आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961)

कराधान कानून (Taxation Law)

कराधान कानून उन विधानों और नियमों का एक समूह है जो सरकारों को कर लगाने, संग्रह करने और करदाताओं के अधिकारों और दायित्वों को निर्धारित करने की शक्ति प्रदान करता है। यह कानून विभिन्न प्रकार के करों को नियंत्रित करता है, जैसे कि प्रत्यक्ष कर (आयकर, संपत्ति कर) और अप्रत्यक्ष कर (जीएसटी, उत्पाद शुल्क)।

मुख्य तत्व:

  1. प्रत्यक्ष कर (Direct Tax): जो व्यक्ति या संगठन की आय और संपत्ति पर सीधे लगाया जाता है, जैसे आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स।
  2. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax): जो वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर लगाया जाता है, जैसे जीएसटी, सीमा शुल्क।
  3. कर संग्रह प्रक्रिया: सरकार विभिन्न प्राधिकरणों (जैसे आयकर विभाग, जीएसटी परिषद) के माध्यम से करों का संग्रह करती है।
  4. कर बचाव और चोरी: कर कानून यह निर्धारित करता है कि कर बचाने के वैध तरीके (कर नियोजन) और अवैध तरीके (कर चोरी) क्या हैं।
  5. दंड और विवाद निपटान: कर कानून में कर चोरी करने वालों के लिए दंड प्रावधान होते हैं, और साथ ही कर विवादों के समाधान के लिए ट्रिब्यूनल और न्यायालय होते हैं।

भारत में प्रमुख कराधान कानून:

  • आयकर अधिनियम, 1961
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिनियम, 2017
  • कस्टम्स एक्ट, 1962
  • कंपनियों का कराधान अधिनियम

यह कानून सरकार को राजस्व एकत्र करने और अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने में मदद करता है, साथ ही नागरिकों को उनके कर संबंधी अधिकारों और दायित्वों की जानकारी भी देता है।

आयकर अधिनियम, 1961 (Income Tax Act, 1961)

आयकर अधिनियम, 1961 भारत में प्रत्यक्ष कर प्रणाली को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून है। इसे 1 अप्रैल 1962 से लागू किया गया था और तब से इसमें कई संशोधन किए गए हैं। यह अधिनियम व्यक्तिगत करदाताओं, कंपनियों, फर्मों, और अन्य संस्थाओं द्वारा अर्जित आय पर कर लगाने, संग्रह करने और प्रशासन करने से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है।


1. आय के स्रोत (Sources of Income)

आयकर अधिनियम के तहत करदाता की आय को पाँच मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:

  1. वेतन से आय (Income from Salary) – वेतन, भत्ते, बोनस आदि।
  2. संपत्ति से आय (Income from House Property) – किराए से प्राप्त आय।
  3. व्यवसाय या पेशे से आय (Income from Business or Profession) – व्यापार, फ्रीलांसिंग, पेशेवर सेवाओं से आय।
  4. पूंजीगत लाभ (Capital Gains) – संपत्ति या निवेश की बिक्री से लाभ।
  5. अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources) – ब्याज, लॉटरी, उपहार आदि।

2. कर स्लैब और दरें (Tax Slabs & Rates)

आयकर की दरें करदाता की श्रेणी (व्यक्ति, वरिष्ठ नागरिक, कंपनी) और आय के आधार पर निर्धारित की जाती हैं।

  • सरकार बजट में समय-समय पर कर दरों में संशोधन करती है।
  • करदाता के पास पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था में से किसी एक को चुनने का विकल्प होता है।

3. कर कटौती और छूट (Tax Deductions & Exemptions)

आयकर अधिनियम विभिन्न प्रकार की कर कटौती और छूट प्रदान करता है, जैसे:

  • धारा 80C – जीवन बीमा, PPF, EPF, ELSS में निवेश पर छूट (अधिकतम ₹1,50,000)।
  • धारा 80D – स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर छूट।
  • धारा 24(b) – होम लोन के ब्याज पर छूट।
  • धारा 10(14) – एचआरए (HRA) और अन्य भत्तों पर छूट।

4. रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया (Income Tax Return – ITR Filing)

  • करदाता को प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना आवश्यक होता है।
  • ITR फाइल करने की अंतिम तिथि आमतौर पर 31 जुलाई होती है (जो बढ़ाई भी जा सकती है)।
  • ऑनलाइन फाइलिंग (e-Filing) सुविधा भी उपलब्ध है।

5. पेनाल्टी और दंड (Penalties & Offenses)

  • आईटीआर देर से दाखिल करने पर दंड।
  • कर चोरी करने पर भारी जुर्माने और जेल की सजा का प्रावधान।
  • गलत विवरण देने पर ब्याज और अतिरिक्त कर देयता।

6. कर प्रशासन (Tax Administration)

  • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) – यह भारत में आयकर विभाग का संचालन करता है।
  • आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) – कर विवादों के समाधान के लिए।
  • वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) – नीति निर्माण और संशोधन।

निष्कर्ष

आयकर अधिनियम, 1961 भारतीय कर प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सरकार को राजस्व प्राप्त करने और नागरिकों को कर अनुपालन के लिए मार्गदर्शन करने में मदद करता है। समय पर कर भरने और सही छूट का उपयोग करने से करदाताओं को वित्तीय लाभ प्राप्त हो सकते हैं।