्रस्तुति।
- धारा 20(1)(d) – आर्थिक राहत (monetary reliefs) जिसमें भरण-पोषण शामिल है।
- धारा 23 – अंतरिम आदेश (interim orders) देने की शक्ति।
🧾 इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय:
“धारा 125 CrPC के तहत अंतरिम भरण-पोषण प्रदान किया जाना, घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अंतरिम भरण-पोषण प्रदान करने में बाधा नहीं है।”
🧩 महत्वपूर्ण बिंदु:
- 🧑⚖️ अलग-अलग कानूनों के तहत समानांतर कार्यवाही (Simultaneous Proceedings) वैध हैं।
- 📑 पत्नी को यह खुलासा करना अनिवार्य है कि उसने पहले किसी अन्य कार्यवाही में भरण-पोषण की मांग की थी या नहीं, और उसमें कोई आदेश पारित हुआ है या नहीं।
- ⚖️ यह खुलासा न्यायालय को यह तय करने में मदद करता है कि:
- क्या भरण-पोषण की राशि को समायोजित (adjust) किया जाए?
- क्या पहले आदेश में संशोधन की आवश्यकता है?
- ⚠️ विरोधाभासी आदेशों (Conflicting Orders) से बचने के लिए यह अनिवार्य है कि संबंधित पक्ष पूर्व आदेश वाले न्यायालय में संशोधन (modification) हेतु आवेदन करें।
📚 न्यायालय की टिप्पणी:
“There is no legal bar on seeking maintenance under different statutes simultaneously. However, to maintain judicial consistency and fairness, courts must be fully informed of any prior proceedings and orders.”
🧠 व्यावहारिक प्रभाव:
- 👩⚖️ पत्नी एक साथ CrPC और DV Act दोनों के तहत भरण-पोषण मांग सकती है।
- 🧾 यदि पहले से भरण-पोषण मिला है, तो दूसरी कार्यवाही में वह राशि ध्यान में रखी जाएगी।
- ⚖️ इससे दोहरे लाभ (Double Benefit) और आदेशों की टकराहट से बचा जा सकेगा।
📝 निष्कर्ष:
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का यह निर्णय परिवारिक कानून के क्षेत्र में स्पष्टता और समरसता लाने वाला है। यह दोहराता है कि:
“भरण-पोषण के लिए विभिन्न विधानों के तहत समानांतर कार्यवाहियाँ वैध हैं, लेकिन पारदर्शिता और समायोजन अनिवार्य है।”
यह निर्णय उन मामलों में मार्गदर्शक बनेगा जहाँ पति या पत्नी समानांतर याचिकाएँ दायर करते हैं।