सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: “बिना रजिस्ट्री का बिक्री अनुबंध भी विशेष निष्पादन वाद में साक्ष्य के रूप में मान्य”

शीर्षक: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: “बिना रजिस्ट्री का बिक्री अनुबंध भी विशेष निष्पादन वाद में साक्ष्य के रूप में मान्य”


परिचय:

संपत्ति लेन-देन के मामलों में रजिस्ट्री (पंजीकरण) का विशेष महत्व होता है। भारत का पंजीकरण अधिनियम, 1908 और संपत्ति अंतरण अधिनियम (Transfer of Property Act), 1882 इस क्षेत्र में विधिक आधार प्रदान करते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने LAWS(SC)-2023-4-14 के एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि यदि कोई बिक्री अनुबंध Section 17(1A) के दायरे में नहीं आता है, तो वह रजिस्ट्री के बिना भी विशेष निष्पादन (specific performance) के वाद में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य हो सकता है

यह निर्णय संपत्ति कानून में एक बड़ी व्याख्यात्मक दृष्टि प्रस्तुत करता है और न्यायिक व्यावहारिकता का परिचायक है।


मामले की पृष्ठभूमि:

  • याचिकाकर्ता ने संपत्ति के एक बिक्री अनुबंध (Agreement to Sell) के आधार पर विशेष निष्पादन (specific performance) के लिए वाद दायर किया।
  • यह अनुबंध रजिस्टर्ड (Registered) नहीं था।
  • प्रतिवादी पक्ष का तर्क था कि रजिस्ट्री नहीं होने के कारण यह अनुबंध न्यायालय में अस्वीकार्य (inadmissible) है।
  • मामला इस प्रश्न पर केंद्रित था कि क्या एक अपंजीकृत बिक्री अनुबंध, जो Section 17(1A) के तहत पंजीकरण के लिए अनिवार्य नहीं है, विशेष निष्पादन वाद में मान्य हो सकता है।

प्रमुख कानूनी प्रावधानों का विश्लेषण:

  1. पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Registration Act):
    • Section 17(1A): यह धारा ऐसे समझौतों को पंजीकरण के अधीन मानती है जो आंशिक प्रदर्शन (part performance) के साथ हों, अर्थात Section 53A T.P. Act के अंतर्गत सुरक्षा मांगते हों।
    • Section 49: सामान्यतः अपंजीकृत दस्तावेज को सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, सिवाय इसके कि वह किसी अनुबंध के अस्तित्व को साबित करने हेतु प्रयुक्त हो।
  2. संपत्ति अंतरण अधिनियम (Transfer of Property Act), 1882:
    • Section 54: केवल बिक्री की रजिस्टर्ड डीड से ही पूर्ण अधिकार का हस्तांतरण होता है, Agreement to Sell केवल एक वादा है, जिससे स्वामित्व नहीं स्थानांतरित होता।
    • Section 53A: यदि क्रेता ने आंशिक निष्पादन के तहत कब्जा प्राप्त कर लिया है, तो विक्रेता उस कब्जे को चुनौती नहीं दे सकता — किन्तु इसके लिए दस्तावेज पंजीकृत होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया:

“यदि कोई Agreement to Sell Section 17(1A) के दायरे में नहीं आता — अर्थात वह आंशिक निष्पादन (part performance) पर आधारित नहीं है — तो उसे पंजीकृत न होने के आधार पर विशेष निष्पादन वाद से वंचित नहीं किया जा सकता।”

  • ऐसा अनुबंध रजिस्ट्री के बिना भी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, बशर्ते वह केवल अनुबंध के अस्तित्व को प्रमाणित करने के लिए उपयोग में लाया गया हो।
  • Section 49 की दूसरी प्रोविज़ो (second proviso) इसका स्पष्ट अपवाद देती है, जो कहती है कि कोई अपंजीकृत दस्तावेज भी अनुबंध के साक्ष्य के रूप में मान्य हो सकता है।

न्यायालय की विशेष टिप्पणियाँ:

  1. Agreement to Sell और Sale Deed में अंतर:
    • Agreement to Sell केवल एक वादा है — इससे संपत्ति का स्वामित्व नहीं स्थानांतरित होता।
    • Sale Deed के लिए रजिस्ट्री अनिवार्य है।
  2. पंजीकरण की आवश्यकता तभी जब अधिकार का दावा हो:
    • यदि वादी केवल अनुबंध के निष्पादन की मांग कर रहा है, और कब्जा या अन्य हक नहीं ले रहा, तो उस स्थिति में रजिस्ट्री की आवश्यकता Section 17(1A) के अंतर्गत नहीं आएगी।
  3. न्यायिक व्यावहारिकता को प्राथमिकता:
    • न्यायालय ने निर्णय दिया कि तकनीकी आधारों पर किसी न्यायोचित दावे को नकारा नहीं जा सकता।

इस निर्णय का प्रभाव:

  1. क्लेरिटी (स्पष्टता) मिली कि कौन-से बिक्री अनुबंध बिना रजिस्ट्री के भी वैध माने जा सकते हैं।
  2. पक्षकारों को राहत मिली जो रजिस्ट्री में चूक या गलती के बावजूद अपने अधिकारों की रक्षा करना चाहते हैं।
  3. न्यायिक दृष्टिकोण कठोर तकनीकीता के बजाय न्यायिक व्यावहारिकता को प्राथमिकता देता है।

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय संपत्ति कानून के विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह स्पष्ट करता है कि हर अपंजीकृत दस्तावेज अनुचित नहीं होता, और न्यायालय परिस्थिति व कानून की भावना के आधार पर ऐसे दस्तावेजों को मान्यता दे सकता है। विशेष निष्पादन वादों में यह निर्णय न्याय, नैतिकता और व्यावहारिकता को संतुलित करते हुए एक नई राह प्रशस्त करता है।

यह फैसला कानून के अनुप्रयोग में लचीलापन लाने और न्याय को सुलभ व यथार्थवादी बनाने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है।