U.P. REVENUE CODE, 2006 से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1:

UP Revenue Code को किन क्षेत्रों में लागू किया जाता है और किन क्षेत्रों में यह लागू नहीं है?

उत्तर:
UP Revenue Code, 2006 उत्तर प्रदेश राज्य में भूमि संबंधी मामलों के निपटारे और प्रशासन के लिए लागू किया गया है। यह कानून ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के प्रबंधन, कब्जे, और भूमि संबंधी विवादों के समाधान के लिए लागू होता है। यह शहरी क्षेत्रों में भूमि संबंधित मामलों पर लागू नहीं होता है, जहाँ अन्य शहरी कानून लागू होते हैं।


प्रश्न 2:
UP Revenue Code, 2006 के तहत निम्नलिखित शब्दों की परिभाषा दीजिए:

  1. कृषि:
    कृषि का मतलब है भूमि पर उत्पादन करने की प्रक्रिया, जिसमें फसलें उगाना, फल, फूल, और अन्य कृषि उत्पादों का उत्पादन शामिल है।
  2. कृषक श्रमिक:
    कृषक श्रमिक वे व्यक्ति होते हैं जो भूमि पर श्रम करते हैं, लेकिन उनका खुद का भूमि पर कोई मालिकाना हक नहीं होता है।
  3. आबादी:
    आबादी वह भूमि होती है जो किसी गाँव या शहर में निवास स्थान के लिए उपयोग होती है।
  4. भूमि प्रबंधक समिति:
    भूमि प्रबंधक समिति गाँव में भूमि के प्रशासन और प्रबंधन के लिए बनाई जाती है। यह समिति भूमि के सही वितरण और उपयोग की निगरानी करती है।

प्रश्न 3:
‘परिवार’ की परिभाषा UP Revenue Code, 2006 के तहत क्या है?

उत्तर:
‘परिवार’ का अर्थ है एक संयुक्त परिवार, जिसमें पति, पत्नी, बच्चे और अन्य निर्भर सदस्य शामिल होते हैं, जो एक साथ रहते हैं और आमतौर पर एक ही भूमि या संपत्ति पर निर्भर रहते हैं।


प्रश्न 4:
निम्नलिखित शब्दों की परिभाषा दीजिए:

  1. बोर्ड:
    बोर्ड वह संस्थान होता है जिसे राज्य सरकार द्वारा भूमि से संबंधित मामलों के समाधान के लिए स्थापित किया जाता है।
  2. संग्राहक (Collector):
    संग्राहक वह अधिकारी होता है जो राजस्व से संबंधित मामलों का निपटारा करता है और भूमि से संबंधित सरकारी कार्यों की देखरेख करता है।
  3. चैरिटेबल संस्था (Charitable Institution):
    चैरिटेबल संस्था वह संगठन होता है जिसका मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक भलाई के लिए काम करना और लाभ के बजाय दान और सहायता प्रदान करना होता है।

प्रश्न 5:
निम्नलिखित शब्दों की परिभाषा दीजिए:

  1. संविलित गांव कोष:
    यह वह कोष है जो गांव के विकास के लिए जमा किया जाता है, और इसमें विभिन्न प्रकार के सरकारी और गैर-सरकारी फंड शामिल होते हैं।
  2. बगवानी भूमि:
    बगवानी भूमि वह भूमि होती है जो बागवानी के उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती है, जैसे फल और फूलों का उत्पादन।
  3. होल्डिंग (Holding):
    होल्डिंग वह भूमि होती है जो किसी व्यक्ति या परिवार के पास होती है और जिसे वह अपने अधिकार में रखता है।
  4. सुधार (Improvement):
    सुधार का मतलब है भूमि की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए किए गए कार्य, जैसे जल संचयन, सिंचाई प्रणाली का निर्माण या अन्य स्थायी कार्य।

प्रश्न 6:
UP Revenue Code, 2006 के तहत भूमि और भूमि मालिक का क्या अर्थ है?

उत्तर:
भूमि का मतलब है वह संपत्ति जो किसी व्यक्ति के पास होती है और जिस पर वह कृषि, निर्माण या अन्य उपयोग करता है। भूमि मालिक वह व्यक्ति होता है जो भूमि का मालिक होता है और जिसका भूमि पर अधिकार होता है।


प्रश्न 7:
निम्नलिखित शब्दों की परिभाषा दीजिए:

  1. राजस्व न्यायालय (Revenue Court):
    राजस्व न्यायालय वह अदालत होती है जिसमें भूमि और राजस्व से संबंधित मामले सुलझाए जाते हैं।
  2. राजस्व अधिकारी (Revenue Officer):
    राजस्व अधिकारी वह व्यक्ति होता है जो भूमि और संपत्ति से संबंधित सरकारी कार्यों का निष्पादन करता है और राजस्व मामलों का समाधान करता है।
  3. ताऊग्या प्लांटेशन (Taungya Plantation):
    ताऊग्या प्लांटेशन एक कृषि पद्धति है जिसमें पेड़-पौधे और कृषि फसलें एक साथ उगाई जाती हैं, आमतौर पर जंगल के क्षेत्रों में।
  4. पट्टा (Lease):
    पट्टा वह कानूनी अनुबंध होता है जिसके तहत एक व्यक्ति अपनी भूमि का उपयोग दूसरों को अस्थायी रूप से करने की अनुमति देता है, और इसके बदले में किराया प्राप्त करता है।

प्रश्न 8:
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखिए:

  1. मध्यस्थ (Intermediary):
    मध्यस्थ वह व्यक्ति होता है जो भूमि के मालिक और भूमि उपयोगकर्ता के बीच एक मध्यस्थ के रूप में काम करता है और भूमि के लेन-देन में हस्तक्षेप करता है।
  2. गांव (Village):
    गांव एक ग्रामीण बस्ती होती है, जहां लोग मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन, और अन्य स्थानीय कार्यों में संलग्न होते हैं।
  3. गांव शिल्पी (Village Artisan):
    गांव शिल्पी वह व्यक्ति होते हैं जो गांव में विभिन्न शिल्प कार्यों में संलग्न होते हैं, जैसे बुनाई, मिट्टी के बर्तन बनाना या अन्य पारंपरिक कला कार्य।
  4. किसान बही (Kisan Bahi)

 किसान बही एक रजिस्टर है, जिसमें भूमि के मालिक द्वारा भूमि पर किए गए कार्यों, फसलों के विवरण, राजस्व भुगतान और अन्य संबंधित गतिविधियों की जानकारी दी जाती है। यह कृषि भूमि की रिकॉर्डिंग और कृषि कार्यों के प्रबंधन के लिए उपयोगी होता है।


प्रश्न 5:
फैसला (Decree)

उत्तर:
फैसला एक न्यायिक आदेश है जो किसी मामले में कोर्ट द्वारा पारित किया जाता है। यह आदेश किसी विवाद, दावे या समस्या का अंतिम समाधान प्रदान करता है।


