पंकज बंसल बनाम भारत संघ: मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी प्रक्रिया पर सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय

महत्वपूर्ण आदेश और निर्णय: पंकज बंसल बनाम भारत संघ

शीर्षक: पंकज बंसल बनाम भारत संघ: मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी प्रक्रिया पर सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय


भूमिका:
सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2023 को पंकज बंसल बनाम भारत संघ मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी की प्रक्रिया और गिरफ्तारी के आधारों की जानकारी देने की विधि पर स्पष्टता प्रदान की गई।


मामले की पृष्ठभूमि:
पंकज बंसल और उनके पिता बसंत बंसल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PMLA के तहत गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के समय उन्हें गिरफ्तारी के आधारों की लिखित जानकारी नहीं दी गई थी, जो कि संविधान के अनुच्छेद 22(1) और PMLA की धारा 19(1) के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था।


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

  1. गिरफ्तारी के आधारों की लिखित जानकारी अनिवार्य:
    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि PMLA की धारा 19(1) और संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत, गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों की लिखित जानकारी देना अनिवार्य है। केवल मौखिक जानकारी देना पर्याप्त नहीं है।
  2. गिरफ्तारी की वैधता:
    गिरफ्तारी के समय गिरफ्तारी के आधारों की लिखित जानकारी न देने के कारण, कोर्ट ने गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड को अवैध घोषित किया और दोनों आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया।
  3. पूर्ववर्ती निर्णयों का निरस्तीकरण:
    कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मॉइन अख्तर कुरैशी बनाम भारत संघ और बॉम्बे उच्च न्यायालय के छगन चंद्रकांत भुजबल बनाम भारत संघ मामलों में दिए गए निर्णयों को असंगत बताते हुए निरस्त किया, जिनमें मौखिक जानकारी को पर्याप्त माना गया था।
  4. भविष्य के लिए मार्गदर्शन:
    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय 3 अक्टूबर 2023 से लागू होगा और इसके बाद की सभी गिरफ्तारियों में गिरफ्तारी के आधारों की लिखित जानकारी देना अनिवार्य होगा।

प्रभाव और महत्व:
यह निर्णय गिरफ्तारी की प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्यायसंगतता सुनिश्चित करता है। यह न केवल PMLA के तहत, बल्कि अन्य कानूनों जैसे कि गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत की गई गिरफ्तारियों पर भी लागू होता है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है।


निष्कर्ष:
पंकज बंसल बनाम भारत संघ का निर्णय गिरफ्तारी के दौरान मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करता है कि गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों की स्पष्ट और लिखित जानकारी मिले, जिससे वह अपने बचाव के लिए प्रभावी रूप से कानूनी सहायता प्राप्त कर सके।