भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 में भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 में भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं। इन परिवर्तनों का उद्देश्य कानूनी प्रक्रिया को सरल, स्पष्ट और आधुनिक बनाना है। नीचे कुछ प्रमुख धाराओं में हुए परिवर्तनों का विवरण प्रस्तुत है:

1. धारा 124 (राजद्रोह):

  • पहले: IPC की धारा 124 ‘राजद्रोह’ से संबंधित थी, जिसमें सरकार के खिलाफ नफरत, अवमानना या असंतोष पर दंडात्मक प्रावधान थे।
  • अब: BNS में ‘राजद्रोह’ को ‘देशद्रोह’ के रूप में परिवर्तित किया गया है। अब राष्ट्र के खिलाफ कोई भी गतिविधि दंडनीय होगी, लेकिन सरकार के खिलाफ नफरत या असंतोष पर दंडात्मक प्रावधान नहीं होंगे।

2. धारा 144 (घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होना):

  • पहले: IPC की धारा 144 घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होने से संबंधित थी।
  • अब: BNS में इसे सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है। अब इसे धारा 187 के तहत दंडनीय बनाया गया है।

3. धारा 302 (हत्या):

  • पहले: IPC की धारा 302 हत्या से संबंधित थी।
  • अब: BNS में हत्या के मामलों को धारा 101 के तहत दंडनीय बनाया गया है।

4. धारा 307 (हत्या का प्रयास):

  • पहले: IPC की धारा 307 हत्या के प्रयास से संबंधित थी।
  • अब: BNS में इसे धारा 109 के तहत दंडनीय बनाया गया है।

5. धारा 376 (दुष्कर्म):

  • पहले: IPC की धारा 376 दुष्कर्म से संबंधित थी।
  • अब: BNS में दुष्कर्म से जुड़े अपराधों को महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है। अब इसे धारा 63 के तहत दंडनीय बनाया गया है।

6. धारा 420 (धोखाधड़ी):

  • पहले: IPC की धारा 420 धोखाधड़ी से संबंधित थी।
  • अब: BNS में धोखाधड़ी के अपराधों को संपत्ति की चोरी के विरुद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है। अब इसे धारा 316 के तहत दंडनीय बनाया गया है।

7. धारा 399 (मानहानि):

  • पहले: IPC की धारा 399 मानहानि से संबंधित थी।
  • अब: BNS में मानहानि के अपराधों को आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि आदि की श्रेणी में रखा गया है। अब इसे धारा 356 के तहत दंडनीय बनाया गया है।

भारतीय न्याय संहिता 2023 (Indian Criminal Code 2023) में और भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। आइए जानते हैं कुछ और प्रमुख बदलावों के बारे में:

1. धारा 498A (दहेज उत्पीड़न):

  • पहले: IPC की धारा 498A दहेज उत्पीड़न से संबंधित थी, जो महिलाओं के खिलाफ दहेज से संबंधित हिंसा और उत्पीड़न के मामलों को कवर करती थी।
  • अब: अब इस धारा में संशोधन कर इसे अधिक कठोर किया गया है, जिसमें दहेज उत्पीड़न के मामलों में त्वरित कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। पुलिस को अब और अधिक सख्ती से इन मामलों में कार्रवाई करनी होगी। अब महिलाओं को त्वरित न्याय देने के लिए इसे और प्रभावी बनाया गया है।

2. धारा 377 (समलैंगिकता):

  • पहले: IPC की धारा 377 अनैतिक कृत्यों से संबंधित थी, जिसमें समलैंगिकता को अपराध माना जाता था।
  • अब: अब इस धारा को पुनः परिभाषित किया गया है। भारतीय न्याय संहिता 2023 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, इस प्रकार समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता दी गई है, जैसा कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में किया था।

3. धारा 365 (अपहरण):

  • पहले: IPC की धारा 365 अपहरण से संबंधित थी, जिसमें अपहरण करके किसी को गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखने की सजा दी जाती थी।
  • अब: इसमें संशोधन कर इसे और अधिक व्यापक बनाया गया है, जिसमें अपहरण के साथ-साथ अपहरण करने वालों के खिलाफ अधिक सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।

