लिक्विडेशन प्रक्रिया (Liquidation Process) के अंतर्गत परिसंपत्तियों के निपटान की विधि को समझाइए।

लिक्विडेशन प्रक्रिया (Liquidation Process) के अंतर्गत परिसंपत्तियों के निपटान की विधि
(Method of Disposal of Assets under Liquidation Process)


परिचय
जब किसी कंपनी के दिवालियापन समाधान की प्रक्रिया (Insolvency Resolution Process) असफल हो जाती है या ऋणदाताओं की समिति (Committee of Creditors – CoC) द्वारा लिक्विडेशन की अनुशंसा की जाती है, तब दिवालियापन और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (IBC, 2016) के अंतर्गत उस कंपनी का लिक्विडेशन (Liquidation) किया जाता है। लिक्विडेशन का उद्देश्य कंपनी की परिसंपत्तियों (Assets) को उचित मूल्य पर बेचकर ऋणदाताओं, लेनदारों और अन्य हितधारकों के दावों की पूर्ति करना होता है।


लिक्विडेशन प्रक्रिया की शुरुआत
जब NCLT (National Company Law Tribunal) द्वारा किसी कंपनी के लिए लिक्विडेशन आदेश जारी किया जाता है, तो एक लिक्विडेटर नियुक्त किया जाता है। यह लिक्विडेटर कंपनी की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करता है, उन्हें बेचता है और प्राप्त राशि को वरीयता के आधार पर वितरित करता है।


IBC के तहत परिसंपत्तियों के निपटान की विधियाँ (Methods of Disposal of Assets)

IBC और IBBI (Liquidation Process) Regulations, 2016 के अनुसार परिसंपत्तियों का निपटान निम्नलिखित विधियों से किया जा सकता है:

1. सार्वजनिक नीलामी (Public Auction)

  • यह परिसंपत्तियों के निपटान का प्राथमिक तरीका है।
  • इसकी पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने हेतु नीलामी की विस्तृत प्रक्रिया अपनाई जाती है।
  • लिक्विडेटर को नीलामी की तिथि, शर्तें और आरक्षित मूल्य (Reserve Price) प्रकाशित करना होता है।
  • नीलामी असफल होने पर कीमत घटाकर पुनः प्रयास किया जाता है (price discovery process)।

2. प्रत्यक्ष सौदा (Private Sale)

  • यदि नीलामी विफल रहती है, या परिसंपत्ति अद्वितीय/विशिष्ट है, तो लिक्विडेटर इसे निजी सौदे के माध्यम से बेच सकता है।
  • इसके लिए CoC की पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता हो सकती है।
  • यह विधि तब उपयोगी होती है जब संभावित खरीदार सीमित हों।

3. Going Concern के रूप में बिक्री

  • कंपनी की सम्पूर्ण व्यवसायिक इकाई को एक Going Concern के रूप में बेचा जा सकता है।
  • इसमें कर्मचारियों, अनुबंधों, लाइसेंसों, संपत्तियों, और देनदारियों को साथ में स्थानांतरित किया जाता है।
  • यह विधि व्यवसाय की निरंतरता बनाए रखती है और अधिकतम मूल्य वसूली सुनिश्चित कर सकती है।

4. Asset-wise बिक्री (Piecemal Sale)

  • यदि Going Concern बिक्री संभव नहीं है, तो परिसंपत्तियों को अलग-अलग भागों में (asset class-wise) बेच दिया जाता है।
  • उदाहरण: भूमि, मशीनरी, वाहन, बौद्धिक संपदा (IPR) आदि को अलग-अलग बेचना।

परिसंपत्तियों के मूल्य निर्धारण और मूल्यांकन

  • परिसंपत्तियों के निपटान से पूर्व दो स्वतंत्र पंजीकृत मूल्यांकनकर्ताओं (Registered Valuers) द्वारा परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करवाया जाता है।
  • इससे Fair Value और Liquidation Value का निर्धारण होता है।
  • नीलामी में आमतौर पर रिजर्व प्राइस Liquidation Value के बराबर या उससे अधिक होता है।

लिक्विडेशन प्रक्रिया में निपटान की प्राथमिकता (Distribution Priority – Section 53 of IBC)

प्राप्त राशि का वितरण निम्नलिखित क्रम में किया जाता है:

  1. लिक्विडेशन खर्चे
  2. सुरक्षित ऋणदाता (Secured Creditors)
  3. कर्मचारियों के वेतन और बकाया
  4. अनसुरक्षित ऋणदाता (Unsecured Creditors)
  5. सरकारी बकाया
  6. शेष अंशधारकों को (Shareholders) (यदि कोई राशि शेष बचती है)

विलंब और जटिलताओं से बचाव

  • परिसंपत्तियों की पहचान, वर्गीकरण और तेजी से बिक्री पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
  • IBBI द्वारा नियमित दिशानिर्देश और समयसीमा निर्धारित की गई है (जैसे – 1 वर्ष के भीतर प्रक्रिया पूर्ण करना)।

निष्कर्ष
लिक्विडेशन प्रक्रिया में परिसंपत्तियों के निपटान की विधियाँ इस प्रकार डिजाइन की गई हैं कि वे अधिकतम मूल्य वसूली, पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करें। सार्वजनिक नीलामी प्राथमिक विधि है, लेकिन परिस्थितियों के अनुसार अन्य विकल्पों को भी अपनाया जाता है। IBC और IBBI के दिशा-निर्देशों के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी हितधारकों को न्यायसंगत और उचित रूप से लाभ मिले।

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