सरेंडर से पूर्व जमानत (Anticipatory Bail) नहीं की जा सकती निरस्त केवल बरामदगी के आधार पर – पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

शीर्षक:
सरेंडर से पूर्व जमानत (Anticipatory Bail) नहीं की जा सकती निरस्त केवल बरामदगी के आधार पर – पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
Ranjot Singh @ Jyoti v. State of Punjab, 2025 PbHr (CRM-M-24537-2025)

लंबा लेख:

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने Ranjot Singh @ Jyoti बनाम पंजाब राज्य के एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया कि केवल शस्त्र की बरामदगी शेष होने के आधार पर किसी अभियुक्त की अग्रिम जमानत याचिका को अस्वीकृत नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसके विरुद्ध गंभीर पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड अथवा गंभीर स्वभाव की चोट का आरोप न हो।

मामले की पृष्ठभूमि:
याचिकाकर्ता के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 115(2), 118(1), 351(2), 191(3), 190 और 74 के अंतर्गत अभियोग दर्ज किया गया था। राज्य का पक्ष यह था कि अपराध में प्रयुक्त हथियार अभी तक बरामद नहीं हुआ है, इसलिए अभियुक्त की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।

न्यायालय का अवलोकन:
न्यायमूर्ति की एकल पीठ ने कहा कि:

  • याचिकाकर्ता पर आरोपित चोट साधारण प्रकृति की है।
  • याचिकाकर्ता के विरुद्ध पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।
  • याचिकाकर्ता की ओर से यह स्पष्ट आश्वासन दिया गया कि वह जांच में पूर्ण सहयोग करेगा एवं जब भी बुलाया जाएगा, उपस्थित रहेगा।

कोर्ट का निर्णय:

  • कोर्ट ने यह माना कि केवल शस्त्र की बरामदगी को आधार बनाकर अग्रिम जमानत अस्वीकार करना संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
  • याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत प्रदान की गई, इस शर्त के साथ कि वह जांच में शामिल होगा।
  • याचिका धारा 482 बीएनएसएस (BNSS – Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) के अंतर्गत दायर की गई थी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।

न्यायालय का तर्क:

“जब अभियुक्त के विरुद्ध कोई गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं हो, और आरोपित चोट साधारण हो, तो केवल बरामदगी के लिए उसे हिरासत में लेना आवश्यक नहीं माना जा सकता।”

निष्कर्ष:
इस निर्णय के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत के सिद्धांतों को पुनः स्पष्ट किया कि जमानत व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करती है, और जब तक अभियुक्त जांच में सहयोग करने को तैयार है, तब तक उसे केवल तकनीकी आधारों पर हिरासत में नहीं लिया जाना चाहिए।