शीर्षक: “केवल ‘अंतिम बार साथ देखा गया’ (Last Seen Together) साक्ष्य के आधार पर हत्या का दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय — Anjan Kumar बनाम राज्य असम (23 मई 2017)”
मामला: Anjan Kumar v. State of Assam
निर्णय दिनांक: 23 मई 2017
अपील संख्या: Criminal Appeal No. 560 of 2014
विधि संदर्भ: भारतीय दंड संहिता, 1860 — धारा 302 (हत्या)
विषय: परिस्थितिजन्य साक्ष्य (Circumstantial Evidence) के आधार पर दोष सिद्धि
⚖️ मामले का सारांश:
इस आपराधिक अपील में, Anjan Kumar को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। अभियोजन का पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों (circumstantial evidence) पर आधारित था — विशेष रूप से इस तथ्य पर कि मृतक को अंतिम बार आरोपी के साथ देखा गया था (Last Seen Together Theory)।
सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि क्या केवल यही एक परिस्थिति — “आखिरी बार साथ देखा गया” — हत्या की दोष सिद्धि के लिए पर्याप्त है, जब अन्य कोई ठोस साक्ष्य रिकॉर्ड पर मौजूद नहीं है।
🔍 न्यायालय की प्रमुख टिप्पणियाँ:
- ‘Last Seen’ सिद्धांत एक मजबूत साक्ष्य नहीं:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:“केवल ‘last seen’ साथ होने की परिस्थिति, यदि कोई अन्य पुष्टिकारक साक्ष्य मौजूद न हो, तो अकेले पर्याप्त नहीं है किसी व्यक्ति को हत्या का दोषी ठहराने के लिए।”
- अभियोजन पक्ष अन्य परिस्थितियों को सिद्ध करने में विफल रहा:
न्यायालय ने देखा कि अभियोजन न तो हत्या का संभावित तरीका, न ही कोई प्रत्यक्ष गवाह, और न ही कोई ठोस फॉरेंसिक या सहायक साक्ष्य प्रस्तुत कर पाया।
ऐसे में, आरोपी को दोषी ठहराना न्याय की मूलभूत भावना के विरुद्ध होगा। - परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की श्रृंखला पूर्ण होनी चाहिए:
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि:“परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर दोष सिद्धि केवल तभी संभव है जब सभी कड़ियाँ बिना किसी संदेह के एक साथ जुड़ती हों और एकमात्र निष्कर्ष अभियुक्त की दोषिता की ओर इशारा करता हो।”
🧾 निर्णय का निष्कर्ष:
- सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी Anjan Kumar को संदेह का लाभ (benefit of doubt) देते हुए हत्या के आरोप से बरी कर दिया।
- न्यायालय ने यह भी कहा कि अधिकारियों को परिस्थितिजन्य मामलों में निष्पक्ष और गहराई से जांच करनी चाहिए, विशेषकर जब मृत्यु की स्थिति और समय अस्पष्ट हों।
📌 इस निर्णय का महत्व:
- यह फैसला ‘Last Seen Theory’ की सीमाओं को रेखांकित करता है।
- यह बताता है कि दोष सिद्धि हेतु परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला मजबूत और अपूर्वाह्य (inexorable) होनी चाहिए।
- यह न्याय की भावना के अनुरूप है कि संशय की स्थिति में आरोपी को बरी किया जाना चाहिए।
⚖️ प्रासंगिक उद्धरण (Supreme Court Observation):
“The circumstance of last seen together, though important, cannot form the sole basis of conviction unless it is supported by other circumstantial evidence which unerringly point to the guilt of the accused.”
— सुप्रीम कोर्ट, Anjan Kumar v. State of Assam, 2017