प्रश्न 9:
UP Revenue Code, 2006 के तहत राजस्व क्षेत्रों की संविधान

उत्तर:
UP Revenue Code, 2006 के अनुसार राजस्व क्षेत्र वह क्षेत्र होते हैं जो राजस्व प्रशासन के तहत आते हैं। इन क्षेत्रों का गठन, सीमा, प्रशासन और वितरण राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। राजस्व क्षेत्र में भूमि संबंधी सभी कार्यों का प्रबंधन किया जाता है, और यहां के अधिकारी भूमि रिकॉर्ड, राजस्व संग्रहण और अन्य भूमि से संबंधित मामलों का निपटारा करते हैं।


प्रश्न 10:
राजस्व बोर्ड का क्या अर्थ है? बोर्ड का कार्य वितरण और अधिकारक्षेत्र का विवरण करें।

उत्तर:
राजस्व बोर्ड वह संस्था होती है जो राज्य में राजस्व मामलों का संचालन और प्रशासन करती है। बोर्ड को राज्य सरकार द्वारा स्थापित किया जाता है। बोर्ड का कार्य वितरण यह सुनिश्चित करता है कि विभिन्न राजस्व कार्य जैसे भूमि की व्यवस्था, मूल्यांकन और वितरण आदि को सही तरीके से किया जाए। बोर्ड का अधिकारक्षेत्र राज्य के सभी राजस्व कार्यों पर होता है, और यह भूमि विवादों के समाधान के लिए अंतिम प्राधिकरण होता है।


प्रश्न 11:
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखिए:

(a) कमिश्नर और अतिरिक्त कमिश्नर (Commissioner and Additional Commissioner):
कमिश्नर राज्य के उच्चतम राजस्व अधिकारी होते हैं जो राजस्व मामलों के संचालन की निगरानी करते हैं। अतिरिक्त कमिश्नर कमिश्नर की सहायता करते हैं और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में प्रशासनिक कार्यों का संचालन करते हैं।

(b) राजस्व निरीक्षक और लेखपाल (Revenue Inspector and Lekhpal):
राजस्व निरीक्षक वह अधिकारी होते हैं जो राजस्व और भूमि से संबंधित मामलों की जांच करते हैं और लेखपाल भूमि रिकॉर्ड का रखरखाव और संपादन करते हैं। लेखपाल भूमि के रिकॉर्ड को सही बनाए रखते हैं और राजस्व संग्रहण में मदद करते हैं।


प्रश्न 12:
UP Revenue Code, 2006 के तहत सीमा विवादों का निपटान प्रक्रिया

उत्तर:
सीमा विवादों का निपटान तब किया जाता है जब दो या दो से अधिक भूमि मालिकों के बीच भूमि की सीमाओं को लेकर विवाद होता है। इस प्रक्रिया में, संबंधित राजस्व अधिकारी या न्यायालय द्वारा सीमा का पुनर्निर्धारण किया जाता है और विवादित क्षेत्रों की सही पहचान की जाती है।


प्रश्न 13:
राइट ऑफ वे और अन्य सहायक अधिकारों पर संक्षिप्त नोट

उत्तर:
राइट ऑफ वे (Right of Way) वह अधिकार होता है जिसके तहत किसी व्यक्ति को एक अन्य व्यक्ति की भूमि से गुजरने का अधिकार होता है। यह आमतौर पर सार्वजनिक उपयोग के लिए होता है, जैसे सड़क या रेलमार्ग। अन्य सहायक अधिकार (Easements) वे अधिकार होते हैं जो एक भूमि मालिक को अपनी भूमि पर अन्य के अधिकारों को स्वीकार करने की अनुमति देते हैं, जैसे जल निकासी या सड़क निर्माण।


प्रश्न 14:
गांव क्या है? UP Revenue Code, 2006 के तहत गांवों की सूची का क्या अर्थ है?

उत्तर:
गांव एक ग्रामीण बस्ती है जिसमें लोग कृषि, पशुपालन और अन्य स्थानीय कार्यों में संलग्न होते हैं। UP Revenue Code, 2006 के तहत गांवों की सूची वह दस्तावेज है जिसमें राज्य के सभी गांवों के नाम और उनके संबंधित राजस्व रिकॉर्ड शामिल होते हैं। यह सूची भूमि प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण है।


प्रश्न 15:
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखिए:

  1. खसरा या खेत बॉक (Khasra or Field Book):
    खसरा बॉक एक रजिस्टर होता है जिसमें भूमि की विशेषताओं जैसे क्षेत्रफल, उपयोग की स्थिति, और मालिक का विवरण दर्ज किया जाता है।
  2. अधिकारों का रिकॉर्ड (Record of Rights):
    यह दस्तावेज है जिसमें भूमि मालिकों के अधिकारों, भूमि की स्थिति और अन्य संबंधित जानकारी का विवरण होता है।
  3. वार्षिक रजिस्टर (Annual Register):
    यह रजिस्टर हर साल भूमि से संबंधित गतिविधियों, फसल उत्पादन और राजस्व संग्रह का रिकॉर्ड रखता है।
  4. रिकॉर्ड का सुधार (Correction of Records):
    यह प्रक्रिया तब होती है जब भूमि रिकॉर्ड में कोई गलती या त्रुटि पाई जाती है और उसे सही किया जाता है।

प्रश्न 16:
UP Revenue Code, 2006 के तहत नामों के म्यूटेशन की प्रक्रिया

उत्तर:
नाम म्यूटेशन की प्रक्रिया में, जब भूमि का स्वामित्व बदलता है (जैसे बिक्री, दान, उत्तराधिकार आदि), तो संबंधित राजस्व अधिकारी को भूमि के रिकॉर्ड में स्वामित्व का नाम अपडेट करना होता है। इस प्रक्रिया में सभी दस्तावेजों की जांच और प्रमाण पत्रों की सत्यता सुनिश्चित की जाती है।


प्रश्न 17:
UP Revenue Code, 2006 के तहत मानचित्रों और रिकॉर्डों के संशोधन की प्रक्रिया

उत्तर:
मानचित्रों और रिकॉर्डों के संशोधन में, जब भूमि के आकार या सीमा में बदलाव होता है, तो मानचित्र और संबंधित रिकॉर्डों को सही किया जाता है। यह प्रक्रिया राजस्व अधिकारियों द्वारा की जाती है, जिसमें प्रमाणिकता की जांच और भूमि के वास्तविक स्थिति का निर्धारण किया जाता है।


प्रश्न 18:
UP Revenue Code, 2006 के तहत रिकॉर्ड अधिकारी और सहायक रिकॉर्ड अधिकारी के प्रावधानों के बारे में बताएं। रिकॉर्ड अधिकारी के अधिकार और कर्तव्यों की व्याख्या करें।

उत्तर:
रिकॉर्ड अधिकारी वह अधिकारी होते हैं जिनका मुख्य कार्य भूमि रिकॉर्ड की निगरानी और प्रबंधन करना होता है। उनके पास भूमि रिकॉर्ड को सही करने, जांचने और अपडेट करने का अधिकार होता है। सहायक रिकॉर्ड अधिकारी, रिकॉर्ड अधिकारी के तहत काम करते हैं और उनका सहयोग करते हैं।


