राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश: साइबर फ्रॉड में बैंक की जिम्मेदारी और पीड़ित को ब्याज सहित भारी भरपाई का निर्देश

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राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश: साइबर फ्रॉड में बैंक की जिम्मेदारी और पीड़ित को ब्याज सहित भारी भरपाई का निर्देश


परिचय:

साइबर फ्रॉड की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे आम नागरिकों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। ऐसे मामलों में बैंक और वित्तीय संस्थानों की भूमिका और जिम्मेदारी पर चर्चा अहम हो जाती है। राजस्थान हाईकोर्ट ने 8 मई 2025 को साइबर फ्रॉड के मामले में बैंक की जवाबदेही को स्पष्ट करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इस फैसले ने बैंकिंग सेक्टर में ग्राहक संरक्षण की नई मिसाल कायम की है।


मामले का संक्षिप्त विवरण:

  • याचिकाकर्ता राकेश तोतूका के बैंक खाते से 58.93 लाख रुपये की साइबर ठगी हुई।
  • ठगी का पता चलते ही याचिकाकर्ता ने तीन दिन के अंदर बैंक को सूचित किया, जैसा कि RBI की 2017 की गाइडलाइन में निर्देशित है।
  • बैंक ने आरोप लगाया कि उसने ग्राहक के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर अलर्ट भेजे और किसी लापरवाही का दोष नहीं।
  • RBI के ऑम्बुड्समैन ने याचिका के बाद केवल 15.60 लाख रुपये का भुगतान किया।
  • कोर्ट ने बैंक की दलीलों को खारिज करते हुए बैंक को साढ़े 43 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया।

कोर्ट का फैसला और तर्क:

  • बैंक की आंतरिक जोखिम निगरानी प्रणाली ने कई संदिग्ध लेनदेन चिन्हित किए थे, लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।
  • RBI की गाइडलाइन के अनुसार, ग्राहक द्वारा तीन दिन के अंदर सूचना देने पर बैंक को पूरी राशि लौटाने की जिम्मेदारी होती है।
  • डिजिटल युग में साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए बैंक की भूमिका न केवल ग्राहक की सुरक्षा करना है बल्कि समय पर उचित कदम उठाना भी जरूरी है।
  • बैंक की ओर से कोई ठोस प्रमाण नहीं दिया गया कि उसने सभी सतर्कता बरती है।

RBI के लिए निर्देश:

  • अदालत ने RBI को साइबर धोखाधड़ी के बारे में जन-जागरूकता अभियान चलाने के लिए भी कहा है।
  • बैंकिंग सेक्टर की आंतरिक प्रणाली को और अधिक मजबूत करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया गया।
  • डिजिटल लेन-देन और मोबाइल बैंकिंग में सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

साइबर फ्रॉड के बढ़ते खतरे और ग्राहक संरक्षण:

  • डिजिटल लेन-देन के बढ़ने से साइबर फ्रॉड की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं।
  • ग्राहक की आर्थिक सुरक्षा के लिए बैंक और वित्तीय संस्थानों की जवाबदेही अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है।
  • RBI की गाइडलाइन के तहत समय पर सूचना देना और बैंक की त्वरित कार्रवाई ग्राहकों के हित में हैं।
  • अदालत के फैसले ने स्पष्ट किया कि ग्राहक की सूचना मिलने के बाद बैंक को आर्थिक हानि की भरपाई करनी होगी।

निष्कर्ष:

राजस्थान हाईकोर्ट का यह आदेश साइबर फ्रॉड से प्रभावित ग्राहकों के लिए एक बड़ी राहत है। इस फैसले से स्पष्ट हुआ कि डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में बैंक की जिम्मेदारी और सतर्कता अनिवार्य है। साथ ही, RBI को साइबर धोखाधड़ी के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने और बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए कदम उठाने होंगे। यह निर्णय भविष्य में साइबर अपराध के मामलों में न्याय और ग्राहक संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।