सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: अनैतिक शर्तों के आधार पर गिफ्ट डीड रद्द नहीं की जा सकती – “मुफ्त सेवा” शर्त असंवैधानिक
(LAWS(SC)-2024-12-33, सुप्रीम कोर्ट, 2024)
🌟 प्रस्तावना
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में LAWS(SC)-2024-12-33 के फैसले में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी गिफ्ट डीड (उपहार विलेख) जिसमें प्राप्तकर्ता से जीवनभर “बिना वेतन” सेवा की शर्त जुड़ी हो, असंवैधानिक है और उसे लागू नहीं किया जा सकता। यह निर्णय न केवल संपत्ति कानून में बल्कि संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
⚖️ मामला संक्षेप में
- विवाद का विषय:
1953 में दाता (Donor) ने एक गिफ्ट डीड के माध्यम से अपनी भूमि लाभार्थियों (Donees) को इस शर्त पर हस्तांतरित की थी कि वे और उनके उत्तराधिकारी आजीवन दाता या उनके उत्तराधिकारियों की सेवा करेंगे। - दावा:
बाद में दाता के उत्तराधिकारियों ने दावा किया कि लाभार्थियों ने सेवा करना बंद कर दिया है, जिससे गिफ्ट डीड की शर्त का उल्लंघन हुआ है। इसी आधार पर गिफ्ट डीड को निरस्त करने की मांग की गई।
📝 कानूनी मुद्दा
क्या गिफ्ट डीड में निहित ऐसी शर्त — जिसमें लाभार्थी से जीवनभर “बिना वेतन” सेवा की अपेक्षा की जाए — संवैधानिक दृष्टि से वैध है? और क्या ऐसी शर्त के उल्लंघन के आधार पर गिफ्ट डीड रद्द की जा सकती है?
📌 सुप्रीम कोर्ट की मुख्य टिप्पणियां
✅ अनैतिक और असंवैधानिक शर्तें:
कोर्ट ने कहा कि लाभार्थी और उनके उत्तराधिकारियों से जीवनभर मुफ्त सेवा करवाना अनुच्छेद 23 (Art. 23) का स्पष्ट उल्लंघन है, क्योंकि यह बंधुआ मजदूरी या जबरन श्रम (Forced Labour / Begar) के समान है।
✅ संवैधानिक वरीयता:
चूंकि गिफ्ट डीड संविधान लागू होने के बाद तैयार की गई थी, अतः संविधान के मौलिक अधिकारों (Art. 14, 21 और 23) के तहत ऐसी शर्तें स्वतः ही असंवैधानिक और अमान्य मानी जाएंगी।
✅ कोई नैतिक या न्यायसंगत आधार नहीं:
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी नैतिक या न्यायसंगत तर्क एक ऐसी शर्त को वैध नहीं बना सकता, जो संविधान के विरुद्ध हो।
✅ संपत्ति कानून:
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट (TP Act) की धाराएं 126, 127, 122 और 123 भी ऐसी शर्तों को वैधता नहीं देतीं, जो असंवैधानिक हों।
⚖️ निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा दूसरी अपील को अनुमति देने के फैसले को सही ठहराया और अपील को खारिज करते हुए कहा कि:
- गिफ्ट डीड में लगी ऐसी शर्तें संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं।
- दाता या उनके उत्तराधिकारी ऐसी शर्त के उल्लंघन के आधार पर गिफ्ट डीड को रद्द नहीं कर सकते।
- संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और विशेषकर अनुच्छेद 23 के तहत जबरन श्रम निषिद्ध है और इसे किसी भी प्रकार के निजी समझौते के तहत लागू नहीं किया जा सकता।
🔎 कानूनी दृष्टिकोण
➡️ TP Act की धारा 126: उपहार को रद्द करने के लिए वैध शर्त आवश्यक है, लेकिन वह शर्त संविधान के विरुद्ध नहीं होनी चाहिए।
➡️ अनुच्छेद 23: जबरन श्रम का स्पष्ट निषेध।
➡️ अनुच्छेद 14 और 21: समानता और जीवन के अधिकार के साथ गरिमा की रक्षा।
📣 निष्कर्ष
यह फैसला संपत्ति के ट्रांसफर से जुड़े मामलों में एक अहम नजीर बन गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि संविधान के विरुद्ध कोई भी निजी शर्त लागू नहीं की जा सकती। ऐसे फैसले भारतीय न्याय व्यवस्था को और अधिक संवेदनशील तथा मानवाधिकार समर्थक बनाते हैं।