प्रश्न 19:
भूमि से आपका क्या अभिप्राय है? UP Revenue Code, 2006 के तहत भूमि पर स्वामित्व के विषय को समझाएं।

उत्तर:
भूमि का मतलब है वह संपत्ति जो किसी व्यक्ति के पास होती है और जिसका वह उपयोग करता है। UP Revenue Code, 2006 के तहत भूमि स्वामित्व का अर्थ है भूमि पर अधिकार, जिसे प्रमाणित और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त हो। इसमें भूमि के मालिक का नाम, उसके अधिकार और उपयोग की शर्तें शामिल होती हैं।


प्रश्न 20:
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखिए:

  1. खनिज और खनिज (Mines and Minerals):
    खनिज वह प्राकृतिक संसाधन होते हैं जो भूमि के भीतर पाए जाते हैं और जिन्हें आर्थिक उपयोग के लिए निकाला जाता है।
  2. वृक्षों पर अधिकार (Rights in Trees):
    वृक्षों पर अधिकार का मतलब है भूमि पर उगने वाले वृक्षों का मालिकाना अधिकार, जैसे कि लकड़ी काटने का अधिकार या फलोत्पादन का अधिकार।
  3. फल देने वाले वृक्ष (Fruit Bearing Trees):
    फल देने वाले वृक्ष वे होते हैं जो फल उत्पन्न करते हैं और जिन्हें कृषि या वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उगाया जाता है।

प्रश्न 21:
UP Land Revenue Code, 2006 के तहत राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों और अन्य स्थानीय प्राधिकरणों को भूमि सौंपने के प्रावधान

उत्तर:
UP Land Revenue Code, 2006 के तहत राज्य सरकार को अधिकार है कि वह ग्राम पंचायतों और अन्य स्थानीय प्राधिकरणों को भूमि सौंप सके, ताकि यह भूमि समुदायिक कार्यों, विकास कार्यों या सार्वजनिक लाभ के लिए इस्तेमाल हो सके। सरकार द्वारा दी गई भूमि का उपयोग ग्राम पंचायतें और स्थानीय प्राधिकरण अपनी योजनाओं के तहत कर सकती हैं, जैसे स्कूल, अस्पताल, सड़क निर्माण आदि के लिए। इसके अलावा, ऐसी भूमि के प्रबंधन और उपयोग के लिए संबंधित प्राधिकरण को नियम और दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए जाते हैं।


प्रश्न 22 (a):
भूमि प्रबंधन समिति के अधिकारों पर चर्चा करें।

उत्तर:
भूमि प्रबंधन समिति को राज्य सरकार द्वारा भूमि के उचित प्रबंधन, वितरण और उपयोग के लिए स्थापित किया जाता है। इसके अधिकारों में भूमि का सर्वेक्षण, भूमि के अव्यवस्थित या गलत उपयोग की निगरानी, भूमि का उचित और न्यायसंगत वितरण, और भूमि विवादों का निवारण शामिल है। समिति यह सुनिश्चित करती है कि भूमि का उपयोग स्थानीय समुदाय के विकास के लिए किया जाए और किसी भी गलत तरीके से भूमि का उपयोग या कब्जा न हो।


प्रश्न 22 (b):
ग्राम पंचायत की संपत्ति के नुकसान, अपव्यय और गलत कब्जे को रोकने के लिए शक्तियाँ

उत्तर:
ग्राम पंचायत की संपत्ति के नुकसान, अपव्यय और गलत कब्जे को रोकने के लिए, ग्राम पंचायत को विशेष अधिकार प्रदान किए जाते हैं। इसमें संपत्ति की सुरक्षा, अवैध कब्जे की रोकथाम, और किसी भी प्रकार की अपव्यय की निगरानी शामिल है। अगर कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत की संपत्ति का गलत तरीके से उपयोग या कब्जा करता है, तो पंचायत को उसे हटाने या कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार होता है।


प्रश्न 23:
गांव कोष और समेकित ग्राम कोष का क्या अर्थ है?

उत्तर:
गांव कोष (Gaon Fund): यह एक निधि होती है जिसका उपयोग ग्राम पंचायतों द्वारा गांव के विकास कार्यों के लिए किया जाता है। इसमें विभिन्न सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास कार्यों के लिए पैसे जमा होते हैं।
समेकित ग्राम कोष (Consolidated Gram Fund): यह एक संचित कोष होता है जिसमें विभिन्न प्रकार के स्रोतों से पैसे जमा होते हैं, जैसे कृषि कर, संपत्ति कर, और अन्य राजस्व स्रोत। इस कोष का उपयोग ग्राम पंचायतों द्वारा विविध विकास कार्यों, समाज कल्याण योजनाओं और अन्य स्थानीय गतिविधियों के लिए किया जाता है।


प्रश्न 24:
UP Revenue Code, 2006 के तहत स्थायी वकील और वकीलों पर संक्षिप्त नोट लिखिए।

उत्तर:
स्थायी वकील (Standing Counsel): स्थायी वकील वह वकील होते हैं जिन्हें राज्य सरकार द्वारा किसी विशेष अदालत में सरकारी मामलों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया जाता है।
वकील (Lawyers): वकील वे कानूनी पेशेवर होते हैं जो अदालतों में अपने मुवक्किलों की ओर से दावे, मामलों या विवादों का प्रतिनिधित्व करते हैं। UP Revenue Code के तहत, वकील भूमि और राजस्व मामलों में भी न्यायिक प्रतिनिधित्व प्रदान करते हैं।


प्रश्न 25:
UP Revenue Code, 2006 के तहत tenure-holders की श्रेणियाँ और प्रत्येक के अधिकारों का संक्षिप्त विवरण।

उत्तर:
UP Revenue Code, 2006 में विभिन्न प्रकार के tenure-holders (भूमि धारक) की श्रेणियाँ हैं, जैसे:

  1. भूमिधारी (Bhumidhar): यह व्यक्ति भूमि का मालिक होता है और उसके पास भूमि पर स्थायी स्वामित्व अधिकार होते हैं।
  2. अधिकारधारी (Asami): यह व्यक्ति भूमि का अस्थायी उपयोगकर्ता होता है और भूमि पर सीमित अधिकार रखता है, जैसे कि खेती करना।
  3. ग्राम पंचायत भूमि धारक: यह वह व्यक्ति होता है जिसे ग्राम पंचायत से भूमि उपयोग के लिए पट्टा मिलता है।

प्रत्येक tenure-holder को भूमि के उपयोग, परिवर्तन, या बिक्री पर विशेष अधिकार होते हैं, और इन अधिकारों का उल्लंघन होने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।


प्रश्न 26:
वह भूमि जिन पर भूमिधारी अधिकार नहीं लागू होते।

उत्तर:
भूमिधारी अधिकार निम्नलिखित प्रकार की भूमि पर लागू नहीं होते:

