- अपराध को परिभाषित कीजिए।
अपराध एक अवैध कृत्य है जो समाज के नियमों या कानूनों का उल्लंघन करता है, और इसके लिए दंड का प्रावधान होता है। - अपराध के आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए।
अपराध के आवश्यक तत्व हैं:- कृत्य (Actus Reus): अपराध करने वाली शारीरिक क्रिया।
- मनःस्थिति (Mens Rea): अपराध करने का मानसिक इरादा।
- कानूनी परिणाम: कृत्य का एक नकारात्मक या हानिप्रद परिणाम होना चाहिए।
- कानूनी दायित्व: अपराध को प्रतिबंधित करने वाला कानून।
- अपराध किये जाने के विभिन्न स्तर क्या हैं?
अपराध करने के विभिन्न स्तर हैं:- तैयारी: अपराध करने की योजना बनाना।
- प्रयत्न: अपराध करने की कोशिश करना, लेकिन सफल नहीं होना।
- सम्पूर्ण अपराध: अपराध को सफलतापूर्वक अंजाम देना।
- आपराधिक मनः स्थिति (दुराशय) से आप क्या समझते हैं?
आपराधिक मनःस्थिति (Mens Rea) का मतलब है, अपराध करने का मानसिक इरादा या उद्देश्य। जब किसी व्यक्ति का इरादा अवैध या नकारात्मक कार्य करने का होता है, तो उसे दुराशय कहते हैं। - जंगम सम्पत्ति को परिभाषित कीजिए।
जंगम सम्पत्ति वह सम्पत्ति होती है जिसे स्थानांतरित किया जा सकता है, जैसे वाहन, गहने आदि। इसे मूवबल प्रॉपर्टी भी कहा जाता है। - ‘प्रयास’ को परिभाषित कीजिए।
प्रयास का मतलब है किसी अपराध को अंजाम देने की कोशिश करना, हालांकि वह पूरी नहीं हो पाई हो। - प्रयत्न कब दण्डनीय है?
प्रयत्न तब दण्डनीय होता है जब व्यक्ति ने किसी अपराध को करने का पूरा प्रयास किया हो, और कानून इसे अपराध के रूप में मानता है, जैसे हत्या का प्रयास। - मात्र तैयारी कब दण्डनीय है?
तैयारी तब दण्डनीय होती है जब व्यक्ति ने किसी अपराध को अंजाम देने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हों, और कानून इसे अपराध मानता हो (जैसे किसी के खिलाफ हमला करने के लिए हथियार तैयार करना)। - अपराध और नैतिकता में क्या सम्बन्ध है?
अपराध और नैतिकता दोनों में अंतर है, लेकिन दोनों का समाज में बुरा प्रभाव पड़ता है। नैतिकता समाज की मान्यताओं और आदर्शों पर आधारित होती है, जबकि अपराध कानूनी उल्लंघन है। दोनों एक दूसरे से संबंधित होते हुए भी भिन्न हैं। - सद्भावनापूर्वक किया गया कार्य।
जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को अच्छे उद्देश्य से करता है, तो उसे सद्भावनापूर्वक किया गया कार्य कहते हैं। उदाहरण के लिए, किसी की मदद करना। - अपराध के लिए प्रतिनिहित दायित्व से आप क्या समझते हैं?
प्रतिनिहित दायित्व का मतलब है, जब किसी व्यक्ति का कार्य अपराध में सहायक होता है, तो उसे भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, भले ही उसने अपराध को अंजाम न दिया हो। - सहमति को परिभाषित कर इसे स्पष्ट कीजिए।
सहमति एक कानूनी मंजूरी है जो किसी कार्य को करने के लिए दी जाती है। यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य के लिए सहमति देता है, तो वह कानून के तहत उसे मान्यता प्राप्त होती है, जैसे चिकित्सा उपचार के लिए सहमति। - प्रयत्न एवं तैयारी में क्या अन्तर है?