4. धारा 34 (साझा इरादा):

  • पहले: IPC की धारा 34 में यह कहा गया था कि यदि कोई अपराध एक साझा इरादे से किया जाता है, तो सभी अपराधियों को समान रूप से सजा दी जाएगी।
  • अब: इस धारा में सुधार करते हुए इसे और अधिक स्पष्ट किया गया है कि यदि अपराध में किसी एक व्यक्ति का कोई योगदान होता है तो वह अन्य अपराधियों के समान दोषी होगा, चाहे उसने अपराध को व्यक्तिगत रूप से न किया हो।

5. धारा 120B (साजिश):

  • पहले: IPC की धारा 120B आपराधिक साजिश से संबंधित थी, जिसमें किसी अपराध को करने की योजना बनाना या साजिश रचना दंडनीय था।
  • अब: अब इसमें अधिक कठोर प्रावधान किए गए हैं, जिसमें साजिश रचने वाले अपराधियों के खिलाफ लंबी सजा का प्रावधान किया गया है, और यदि साजिश का परिणाम अपराध में बदलता है तो दोषियों को अधिक सजा मिल सकती है।

6. धारा 354 (महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा):

  • पहले: IPC की धारा 354 में महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा को अपराध माना गया था।
  • अब: इसे और अधिक प्रभावी बनाया गया है। अब इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी महिला के साथ शारीरिक हिंसा की जाती है तो अपराधी को जल्दी सजा दी जाएगी। महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।

7. धारा 66 (साइबर अपराध):

  • पहले: IPC की धारा 66 साइबर अपराधों से संबंधित थी।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में साइबर अपराधों के लिए एक नई और सख्त धारा जोड़ी गई है। अब ऑनलाइन धोखाधड़ी, व्यक्तिगत जानकारी की चोरी, और अन्य साइबर अपराधों के लिए कठोर दंड और अधिक विस्तृत कानूनी प्रक्रियाएं हैं।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में और भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो विशेष रूप से अपराधों की गंभीरता को देखते हुए लागू किए गए हैं। यहां और कुछ प्रमुख धाराओं में हुए बदलाव दिए जा रहे हैं:

1. धारा 376A (दुष्कर्म के बाद हत्या):

  • पहले: IPC की धारा 376A दुष्कर्म के बाद हत्या से संबंधित थी।
  • अब: इसमें संशोधन किया गया है और दुष्कर्म के बाद हत्या करने वालों को सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। हत्या के अपराधियों के लिए अब अधिक कठोर सजा निर्धारित की गई है।

2. धारा 438 (पूर्व जमानत):

  • पहले: IPC की धारा 438 में यह प्रावधान था कि यदि कोई व्यक्ति गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग करता है, तो अदालत को उसकी स्थिति के आधार पर फैसला करना होता था।
  • अब: अब इसे और अधिक स्पष्ट किया गया है कि केवल गंभीर मामलों में ही पूर्व जमानत दी जाएगी। अदालत अब विशेष परिस्थितियों में जमानत देने की अधिक सख्ती से जांच करेगी।

3. धारा 511 (अपराध की कोशिश):

  • पहले: IPC की धारा 511 में यह कहा गया था कि किसी अपराध की कोशिश करने पर उसे दंडित किया जाएगा।
  • अब: अब इसे और भी विस्तृत किया गया है। यदि किसी व्यक्ति ने कोई गंभीर अपराध करने की कोशिश की हो और उसने उसे पूरा न किया हो, तो उसे कठोर दंड दिया जाएगा, जो अपराध के स्तर के हिसाब से तय किया जाएगा।

4. धारा 304 (गैर इरादतन हत्या):

  • पहले: IPC की धारा 304 गैर इरादतन हत्या से संबंधित थी।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा के तहत अब अधिक स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जिसमें गैर इरादतन हत्या में दोषी व्यक्ति को गंभीर सजा का सामना करना होगा। इस धारा के तहत दंड की अवधि में बदलाव किया गया है।

5. धारा 54 (साक्ष्य का उपयोग):

  • पहले: IPC की धारा 54 में साक्ष्य की वैधता और प्रमाणों के संग्रहण के तरीके पर केंद्रित था।
  • अब: अब इसमें संशोधन कर यह स्पष्ट किया गया है कि जमानत के मामलों में, साक्ष्य का एकत्रीकरण और उनका उपयोग कैसे किया जाएगा। यह बदलाव न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए है।

6. धारा 63 (फर्जी दस्तावेजों का निर्माण):

  • पहले: IPC की धारा 63 फर्जी दस्तावेजों के निर्माण से संबंधित थी, जिसमें दस्तावेजों के गलत तरीके से निर्माण और उनका उपयोग अपराधी माना जाता था।
  • अब: अब इसमें और भी सख्त प्रावधान जोड़े गए हैं। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर दस्तावेजों में धोखाधड़ी करता है या फर्जी दस्तावेज तैयार करता है, तो उसे अब दंड की अधिकतम अवधि और अधिक कठोर सजा का सामना करना पड़ेगा।

7. धारा 72 (निजता का उल्लंघन):

  • पहले: IPC की धारा 72 में निजता के उल्लंघन से संबंधित प्रावधान थे, जो व्यक्तियों की निजी जानकारी और गोपनीयता से जुड़े थे।
  • अब: अब इस धारा में निजता उल्लंघन के मामले में अधिक सख्त दंड प्रावधान जोड़े गए हैं, खासकर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर। ऑनलाइन गोपनीयता का उल्लंघन करने वालों को कड़ी सजा दी जाएगी।

8. धारा 415 (धोखाधड़ी और धोखाधड़ी के प्रयास):

  • पहले: IPC की धारा 415 में धोखाधड़ी से संबंधित मामलों को कवर किया गया था, जिसमें धोखाधड़ी करने वाले को सजा मिलती थी।
  • अब: अब इसे अधिक विस्तार से परिभाषित किया गया है, जिसमें वित्तीय धोखाधड़ी, ऑनलाइन धोखाधड़ी और अन्य डिजिटल धोखाधड़ी को कवर किया गया है। इसके लिए अब अधिक कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।

9. धारा 186 (कर्मचारी से दुर्व्यवहार):

  • पहले: IPC की धारा 186 में सरकारी अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करने पर सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इसमें संशोधन किया गया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति ने सरकारी कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया, तो उसे अधिक कठोर दंड दिया जाएगा। खासकर पुलिस और अन्य सरकारी कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों में रोकने या अपमानित करने वालों के खिलाफ कड़ी सजा होगी।

10. धारा 153A (धर्म, नस्ल या भाषा के आधार पर घृणा फैलाना):

  • पहले: IPC की धारा 153A में धर्म, जाति या भाषा के आधार पर घृणा फैलाने वाले अपराधों को दंडनीय ठहराया गया था।
  • अब: इसमें और अधिक विस्तार किया गया है, और अब इसे ‘समाज के बीच घृणा फैलाने वाले कार्यों’ की श्रेणी में रखा गया है। धार्मिक उन्माद या जातिवाद फैलाने के मामलों में दंड अधिक कठोर किया गया है।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में और भी कई अन्य महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य अपराधों के खिलाफ और अधिक कठोर उपायों को लागू करना है, ताकि कानूनी प्रक्रिया में सुधार और न्याय की तीव्रता बढ़ सके। यहां कुछ और प्रमुख बदलावों का उल्लेख किया जा रहा है:

1. धारा 354A (लैंगिक उत्पीड़न):

  • पहले: IPC की धारा 354A में लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित प्रावधान थे, जिसमें कोई भी व्यक्ति किसी महिला को शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न कर अपराधी माना जाता था।
  • अब: इसमें संशोधन कर लैंगिक उत्पीड़न के मामलों को अधिक व्यापक और गंभीर तरीके से परिभाषित किया गया है। अब इसमें शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न के साथ-साथ साइबर उत्पीड़न और ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों को भी शामिल किया गया है।

2. धारा 138 (चेक बाउंस):

  • पहले: IPC की धारा 138 चेक बाउंस से संबंधित थी, जिसमें चेक से संबंधित धोखाधड़ी के मामलों में दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा में संशोधन किया गया है और इसे और अधिक कड़ा किया गया है। चेक बाउंस के मामलों में अधिक सख्त दंड और समयसीमा का निर्धारण किया गया है ताकि मामलों का समाधान जल्दी हो सके।

3. धारा 377 (समलैंगिकता से संबंधित कानून):

  • पहले: IPC की धारा 377 समलैंगिक संबंधों को अपराध मानती थी।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में समलैंगिकता से संबंधित प्रावधानों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। इस बदलाव के तहत समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता दी गई है, जैसा कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में किया था।

4. धारा 439 (सशर्त जमानत):

  • पहले: IPC की धारा 439 में सशर्त जमानत का प्रावधान था, जो कुछ गंभीर मामलों में विशेष परिस्थितियों में जमानत देने का अधिकार प्रदान करता था।
  • अब: इसमें संशोधन किया गया है, जिसमें अब कोर्ट को सशर्त जमानत के मामलों में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। यदि आरोपी का अपराध गंभीर है, तो जमानत का प्रावधान और अधिक सख्त किया गया है।

5. धारा 52 (मनोवैज्ञानिक और मानसिक अपराध):

  • पहले: IPC में मानसिक अपराधों से संबंधित कोई विशिष्ट धारा नहीं थी।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में मानसिक और मनोवैज्ञानिक अपराधों को विशेष रूप से शामिल किया गया है। इसमें मानसिक उत्पीड़न, मानसिक हिंसा और मानसिक शोषण से संबंधित अपराधों के खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।

6. धारा 120B (साजिश):

  • पहले: IPC की धारा 120B में साजिश और अपराध के अंजाम देने के प्रयासों से संबंधित प्रावधान थे।
  • अब: अब इसे और अधिक सख्त किया गया है, जिसमें अब किसी भी प्रकार की साजिश या षड्यंत्र रचने वाले व्यक्तियों के लिए अधिक कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। खासकर आतंकवादी साजिशों को गंभीरता से लिया गया है।

7. धारा 77 (न्यायिक समीक्षा):

  • पहले: IPC की धारा 77 में न्यायिक समीक्षा के प्रावधान थे, जिसमें किसी भी मामले में यदि न्यायपालिका ने निर्णय को गलत पाया तो उसे पुनः समीक्षा किया जा सकता था।
  • अब: इस धारा को और अधिक स्पष्ट किया गया है कि न्यायिक समीक्षा के मामलों में अब समयसीमा का निर्धारण किया जाएगा ताकि लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा हो सके।

8. धारा 465 (जाली दस्तावेज और दस्तावेजों में फेरबदल):

  • पहले: IPC की धारा 465 में जाली दस्तावेजों और दस्तावेजों में फेरबदल करने से संबंधित प्रावधान थे।
  • अब: इसमें संशोधन कर इसे अधिक सख्त बनाया गया है। जाली दस्तावेजों को तैयार करने, उनका उपयोग करने या किसी अन्य के दस्तावेजों में फेरबदल करने पर अब अधिक कठोर सजा दी जाएगी।

9. धारा 138A (कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन):

  • पहले: IPC में कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने से संबंधित प्रावधान थे।
  • अब: इस धारा में अब कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन करने वाले अपराधियों को जल्दी सजा देने के लिए समयसीमा तय की गई है, ताकि मामलों का निपटारा त्वरित हो सके।

10. धारा 408 (नौकरशाही और सरकारी अधिकारियों का भ्रष्टाचार):

  • पहले: IPC की धारा 408 में सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार और उनके दुरुपयोग से संबंधित प्रावधान थे।
  • अब: इसमें अब सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार को अधिक कठोर रूप से परिभाषित किया गया है, जिसमें विशेष जांच एजेंसियों का गठन किया गया है जो इन मामलों की त्वरित और निष्पक्ष जांच करें।

भारतीय न्याय संहिता 2023 (Indian Criminal Code 2023) में और भी कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं जो कानूनी प्रक्रिया और न्याय सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं कुछ और बदलावों के बारे में:

1. धारा 497 (व्यभिचार):

  • पहले: IPC की धारा 497 में व्यभिचार (अविवाहित महिला के साथ विवाहेतर संबंध) को अपराध माना गया था, जिसमें केवल पुरुष को दोषी ठहराया जाता था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में व्यभिचार के कानून को और समान किया गया है। अब इसमें महिला को भी बराबरी का अधिकार मिला है और इस धारा को “सहमति से विवाहेतर संबंध” के रूप में संशोधित किया गया है, जिसमें दोनों पक्षों की सहमति पर ध्यान दिया गया है।

2. धारा 75 (बालकों के लिए दंड):

  • पहले: IPC की धारा 75 में बच्चों के लिए कठोर दंड का प्रावधान था, विशेष रूप से यदि वे किसी अपराध के हिस्से के रूप में कार्य करते थे।
  • अब: इस धारा में बदलाव कर बच्चों के संरक्षण को और बढ़ावा दिया गया है। अब बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में उन्हें न्याय दिलाने के लिए विशेष कानूनी उपायों को लागू किया गया है। बच्चों के शोषण और दुरुपयोग से संबंधित अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।

3. धारा 3 (धार्मिक उन्माद और घृणा फैलाना):

  • पहले: IPC की धारा 3 धार्मिक उन्माद और घृणा फैलाने से संबंधित थी, जिसमें धर्म, जाति, या भाषा के आधार पर घृणा फैलाने वाले अपराधियों को सजा दी जाती थी।
  • अब: इस धारा को और स्पष्ट किया गया है। अब इसमें यह भी जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति समाज में धार्मिक या सांस्कृतिक घृणा फैलाता है, तो उसे भारी सजा का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, धर्म और जाति आधारित हिंसा को रोकने के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं।

4. धारा 307 (हत्या का प्रयास):

  • पहले: IPC की धारा 307 हत्या के प्रयास से संबंधित थी, जिसमें हत्या का प्रयास करने वाले को दंडित किया जाता था।
  • अब: अब इसमें संशोधन किया गया है कि यदि हत्या का प्रयास किया गया हो, तो अपराधी के खिलाफ सजा और अधिक सख्त की जाएगी, खासकर यदि किसी को गंभीर चोटें आई हैं। हत्या का प्रयास करने वालों के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं।

5. धारा 506 (आत्महत्या के लिए उकसाना):

  • पहले: IPC की धारा 506 में आत्महत्या के लिए उकसाने पर सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा में मानसिक उत्पीड़न और ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों को भी शामिल किया गया है। मानसिक उत्पीड़न और साइबर उत्पीड़न के माध्यम से आत्महत्या के लिए उकसाने वाले अपराधियों को अधिक सख्त सजा दी जाएगी।

6. धारा 9 (संज्ञेय अपराध और गैर-संज्ञेय अपराध):

  • पहले: IPC में संज्ञेय और गैर-संज्ञेय अपराधों का निर्धारण किया गया था, जिसमें संज्ञेय अपराधों में पुलिस बिना वॉरंट के गिरफ्तारी कर सकती थी।
  • अब: इस धारा में संशोधन कर अब पुलिस को संज्ञेय और गैर-संज्ञेय अपराधों के बारे में और अधिक स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। खासकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों में पुलिस को त्वरित कार्रवाई की दिशा में निर्देशित किया गया है।

7. धारा 75A (आधुनिक अपराध और साइबर अपराध):

  • पहले: IPC में साइबर अपराधों से संबंधित कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में साइबर अपराधों को लेकर एक नई धारा जोड़ी गई है (धारा 75A), जिसमें इंटरनेट, सोशल मीडिया, और डिजिटल प्लेटफार्मों पर अपराध करने वालों के खिलाफ सख्त दंड का प्रावधान है। इससे साइबर अपराधों में वृद्धि को रोकने में मदद मिलेगी।

8. धारा 342 (गलत तरीके से गिरफ्तार करना):

  • पहले: IPC की धारा 342 में गलत तरीके से किसी को गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने पर सजा का प्रावधान था।
  • अब: इस धारा में अब यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई पुलिस अधिकारी या अन्य सरकारी कर्मचारी किसी को गलत तरीके से गिरफ्तार करता है, तो उसे सिर्फ दंडित नहीं किया जाएगा, बल्कि उसे आर्थिक रूप से मुआवजा भी देना होगा।

9. धारा 108 (आतंकी गतिविधियों के लिए उकसाना):

  • पहले: IPC की धारा 108 में आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले लोगों को सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इसमें विशेष सुधार किए गए हैं, जिसमें आतंकवाद से जुड़ी साजिशों के लिए ज्यादा कठोर दंड निर्धारित किया गया है। आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े मामलों में विशेष जांच एजेंसियों के द्वारा कार्रवाई करने का प्रावधान है।

10. धारा 167 (गिरफ्तारी से पहले की प्रक्रिया):

  • पहले: IPC की धारा 167 में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की प्रक्रिया और उसकी हिरासत के दौरान की कानूनी प्रक्रिया का प्रावधान था।
  • अब: इसमें अब यह स्पष्ट किया गया है कि गिरफ्तारी से पहले और बाद में व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा, और यदि कोई व्यक्ति अपने अधिकारों से वंचित होता है, तो उसे तुरंत न्याय मिलेगा।

भारतीय न्याय संहिता 2023 (Indian Criminal Code 2023) में कई और महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो अपराधों की गंभीरता को समझते हुए न्याय प्रणाली को अधिक मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए हैं। यहां कुछ और बदलावों का उल्लेख किया जा रहा है:

1. धारा 67A (ऑनलाइन यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी):

  • पहले: IPC में ऑनलाइन यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी से संबंधित कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को जोड़ा गया है, जिसमें ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर यौन उत्पीड़न, असमर्थ या नाबालिगों के साथ पोर्नोग्राफी से संबंधित अपराधों को गंभीर अपराध माना गया है। इससे इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से होने वाली यौन शोषण और उत्पीड़न की घटनाओं को रोका जा सकेगा।

2. धारा 419 (धोखाधड़ी और फर्जी पहचान):

  • पहले: IPC की धारा 419 में धोखाधड़ी और फर्जी पहचान से संबंधित प्रावधान थे, जिसमें किसी व्यक्ति का नाम या पहचान छिपाकर धोखाधड़ी करने वाले को दंडित किया जाता था।
  • अब: इसमें संशोधन करते हुए अब विशेष रूप से डिजिटल धोखाधड़ी और फर्जी पहचान बनाने के मामलों को शामिल किया गया है। खासकर ऑनलाइन ठगी और बैंक धोखाधड़ी को गंभीरता से देखा जाएगा, और अपराधियों को कठोर सजा दी जाएगी।

3. धारा 107 (सामाजिक उकसाव):

  • पहले: IPC की धारा 107 में यह कहा गया था कि अगर कोई व्यक्ति समाज में हिंसा और तनाव पैदा करने के लिए उकसाता है, तो उसे सजा दी जाएगी।
  • अब: अब इस धारा में सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से हिंसा और घृणा फैलाने वालों के खिलाफ कठोर प्रावधान जोड़े गए हैं। यह संशोधन समाज में शांति बनाए रखने और किसी भी रूप में हिंसा को बढ़ावा देने वाले तत्वों के खिलाफ है।

4. धारा 290 (गंदगी और सार्वजनिक स्थलों पर अशोभनीय व्यवहार):

  • पहले: IPC की धारा 290 में सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी फैलाने या अशोभनीय व्यवहार करने वाले को दंडित किया जाता था।
  • अब: अब इसमें इसे और स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर शांति भंग करने वालों को अधिक सख्त दंड मिलेगा। इसके तहत कचरा फेंकने, सार्वजनिक स्थलों पर शराब पीने या किसी अन्य अशोभनीय व्यवहार को रोकने के लिए जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान किया गया है।

5. धारा 377B (अस्वीकृत शारीरिक संबंध):

  • पहले: IPC की धारा 377 में केवल समलैंगिक संबंधों को अपराध माना जाता था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को पुनः परिभाषित किया गया है, और अब इसमें अस्वीकृत शारीरिक संबंधों को शामिल किया गया है। यह बदलाव विशेष रूप से गैर-स्वीकृत शारीरिक संबंधों के मामलों में और अधिक स्पष्ट दिशा-निर्देश देता है।