  1. संवेदनशील भूमि: जैसे कि सरकार द्वारा संरक्षित या वन भूमि।
  2. मुक्त भूमि: वह भूमि जिसे सरकारी नियमों के तहत कोई विशेष उद्देश्य के लिए आरक्षित किया गया हो, जैसे कि सार्वजनिक उपयोग के लिए भूमि।
  3. ग्राम पंचायत भूमि: जिन पर ग्राम पंचायत का स्वामित्व होता है और जो जनता के उपयोग के लिए आरक्षित होती है।

प्रश्न 27:
भूमिधारी के अधिकार हस्तांतरणीय होते हैं। यदि हाँ, तो उन्हें विस्तार से चर्चा करें।

उत्तर:
हां, भूमिधारी के अधिकार हस्तांतरणीय होते हैं, और भूमिधारी अपनी भूमि को बेचना, दान करना या किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर कर सकता है। हालांकि, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक होता है। कुछ मामलों में, जैसे कि कृषि भूमि के मामलों में, भूमि का हस्तांतरण सरकार की अनुमति से ही किया जा सकता है।

प्रश्न 28:
(1) अधिकारों के अदला-बदली का अधिकार (Right to Exchange the Holdings):

उत्तर:
भूमिधारी को अपनी भूमि के स्वामित्व को बदलने का अधिकार होता है, जिसे “अदला-बदली” (Exchange) कहा जाता है। यह अधिकार तब लागू होता है जब भूमि के मालिक एक-दूसरे से अपनी-अपनी भूमि का आदान-प्रदान करते हैं। इसके लिए, भूमि मालिकों को राज्य सरकार की अनुमति और भूमि के मूल्यांकन का पालन करना पड़ता है। यह प्रक्रिया भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने में मदद करती है, खासकर जब भूमि की स्थिति में कोई सुधार करना होता है।

(2) भूमि के पट्टे पर प्रतिबंध (Restrictions on Lease of Land):

उत्तर:
भूमि के पट्टे (lease) पर कुछ प्रतिबंध होते हैं। भूमि को पट्टे पर देने से पहले भूमि मालिक को राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त करनी होती है। खासकर कृषि भूमि पर पट्टा देने पर कुछ कड़े नियम होते हैं, ताकि भूमि का अनुचित उपयोग न हो और भूमि के रखरखाव में कोई कमी न आए। भूमि के पट्टे की अवधि और शर्तों को भी नियमों के तहत नियंत्रित किया जाता है।


प्रश्न 29:
भूमिधारी के वसीयत अधिकार (Right to Will of a Bhumidhar with Transferable Rights):

उत्तर:
भूमिधारी के पास अपनी भूमि के अधिकारों को वसीयत (Will) के द्वारा ट्रांसफर करने का अधिकार होता है, बशर्ते वह भूमि हस्तांतरणीय हो। वसीयत के द्वारा भूमि मालिक अपने जीवनकाल के बाद भूमि को किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर कर सकता है। यह अधिकार भूमि के सही मालिक की इच्छा के अनुरूप होता है और इस प्रक्रिया में कानूनी रूप से निर्धारित नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।


प्रश्न 30:
भूमिधारी द्वारा भूमि का समर्पण और परित्याग क्या है?

उत्तर:
भूमि समर्पण (Surrender of Land): भूमि समर्पण का मतलब है कि भूमिधारी अपनी भूमि को स्वेच्छा से राज्य सरकार या संबंधित प्राधिकरण को सौंप देता है। यह आमतौर पर तब होता है जब भूमि का उपयोग न हो या उसे विकास के उद्देश्य से छोड़ने की आवश्यकता होती है।
भूमि परित्याग (Abandonment of Land): भूमि परित्याग का मतलब है कि भूमिधारी बिना किसी अधिकार या कागजी कार्रवाई के भूमि को छोड़ देता है। परित्याग के परिणामस्वरूप भूमि के स्वामित्व का अधिकार समाप्त हो सकता है और उसे राज्य या किसी अन्य को सौंपा जा सकता है।

परित्याग के परिणाम (Consequences of Abandonment):

  1. भूमि का स्वामित्व समाप्त हो सकता है।
  2. भूमि के उपयोग का अधिकार राज्य सरकार को मिल सकता है।
  3. यदि भूमि पर किसी प्रकार का विवाद होता है, तो राज्य सरकार उसका समाधान कर सकती है।

विभिन्न tenure-holders द्वारा भूमि का समर्पण:

  1. भूमिधारी (Bhumidhar): भूमि को राज्य सरकार को सौंप सकता है।
  2. अधिकारधारी (Asami): अस्थायी उपयोगकर्ता के रूप में भूमि का समर्पण कर सकता है, लेकिन भूमि के स्वामित्व से संबंधित अधिकार नहीं बदलते।

प्रश्न 31:
असामी कौन है? असामी के अधिकार और उल्लंघन के परिणाम।

उत्तर:
असामी (Asami) वह व्यक्ति होता है जो किसी भूमि का अस्थायी उपयोगकर्ता होता है, यानी वह भूमि का मालिक नहीं होता लेकिन उसे किसी अन्य से कृषि कार्य, निवास या अन्य उद्देश्य के लिए भूमि का उपयोग करने की अनुमति प्राप्त होती है। असामी को भूमि पर सीमित अधिकार होते हैं, जैसे कृषि कार्य करना या उसके द्वारा उत्पादित फसल का उपयोग करना।

असामी के अधिकार:

  1. असामी को भूमि पर फसल उगाने का अधिकार होता है।
  2. वह भूमि के उपयोग से होने वाली आय का अधिकार रखता है, बशर्ते उसका उपयोग निर्धारित शर्तों के तहत हो।
  3. भूमि पर कुछ मामलों में असामी को मरम्मत और रखरखाव का अधिकार होता है।

असामी के अधिकारों का उल्लंघन (Consequences of Contravention):

  1. यदि असामी भूमि के उपयोग की शर्तों का उल्लंघन करता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
  2. असामी का पट्टा रद्द किया जा सकता है।
  3. असामी को भूमि से निष्कासित किया जा सकता है।

प्रश्न 32:
भूमिधारी स्वामित्व के विभाजन के लिए कौन मुकदमा कर सकता है और ऐसे मुकदमे में कौन से आवश्यक पक्ष होते हैं?

