प्रश्न 5: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) की भूमिका समझाइए।
उत्तर:
परिचय:
डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) कंप्यूटर सुरक्षा और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की वैधता सुनिश्चित करने का एक अत्यंत महत्वपूर्ण तकनीकी और कानूनी उपकरण है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ने डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता प्रदान की है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन, अनुबंध, और दस्तावेजों की प्रमाणीकरण प्रक्रिया संभव हुई।
डिजिटल हस्ताक्षर क्या है?
डिजिटल हस्ताक्षर एक इलेक्ट्रॉनिक कोड होता है जो किसी इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ के साथ जुड़ा होता है। यह कोड दस्तावेज़ के प्रामाणिकता, अखंडता (integrity), और प्रमाणिकता (authenticity) की पुष्टि करता है। डिजिटल हस्ताक्षर पारंपरिक हस्ताक्षर की तुलना में अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद होता है क्योंकि यह क्रिप्टोग्राफी (cryptography) तकनीक पर आधारित होता है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में डिजिटल हस्ताक्षर की भूमिका:
- वैधता और कानूनी मान्यता:
अधिनियम की धारा 5 के तहत डिजिटल हस्ताक्षर को पारंपरिक हस्ताक्षर के समान कानूनी मान्यता प्राप्त है। इसका अर्थ यह है कि डिजिटल हस्ताक्षर वाले दस्तावेज़ अदालत में प्रमाण के रूप में स्वीकार किए जाएंगे। - प्रमाणीकरण (Authentication):
डिजिटल हस्ताक्षर यह सुनिश्चित करता है कि दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति वही है जो वह दावा करता है। यह पहचान की सुरक्षा करता है। - अखंडता (Integrity):
डिजिटल हस्ताक्षर यह सुनिश्चित करता है कि दस्तावेज़ में हस्ताक्षर के बाद कोई भी परिवर्तन नहीं हुआ है। अगर दस्तावेज़ में कोई छेड़छाड़ होती है तो हस्ताक्षर अमान्य हो जाता है। - सर्टिफाइंग अथॉरिटी (Certifying Authority):
डिजिटल हस्ताक्षर जारी करने के लिए अधिनियम के अंतर्गत नियंत्रक (Controller) द्वारा अनुमोदित सर्टिफाइंग अथॉरिटी नियुक्त की जाती है। ये संस्थान डिजिटल प्रमाणपत्र जारी करते हैं जो डिजिटल हस्ताक्षर को वैध बनाते हैं। - ई-गवर्नेंस और ई-कॉमर्स में सहायता:
डिजिटल हस्ताक्षर के प्रयोग से सरकारी सेवाओं और व्यावसायिक लेन-देन में तेजी, पारदर्शिता, और सुरक्षा बढ़ती है। इससे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को स्वीकार्यता मिलती है और धोखाधड़ी की संभावना कम होती है। - सुरक्षा और गोपनीयता:
डिजिटल हस्ताक्षर क्रिप्टोग्राफिक तकनीक की मदद से दस्तावेज़ की सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखता है।
निष्कर्ष:
डिजिटल हस्ताक्षर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का एक स्तंभ है, जिसने इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों और लेन-देन को वैधानिक रूप से मान्यता दी। यह तकनीक न केवल कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि डिजिटल युग में व्यवसाय और प्रशासन को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाती है। डिजिटल हस्ताक्षर की भूमिका भविष्य में और भी महत्वपूर्ण होती जाएगी क्योंकि भारत और विश्व डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहे हैं।