महत्वपूर्ण आदेश और निर्णय: NDPS अधिनियम की धारा 42 के तहत अस्थायी रूप से नियुक्त SHO को तलाशी लेने का अधिकार
शीर्षक: NDPS अधिनियम की धारा 42 के तहत SHO को अस्थायी प्रभार में तलाशी का अधिकार — सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: STATE OF RAJASTHAN VERSUS GOPAL & ORS.
भूमिका:
NDPS अधिनियम (1985) के तहत नशीले पदार्थों से संबंधित अपराधों की जांच और रोकथाम के लिए सख्त प्रावधान बनाए गए हैं। इस अधिनियम की धारा 42 अधिकारियों को तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी के विशेष अधिकार प्रदान करती है। लेकिन व्यावहारिक रूप में जब SHO का पद अस्थायी रूप से किसी पुलिस अधिकारी को सौंपा जाता है, तो क्या वह अधिकारी भी धारा 42 के तहत तलाशी कर सकता है — इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया।
मामले की पृष्ठभूमि:
इस मामले में राजस्थान राज्य ने Gopal और अन्य आरोपियों के खिलाफ NDPS अधिनियम के तहत कार्रवाई की थी। आरोपियों ने राजस्थान हाईकोर्ट में दलील दी कि जिस SHO ने तलाशी ली थी, वह SHO के पद पर केवल अस्थायी प्रभार में था, स्थायी रूप से नियुक्त SHO नहीं था, इसलिए उसने धारा 42 के तहत तलाशी लेने का अधिकार नहीं था। हाईकोर्ट ने आरोपियों की इस दलील को स्वीकार करते हुए FIR को रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का विश्लेषण और निर्णय:
- धारा 42 का कानूनी प्रावधान:
NDPS अधिनियम की धारा 42 के अनुसार, कोई अधिकारी जो “अधिकृत” हो, किसी भवन, स्थान या वाहन की तलाशी ले सकता है, यदि उसे किसी नशीले पदार्थ के संदर्भ में जानकारी मिले। - राज्य सरकार की अधिसूचना का महत्व:
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने NDPS अधिनियम की धारा 42 के तहत अधिसूचना जारी कर रखी थी, जिसमें कहा गया था कि सभी निरीक्षक (Inspector) और उपनिरीक्षक (Sub-Inspector) जो SHO के रूप में पदस्थापित हैं, NDPS अधिनियम की धारा 42 के तहत तलाशी लेने के लिए अधिकृत हैं। - अस्थायी SHO भी सक्षम अधिकारी:
कोर्ट ने कहा कि जब कोई पुलिस अधिकारी अस्थायी रूप से SHO का प्रभार संभाल रहा होता है, तो वह उसी तरह से तलाशी लेने के लिए सक्षम होता है जैसे स्थायी SHO। कानून में SHO के अस्थायी या स्थायी होने का अंतर नहीं किया गया है। - हाईकोर्ट की त्रुटिपूर्ण व्याख्या:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने NDPS अधिनियम की धारा 42 का गलत ढंग से व्याख्या किया। अस्थायी SHO भी अधिसूचना के तहत तलाशी लेने के लिए अधिकृत है। - FIR बहाल:
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें FIR को रद्द किया गया था। अब मामला पुनः उसी FIR के आधार पर आगे बढ़ेगा।
महत्व और प्रभाव:
यह फैसला नशीले पदार्थों से संबंधित मामलों में जांच अधिकारियों के अधिकारों को स्पष्ट करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि SHO के अस्थायी प्रभार को भी वैध माना जाएगा, ताकि NDPS अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति हो सके और दोषियों को सजा दिलाई जा सके।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला NDPS अधिनियम की व्याख्या में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि SHO चाहे अस्थायी प्रभार में हो या स्थायी रूप से नियुक्त हो, वह NDPS अधिनियम की धारा 42 के तहत तलाशी करने का अधिकार रखता है। इस निर्णय से पुलिस प्रशासन को भी तलाशी के मामलों में अनावश्यक तकनीकी आपत्तियों से राहत मिलेगी।