उत्तर:
भूमिधारी स्वामित्व के विभाजन (Division of Bhumidhari Holding) के लिए भूमि का मालिक या कोई अन्य व्यक्ति जो भूमि का सह-मालिक हो, मुकदमा कर सकता है। भूमि का विभाजन आमतौर पर तब किया जाता है जब एक ही भूमि पर कई धारक होते हैं और वे अपनी-अपनी हिस्सेदारी को अलग करना चाहते हैं।

आवश्यक पक्ष (Necessary Parties):

  1. भूमिधारी (Bhumidhar): जो भूमि का स्वामित्व रखता है।
  2. सह-मालिक (Co-owner): यदि भूमि पर अन्य मालिक हैं, तो वे भी मुकदमे में आवश्यक पक्ष होते हैं।
  3. राजस्व अधिकारी (Revenue Officer): भूमि विभाजन की प्रक्रिया में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाला अधिकारी होता है।

भूमिधारी और सह-मालिक मिलकर यह निर्णय कर सकते हैं कि भूमि का विभाजन कैसे किया जाएगा, और यह प्रक्रिया न्यायालय में जाएगी अगर कोई विवाद उत्पन्न होता है।

प्रश्न 33:
पुरुष tenure-holder के मामले में सामान्य उत्तराधिकार क्रम (General Order of Succession in the Case of a Male Tenure-holder):

उत्तर:
UP Revenue Code, 2006 के तहत पुरुष tenure-holder के मामले में सामान्य उत्तराधिकार का क्रम इस प्रकार है:

  1. सर्वप्रथम पतिव्रता (Wife): यदि पुरुष का कोई वैध जीवनसाथी है, तो पत्नी को सबसे पहले उत्तराधिकारी माना जाएगा।
  2. संतान (Children): इसके बाद, पुरुष के बच्चे (पुत्र और पुत्रियाँ) उत्तराधिकारी होंगे।
  3. पिता (Father): यदि कोई पत्नी या संतान नहीं है, तो पुरुष का पिता उत्तराधिकारी होगा।
  4. माँ (Mother): यदि पिता नहीं है, तो मां उत्तराधिकारी होती है।
  5. पारिवारिक उत्तराधिकारी (Other Relatives): यदि उपरोक्त कोई भी उत्तराधिकारी नहीं है, तो अन्य रिश्तेदार जैसे भाई, बहन, दादा, दादी, चाचा-चाची आदि उत्तराधिकारी हो सकते हैं।

प्रश्न 34:
महिला tenure-holder के मामले में सामान्य उत्तराधिकार क्रम (General Order of Succession in the Case of a Female):

उत्तर:
महिला tenure-holder के मामले में उत्तराधिकार का क्रम पुरुष के मुकाबले थोड़ा भिन्न हो सकता है। सामान्यत: महिला tenure-holder के मामले में उत्तराधिकार का क्रम इस प्रकार होता है:

  1. पति (Husband): यदि महिला का कोई वैध पति है, तो वह सबसे पहले उत्तराधिकारी होगा।
  2. संतान (Children): इसके बाद महिला के बच्चे (पुत्र और पुत्रियाँ) उत्तराधिकारी होंगे।
  3. माता-पिता (Parents): यदि महिला का कोई पति या संतान नहीं है, तो महिला के माता-पिता को उत्तराधिकारी माना जाएगा।
  4. भाई-बहन (Brothers and Sisters): इसके बाद महिला के भाई और बहन उत्तराधिकारी हो सकते हैं।
  5. अन्य रिश्तेदार (Other Relatives): यदि उपरोक्त सभी उत्तराधिकारी उपलब्ध नहीं हैं, तो अन्य रिश्तेदार (जैसे चाचा, चाची, दादा आदि) को उत्तराधिकारी माना जा सकता है।

प्रश्न 35:
UP Revenue Code, 2006 के तहत जीवित अधिकार (Principle of Survivorship) का सिद्धांत:

उत्तर:
जीवित अधिकार (Survivorship) का सिद्धांत तब लागू होता है जब किसी भूमि या संपत्ति का स्वामित्व दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संयुक्त रूप से होता है। इस सिद्धांत के अनुसार, जब संयुक्त स्वामित्व में से किसी एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके हिस्से का स्वामित्व स्वचालित रूप से जीवित व्यक्ति को ट्रांसफर हो जाता है। यह सिद्धांत अधिकतर सह-मालिकी में लागू होता है, और इसका उद्देश्य संपत्ति के अधिकारों को स्थिर रखना है, ताकि भूमि या संपत्ति का नियंत्रण बिना किसी विवाद के एक व्यक्ति के पास रहे।


प्रश्न 36:
UP Revenue Code, 2006 के तहत Escheat का सिद्धांत (Rule of Escheat):

उत्तर:
Escheat का सिद्धांत तब लागू होता है जब किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का कोई उत्तराधिकारी नहीं होता। इस स्थिति में संपत्ति राज्य सरकार को हस्तांतरित हो जाती है। यदि किसी भूमि मालिक की मृत्यु होती है और उसके कोई वैध उत्तराधिकारी नहीं होते, तो वह भूमि राज्य के पास चली जाती है। यह सिद्धांत संपत्ति के अव्यवस्थित या बिना मालिक के छोड़ दिए जाने से बचने के लिए लागू होता है।


प्रश्न 37 (a):
भूमि प्रबंधक समिति द्वारा ग्राम पंचायत को सौंपे गए भूमि में प्रवेश की प्रक्रिया और प्राथमिकता का क्रम:

उत्तर:
भूमि प्रबंधक समिति (Bhumi Prabandhak Samiti) द्वारा ग्राम पंचायत को सौंपे गए भूमि में प्रवेश के लिए प्राथमिकता का क्रम निम्नलिखित होता है:

  1. किसान (Farmers): पहले किसानों को भूमि पर प्रवेश दिया जाता है, जिनके पास कृषि कार्य के लिए भूमि की आवश्यकता होती है।
  2. शहरी और ग्रामीण गरीब (Urban and Rural Poor): उन लोगों को प्राथमिकता दी जाती है जो गरीब और जरूरतमंद होते हैं।
  3. अन्य उपयुक्त लोग (Other Suitable People): अन्य लोग जो भूमि का उपयोग करने के योग्य होते हैं, उन्हें बाद में प्रवेश दिया जा सकता है।

भूमि आवंटन और पट्टा रद्द होने के परिणाम: भूमि का आवंटन यदि गलत तरीके से किया गया हो, या आवंटन के उद्देश्य को पूरा न किया गया हो, तो सरकार या संबंधित प्राधिकरण इसे रद्द कर सकते हैं। आवंटन रद्द होने पर, भूमि फिर से राज्य के नियंत्रण में आ सकती है और नए आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।


प्रश्न 37 (b):
कलक्टर द्वारा आवंटन और पट्टे की रद्दीकरण की प्रक्रिया और इसके कारण:

उत्तर:
कलक्टर द्वारा आवंटन और पट्टे की रद्दीकरण प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

  1. आवंटन रद्दीकरण के कारण:
    • भूमि का गलत उपयोग या अवैध कब्जा।
    • आवंटन के उद्देश्य की पूर्ति न होना।
    • संबंधित नियमों और शर्तों का उल्लंघन।
  2. रद्दीकरण के परिणाम:
    • यदि भूमि का आवंटन या पट्टा रद्द किया जाता है, तो भूमि को राज्य सरकार या संबंधित प्राधिकरण द्वारा फिर से कब्जे में लिया जा सकता है।
    • आवंटन रद्द होने पर भूमि का पुनः आवंटन नए आवेदकों को किया जा सकता है।

प्रश्न 38:
अबादी साइट के लिए भूमि का आवंटन:

