न्यास, साम्या एवं वैश्वासिक सम्बन्ध (LAW OF TRUST, EQUITY & FIDUCIARY RELATION) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

  1. साम्यिक अधिकार (Equitable Rights):
    साम्यिक अधिकार वे अधिकार होते हैं जो न्यायालय द्वारा एक पक्ष को किसी विशेष स्थिति में निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए दिए जाते हैं। इन अधिकारों का उद्देश्य कानूनी अधिकारों को लागू करने के दौरान उचितता बनाए रखना होता है।
  2. साम्या की परिभाषा (Define Equity):
    साम्यिक न्याय वह न्याय है जो केवल कानूनी अधिकारों पर निर्भर नहीं होता, बल्कि यह विशिष्ट न्यायिक परिस्थितियों और प्रत्येक मामले की निष्पक्षता को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता है। इसे न्यायालय की “अन्याय से बचाव” की अवधारणा भी कहा जा सकता है।
  3. सामान्य विधि (Common Law):
    सामान्य विधि वह विधि है जो न्यायालयों द्वारा पहले के मामलों के निर्णयों (प्रेसिडेंट्स) से उत्पन्न होती है और पारंपरिक न्यायिक प्रथाओं पर आधारित होती है। इसे केस लॉ या जज-मेड लॉ भी कहा जाता है।
  4. पुनः परिवर्तन (Reconversion):
    पुनः परिवर्तन वह प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी भूमि या संपत्ति को पहले दिए गए अधिकार या परिवर्तन से फिर से सामान्य स्थिति में बदलता है। इसे पुनः प्राप्ति भी कहा जाता है।
  5. विधिक हित एवं साम्यिक हित में अन्तर (Distinguish between the equitable interest and legal interest):
    • विधिक हित (Legal Interest): यह वह अधिकार होते हैं जो कानूनी रूप से किसी संपत्ति या स्थिति पर होते हैं और जिसे कानून द्वारा मान्यता प्राप्त होती है।
    • साम्यिक हित (Equitable Interest): यह अधिकार तब उत्पन्न होते हैं जब न्यायालय यह मानता है कि किसी व्यक्ति के पास उस संपत्ति पर कुछ नैतिक अधिकार हैं, भले ही उसके पास कानूनी अधिकार न हो।
  6. मुजराई (Set-off):
    मुजराई वह स्थिति है जब एक पक्ष दूसरे पक्ष से उसके द्वारा किए गए भुगतान को या उस पर लगे दावे को पहले से किए गए कर्ज से समायोजित करता है। यह आमतौर पर एक कर्जदार को कर्ज की राशि घटाने में मदद करता है।
  7. न्यास का महत्व (Importance of Trust):
    न्यास एक कानूनी संस्था है जिसमें एक व्यक्ति (न्यासधारी) दूसरे व्यक्ति (न्यायाधीन) के लिए संपत्ति का प्रबंधन करता है। इसका महत्व संपत्ति के बेहतर प्रबंधन, उसके संरक्षण, और नियोजित उद्देश्य के तहत सही तरीके से उसका उपयोग सुनिश्चित करने में है।
  8. अभिव्यक्त अथवा घोषित न्यास (Express or Declared Trust):
    अभिव्यक्त न्यास वह होता है जिसे किसी व्यक्ति द्वारा स्पष्ट रूप से स्थापित किया जाता है, जैसे एक लिखित या मौखिक समझौते के माध्यम से।
  9. (क) खैराती न्यास (Charitable Trust):
    खैराती न्यास एक प्रकार का न्यास है जो समाज की भलाई, जरूरतमंदों की सहायता, और सार्वजनिक कल्याण के लिए स्थापित किया जाता है। यह उद्देश्य किसी व्यक्ति के लाभ के लिए नहीं बल्कि सार्वजनिक सेवा के लिए होता है।
  10. (ख) क्या एक कॉलेज के मरम्मत व रख-रखाव के लिए खैराती न्यास का सृजन किया जा सकता है? (Whether a charitable trust can be created for repair and maintenance of a college?):
    हाँ, एक कॉलेज के मरम्मत और रख-रखाव के लिए खैराती न्यास बनाया जा सकता है, यदि यह उद्देश्य सार्वजनिक भलाई और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हो।
