लेख शीर्षक:
“भारत में उच्च न्यायालयों की संख्या, उनका अधिकार क्षेत्र और संगठन: एक विस्तृत विश्लेषण”
परिचय:
भारत में न्यायिक व्यवस्था का ढांचा तीन स्तरों पर आधारित है:
- सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) – राष्ट्रीय स्तर पर
- उच्च न्यायालय (High Courts) – राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्तर पर
- निचली न्यायपालिका (Subordinate Judiciary) – जिला और तालुका स्तर पर
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि भारत में कुल कितने उच्च न्यायालय (High Courts) हैं, वे किस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) के लिए कार्य करते हैं, और उनका संविधानिक आधार, अधिकार क्षेत्र एवं कार्यप्रणाली क्या है।
🔷 भारत में उच्च न्यायालयों की संख्या:
👉 वर्तमान में भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय (High Courts) हैं।
इनमें कुछ उच्च न्यायालय एक से अधिक राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के लिए कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, गुवाहाटी उच्च न्यायालय चार राज्यों के लिए कार्य करता है।
🔹 प्रमुख तथ्य:
- सबसे पुराना उच्च न्यायालय: कलकत्ता उच्च न्यायालय (स्थापना: 1862)
- नवीनतम उच्च न्यायालय: आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय (स्थापना: 1 जनवरी 2019 को, तेलंगाना से पृथक)
- सबसे बड़ा उच्च न्यायालय (जजों की संख्या के आधार पर): इलाहाबाद उच्च न्यायालय
- सबसे छोटा उच्च न्यायालय (जजों की संख्या के आधार पर): सिक्किम उच्च न्यायालय
🔶 भारत के प्रमुख उच्च न्यायालयों की सूची (25 High Courts):
क्रमांक | उच्च न्यायालय का नाम | अधिकार क्षेत्र | स्थापना वर्ष |
---|---|---|---|
1. | इलाहाबाद उच्च न्यायालय | उत्तर प्रदेश | 1866 |
2. | बॉम्बे उच्च न्यायालय | महाराष्ट्र, गोवा, दादरा एवं नगर हवेली, दमन व दीव | 1862 |
3. | कलकत्ता उच्च न्यायालय | पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह | 1862 |
4. | मद्रास उच्च न्यायालय | तमिलनाडु, पुडुचेरी | 1862 |
5. | दिल्ली उच्च न्यायालय | दिल्ली | 1966 |
6. | गुजरात उच्च न्यायालय | गुजरात | 1960 |
7. | हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय | हिमाचल प्रदेश | 1971 |
8. | जम्मू और कश्मीर व लद्दाख उच्च न्यायालय | जम्मू-कश्मीर और लद्दाख | 1928 (वर्तमान रूप 2019) |
9. | झारखंड उच्च न्यायालय | झारखंड | 2000 |
10. | कर्नाटक उच्च न्यायालय | कर्नाटक | 1884 |
11. | केरल उच्च न्यायालय | केरल, लक्षद्वीप | 1956 |
12. | मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय | मध्य प्रदेश | 1956 |
13. | पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय | पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ | 1947 |
14. | राजस्थान उच्च न्यायालय | राजस्थान | 1949 |
15. | सिक्किम उच्च न्यायालय | सिक्किम | 1975 |
16. | उत्तराखंड उच्च न्यायालय | उत्तराखंड | 2000 |
17. | छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय | छत्तीसगढ़ | 2000 |
18. | पटना उच्च न्यायालय | बिहार | 1916 |
19. | ओडिशा उच्च न्यायालय | ओडिशा | 1948 |
20. | मेघालय उच्च न्यायालय | मेघालय | 2013 |
21. | मणिपुर उच्च न्यायालय | मणिपुर | 2013 |
22. | त्रिपुरा उच्च न्यायालय | त्रिपुरा | 2013 |
23. | गुवाहाटी उच्च न्यायालय | असम, नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश | 1948 |
24. | आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय | आंध्र प्रदेश | 2019 |
25. | तेलंगाना उच्च न्यायालय | तेलंगाना | 2019 |
⚖️ संवैधानिक आधार:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 214 यह प्रावधान करता है कि प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय होगा।
- अनुच्छेद 231 कहता है कि संसद द्वारा विधि द्वारा दो या अधिक राज्यों के लिए एक सामान्य उच्च न्यायालय स्थापित किया जा सकता है।
🧾 उच्च न्यायालयों की शक्तियाँ:
- मौलिक अधिकारों की रक्षा हेतु रिट याचिका की सुनवाई (अनुच्छेद 226 के तहत)
- अपील, पुनरीक्षण और रिट याचिकाएं की सुनवाई
- निचली अदालतों पर नियंत्रण और पर्यवेक्षण
- संवैधानिक वैधता की जांच करने की शक्ति
📚 निष्कर्ष:
भारत की न्यायिक व्यवस्था में उच्च न्यायालयों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे न केवल संविधान और कानूनों की रक्षा करते हैं, बल्कि नागरिकों को न्याय प्रदान करने की दिशा में एक सशक्त माध्यम भी हैं।
भारत में 25 उच्च न्यायालयों का संगठन यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक राज्य और क्षेत्रीय इकाई को न्याय तक सुलभ पहुँच मिल सके।