विशेष निष्पादन (Specific Performance) पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: पीओए धारक (Power of Attorney Holder) वादी की ओर से ‘Readiness and Willingness’ की गवाही नहीं दे सकता
🔷 लेख शीर्षक:
“विशेष निष्पादन में पीओए धारक की सीमाएं: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और धारा 12 की व्याख्या”
🔷 मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट का प्रमुख निष्कर्ष:
- विशिष्ट निष्पादन (Specific Performance) के मुकदमे में, पॉवर ऑफ अटॉर्नी धारक (POA Holder) वादी (Plaintiff) की ओर से यह नहीं कह सकता कि वादी अनुबंध की शर्तों को पूरा करने के लिए तैयार और इच्छुक था (Readiness and Willingness)। यह प्रमाण केवल वादी के व्यक्तिगत साक्ष्य से ही स्थापित किया जा सकता है।
- प्रासंगिक विधिक धाराएं:
- Specific Relief Act, Section 12
- Code of Civil Procedure (CPC), Order 3 Rule 1 & 2
- POA की सीमाएं:
- POA धारक अपने व्यक्तिगत किए गए कार्यों की गवाही दे सकता है।
- लेकिन वह वादी के मनोभावों, नीयत या उसके किए गए कार्यों की गवाही नहीं दे सकता, क्योंकि ये सब व्यक्तिगत ज्ञान की विषयवस्तु हैं।
- वादी की चूक:
- वादी ने स्वयं साक्ष्य देने से परहेज़ किया और क्रॉस एग्जामिनेशन के लिए उपस्थित नहीं हुआ।
- यह विशेष निष्पादन के लिए आवश्यक “Readiness and Willingness” सिद्ध करने में असफलता है।
- अन्य महत्वपूर्ण टिप्पणियां:
- पीओए की वैधता साबित नहीं की गई थी।
- एग्रीमेंट पर सभी सह-स्वामियों के हस्ताक्षर नहीं थे, जिससे उसकी वैधता पर सवाल खड़ा हुआ।
- वादी ने सूचना और पूर्व लेन-देन की जानकारी होने के बावजूद मुकदमा सीमा अवधि की अंतिम तिथि पर दायर किया, जो उसकी गंभीरता पर प्रश्न उठाता है।
- हाईकोर्ट की आलोचना:
- सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की उस अनुमति की आलोचना की, जिसमें उसने POA धारक को वादी के स्थान पर साक्ष्य देने की इजाज़त दी थी।
🔷 न्यायिक महत्व:
यह निर्णय स्पष्ट करता है कि Readiness and Willingness जैसी संवेदनशील और महत्वपूर्ण शर्तें केवल उसी व्यक्ति की गवाही से साबित हो सकती हैं जो अनुबंध का पक्षकार है। पीओए धारक ऐसे मामलों में सीमित भूमिका निभा सकता है।