  11. न्यासधारी की नियुक्ति (Appointment of Trustee):
    न्यासधारी की नियुक्ति उस व्यक्ति द्वारा की जाती है जो न्यास स्थापित करता है (न्यासी) और उसे अपनी संपत्ति या अधिकारों का प्रबंधन करने के लिए नियुक्त करता है। यह नियुक्ति सामान्यत: एक लिखित समझौते या कागजों के माध्यम से की जाती है।
  12. निष्पक्ष रहने का न्यासधारी का कर्तव्य (Duty of the trustee to be impartial):
    न्यासधारी का कर्तव्य है कि वह सभी पक्षों के साथ निष्पक्ष और बिना पक्षपाती हो कर व्यवहार करे। वह किसी एक पक्ष को लाभ नहीं दे सकता और उसे न्यास की संपत्ति का प्रबंधन इस तरह करना होता है कि सभी हितधारकों के अधिकारों का समान रूप से पालन हो।
  1. व्यासधारी को न्यायालय से निर्देश प्राप्त करने का अधिकार (Right of the trustee to seek direction from the Court):
    न्यासधारी को न्यायालय से निर्देश प्राप्त करने का अधिकार होता है जब वह किसी विवादित स्थिति में या जब उसे किसी असमंजस की स्थिति का समाधान करना हो, तो वह न्यायालय से आदेश प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकता है।
  2. हितग्राही का न्यास समाप्त करने का अधिकार (Right of the beneficiary to put an end to the trust):
    हितग्राही को न्यास समाप्त करने का अधिकार होता है, जब वह न्यास के उद्देश्यों को पूरा किए जाने के बाद या अन्य कारणों से न्यास को समाप्त करने का निर्णय लेता है। यह अधिकार लाभ लेने वाले को न्यासधारी के खिलाफ उपयोग करने का होता है।
  3. न्यास के प्रतिसंहरण (Revocation of Trust):
    न्यास का प्रतिसंहरण उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा न्यासी किसी कारण से न्यास को समाप्त या रद्द कर देता है। यह अधिकार न्यासी को होता है, लेकिन कुछ प्रकार के न्यासों में प्रतिसंहरण की अनुमति नहीं होती है।
  4. साम्या का सामान्य विधि से सम्बन्ध (Relation of Equity with Common Law):
    साम्यिक न्याय और सामान्य विधि का सम्बन्ध उस स्थिति से है जहां सामान्य विधि के तहत किसी व्यक्ति के कानूनी अधिकारों का उल्लंघन होता है, लेकिन साम्यिक न्याय इसे निष्पक्ष रूप से सुलझाने की कोशिश करता है, विशेष रूप से जब कानूनी उपाय अपर्याप्त होते हैं।
  5. साम्या विधि का अनुसरण करती है (Equity follows the Law):
    यह सिद्धांत कहता है कि साम्यिक न्याय को कानूनी नियमों का पालन करना चाहिए, हालांकि, जब दोनों के बीच असमानता हो, तो साम्यिक न्याय को लागू किया जाता है। यह कानूनी अधिकारों का उल्लंघन करते हुए निष्पक्षता पर जोर देता है।
  6. तुष्टि या निस्तारण का सिद्धान्त (Satisfaction or Doctrine of Satisfaction):
    यह सिद्धांत कहता है कि यदि एक पक्ष को किसी अधिकार का निस्तारण या संतोष हो चुका है, तो वह उस अधिकार के पुनः प्रयोग का दावा नहीं कर सकता। इसका मुख्य उद्देश्य किसी विशिष्ट विवाद को निपटाना है।
  7. तथ्य की भूल (Mistake of fact):
    तथ्य की भूल तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी तथ्य को गलत समझकर या गलत जानकारी के आधार पर निर्णय लेता है। यह विधिक दावे को प्रभावित कर सकता है यदि गलती से कोई अनुबंध या कार्य किया गया हो।
  8. दुर्घटना (Accident):
    दुर्घटना एक अप्रत्याशित और अनियंत्रित घटना होती है जो किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाती है। यह किसी भी जिम्मेदारी या दावे को उत्पन्न कर सकती है यदि यह किसी की लापरवाही या अनुचित कार्यवाही के कारण होती है।
