“‘Principal Employer’ की परिभाषा का व्यापक विस्तार: सुप्रीम कोर्ट का Employees’ State Insurance Act, 1948 पर ऐतिहासिक निर्णय”
लेख:
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में Ajay Raj Shetty vs Director and Anr मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए, Employees’ State Insurance Act, 1948 (ESI Act) की धारा 2(17) के अंतर्गत ‘Principal Employer’ की परिभाषा को एक नई दिशा दी है। यह फैसला श्रम कानूनों के क्रियान्वयन में स्पष्टता लाने और श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि:
Ajay Raj Shetty द्वारा दायर याचिका में यह मुद्दा उठाया गया था कि क्या वे वास्तव में ‘Principal Employer’ माने जा सकते हैं, जब वे एक कंपनी में एक विशिष्ट पद (designation) पर कार्यरत थे। उन्होंने तर्क दिया कि वे कंपनी के स्वामी या अधिकृत अधिकारी नहीं हैं, अतः उन पर ईएसआई अधिनियम के तहत दायित्व नहीं डाला जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी:
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि:
- औपचारिक पद की सीमा नहीं:
‘Principal Employer’ केवल मालिक, साझेदार, या निदेशक होने तक सीमित नहीं है। यदि कोई व्यक्ति किसी कारखाने के मालिक या अधिभोक्ता (occupier) के अभिकर्ता (agent) के रूप में कार्य करता है, या उस इकाई की देखरेख एवं नियंत्रण करता है, तो वह अधिनियम की दृष्टि में ‘Principal Employer’ की श्रेणी में आ सकता है। - कार्यात्मक भूमिका का महत्व:
पदनाम (designation) से अधिक महत्वपूर्ण उस व्यक्ति की भूमिका और कार्य हैं। यदि कोई व्यक्ति कर्मचारियों की नियुक्ति, कार्यों का प्रबंधन, या वेतन भुगतान जैसे क्रियाकलापों की निगरानी करता है, तो वह वास्तव में नियंत्रक (controller/supervisor) की भूमिका निभाता है और इस प्रकार अधिनियम के तहत उत्तरदायी होगा। - ESI अधिनियम का उद्देश्य:
यह अधिनियम श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए बना है। इसे कठोर तकनीकी व्याख्याओं से बाधित नहीं किया जाना चाहिए। इसके व्यापक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि जिम्मेदारियों से बचने के लिए तकनीकी बहानों की अनुमति नहीं दी जा सकती।
निर्णय और प्रभाव:
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को अस्वीकार करते हुए उन्हें ‘Principal Employer’ मानते हुए यह कहा कि यदि कोई व्यक्ति कंपनी की ओर से कार्य करते हुए श्रमिकों की सेवा शर्तों को प्रभावित करता है, तो वह उत्तरदायी होगा।
यह निर्णय विशेष रूप से उन मामलों में मार्गदर्शक सिद्ध होगा, जहाँ प्रबंधक, सुपरवाइजर या अधिकारी अपने पद से बचने के लिए ‘Principal Employer’ होने से इनकार करते हैं।
निष्कर्ष:
Ajay Raj Shetty बनाम Director and Anr का निर्णय श्रमिक हितों की सुरक्षा की दिशा में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाया गया एक मजबूत कदम है। यह निर्णय स्पष्ट करता है कि कानूनी उत्तरदायित्व केवल नाममात्र के मालिक पर नहीं, बल्कि वास्तविक नियंत्रण और पर्यवेक्षण करने वाले व्यक्तियों पर भी लागू हो सकता है। इससे ESI अधिनियम की भावना को मजबूती मिलती है और कार्यस्थलों पर जवाबदेही का दायरा व्यापक होता है।