उत्तर:
अबादी साइट के लिए भूमि का आवंटन ग्राम पंचायत की प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर, यह भूमि उन व्यक्तियों को आवंटित की जाती है जिनके पास रहने के लिए उचित स्थान नहीं है। आवंटन का प्राथमिकता क्रम इस प्रकार हो सकता है:

  1. गरीब और जरूरतमंद लोग जिनके पास घर बनाने के लिए स्थान नहीं है।
  2. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग जिन्हें सरकारी योजनाओं के तहत भूमि दी जा सकती है।
  3. पिछड़े वर्ग के लोग जो पुनर्वास के पात्र होते हैं।

भूमि का आवंटन एक प्रक्रिया के तहत किया जाता है, जिसमें भूमि का मूल्यांकन, पात्रता परीक्षण और अन्य कानूनी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं।


प्रश्न 39:
नीचे दिए गए बिंदुओं पर संक्षिप्त नोट लिखें:

  1. आवंटित व्यक्ति या सरकारी पट्टेदार को पुनः कब्जा देना (Restoration of Possession):
    यदि किसी आवंटित व्यक्ति को भूमि से अवैध रूप से वंचित किया जाता है, तो उसे पुनः कब्जा देने का अधिकार होता है, और भूमि को उसके पास वापस किया जाता है।
  2. ग्राम टंकी का प्रबंधन (Management of Village Tanks):
    ग्राम टंकी या तालाबों का प्रबंधन ग्राम पंचायत के अधीन होता है। यह टंकी जल स्रोतों के रूप में कार्य करती है और इसका उपयोग सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 40:
असामी को निकालने के कारण और प्रक्रिया:

उत्तर:
असामी को निकालने के लिए विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे:

  1. असामी द्वारा भूमि का गलत उपयोग या निर्धारित शर्तों का उल्लंघन।
  2. पट्टे की शर्तों का पालन न करना

प्रक्रिया में, असामी को पहले नोटिस दिया जाता है और फिर उसे निष्कासन का आदेश जारी किया जाता है।


प्रश्न 41:
संक्षिप्त नोट लिखें:

  1. भूमिधारी को निष्कासन से मुक्त रखना:
    भूमिधारी को निष्कासन से तब तक मुक्त रखा जाता है जब तक वह भूमि के नियमों का पालन करता है। यदि भूमि की शर्तें सही तरीके से पूरी होती हैं तो उसे भूमि से निष्कासित नहीं किया जा सकता।
  2. गलत निष्कासन के खिलाफ उपचार:
    यदि किसी को गलत तरीके से निष्कासित किया जाता है, तो वह न्यायालय में अपील कर सकता है या अन्य कानूनी उपायों का सहारा ले सकता है।

प्रश्न 42:
संक्षिप्त नोट लिखें:

  1. किराए का निर्धारण के लिए आवेदन (Application for Fixation of Rent):
    भूमि के किराए को तय करने के लिए मालिक और असामी दोनों को आवेदन देना होता है, जिसमें किराए की दर और शर्तें निर्धारित की जाती हैं।
  2. किराए में छूट (Remission from Fixation of Rent):
    कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे प्राकृतिक आपदा या भूमि पर कोई बाधा आने पर, असामी को किराए में छूट दी जा सकती है।

प्रश्न 43:
किराए का निर्धारण और उसकी वसूली की प्रक्रिया (How is Rent Determined and Procedure of Its Recovery):

उत्तर:
किराए का निर्धारण:
UP Revenue Code, 2006 के तहत भूमि किराए का निर्धारण भूमि के प्रकार, उपयोग और स्थिति के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर, यह मूल्यांकन भूमि के क्षेत्रफल, उत्पादकता और स्थान पर निर्भर करता है। किराए का निर्धारण भूमि स्वामी और असामी के बीच सहमति से भी हो सकता है, लेकिन यह राज्य द्वारा तय की गई सीमा के भीतर रहना चाहिए।

किराए की वसूली:
किराए की वसूली के लिए सरकारी अधिकारियों द्वारा एक वसूली नोटिस जारी किया जाता है। अगर असामी किराया अदा नहीं करता, तो निम्नलिखित प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं:

  1. सूचना देना: पहले असामी को सूचना दी जाती है।
  2. संपत्ति की जब्ती: यदि भुगतान नहीं किया जाता है, तो असामी की संपत्ति को जब्त किया जा सकता है।
  3. न्यायालय द्वारा आदेश: अदालत के आदेश से असामी से किराया वसूलने के लिए कार्रवाई की जा सकती है।

प्रश्न 44:
UP Revenue Code, 2006 के तहत घोषणात्मक मुकदमे (Declaratory Suits):

उत्तर:
UP Revenue Code, 2006 के तहत घोषणात्मक मुकदमे (Declaratory Suits) वह मुकदमे होते हैं, जिनमें किसी भूमि या संपत्ति के अधिकारों की घोषणा की जाती है। यदि किसी व्यक्ति का भूमि या संपत्ति पर कानूनी अधिकार हो, लेकिन उसे अन्य व्यक्तियों द्वारा चुनौती दी जाती है, तो वह घोषणात्मक मुकदमा दायर कर सकता है। यह मुकदमा राजस्व अदालत में दायर किया जाता है, और इसका उद्देश्य विवादित अधिकारों की स्पष्टता प्रदान करना होता है।


प्रश्न 45:
सरकारी पट्टेदार (Government Lessee) की परिभाषा, और सरकारी पट्टेदार की निष्कासन प्रक्रिया और अवैध कब्जेदारों का निष्कासन:

उत्तर:
सरकारी पट्टेदार (Government Lessee):
वह व्यक्ति जिसे राज्य सरकार द्वारा किसी भूमि पर पट्टा दिया जाता है, उसे सरकारी पट्टेदार कहा जाता है। वह भूमि का किराएदार होता है और उस भूमि पर विशेष शर्तों के तहत कार्य करता है।

निष्कासन (Ejectment of Government Lessee):
यदि सरकारी पट्टेदार भूमि की शर्तों का उल्लंघन करता है या निर्धारित उपयोग के अनुसार भूमि का उपयोग नहीं करता, तो उसे निष्कासित किया जा सकता है। इसके लिए प्रशासनिक आदेश या न्यायालय का आदेश आवश्यक हो सकता है।

अवैध कब्जेदार का निष्कासन (Ejectment of Trespasser):
यदि किसी व्यक्ति ने सरकारी पट्टेदार की भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है, तो उसे सरकारी पट्टेदार या सरकार द्वारा निष्कासित किया जा सकता है। यह प्रक्रिया न्यायालय में मुकदमा दायर कर के की जाती है।


प्रश्न 46:
भूमि कर (Land Revenue) के भुगतान के लिए जिम्मेदार व्यक्ति, और भूमि कर का निर्धारण (Who are the persons responsible for the payment of land revenue, and how will land revenue be assessed?):

उत्तर:
भूमि कर के भुगतान के लिए जिम्मेदार व्यक्ति:
भूमि कर का भुगतान भूमि के मालिक या उस भूमि के मालिक के द्वारा किया जाता है। अगर भूमि किसी पट्टेदार के पास है, तो वह भी कर भुगतान के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

