“नरभक्षी राजा कोलंदर को उम्रकैद: 14 हत्याएं, खोपड़ी का सूप और 25 साल बाद मिला इंसाफ”

लेख शीर्षक:
“नरभक्षी राजा कोलंदर को उम्रकैद: 14 हत्याएं, खोपड़ी का सूप और 25 साल बाद मिला इंसाफ”


भूमिका:
भारत की आपराधिक इतिहास में कुछ मामले इतने वीभत्स और भयावह होते हैं कि वे केवल हत्या तक सीमित नहीं रहते, बल्कि मानवता को झकझोर देने वाले अध्याय बन जाते हैं। ऐसा ही एक नाम है — राजा कोलंदर, जिसे 14 लोगों की निर्मम हत्या, नरभक्षण, और मानव खोपड़ी का सूप पीने जैसे जघन्य अपराधों के लिए जाना जाता है।
अब 25 वर्षों के लंबे न्यायिक संघर्ष के बाद, लखनऊ की सीजेएम कोर्ट ने राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है।


मामले की पृष्ठभूमि:

  • यह मामला वर्ष 2000 में चर्चा में आया था जब पत्रकार मनोज सिंह और उनके सहयोगी रवि श्रीवास्तव की हत्या हुई थी।
  • जांच के दौरान सामने आया कि राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज ने इन हत्याओं को अंजाम दिया था।
  • धीरे-धीरे जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए कि राजा कोलंदर नरभक्षी प्रवृत्ति का व्यक्ति है, जो मानव खोपड़ी से सूप पीने जैसा राक्षसी कृत्य करता था।
  • कुल मिलाकर 14 हत्याओं की पुष्टि हो चुकी है, हालांकि आशंका है कि वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है।

राजा कोलंदर कौन है?

  • असली नाम राजा यादव, परंतु अपने आप को “राजा कोलंदर” के नाम से पहचानता था।
  • उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अंधविश्वास, वर्चस्व, और मानसिक विकृति के चलते उसने अनेक लोगों को मौत के घाट उतारा।
  • उसका मानना था कि मानव अंगों का सेवन और तंत्र-मंत्र से उसे शक्ति मिलेगी।

अदालत का निर्णय:

  • लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने विस्तृत सुनवाई के बाद दोनों अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
  • इसके अतिरिक्त, दोनों पर ₹2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
  • कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि:

    “यह मामला केवल हत्या का नहीं बल्कि मानवता के मूल मूल्यों पर हमला है। अपराध की प्रकृति अत्यंत अमानवीय, क्रूर और समाज में डर पैदा करने वाली है।”


पीड़ित पक्ष की प्रतिक्रिया:

  • पत्रकार मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव के परिजनों ने फैसले पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि न्याय भले ही देर से मिला, लेकिन सत्य की जीत हुई है।
  • उन्होंने यह भी मांग की कि ऐसे अपराधियों के लिए कठोरतम दंड की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई कोलंदर न पैदा हो।

कानूनी विश्लेषण:

  • भारतीय दंड संहिता की धाराएं जैसे 302 (हत्या), 120B (षड्यंत्र), और 201 (सबूत नष्ट करना) जैसे गंभीर प्रावधानों के तहत मुकदमा चला।
  • इस केस ने यह भी स्पष्ट किया कि मानसिक विकृति और अंधश्रद्धा, यदि नियंत्रण से बाहर हो, तो समाज के लिए घातक शस्त्र बन सकती है।

निष्कर्ष:
राजा कोलंदर का मामला केवल एक आपराधिक कथा नहीं बल्कि हमारे न्यायिक तंत्र की संवेदनशीलता, समाज की सुरक्षा और कानून की विजय का प्रतीक है।
25 वर्षों की लंबी प्रक्रिया के बाद आया यह निर्णय एक स्पष्ट संदेश देता है —
“कोई भी कितना भी शक्तिशाली, विकृत मानसिकता वाला या संगठित क्यों न हो, कानून के हाथ लंबे हैं।”
यह सजा केवल मृतकों के परिजनों के लिए न्याय नहीं, बल्कि समाज के हर नागरिक के लिए एक चेतावनी और भरोसे की गारंटी है।