“लक्ष्य आधारित छूट दुरुपयोग नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने CCI की याचिका खारिज की – Competition Commission of India बनाम Schott Glass India Pvt. Ltd.”

शीर्षक:
“लक्ष्य आधारित छूट दुरुपयोग नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने CCI की याचिका खारिज की – Competition Commission of India बनाम Schott Glass India Pvt. Ltd.

विस्तृत लेख:

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने Competition Commission of India (CCI) द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें Schott Glass India Pvt. Ltd. एवं अन्य के विरुद्ध Competition Act, 2002 की धारा 4 (दुरुपयोग की स्थिति) के तहत कार्रवाई की मांग की गई थी। यह मामला विशेष रूप से एक वॉल्यूम आधारित छूट (Volume-Based or Target Rebate) योजना से संबंधित था, जिसे कंपनी ने अपने व्यापारिक रणनीति के तहत अपनाया था।

पृष्ठभूमि:

Schott Glass India Pvt. Ltd. एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है जो दवा उद्योग के लिए विशेष किस्म के कांच ट्यूब बनाती है। CCI ने इस कंपनी पर आरोप लगाया कि उसने बाजार में अपनी कथित “प्रभुत्वपूर्ण स्थिति” (dominant position) का दुरुपयोग करते हुए खरीदारों को लक्ष्य आधारित छूट (Target Rebates) की पेशकश की, जिससे प्रतिस्पर्धी कंपनियों को बाजार से बाहर कर दिया गया।

CCI ने तर्क दिया कि यह रणनीति ग्राहकों को कंपनी से ही अधिक माल खरीदने के लिए प्रेरित करती है और इससे अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों की बिक्री प्रभावित होती है, जो भारतीय प्रतिस्पर्धा कानून के खिलाफ है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि:

  1. लक्ष्य आधारित छूट (Target Rebates) एक सामान्य व्यावसायिक प्रथा है, जिसे कंपनियां अपने ग्राहकों को प्रोत्साहित करने और बिक्री बढ़ाने के लिए अपनाती हैं।
  2. ऐसी छूटें केवल तब प्रतिस्पर्धा विरोधी मानी जा सकती हैं जब वे विशेष रूप से निषेधात्मक, बहिष्करणकारी (exclusionary) या शोषणकारी (exploitative) सिद्ध हों।
  3. Schott Glass India द्वारा अपनाई गई रणनीति में ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जिससे यह सिद्ध हो सके कि उन्होंने प्रतिस्पर्धा को खत्म करने का उद्देश्य रखा हो या उपभोक्ताओं को हानि पहुंचाई हो।
  4. CCI द्वारा दी गई दलीलें केवल एक व्यापारिक रणनीति के विश्लेषण पर आधारित थीं, जो प्रतिस्पर्धा के लिए स्वाभाविक रूप से घातक नहीं मानी जा सकतीं।

महत्व और प्रभाव:

यह निर्णय भारतीय प्रतिस्पर्धा कानून के विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • यह स्पष्ट करता है कि हर प्रकार की छूट या व्यवसायिक रणनीति को दुरुपयोग की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, जब तक वह वास्तव में प्रतिस्पर्धा को सीमित या समाप्त नहीं करती।
  • यह न्यायिक दृष्टिकोण प्रतिस्पर्धा और नवाचार को प्रोत्साहित करता है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ मिलता है।
  • इससे व्यवसायिक संस्थानों को यह स्पष्ट संकेत मिला है कि वे सही उद्देश्य और पारदर्शिता के साथ व्यापारिक रणनीतियाँ अपनाकर अपनी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति बनाए रख सकते हैं।

निष्कर्ष:

Competition Commission of India बनाम Schott Glass India Pvt. Ltd. में सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय व्यवसायों को उचित छूट नीतियाँ अपनाने की स्वतंत्रता देता है, जब तक कि वे उपभोक्ताओं की पसंद को बाधित न करें और बाजार में प्रतिस्पर्धा को निष्प्रभावी न बनाएं।

यह फैसला इस बात का उदाहरण है कि प्रतिस्पर्धा कानून केवल मूल्य निर्धारण या रणनीति को ही नहीं, बल्कि उसके प्रभाव और मंशा को भी ध्यान में रखकर लागू किया जाता है।