⚖️ ‘लापरवाह रवैया’: 2020 के ‘सांप्रदायिक ट्वीट्स’ मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर अदालत की सख्त टिप्पणी

⚖️’लापरवाह रवैया’: 2020 के ‘सांप्रदायिक ट्वीट्स’ मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर अदालत की सख्त टिप्पणी

दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ 2020 में दर्ज एफआईआर की जांच में दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता पर कड़ी नाराज़गी जताई है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (ACJM) वैभव चौरसिया ने पुलिस की जांच को “लापरवाह रवैया” करार देते हुए कहा कि अदालत द्वारा पिछले एक वर्ष से मिश्रा के ट्विटर (अब X) हैंडल से संबंधित साक्ष्य एकत्र करने के लिए कई बार निर्देश दिए गए, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

मामले की पृष्ठभूमि:
जनवरी 2020 में, दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया था कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने शाहीन बाग में “मिनी पाकिस्तान” बना दिया है, और चुनाव “भारत बनाम पाकिस्तान” के बीच होगा। इन बयानों को चुनाव आचार संहिता और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के उल्लंघन के रूप में देखा गया, जिससे विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्यता फैल सकती थी।

अदालत की टिप्पणी:
अदालत ने पाया कि मार्च 2024 से अप्रैल 2025 तक, पुलिस को लगभग दस बार निर्देश दिए गए कि वे मिश्रा के ट्विटर हैंडल से संबंधित साक्ष्य एकत्र करें, लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। अप्रैल 2025 में, डीसीपी की रिपोर्ट में कहा गया कि X कॉर्प से जानकारी प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन मई 2025 की सुनवाई में जांच एजेंसी का कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था। अदालत ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए पुलिस आयुक्त को सूचित करने का निर्णय लिया।

उच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया:
मार्च 2025 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मिश्रा की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके बयानों में “पाकिस्तान” शब्द का उपयोग “धार्मिक वैमनस्यता” फैलाने के लिए किया गया था, जो चुनावी लाभ के लिए था।

निष्कर्ष:
यह मामला दर्शाता है कि संवेदनशील मामलों में निष्पक्ष और समयबद्ध जांच कितनी महत्वपूर्ण है। अदालत की सख्त टिप्पणी से स्पष्ट है कि न्यायिक प्रणाली में लापरवाही की कोई जगह नहीं है। दिल्ली पुलिस को चाहिए कि वह अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करे, ताकि न्याय प्रक्रिया में जनता का विश्वास बना रहे।