भूमि कर का निर्धारण:
भूमि कर का निर्धारण भूमि के क्षेत्रफल, उपयोग, उत्पादकता, और भूमि के स्थान के आधार पर किया जाता है। राज्य सरकार या संबंधित अधिकारियों द्वारा भूमि कर का मूल्यांकन किया जाता है और यह एक निश्चित दर पर निर्धारित होता है।


प्रश्न 47:
भूमि कर के बकायों की वसूली की प्रक्रिया (Process for Recovery of Arrears of Land Revenue):

उत्तर:
भूमि कर के बकायों की वसूली के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  1. सूचना देना: पहले भूमि मालिक या पट्टेदार को बकायों की सूचना दी जाती है।
  2. नोटिस जारी करना: बकाया राशि के लिए नोटिस भेजा जाता है।
  3. संपत्ति की जब्ती: अगर भुगतान नहीं किया जाता है, तो संबंधित अधिकारी संपत्ति की जब्ती कर सकते हैं।
  4. न्यायालय का आदेश: न्यायालय के आदेश के बाद भूमि या अन्य संपत्तियों की बिक्री की जा सकती है, और बकाया राशि वसूल की जा सकती है।

प्रश्न 48:
संक्षिप्त नोट लिखें:

  1. भूमि कर का प्राथमिक अधिकार (Land Revenue to be the First Charge):
    भूमि कर सरकार का पहला अधिकार होता है। इसका मतलब है कि भूमि के मालिक की संपत्ति पर भूमि कर के रूप में पहला दावा किया जाएगा।
  2. वसूली का आदेश (Writ of Demand):
    यह एक कानूनी आदेश होता है, जिसे अदालत द्वारा दिया जाता है, जो किसी व्यक्ति से निर्धारित राशि की वसूली का निर्देश देता है।
  3. रिसीवर की नियुक्ति (Appointment of Receiver):
    यदि किसी भूमि पर कब्जा या वसूली का कार्य न हो पा रहा हो, तो कोर्ट एक रिसीवर को नियुक्त कर सकता है, जो संपत्ति का प्रबंधन करता है और कर वसूली की प्रक्रिया पूरी करता है।

प्रश्न 49:
संक्षिप्त नोट लिखें:

  1. अचल संपत्ति की जब्ती पर आपत्ति (Objection Against Attachment of Immovable Property):
    जब किसी की अचल संपत्ति को सरकारी बकायों के लिए जब्त किया जाता है, तो उस व्यक्ति को आपत्ति करने का अधिकार होता है। अगर यह निर्णय गलत पाया जाता है, तो अदालत में अपील की जा सकती है।
  2. बिक्री की पुष्टि (Confirmation of Sale):
    जब किसी संपत्ति की नीलामी की जाती है, तो उसकी बिक्री की पुष्टि एक कानूनी प्रक्रिया होती है, जो अदालत द्वारा की जाती है।

प्रश्न 50:
UP Revenue Code, 2006 के तहत अचल संपत्ति की जब्ती और बिक्री (Attachment and Sale of Immovable Property):

उत्तर:
UP Revenue Code के तहत अचल संपत्ति को जब्त किया जा सकता है यदि किसी व्यक्ति पर भूमि कर या अन्य बकाया राशि होती है। इसके बाद संपत्ति की नीलामी की जाती है, और इससे प्राप्त राशि से बकाया भुगतान किया जाता है। यह प्रक्रिया न्यायालय के आदेश से की जाती है और इसमें विधिक प्राधिकरणों की अनुमति आवश्यक होती है।


प्रश्न 51:
सिविल कोर्ट और राजस्व अदालतों का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction of Civil Court and Revenue Courts):

उत्तर:
सिविल कोर्ट और राजस्व अदालतों के क्षेत्राधिकार में अंतर होता है। राजस्व अदालतें भूमि और भूमि संबंधित मामलों का निपटारा करती हैं, जबकि सिविल कोर्ट अन्य सामान्य मामलों का निपटारा करती हैं। भूमि कर, भूमि विवाद, और अन्य राजस्व मामलों के निर्णय राजस्व अदालतों द्वारा लिए जाते हैं, जबकि अन्य मामलों के निर्णय सिविल कोर्ट द्वारा होते हैं।


प्रश्न 52:
UP Revenue Code, 2006 के तहत कौन से आदेश या फैसले अपील योग्य नहीं होते (Orders or Decrees Non-Appealable under the U.P. Revenue Code, 2006):

उत्तर:
UP Revenue Code के तहत कुछ विशेष आदेश और निर्णय ऐसे होते हैं जो अपील योग्य नहीं होते। ये आमतौर पर प्रशासनिक या नियामक फैसले होते हैं, जो न्यायालय में अपील नहीं किए जा सकते।


प्रश्न 53:
संक्षिप्त नोट लिखें:

  1. बोर्ड या आयुक्त का रिकॉर्ड मंगाने का अधिकार (Power of Board or Commissioner to Call for the Records):
    बोर्ड या आयुक्त को अधिकार होता है कि वह किसी भी मामले के रिकॉर्ड की जांच कर सकते हैं, चाहे वह किसी अन्य स्तर की अदालत या प्राधिकरण द्वारा लिया गया हो।
  2. बोर्ड का पुनः समीक्षा का अधिकार (Board’s Power of Review):
    बोर्ड को किसी मामले के फैसले की पुनः समीक्षा करने का अधिकार होता है, विशेषकर जब नई जानकारी प्राप्त हो या किसी निर्णय में गलती पाई जाती है।
  3. मामलों को स्थानांतरित करने का अधिकार (Power of the Board to Transfer Cases):
    बोर्ड को यह अधिकार होता है कि वह किसी मामले को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर सकता है।

प्रश्न 54:
संक्षिप्त नोट लिखें:

  1. राज्य सरकार द्वारा अधिकारों का प्रतिनिधित्व (Delegation of Power by State Government):
    राज्य सरकार को कुछ अधिकारों को अन्य सरकारी अधिकारियों या संस्थाओं को प्रतिनिधित्व देने का अधिकार होता है।
  2. भूमि पर प्रवेश का अधिकार (Power to Enter Upon Land):
    अधिकारियों को भूमि पर प्रवेश करने का अधिकार होता है, खासकर जब यह भूमि के निरीक्षण, सुधार या सुधारात्मक कार्यों के लिए आवश्यक हो।

प्रश्न 55:
संक्षिप्त टिप्पणी करें:

  1. बयान मंगाने का अधिकार (Power to Call for Statement):
    सरकारी अधिकारी या न्यायालय किसी व्यक्ति से बयान मंगाने का अधिकार रखते हैं, जो मामले से संबंधित होता है। यह प्रक्रिया किसी मामले की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए होती है।
  2. Caveat दर्ज करना (Lodging of Caveat):