प्रयास वह होता है जब कोई व्यक्ति किसी अपराध को करने की कोशिश करता है, जबकि तैयारी वह होती है जब अपराध को अंजाम देने के लिए आवश्यक उपकरण या क़दम उठाए जाते हैं, लेकिन अपराध पूरी तरह नहीं होता। - (क) कूटकरण (Counterfeiting):
कूटकरण का मतलब है नकली मुद्रा, दस्तावेज, या अन्य वस्तुएं बनाना या वितरित करना।
(ख) सदोष अभिलाभ एवं सदोष हानि:
सदोष अभिलाभ का मतलब है किसी को अवैध लाभ पहुंचाना, जबकि सदोष हानि का मतलब है किसी को नुकसान पहुंचाना। - सामान्य आशय से आप क्या समझते हैं?
सामान्य आशय का मतलब है किसी कार्य को करने का सामूहिक उद्देश्य या इरादा, जो कई व्यक्तियों द्वारा किया गया हो, जैसे किसी अपराध को करने के लिए मिली हुई योजना।
- कपटपूर्वक को परिभाषित कीजिए।
कपटपूर्वक (Fraudulently) का अर्थ है किसी व्यक्ति को धोखा देकर, छल-कपट से, गलत तरीके से लाभ प्राप्त करना। जब किसी व्यक्ति का उद्देश्य दूसरे व्यक्ति को धोखा देना या छल करना होता है, तो उसे कपटपूर्वक कहा जाता है। - स्वेच्छया।
स्वेच्छया (Voluntarily) का अर्थ है बिना किसी दबाव या बाहरी बल के, अपने मन से कोई कार्य करना। जब व्यक्ति अपनी इच्छा से कोई कार्य करता है, तो वह स्वेच्छया होता है। - दस्तावेज एवं इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में क्या अन्तर है?
दस्तावेज (Document) एक भौतिक रूप में लिखित सामग्री होती है, जैसे कागज पर लिखा हुआ पत्र। इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख (Electronic Record) एक डिजिटल रूप में संग्रहीत डेटा होता है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से देखा या प्रयोग किया जा सकता है, जैसे ईमेल, सॉफ़्टवेयर फ़ाइलें, आदि। - तथ्य की भूल कब क्षम्य है? स्पष्ट करें।
तथ्य की भूल तब क्षम्य होती है जब व्यक्ति को किसी तथ्य के बारे में गलत जानकारी होती है, और उस आधार पर वह कार्य करता है। अगर उस भूल से किसी को नुकसान नहीं हुआ हो और वह वास्तव में सच्ची भूल हो, तो यह क्षम्य होती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति किसी को चोरी समझकर उसका सामान ले लेता है, तो यह तथ्य की भूल हो सकती है। - विधि की भूल क्षम्य नहीं है।
विधि की भूल का अर्थ है, व्यक्ति ने कानून के बारे में गलत समझा हो। हालांकि, यह क्षम्य नहीं होती, क्योंकि कानून से अनजान होना किसी भी अपराध के बचाव के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता। व्यक्ति को कानून का पालन करना आवश्यक होता है, भले ही वह उसे समझे या न समझे। - दुर्घटना।
दुर्घटना (Accident) एक ऐसी घटना है जो अनायास होती है और जिसका परिणाम सामान्य रूप से नकारात्मक होता है, जैसे किसी का अचानक गिरना या वाहन दुर्घटना होना। दुर्घटना को जानबूझकर नहीं किया जाता है, और यह अनायास घटित होती है। - शिशु का आपराधिक दायित्व।
शिशु का आपराधिक दायित्व तब तक नहीं होता, जब तक उसकी आयु सात वर्ष से ऊपर न हो, क्योंकि कानूनी रूप से उसे समझदारी और जिम्मेदारी की क्षमता नहीं मानी जाती। सात से 12 वर्ष के बीच, बच्चे के दायित्व का निर्धारण उसकी मानसिक स्थिति के आधार पर किया जाता है। - भारतीय दण्ड संहिता की धारा 90 में वर्णित सहमति, जिसके सम्बन्ध में यह ज्ञात हो कि वह भय या भ्रम के अधीन दी गई है, सम्बन्धी विधि की विवेचना कीजिए।
धारा 90 के तहत, यदि किसी व्यक्ति ने भय या भ्रम के अधीन सहमति दी है, तो वह सहमति कानूनी रूप से मान्य नहीं होती। ऐसे में, सहमति से किए गए कार्य को अपराध माना जा सकता है, क्योंकि यह असत्य या धोखा देने वाली स्थिति में दी गई होती है। - भारतीय दण्ड संहिता की धारा 88, 89 एवं 92 के अधीन फायदा से क्या अभिप्रेत है?
इन धाराओं के तहत, ‘फायदा’ का मतलब है, व्यक्ति को किसी कार्य से वास्तविक लाभ होना। उदाहरण के लिए, धारा 88 के तहत, कोई व्यक्ति किसी को चोट पहुंचाकर उसका इलाज करने का लाभ दे सकता है, और यह कार्य कानूनी रूप से मान्य हो सकता है यदि वह व्यक्ति की भलाई के लिए किया गया हो। - सद्भावनापूर्वक दी गई सूचना सम्बन्धी विधि की विवेचना करें।
सद्भावनापूर्वक दी गई सूचना का मतलब है, जब किसी व्यक्ति ने अच्छे उद्देश्य से और सचेतन सूचना दी हो, तो उसे कानून के तहत सुरक्षित माना जाता है। इस प्रकार की जानकारी देने से किसी को नुकसान नहीं होना चाहिए, और यह कार्य सही मंशा से किया जाता है। - हेतुक।
हेतुक (Motive) वह कारण होता है, जिसके तहत किसी व्यक्ति ने अपराध किया होता है। यह मानसिक कारण या उद्देश्य हो सकता है, लेकिन यह अपराध का एक आवश्यक तत्व नहीं होता है, बल्कि यह केवल अपराध के पीछे के कारण को दर्शाता है। - तुच्छ कार्य।
तुच्छ कार्य (Trifling act) वह कार्य होते हैं जो छोटे, निरर्थक या महत्वहीन होते हैं। ये कार्य आम तौर पर किसी भी गंभीर दंड या अपराध के रूप में नहीं माने जाते। - विकृतचित्त वाले व्यक्ति के कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा क्या है?
विकृतचित्त (Unsound mind) वाले व्यक्ति के खिलाफ प्राइवेट प्रतिरक्षा का मतलब है, यदि वह व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर है और उसकी गतिविधियों से किसी को खतरा हो, तो उसे उचित प्रतिरक्षा का अधिकार हो सकता है। यहां तक कि मानसिक रूप से विकृत व्यक्ति के खिलाफ आत्म-रक्षा की आवश्यकता हो सकती है। - विधिक उन्मत्तता एवं चिकित्सीय उन्मत्तता में क्या अन्तर है?
विधिक उन्मत्तता (Legal Insanity) का मतलब है कि व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ है और इसलिए वह कानून के तहत जिम्मेदार नहीं हो सकता। चिकित्सीय उन्मत्तता (Medical Insanity) का मतलब है कि व्यक्ति मानसिक बीमारी से ग्रस्त है, और चिकित्सक द्वारा इसकी पुष्टि की जाती है। दोनों का अंतर यह है कि विधिक उन्मत्तता में कानूनी जिम्मेदारी से मुक्ति दी जाती है, जबकि चिकित्सीय उन्मत्तता का इलाज किया जाता है। - एक व्यक्ति मत्तता के प्रभाव में अपराध कारित करता है तो क्या किया जा सकता है?
मत्तता के प्रभाव में अपराध करने पर व्यक्ति की जिम्मेदारी निर्धारित करना जटिल होता है। यदि व्यक्ति का मानसिक नियंत्रण न हो, तो उसे मानसिक रूप से अस्वस्थ माना जा सकता है और इस स्थिति में दंड से बचने का आधार हो सकता है।
- कब सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारित करने तक का होता है?
सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार मृत्यु कारित करने तक का तब होता है, जब किसी व्यक्ति की संपत्ति की रक्षा करते समय जीवन का खतरा उत्पन्न हो और अन्य कोई उपाय उपलब्ध न हो। यदि जीवन का खतरा है और अन्य तरीके से आत्म-रक्षा संभव नहीं हैं, तो मृत्यु कारित करना उचित माना जा सकता है। - आवश्यकता।
आवश्यकता (Necessity) का सिद्धांत कहता है कि किसी व्यक्ति को एक अपराध करने के लिए कानूनी रूप से छूट दी जा सकती है, जब उसे किसी आपातकालीन स्थिति में उसे बचाने के लिए उस अपराध को करने की आवश्यकता हो। इसे अक्सर “कम बुराई” के सिद्धांत के रूप में समझा जाता है। - विधि विरुद्ध जमाव को स्पष्ट कीजिए।
विधि विरुद्ध जमाव (Unlawful Assembly) तब होता है जब एकत्रित लोग अवैध रूप से इकट्ठा होते हैं और उनके इकट्ठा होने का उद्देश्य या तो कानून का उल्लंघन करना या हिंसा फैलाना होता है। इसके लिए कम से कम पांच व्यक्ति एकत्रित होना चाहिए, और उनका उद्देश्य शांति को भंग करना या हिंसा करना होता है। - दुष्प्रेरण का क्या अर्थ है?
दुष्प्रेरण (Abatement) का मतलब है किसी को अपराध करने के लिए उकसाना या प्रेरित करना। यह अपराध करने के लिए किसी व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक रूप से सहायक बनना है। - दुष्प्रेरक किस सीमा तक मुख्य अपराधी के कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है?
दुष्प्रेरक (Abettor) मुख्य अपराधी के कार्यों के लिए उसी सीमा तक उत्तरदायी होता है जितना वह उस अपराध को करने में मदद करता है। अगर दुष्प्रेरक ने अपराध को करने की योजना बनाई या उसे बढ़ावा दिया, तो वह मुख्य अपराधी के बराबर दंडित हो सकता है। - कब दुष्प्रेरण का दुष्प्रेरण अपराध है?
दुष्प्रेरण का दुष्प्रेरण तब अपराध माना जाता है जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे को अपराध करने के लिए उकसाता है, और वह उकसाना स्वयं एक अपराध हो। जैसे किसी को हत्या करने के लिए उकसाना और फिर उस हत्या का अंजाम देना। - लोक अपदूषण।
लोक अपदूषण (Public Nuisance) वह गतिविधियाँ हैं जो समाज में सामान्य जीवन को प्रभावित करती हैं, जैसे सार्वजनिक स्थानों पर अव्यवस्था या प्रदूषण फैलाना, जिससे आम लोगों को परेशानी होती है। - लोक प्रशान्ति के विरुद्ध अपराधों से क्या अभिप्रेत है?
लोक प्रशान्ति के विरुद्ध अपराध (Offences against Public Tranquility) वे अपराध होते हैं जो समाज में शांति और व्यवस्था को बाधित करते हैं, जैसे दंगा, हिंसा, या सार्वजनिक स्थानों पर शोर-शराबा। - राजद्रोह के अपराध के लिए क्या आवश्यक तत्व हैं?
राजद्रोह (Sedition) के अपराध के लिए आवश्यक तत्व हैं:- अभिव्यक्ति: किसी व्यक्ति या समूह द्वारा सरकार के खिलाफ उकसाना या उसकी आलोचना करना।
- सार्वजनिक उत्तेजना: सरकार के खिलाफ हिंसा या असंतोष फैलाने की कोशिश।
- विधिक प्रभाव: किसी भी प्रकार का प्रभाव जो सरकार की कार्यवाही या आदेश को प्रभावित करता हो।
- अपराधिक षड्यन्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अपराधिक षड्यन्त्र (Criminal Conspiracy) तब होता है जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी अपराध को करने की योजना बनाते हैं। यह योजना या तो शुरू होती है या अपराध को अंजाम देने का प्रयास किया जाता है। षड्यन्त्र केवल योजना बनाने तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि इसका उद्देश्य अपराध को अंजाम देना होता है। - बल्वा एवं दंगा को परिभाषित कीजिए।
- बल्वा (Rioting): बल्वा एक समूह द्वारा हिंसा या अव्यवस्था उत्पन्न करने की स्थिति होती है। इसमें पांच या अधिक लोग एक साथ आकर कानून का उल्लंघन करते हैं।
- दंगा (Affray): दंगा वह स्थिति होती है जब दो या दो से अधिक लोग आपस में लड़ते हैं और समाज में अव्यवस्था उत्पन्न होती है, लेकिन इसमें आमतौर पर कोई गंभीर अपराध नहीं होता।
- अपराधिक बल एवं हमला में क्या अन्तर है?
- अपराधिक बल (Criminal Force): अपराधिक बल का मतलब है किसी व्यक्ति पर बल प्रयोग करना ताकि वह अपनी इच्छा के विरुद्ध कार्य करने के लिए मजबूर हो।
- हमला (Assault): हमला तब होता है जब किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति को शारीरिक चोट पहुँचाने के लिए प्रयास किया हो, भले ही वह चोट न पहुंचे।
- बल्वा एवं दंगा में क्या अन्तर है?
- बल्वा (Riot): बल्वा एक गंभीर हिंसा होती है जो एक समूह द्वारा की जाती है। इसमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की संभावना रहती है।
- दंगा (Affray): दंगा में सामान्यतः दो या अधिक लोग आपस में झगड़ते हैं, लेकिन यह आमतौर पर छोटे स्तर की हिंसा होती है।
- बल्वा एवं विधि विरुद्ध जमाव में क्या अन्तर है?
- बल्वा (Riot): बल्वा तब होता है जब कई लोग मिलकर हिंसा करते हैं और सार्वजनिक शांति को भंग करते हैं।
- विधि विरुद्ध जमाव (Unlawful Assembly): विधि विरुद्ध जमाव तब होता है जब कोई समूह अवैध रूप से एकत्रित होता है और उनका उद्देश्य हिंसा फैलाना या कानून तोड़ना होता है।
- घोर उपहति।
घोर उपहति (Grievous Hurt) का मतलब है ऐसी शारीरिक चोट या हानि जो जीवन के लिए खतरा पैदा करती हो, या जिसे स्थायी शारीरिक नुकसान हो, जैसे अंग की कटाई, स्थायी विकलांगता, या गंभीर चोटें। - ‘अ’ एक महिला का घूँघट साशय हटा देता है। क्या ‘अ’ किसी अपराध के लिए दायी है?
यदि ‘अ’ ने महिला का घूँघट साशय हटाया है और इसे बिना उसकी सहमति के किया है, तो यह एक अपराध हो सकता है। यह महिला की गरिमा और निजता का उल्लंघन हो सकता है और इसे शील भंग (Indecent assault) माना जा सकता है।
- आपकृतिक मानव वध क्या है?
आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide) तब होता है जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, और यह एक जानबूझकर किए गए कार्य के परिणामस्वरूप होती है। यह तब होता है जब किसी ने किसी अन्य व्यक्ति की जान लेने का इरादा या तत्परता दिखाई, लेकिन पूरी तरह से हत्या के रूप में नहीं आता। - आपकृतिक मानव-वध को कब हत्या नहीं माना जाता है?
आपराधिक मानव-वध हत्या तब नहीं माना जाता जब किसी व्यक्ति ने परिस्थितियों या प्रकोप के कारण किसी की हत्या की हो, जैसे गुस्से में आकर, अचानक प्रकोपन के कारण, या आत्म-रक्षा में हत्या करना, जिससे हत्यारोपण नहीं होता। - व्यपहरण।
व्यपहरण (Kidnapping) किसी व्यक्ति को बलपूर्वक या धोखे से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना होता है, खासकर यदि वह व्यक्ति नाबालिग हो या उसके अभिभावक की सहमति के बिना किया गया हो। - हत्या एवं आपराधिक मानव-वध में क्या अन्तर है?
- हत्या (Murder): हत्या में जानबूझकर किसी की जान ली जाती है, और इसमें कर्ता का इरादा होता है।
- आपकृतिक मानव-वध (Culpable Homicide): यह भी हत्या की तरह होता है, लेकिन इसमें इरादा या प्रकोपन की तीव्रता हत्या जितनी नहीं होती, और इसका उद्देश्य हत्या नहीं होता है, परंतु परिणाम वही होता है।
- गम्भीर एवं अचानक प्रकोपन।
गम्भीर एवं अचानक प्रकोपन (Grave and Sudden Provocation) वह स्थिति होती है, जब किसी व्यक्ति को अचानक उकसाया जाता है और वह उकसाने वाला व्यवहार उसे हिंसा करने पर मजबूर करता है। इससे हत्या की कृत्य भी बिना इरादे के हो सकती है। - दहेज मृत्यु को परिभाषित कीजिए।
दहेज मृत्यु (Dowry death) तब होती है जब किसी महिला की मृत्यु दहेज की मांग के कारण होती है, और यह मृत्यु किसी प्रकार के शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न के कारण हुई हो। - बलात्संग की परिभाषा दीजिए।
बलात्संग (Rape) किसी महिला से उसकी सहमति के बिना शारीरिक संबंध स्थापित करना है। यह एक गंभीर अपराध है, जिसमें महिला के शारीरिक और मानसिक अनुशासन का उल्लंघन किया जाता है। - सामूहिक बलात्संग।
सामूहिक बलात्संग (Gang rape) तब होता है जब एक से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी महिला के साथ बलात्संग करते हैं। यह बलात्संग का एक गंभीर रूप होता है। - अपहरण से आप क्या समझते हैं?
अपहरण (Abduction) तब होता है जब किसी व्यक्ति को बलपूर्वक या धोखे से किसी स्थान से ले जाया जाता है, और वह व्यक्ति अपनी इच्छा के खिलाफ इस क्रिया का शिकार होता है। - व्यपहरण एवं अपहरण में क्या अन्तर है?
- व्यपहरण (Kidnapping): यह एक अपराध है जो एक व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना अवैध रूप से ले जाने से जुड़ा होता है।
- अपहरण (Abduction): इसमें भी बलपूर्वक किसी व्यक्ति को ले जाना होता है, लेकिन इसमें कुछ विशेष परिस्थिति, जैसे धोखा, शामिल हो सकती है।
- चोरी को परिभाषित करें।
चोरी (Theft) वह अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को बिना उसकी अनुमति के चुराया हो और इसे गुप्त रूप से किया हो। - उद्दापन से आप क्या समझते हैं?
उद्दापन (Extortion) तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य से डर, धमकी या बल प्रयोग के माध्यम से कुछ चीजें या संपत्ति प्राप्त करता है। - चोरी व उद्दापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- चोरी (Theft): चोरी में चुराई गई वस्तु को गुप्त रूप से लिया जाता है, बिना किसी धमकी या हिंसा के।
- उद्दापन (Extortion): उद्दापन में किसी व्यक्ति को धमकी देकर या डर पैदा करके उसकी संपत्ति प्राप्त की जाती है।
- कब चोरी लूट है?
चोरी लूट (Robbery) तब बन जाती है जब किसी व्यक्ति ने चोरी करते वक्त हिंसा का प्रयोग किया हो या डर पैदा करके संपत्ति ली हो। - कब उद्दापन लूट है?
उद्दापन लूट तब बनता है जब कोई व्यक्ति उद्दापन के दौरान हिंसा का प्रयोग करता है या डर पैदा करता है ताकि संपत्ति ली जा सके। - “अपराध समाज का वास्तविक दर्पण है”, टिप्पणी करें।
यह कथन कहता है कि समाज में हो रहे अपराध उसके वास्तविक समस्याओं और असमानताओं को दर्शाते हैं। जब समाज में अपराध बढ़ते हैं, तो यह समाज के भीतर के तनाव, असमानता और न्याय व्यवस्था में दोषों को उजागर करता है। - लूट तथा डकैती में क्या अन्तर है?
- लूट (Robbery): लूट तब होती है जब किसी व्यक्ति ने हिंसा या धमकी का प्रयोग करके संपत्ति छीन ली हो।
- डकैती (Dacoity): डकैती तब होती है जब एक समूह (कम से कम पांच लोग) मिलकर हिंसा करते हैं और संपत्ति को लूटते हैं।
- डकैती को परिभाषित कीजिए।
डकैती (Dacoity) तब होती है जब पांच या अधिक लोग मिलकर किसी स्थान पर हिंसा का प्रयोग करते हुए संपत्ति को लूटते हैं। - ‘सदोष परिरोध’ को परिभाषित कीजिए।
सदोष परिरोध (Wrongful Confinement) तब होता है जब किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध अवैध रूप से किसी स्थान पर रोक लिया जाता है, और वह व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग नहीं कर सकता। - सदोष अवरोध तथा सदोष परिरोध में क्या अन्तर है?
- सदोष अवरोध (Wrongful Restraint): इसमें किसी व्यक्ति को शारीरिक रूप से रोकने की कोशिश की जाती है, ताकि वह आगे न बढ़ सके।
- सदोष परिरोध (Wrongful Confinement): इसमें किसी व्यक्ति को किसी स्थान पर बंद कर दिया जाता है, जिससे उसकी स्वतंत्रता पूरी तरह से छीन ली जाती है।
- आपराधिक न्यास भंग।
आपराधिक न्यास भंग (Criminal Breach of Trust) तब होता है जब कोई व्यक्ति जो दूसरों के धन या संपत्ति का रखवाला होता है, जानबूझकर या धोखाधड़ी से उसे अपनी व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपयोग करता है या उसे हानि पहुँचाता है। - छल क्या है?
छल (Cheating) तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को धोखे से गलत जानकारी देता है या उसे गलत तरीके से किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे उसे नुकसान होता है। - प्रतिरूपण द्वारा छल।
प्रतिरूपण द्वारा छल (Cheating by Personation) तब होता है जब कोई व्यक्ति दूसरों को धोखा देने के लिए किसी और का रूप धारण करता है या किसी और के नाम का उपयोग करता है। - लैंगिक उत्पीड़न से क्या अभिप्रेत है?
लैंगिक उत्पीड़न (Sexual Harassment) तब होता है जब किसी व्यक्ति या महिला के साथ किसी अन्य व्यक्ति द्वारा शारीरिक या मानसिक रूप से अनुचित और अनचाहे यौन व्यवहार किया जाता है, जो उनके सम्मान और अधिकारों का उल्लंघन करता है। - कब किसी व्यक्ति का स्वयं अपने नाम का हस्ताक्षर करना कूटरचना की कोटि में आ सकेगा।
जब किसी व्यक्ति ने अपने नाम का हस्ताक्षर करते हुए किसी दस्तावेज को गलत तरीके से प्रस्तुत किया हो, जैसे उस दस्तावेज़ के लिए वह अधिकार नहीं रखता, तो यह कूटरचना (Forgery) के अंतर्गत आता है। - कूटरचना को परिभाषित कीजिए।
कूटरचना (Forgery) तब होती है जब किसी दस्तावेज़, चिट्ठी, चेक, या किसी अन्य हस्ताक्षर को झूठा या धोखाधड़ी से तैयार किया जाता है ताकि किसी दूसरे व्यक्ति को धोखा दिया जा सके। - मिथ्या साक्ष्य देने एवं मिथ्या साक्ष्य गढ़ने में क्या अन्तर है?
- मिथ्या साक्ष्य देना (False evidence): जब कोई व्यक्ति झूठी जानकारी देता है या गलत बयानबाजी करता है जो न्यायालय में दी गई सच्चाई से भिन्न होती है।
- मिथ्या साक्ष्य गढ़ना (Fabricating false evidence): जब कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठी साक्ष्य तैयार करता है या दस्तावेजों में फेरबदल करता है ताकि वह किसी मामले में पक्षधर हो सके।
- छल एवं कूटरचना में क्या अन्तर है?
- छल (Cheating): छल में व्यक्ति दूसरों को धोखा देकर किसी वस्तु या सेवा के बदले कुछ प्राप्त करता है।
- कूटरचना (Forgery): कूटरचना में किसी दस्तावेज, हस्ताक्षर या पहचान को झूठा बनाना होता है, जिससे धोखा दिया जाता है।
- रिष्टि क्या है?
रिष्टि (Mischief) तब होता है जब किसी व्यक्ति ने जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को हानि पहुँचाई हो, या किसी चीज़ को नष्ट किया हो जिससे किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान हुआ हो। - आपराधिक अतिचार क्या है?
आपराधिक अतिचार (Criminal Trespass) तब होता है जब कोई व्यक्ति बिना अनुमति के किसी अन्य के संपत्ति में घुस जाता है या उसका उल्लंघन करता है। - द्विविवाह से आप क्या समझते हैं?
द्विविवाह (Bigamy) तब होता है जब कोई व्यक्ति एक समय में दो विवाह करता है, जो भारतीय कानून के अनुसार अवैध है। - बेईमानीपूर्ण दुर्विनियोग से आप क्या समझते हैं?
बेईमानीपूर्ण दुर्विनियोग (Dishonest Misappropriation) तब होता है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति का गलत तरीके से उपयोग करता है, जो उसके पास विश्वास के रूप में होती है। - मानहानि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
मानहानि (Defamation) तब होती है जब किसी व्यक्ति की इज्जत या सम्मान को किसी गलत बयान के माध्यम से हानि पहुँचाई जाती है। यह किसी व्यक्ति के खिलाफ गलत आरोप या बयान देने से होता है जो उनके सामाजिक प्रतिष्ठान को नुकसान पहुँचाता है। - “वक्रोक्ति” से आप क्या समझते हैं?
वक्रोक्ति (Innuendo) एक प्रकार का अप्रत्यक्ष या छिपा हुआ संदेश होता है जो किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में नकारात्मक या अपमानजनक टिप्पणी व्यक्त करता है, जो सीधे तौर पर नहीं कहा गया होता। - गृहभेदन को परिभाषित कीजिए।
गृहभेदन (Housebreaking) तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी घर या भवन में अवैध रूप से घुसता है, खासकर रात के समय या किसी अन्य तरीके से चोरी करने के उद्देश्य से। - आपराधिक अभित्रास।
आपराधिक अभित्रास (Criminal Intimidation) तब होता है जब कोई व्यक्ति दूसरे को डराने या धमकाने के लिए किसी प्रकार की धमकी देता है, जिससे वह डरकर कुछ करेगा या नहीं करेगा। - जारता।
जारता (Adultery) तब होता है जब शादीशुदा व्यक्ति अपनी पत्नी या पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, जो दाम्पत्य जीवन के खिलाफ है। - असम्भव प्रयास को स्पष्ट कीजिए।
असम्भव प्रयास (Impossible Attempt) तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी अपराध को करने की कोशिश करता है, लेकिन वह असंभव होता है, जैसे किसी मृत व्यक्ति को मारने की कोशिश करना।