  9. क्या न्यास निर्माता न्यासी हो सकता है? (Can a testator be a trustee?):
    हाँ, न्यास निर्माता (वसीयतकर्ता) स्वयं न्यासी हो सकता है यदि वह अपनी वसीयत में यह स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करता है कि वह अपने संपत्ति का प्रबंधन करेगा। यह किसी भी अन्य व्यक्ति द्वारा भी किया जा सकता है जो वसीयत में शामिल है।
  10. न्यासी के न्यास भंग के लिए दायित्व की व्याख्या कीजिए (Discuss the liability of trustee for breach of trust):
    न्यासी को न्यास की शर्तों का उल्लंघन करने पर जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यदि न्यासी ने विश्वास के साथ जो कार्य किया है, उसमें कोई धोखाधड़ी या त्रुटि की है, तो वह आर्थिक रूप से दायित्वपूर्ण हो सकता है। न्यासी को अधिकार नहीं होता कि वह अपनी जिम्मेदारियों से भागे।
  11. निर्वाचन कहाँ तक अभिप्राय पर आधारित है? (How far Election is based on intention?):
    निर्वाचन का आधार व्यक्तियों की इच्छाओं और इरादों पर निर्भर होता है, जो कि उनके द्वारा किए गए किसी कार्य या निर्णय से परिलक्षित होता है। यह उन निर्णयों पर आधारित है जिन्हें लोग अपने व्यक्तिगत या सामूहिक लाभ के लिए लेते हैं।
  12. अभिव्यक्त एवं विवक्षित न्यास में अन्तर कीजिए (Distinguish between express and implied trust):
  • अभिव्यक्त न्यास (Express Trust): यह वह न्यास है जिसे स्पष्ट रूप से शब्दों या लिखित रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • विवक्षित न्यास (Implied Trust): यह वह न्यास है जो किसी कार्य या स्थिति से परिलक्षित होता है, भले ही इसका स्पष्ट रूप से कोई दस्तावेज नहीं होता है।
  1. विलम्ब साम्या को पराजित करता है (Delay defeats equity):
    यह सिद्धांत कहता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अधिकार का दावा करने में बहुत अधिक विलंब करता है, तो साम्यिक न्याय उसे समर्थन नहीं देगा। समय रहते दावा प्रस्तुत करना आवश्यक होता है।
  2. (क) न्यास और शर्त (Trust and Condition):
    न्यास वह कानूनी समझौता है जिसके तहत एक व्यक्ति अपनी संपत्ति दूसरे व्यक्ति के लिए प्रबंधित करता है, जबकि शर्त एक अनुबंध की वह आवश्यकता है जिसे पूरा करना जरूरी होता है।
  3. (ख) न्यास और संविदाएं (Trust and Contract):
    न्यास और संविदाएं दोनों कानूनी अनुबंध होते हैं, लेकिन न्यास में एक व्यक्ति (न्यासधारी) के पास संपत्ति का प्रबंधन होता है जबकि संविदा में दो या दो से अधिक पक्षों के बीच समझौते का पालन किया जाता है।
  4. आन्वयिक न्यास (Constructive Trust):
    यह एक प्रकार का न्यास होता है जिसे न्यायालय द्वारा स्थापित किया जाता है जब यह साबित हो जाता है कि किसी व्यक्ति ने अनुचित तरीके से किसी अन्य की संपत्ति पर कब्जा कर लिया है, और न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति का सही मालिक उसे प्राप्त करे।
  5. प्रार्थनात्मक न्यास (Precatory Trust):
    यह एक प्रकार का न्यास होता है जिसमें न्यास निर्माता किसी व्यक्ति को अपनी संपत्ति प्रबंधित करने की इच्छा जताता है, लेकिन यह एक कानूनी आदेश नहीं होता, बल्कि यह एक निर्देश या इच्छा होती है।
  1. न्यासधारी की पदच्युति (Removal of Trustee):
    न्यासधारी को पदच्युति दी जा सकती है यदि वह अपनी कर्तव्यों को ठीक से नहीं निभाता, धोखाधड़ी करता है, या किसी अन्य कारण से उसके व्यवहार में अविश्वास उत्पन्न होता है। न्यायालय भी न्यासधारी को पदच्युति दे सकता है यदि वह दायित्वों का पालन नहीं करता।