Caveat एक कानूनी नोटिस है जो किसी व्यक्ति द्वारा दिया जाता है, जो अदालत से कोई आदेश लेने के लिए किसी अन्य पक्ष के खिलाफ निषेध चाहता है। यह एक चेतावनी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी अदालत का आदेश देने से पहले उस व्यक्ति को सूचित किया जाए जिसने Caveat दाखिल किया है। UP Revenue Code, 2006 के अंतर्गत यह प्रक्रिया विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब भूमि विवाद से संबंधित कोई मामला अदालत में विचाराधीन हो और एक पक्ष दूसरे पक्ष द्वारा निर्णय के खिलाफ कोई आदेश चाहता हो।

Caveat का उद्देश्य यह है कि न्यायालय किसी भी आदेश को पारित करने से पहले उस व्यक्ति की स्थिति और आपत्ति की सुनवाई करे जिसने Caveat दर्ज कराया है। यह एक समयबद्ध प्रक्रिया है और इसके माध्यम से किसी पक्ष को पक्षपाती निर्णय से बचाने की कोशिश की जाती है।


(iii): गांव राजस्व समिति का गठन (Constitution of Village Revenue Committee):

उत्तर:
UP Revenue Code, 2006 के तहत, गांव राजस्व समिति (Village Revenue Committee) का गठन किया जाता है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि संबंधी मामलों का प्रभावी तरीके से निपटारा किया जा सके। यह समिति भूमि विवाद, कर निर्धारण, भूमि सुधार, और अन्य राजस्व मामलों के समाधान के लिए कार्य करती है। समिति में ग्राम पंचायत के सदस्य, राजस्व अधिकारी, और अन्य स्थानीय प्रतिनिधि हो सकते हैं।

समिति के गठन के उद्देश्य:

  1. भूमि मामलों का निपटारा: समिति भूमि मामलों, जैसे कि भूमि के बंटवारे, सीमा विवाद, और अन्य प्रशासनिक कार्यों का निपटारा करती है।
  2. राजस्व संग्रहण: गांव के भीतर भूमि करों और अन्य शुल्कों का निर्धारण और संग्रहण भी समिति द्वारा किया जाता है।
  3. स्थानीय प्रशासन: यह समिति ग्राम पंचायत और अन्य स्थानीय प्रशासनिक कार्यों को बेहतर तरीके से संचालित करने में मदद करती है।

प्रश्न 55 (iv): मामलों का समेकन (Consolidation of Cases):

उत्तर:
UP Revenue Code, 2006 के तहत “मामलों का समेकन” (Consolidation of Cases) का उद्देश्य एक ही विषय या मामले से संबंधित विभिन्न मामलों को एक साथ जोड़ना होता है ताकि उनकी एक साथ सुनवाई की जा सके। इससे समय और संसाधनों की बचत होती है और मामले का समाधान शीघ्रता से किया जाता है। यह विशेष रूप से उन मामलों में लागू होता है जिनमें एक जैसे मुद्दे होते हैं, जैसे भूमि विवाद, जहां एक ही कानूनी विवाद विभिन्न पक्षों के बीच हो सकता है।

समेकन की प्रक्रिया के लाभ:

  1. समय की बचत: एक ही मुद्दे पर एक साथ सुनवाई होने से समय की बचत होती है।
  2. विवादों का शीघ्र समाधान: एक ही केस में समेकित फैसले से कई विवादों का समाधान किया जा सकता है।
  3. कम शुल्क: एक ही केस की प्रक्रिया से विभिन्न पक्षों को अलग-अलग मामलों में शुल्क देने की आवश्यकता नहीं होती है।

प्रश्न 56 (a): UP Revenue Code, 2006 के तहत दंड (Penalties) पर संक्षिप्त निबंध:

उत्तर:
UP Revenue Code, 2006 के तहत दंडों का प्रावधान उन व्यक्तियों या संस्थाओं के खिलाफ किया जाता है जो भूमि और राजस्व संबंधित नियमों और कानूनों का उल्लंघन करते हैं। इन दंडों का उद्देश्य भूमि विवादों और सरकारी राजस्व की सुरक्षा करना है। दंडों की प्रकृति और मात्रा उल्लंघन की गंभीरता पर निर्भर करती है। दंड सामान्यत: निम्नलिखित कारणों से लागू किए जाते हैं:

  1. राजस्व चोरी: अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर भूमि कर का भुगतान नहीं करता या गलत जानकारी प्रदान करता है, तो उसे जुर्माना या दंड लगाया जा सकता है।
  2. अवैध कब्जा: यदि किसी ने सरकारी या निजी भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है, तो उसे भूमि से निष्कासित किया जा सकता है और दंड भी लगाया जा सकता है।
  3. कानूनी शर्तों का उल्लंघन: यदि कोई भूमि मालिक भूमि के उपयोग के लिए निर्धारित शर्तों का उल्लंघन करता है, तो उसे दंड भुगतना पड़ सकता है।

दंड की प्रकृति:

  • जुर्माना (Fines)
  • भूमि से निष्कासन (Ejectment)
  • संपत्ति की जब्ती (Attachment of Property)
  • कड़ी कानूनी कार्रवाई (Severe Legal Action)

उद्देश्य:
इन दंडों का उद्देश्य सरकारी राजस्व की रक्षा करना और भूमि पर कब्जे के मामले में किसी प्रकार के गलत कार्य को रोकना है। यह कानूनी व्यवस्था भूमि के उपयोग को सही दिशा में नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है।


प्रश्न 56 (b): राजस्व बोर्ड के नियम बनाने की शक्ति (Power of Board of Revenue to Make Regulations):

उत्तर:
UP Revenue Code, 2006 के तहत, राजस्व बोर्ड को विशेष शक्तियाँ प्रदान की गई हैं, जिनके तहत वह विभिन्न नियमों और विनियमों को बनाने में सक्षम होता है। ये नियम और विनियम भूमि के प्रशासन, राजस्व संग्रहण, विवादों के निपटारे, और अन्य भूमि संबंधित मामलों के संचालन को नियंत्रित करते हैं।

राजस्व बोर्ड द्वारा बनाए गए नियमों के उद्देश्य:

  1. भूमि प्रशासन को सुव्यवस्थित करना: नियम भूमि प्रशासन को व्यवस्थित करने के लिए बनाए जाते हैं ताकि भूमि मामलों में पारदर्शिता और दक्षता बनी रहे।
  2. विवाद समाधान की प्रक्रिया को सरल बनाना: बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि भूमि से संबंधित विवादों का निपटारा उचित समय में और सही तरीके से हो।
  3. राजस्व संग्रहण: राजस्व बोर्ड भूमि करों के संग्रहण, उसकी दरों, और इसके निर्धारण से संबंधित नियम बना सकता है।
  4. सरकारी कार्यों में सुधार: राजस्व विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए बोर्ड नियम बना सकता है।

राजस्व बोर्ड को यह अधिकार है कि वह राज्य सरकार के आदेशों और नीतियों के तहत उपयुक्त विनियम बनाए और उन नियमों को लागू करे, ताकि भूमि और राजस्व व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके।