“पुनर्विवाह के बावजूद विधवा को मुआवज़े का अधिकार: तेलंगाना उच्च न्यायालय का निर्णय — मुक्का लक्ष्मी बाई बनाम नीरजा (2025)”

लेख शीर्षक:
“पुनर्विवाह के बावजूद विधवा को मुआवज़े का अधिकार: तेलंगाना उच्च न्यायालय का निर्णय — मुक्का लक्ष्मी बाई बनाम नीरजा (2025)”

लेख:
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने मुक्का लक्ष्मी बाई बनाम नीरजा [MACMA-2946-2009, वर्ष 2025] मामले में एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) में कहीं भी यह प्रतिबंध नहीं है कि किसी विधवा को उसके पुनर्विवाह के कारण मुआवज़ा पाने से वंचित किया जाए

यह निर्णय सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति की पत्नी द्वारा दायर मुआवज़ा याचिका के संदर्भ में दिया गया, जिसमें प्रतिवादी पक्ष ने यह तर्क दिया कि चूंकि विधवा ने जल्दी पुनर्विवाह कर लिया है और वह अपने नए पति द्वारा समर्थित है, अतः उसे मृत पति की आजीविका हानि (Loss of Dependency) का मुआवज़ा नहीं मिलना चाहिए।

🔍 न्यायालय का निर्णय और तर्क:

  • मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो पुनर्विवाहित विधवा को मुआवज़ा पाने से रोकता हो।
  • न्यायालय ने माना कि यदि पुनर्विवाह बहुत शीघ्र हुआ हो और नई शादी में विधवा को आर्थिक सहारा मिल रहा हो, तो यह बात “आजीविका हानि” के दावे को प्रभावित कर सकती है।
  • हालांकि, इससे अन्य क्षतियों पर विधवा का दावा समाप्त नहीं होता, जैसे कि:
    • Loss of Consortium (साथी की अनुपस्थिति से हुई मानसिक क्षति)
    • Funeral Expenses (अंत्येष्टि व्यय)
    • Loss of Estate (संपत्ति का नुकसान)
    • Pain and Suffering (पीड़ा व मानसिक संताप)

⚖️ महत्वपूर्ण टिप्पणी:

“पुनर्विवाह समाज में एक स्वाभाविक घटना है, विशेषकर जब महिला युवा हो और आश्रय की आवश्यकता हो। इसे मुआवज़े के अधिकार से वंचित करने का आधार नहीं बनाया जा सकता।”
— तेलंगाना उच्च न्यायालय

📌 प्रभाव और निष्कर्ष:

यह फैसला स्पष्ट करता है कि मुआवज़े के अधिकार का निर्धारण पीड़ित की स्थिति और दुर्घटना के प्रतिकूल प्रभावों पर आधारित होता है, न कि सामाजिक धारणाओं पर।
इस निर्णय से यह भी संकेत मिलता है कि मूल उद्देश्य पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाना है, ना कि उसके जीवन की बाद की घटनाओं के आधार पर मुआवज़े को अस्वीकार करना।

न्यायिक महत्व:

  • यह फैसला अन्य उच्च न्यायालयों के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो मानते हैं कि पुनर्विवाह किसी विधवा के मुआवज़े के अधिकार को समाप्त नहीं करता।
  • यह निर्णय विधवा महिलाओं के कानूनी अधिकारों की रक्षा और समानता के सिद्धांत को सुदृढ़ करता है।