  2. न्यासधारी के दायित्व (Liabilities of a trustee):
    न्यासधारी के दायित्वों में शामिल है:
  • संपत्ति का प्रबंध करने का कर्तव्य।
  • हितग्राही के हितों का संरक्षण।
  • अपनी शर्तों और कानून के अनुरूप कार्य करना।
  • यदि न्यासधारी ने अपने कर्तव्यों का उल्लंघन किया तो वह जिम्मेदार हो सकता है।
  1. हितग्राही का किराया तथा लाभ प्राप्त करने का अधिकार (Right of the beneficiary to receive rents and profits):
    हितग्राही को न्यास के तहत संपत्ति से होने वाले किराए और लाभ प्राप्त करने का अधिकार होता है, यदि न्यास के उद्देश्यों के तहत यह लाभ प्रदान किया गया हो।
  2. हितग्राही का दायित्व (Liabilities of the beneficiary):
    हितग्राही का दायित्व होता है कि वह न्यास के शर्तों का पालन करे और न्यास के उद्देश्यों के विरुद्ध कार्य न करे। वह उन कर्तव्यों को भी निभाता है जो उसके लिए न्यास द्वारा निर्धारित हैं।
  3. न्यास का अवसान (Extinction of trust):
    न्यास का अवसान तब होता है जब उसके उद्देश्य पूर्ण हो जाते हैं या जब सभी संपत्तियां लाभार्थियों में वितरित कर दी जाती हैं। इसके अलावा, यदि न्यास को समाप्त करने की कोई कानूनी प्रक्रिया होती है, तो न्यास का अवसान हो सकता है।
  4. न्यास का वर्गीकरण कीजिए (Give the classification of trust):
    न्यास को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
  • अभिव्यक्त न्यास (Express Trust)
  • विवक्षित न्यास (Implied Trust)
  • कानूनी न्यास (Constructive Trust)
  • खैराती न्यास (Charitable Trust)
  • व्यक्तिगत न्यास (Private Trust)
  1. साम्या की अपेक्षा करने वालों को स्वयं भी साम्या का व्यवहार करना चाहिए (He who seeks equity must do equity):
    इस सिद्धांत का अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति न्याय की मांग कर रहा है, तो उसे पहले खुद न्यायपूर्ण कार्य करना चाहिए। यह सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति न्याय का दावा करने से पहले अपने कर्तव्यों को पूरा करे।
  2. वास्तविक कपट (Actual Fraud):
    वास्तविक कपट का अर्थ है धोखाधड़ी के द्वारा किसी को गलत तरीके से संपत्ति या अधिकारों से वंचित करना। इसमें व्यक्ति जानबूझकर झूठ बोलता है या धोखा देता है।
  3. वैध न्यास के आवश्यक तत्व (Essentials of a Valid Trust):
    वैध न्यास के लिए आवश्यक तत्व हैं:
  • न्यासधारी का अस्तित्व
  • न्यास का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए
  • लाभार्थियों का निर्धारण
  • संपत्ति का हस्तांतरण
  • न्यास की शर्तों का पालन
  1. सार्वजनिक न्यास (Public Trust):
    सार्वजनिक न्यास वह न्यास होता है जो समाज के सामान्य भले के लिए स्थापित किया जाता है, जैसे खैराती संस्थाएं या सार्वजनिक सेवाएं। इसका उद्देश्य समाज के बड़े हित को प्राप्त करना होता है।
  2. न्यासधारियों के अधिकार (Rights of Trustees):
    न्यासधारी के अधिकारों में शामिल हैं:
  • संपत्ति का प्रबंध करने का अधिकार।
  • किसी भी विवाद में निष्पक्ष निर्णय लेने का अधिकार।
  • न्यास संपत्ति से लाभ प्राप्त करने का अधिकार (यदि न्यास की शर्तें इसकी अनुमति देती हैं)।
  1. हितग्राही के अधिकार (Rights of beneficiaries):
    हितग्राही के अधिकारों में शामिल हैं:
  • संपत्ति या लाभ प्राप्त करने का अधिकार।
  • न्यास के उद्देश्यों के अनुसार संरक्षण और लाभ प्राप्त करने का अधिकार।
  • न्यासधारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का अधिकार यदि न्यास की शर्तों का उल्लंघन हो रहा हो।
  1. न्यासधारी के कर्तव्य (Duties of a trustee):
    न्यासधारी के कर्तव्यों में शामिल हैं:
  • न्यास के उद्देश्यों को पूरा करना।
  • संपत्ति का निष्पक्ष प्रबंधन करना।
  • हितग्राही के अधिकारों का संरक्षण करना।
  • किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार या धोखाधड़ी से बचना।
  1. निष्पादित न्यास तथा निष्पाद्य न्यास (Executed Trust and Executory Trust):
  • निष्पादित न्यास (Executed Trust): जब न्यास की शर्तें पूरी हो जाती हैं और संपत्ति का हस्तांतरण किया जाता है, तो उसे निष्पादित न्यास कहा जाता है।
  • निष्पाद्य न्यास (Executory Trust): यह वह न्यास है जिसमें संपत्ति का हस्तांतरण और शर्तों का पालन भविष्य में किया जाएगा।
  1. साम्या व्यक्तिबंधी में कार्य करती है (Equity acts in Personam):
    यह सिद्धांत कहता है कि साम्यिक न्याय व्यक्तिगत अधिकारों और दायित्वों पर आधारित होता है। यह किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्य करता है, न कि केवल संपत्ति के खिलाफ।
  2. विवक्षित न्यास (Implied trust):
    विवक्षित न्यास वह होता है जो किसी कार्य या समझौते से उत्पन्न होता है, जब दोनों पक्षों का इरादा स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं किया गया हो, लेकिन परिस्थितियों से यह माना जाता है कि एक पक्ष दूसरे पक्ष के लिए संपत्ति का प्रबंधन करेगा।

Here are the short notes and answers for the remaining questions:

  1. हितग्राही को न्यास समाप्त करने के अधिकार पर संक्षिप्त टिप्पणी (Right to put an end to the trust):
    हितग्राही को न्यास समाप्त करने का अधिकार तब होता है जब वह न्यास के उद्देश्य को पूरा होता हुआ देखता है या जब सभी संपत्तियां वितरित की जा चुकी होती हैं। यह अधिकार उसे तब मिलता है जब न्यास के उद्देश्य अब लागू नहीं रहते या यदि लाभार्थी न्यास को समाप्त करने की इच्छा व्यक्त करता है और यदि सभी शर्तें पूरी हो चुकी हैं। सामान्यत: यह अधिकार तभी होता है जब न्यास में कोई विशेष शर्त न हो, जो इसे समाप्त होने से रोकती हो।
  2. व्यवस्थापन (Settlement):
    व्यवस्थापन का मतलब है किसी संपत्ति या धन का प्रबंधन और वितरित करना। यह आमतौर पर किसी व्यक्ति के द्वारा अपने जीवनकाल में या मृत्यु के बाद संपत्तियों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसमें संपत्तियों के वितरण, अधिकारों और कर्तव्यों का निर्धारण किया जाता है।
  3. क्या कोई पागल व्यक्ति न्यासी नियुक्त हो सकता है? (Can a lunatic be appointed a trustee?):
    नहीं, एक पागल व्यक्ति या मानसिक रूप से असमर्थ व्यक्ति को न्यासी नियुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि उसे अपने कर्तव्यों और अधिकारों का पूरी तरह से ज्ञान नहीं होता और वह न्यास के उद्देश्य को ठीक से पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकता।
  4. हिताधिकारी (Beneficiary):
    हिताधिकारी वह व्यक्ति होता है जिसे न्यास द्वारा लाभ प्राप्त होता है। यह व्यक्ति किसी विशेष उद्देश्य या शर्तों के तहत न्यास से फायदे प्राप्त करता है। हिताधिकारी का अधिकार होता है कि वह न्यास की शर्तों के तहत संपत्ति या लाभ प्राप्त करे।
  5. क्या एक अवयस्क एक वैध न्यास का सृजन कर सकता है? (Can a minor create a valid trust?):
    नहीं, एक अवयस्क (जो 18 वर्ष से कम हो) अपने लिए वैध न्यास नहीं बना सकता। हालांकि, एक अवयस्क किसी अन्य के लिए न्यास बना सकता है, यदि वह अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझने में सक्षम हो।
  6. स्वामित्व अभिलेख (Title Deed):
    स्वामित्व अभिलेख वह कानूनी दस्तावेज होता है जो किसी संपत्ति के स्वामित्व को प्रमाणित करता है। यह दस्तावेज संपत्ति के स्वामी का नाम, उसकी स्थिति और अन्य कानूनी विवरणों को दर्शाता है।
  7. सॉलिसिटर और मुवक्किल के सम्बन्ध (Relation between Solicitor and Clients):
    सॉलिसिटर और मुवक्किल के बीच विश्वास और गोपनीयता का संबंध होता है। सॉलिसिटर मुवक्किल के कानूनी प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है और उसकी ओर से कानूनी सलाह और मदद प्रदान करता है। यह संबंध बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और इसमें पारदर्शिता, गोपनीयता, और जिम्मेदारी की आवश्यकता होती है।
  8. नव न्यासी की शक्तियाँ (Powers of New Trustee):
    एक नए न्यासी को पुराने न्यासी की सभी शक्तियां और अधिकार प्राप्त होते हैं, बशर्ते वह न्यास के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करे। वह संपत्तियों का प्रबंधन करने, निर्णय लेने और लाभार्थियों के हितों की रक्षा करने के लिए सक्षम होता है।
  9. साम्या वहाँ सहायता करती है जहाँ विधि मौन रहती है (Equity comes to aid where law is silent):
    यह सिद्धांत कहता है कि जब कानून कोई विशेष मार्गदर्शन नहीं देता, तो साम्यिक न्याय कार्य करता है। इसका मतलब है कि यदि कानून मौन होता है या अधूरा होता है, तो न्यायलय न्याय के सिद्धांतों के आधार पर निर्णय लेता है।
  10. चान्सरी न्यायालय (Chancery Court):
    चान्सरी न्यायालय वह न्यायालय था जो इंग्लैंड में न्यायिक मामले निपटाने के लिए स्थापित किया गया था, खासकर जहां पारंपरिक कानून पर्याप्त नहीं था। यह न्यायालय साम्यिक न्याय पर आधारित था और इसमें विशेष प्रकार के मामलों को सुना जाता था, जैसे कि धर्मनिरपेक्ष न्याय, विश्वास और अन्य संविदानिक मामले।
  11. जुडिकेचर अधिनियम (Judicature Act):
    यह एक महत्वपूर्ण कानून था जो इंग्लैंड में 1873 में पारित हुआ। इसने चान्सरी और सामान्य कानून अदालतों के बीच अंतर को समाप्त कर दिया और एक एकीकृत न्यायिक प्रणाली स्थापित की। इससे सभी प्रकार के मामलों को एक ही अदालत में सुना जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  12. किंग्स बेंच (King’s Bench):
    किंग्स बेंच इंग्लैंड में एक महत्वपूर्ण न्यायालय था जो ऐतिहासिक रूप से राजकीय मामलों, आपराधिक मामलों और अन्य सामान्य कानूनी मामलों की सुनवाई करता था। आज के समय में यह अदालत इंग्लैंड के उच्च न्यायालय का हिस्सा है।
  13. वैश्वासिक सम्बन्ध (Fiduciary relations):
    वैश्वासिक संबंध वह संबंध होता है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के हित में काम करने की जिम्मेदारी निभाता है। इसमें एक पक्ष दूसरे पक्ष के विश्वास का उल्लंघन नहीं कर सकता, जैसे न्यासधारी और हितग्राही के बीच संबंध।
  14. समस्यायें (Problems):
    “समस्याएं” शब्द सामान्य रूप से कानूनी, व्यक्तिगत या व्यावसायिक परेशानियों या विवादों को दर्शाता है जिनका समाधान कानूनी प्रक्रियाओं के द्वारा किया जाता है। इन समस्याओं का समाधान विभिन्न प्रकार के न्यायालयों या विवाद समाधान प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जा सकता है।