“नेतृत्वहीन मुकदमे में चश्मदीद गवाह की अनुपस्थिति से दावे को नकारा नहीं जा सकता”: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला (Meera Bai & Ors v/s ICICI Lombard General Insurance Company Ltd. & Anr.)

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“नेतृत्वहीन मुकदमे में चश्मदीद गवाह की अनुपस्थिति से दावे को नकारा नहीं जा सकता”: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला (Meera Bai & Ors v/s ICICI Lombard General Insurance Company Ltd. & Anr.)


भूमिका

सड़क दुर्घटना दावों (Motor Accident Claims Tribunal, MACT) में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या केवल चश्मदीद गवाह (Eye Witness) की गैर-मौजूदगी के आधार पर दावा खारिज किया जा सकता है? हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने Meera Bai & Ors v/s ICICI Lombard General Insurance Company Ltd. & Anr. (SLP (c) 3886 of 2019, SC 2025) में इस सवाल पर निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि केवल चश्मदीद गवाह के अभाव में दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता, खासकर तब जब अन्य प्रमाण जैसे एफआईआर और चार्जशीट से चालक की लापरवाही स्थापित होती है।


पृष्ठभूमि

मामले के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार थे:

  • एक सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी।
  • मृतक के परिवार ने MACT के समक्ष दावा दायर किया।
  • वाहन चालक के खिलाफ लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाने के लिए FIR दर्ज की गई और चार्जशीट भी दाखिल हुई।
  • वाहन चालक ने लिखित बयान (Written Statement) दायर कर आरोपों से इनकार किया, परंतु वह खुद गवाही के लिए गवाह-पट्टिका में नहीं आया।
  • हाई कोर्ट ने दावा इस आधार पर खारिज कर दिया कि कोई चश्मदीद गवाह (Eye Witness) पेश नहीं किया गया।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा:

FIR और चार्जशीट पर्याप्त प्राथमिक सबूत

  • वाहन चालक के खिलाफ एफआईआर और चार्जशीट दर्ज होना दुर्घटना में उसकी लापरवाही के प्रथम दृष्टया प्रमाण हैं।
  • अभियुक्त चालक के खिलाफ पुलिस ने ‘रैश और नेग्लिजेंट ड्राइविंग’ के आरोप लगाए थे।

आरोप का खंडन आवश्यक

  • चालक ने अपने लिखित बयान में भले ही आरोपों का खंडन किया, लेकिन वह स्वयं गवाही देने के लिए कोर्ट में नहीं आया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वाहन चालक ने अपने बचाव में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया।

चश्मदीद गवाह का न होना निर्णायक नहीं

  • अदालत ने कहा कि सड़क दुर्घटना के सभी मामलों में चश्मदीद गवाह उपलब्ध हो, यह आवश्यक नहीं है।
  • परिस्थितिजन्य साक्ष्य, एफआईआर, चार्जशीट और चालक का बयान—ये सब मिलकर लापरवाही को प्रमाणित कर सकते हैं।

दावा स्वीकार किया गया

  • सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मृतक के परिवार को दुर्घटना के लिए मुआवजा मिलना चाहिए।
  • हाई कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया गया और दावेदारों को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया।

निर्णय का महत्व

दावेदारों के हितों की रक्षा

  • यह फैसला सड़क दुर्घटना मामलों में दावा खारिज करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाता है, खासकर जब तकनीकी आधार (जैसे चश्मदीद गवाह का न होना) को वजह बनाया जाता है।

पुलिस रिकॉर्ड की अहमियत

  • एफआईआर और चार्जशीट को न्यायालय ने लापरवाही साबित करने के लिए महत्वपूर्ण सबूत माना, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि ऐसे दस्तावेजों को कम करके नहीं आंका जा सकता।

बचाव पक्ष का दायित्व

  • जब वाहन चालक ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया, तो उसे कोर्ट में गवाही देकर यह साबित करना चाहिए था कि दुर्घटना उसकी गलती से नहीं हुई। उसके न गवाही देने से उसका बचाव कमजोर हुआ।

निष्कर्ष

Meera Bai & Ors v/s ICICI Lombard General Insurance Company Ltd. & Anr. मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय मोटर वाहन कानून और न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान करता है। यह फैसला बताता है कि केवल चश्मदीद गवाह की अनुपस्थिति के आधार पर दावेदारों को उनके वैध हक से वंचित नहीं किया जा सकता। इस निर्णय से भविष्य में सड़क दुर्घटना दावों में न्यायसंगत और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।