प्रश्न 3: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत साइबर अपराधों की परिभाषा तथा उनके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिचय:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के माध्यम से भारत में साइबर अपराधों के विरुद्ध एक प्रभावी कानूनी ढांचा प्रदान किया गया है। डिजिटल तकनीक और इंटरनेट की बढ़ती उपलब्धता ने जहाँ एक ओर सुविधाएँ प्रदान की हैं, वहीं दूसरी ओर अनेक अपराधों के नए रूपों को जन्म दिया है, जिन्हें सामूहिक रूप से साइबर अपराध (Cyber Crime) कहा जाता है।
साइबर अपराध की परिभाषा:
साइबर अपराध वह अवैध कार्य है जो कंप्यूटर, इंटरनेट, नेटवर्क, या अन्य डिजिटल माध्यमों की सहायता से किया जाता है। यह अपराध किसी व्यक्ति, संस्था या सरकार के विरुद्ध हो सकता है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अनुसार, ऐसे सभी कृत्य जो कंप्यूटर संसाधनों का दुरुपयोग कर किसी व्यक्ति की जानकारी, संपत्ति, प्रतिष्ठा, या गोपनीयता को क्षति पहुँचाते हैं, साइबर अपराध की श्रेणी में आते हैं।
साइबर अपराधों के प्रकार:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत साइबर अपराधों को विभिन्न श्रेणियों में बाँटा गया है:
1. हैकिंग (Hacking):
अनधिकृत रूप से किसी कंप्यूटर या नेटवर्क प्रणाली में प्रवेश करना और उसमें बदलाव या नुकसान पहुँचाना।
धारा: 66
2. डेटा चोरी (Data Theft):
किसी व्यक्ति या संस्था की निजी या गोपनीय जानकारी को चोरी करना या उपयोग करना।
धारा: 43 और 66
3. वायरस फैलाना (Spreading Virus):
कंप्यूटर प्रणाली को हानि पहुँचाने वाले सॉफ़्टवेयर (जैसे वायरस, वर्म्स आदि) का प्रसार करना।
4. डेनायल ऑफ सर्विस (DoS) अटैक:
किसी वेबसाइट या सर्वर को इतना अधिक ट्रैफिक भेजकर अस्थायी रूप से बंद कर देना।
5. फिशिंग (Phishing):
फर्जी ईमेल या वेबसाइट के माध्यम से किसी की बैंक जानकारी या पासवर्ड प्राप्त करने का प्रयास।
6. साइबर स्टॉकिंग (Cyber Stalking):
किसी व्यक्ति का बार-बार डिजिटल माध्यम से पीछा करना या परेशान करना।
7. साइबर पोर्नोग्राफी:
इंटरनेट के माध्यम से अश्लील सामग्री का निर्माण, प्रकाशन, या वितरण।
धारा: 67
8. ईमेल स्पूफिंग (Email Spoofing):
किसी अन्य व्यक्ति की पहचान छिपाकर झूठा ईमेल भेजना।
9. ऑनलाइन फ्रॉड (Online Fraud):
ई-कॉमर्स या डिजिटल लेन-देन के माध्यम से धोखाधड़ी करना।
10. वेबसाइट डिफेसमेंट (Website Defacement):
किसी वेबसाइट को हैक कर उसका मूल स्वरूप बदल देना, अक्सर राजनीतिक या सामाजिक विरोध के रूप में।
निष्कर्ष:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत साइबर अपराधों की पहचान और उनके लिए दंड के प्रावधान आधुनिक डिजिटल युग के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इन अपराधों का स्वरूप तेजी से बदल रहा है, जिससे निपटने के लिए न केवल कानूनी दृष्टिकोण से सजग रहने की आवश्यकता है, बल्कि तकनीकी जागरूकता भी समय की माँग है।