6. धारा 63 (संपत्ति का अपहरण और अवैध कब्जा):

  • पहले: IPC की धारा 63 संपत्ति के अवैध कब्जे और अपहरण से संबंधित थी।
  • अब: इसमें संशोधन करते हुए अवैध संपत्ति कब्जा करने वालों के लिए अधिक सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। अब इसके तहत संपत्ति के गलत तरीके से कब्जे करने वालों को जेल की सजा और भारी जुर्माना दोनों का सामना करना पड़ेगा।

7. धारा 144 (अव्यवस्थित क्षेत्र में प्रवेश):

  • पहले: IPC की धारा 144 में यह कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थल पर अव्यवस्थित तरीके से प्रवेश करता है, तो उसे सजा दी जाएगी।
  • अब: अब इसमें संशोधन किया गया है और इसे और अधिक सख्त बनाया गया है। सार्वजनिक स्थानों पर अनुशासन बनाए रखने के लिए अब अधिक शक्तिशाली प्रावधान जोड़े गए हैं, जिसमें पुलिस और सुरक्षा बलों को बेहतर तरीके से कार्य करने का अधिकार दिया गया है।

8. धारा 51 (प्राकृतिक आपदाओं में आपराधिक कर्तव्य):

  • पहले: IPC में प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित कोई विशेष प्रावधान नहीं थे।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को जोड़ा गया है, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कोई आपराधिक कर्तव्य निभाने से इनकार करने या दूसरों की मदद न करने को अपराध माना गया है। आपदाओं के समय मानवता की सेवा न करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

9. धारा 195A (साक्ष्य देने के लिए दबाव डालना):

  • पहले: IPC की धारा 195A में यह कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति किसी से झूठी गवाही देने या साक्ष्य छुपाने के लिए दबाव डालता है, तो उसे दंडित किया जाएगा।
  • अब: अब इसमें यह जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी गवाह पर दबाव डालकर उसे धमकाता है, तो उसे और अधिक कठोर सजा दी जाएगी। इसके तहत गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं।

10. धारा 326A (खतरनाक पदार्थों का प्रयोग):

  • पहले: IPC में खतरनाक पदार्थों का प्रयोग करने से संबंधित कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं थे।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में खतरनाक रसायनों या पदार्थों का उपयोग करके किसी को नुकसान पहुंचाने पर गंभीर दंड का प्रावधान किया गया है। यह विशेष रूप से एसिड हमलों और अन्य रासायनिक हमलों के मामलों में लागू होगा।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में कई और सुधार और संशोधन किए गए हैं जो विभिन्न प्रकार के अपराधों से निपटने में मदद करेंगे और न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाएंगे। इन बदलावों का उद्देश्य सामाजिक न्याय, अपराधों से त्वरित निपटारा और अपराधियों के लिए कठोर सजा सुनिश्चित करना है। आइए कुछ और बदलावों के बारे में जानें:

1. धारा 156 (पुलिस की जांच के अधिकार):

  • पहले: IPC की धारा 156 में पुलिस को किसी भी अपराध की जांच शुरू करने का अधिकार था, बशर्ते उसे संज्ञान में लाया गया हो।
  • अब: इस धारा में संशोधन किया गया है और अब पुलिस को अधिक स्वतंत्रता दी गई है कि वह बिना वॉरंट के भी कुछ गंभीर मामलों की जांच शुरू कर सके। यह संशोधन विशेष रूप से उन मामलों में लागू होता है जहां समाज के लिए खतरा हो या अत्यधिक गंभीर अपराध हो।

2. धारा 362 (हथियारों का उपयोग और गैरकानूनी तरीके से कब्जा करना):

  • पहले: IPC में हथियारों का उपयोग और उनकी अवैध खरीद-फरोख्त से संबंधित कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं थे।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह धारा लागू की गई है, जिसमें गैरकानूनी तरीके से हथियारों का उपयोग करने वालों और अवैध रूप से हथियार रखने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इसके तहत आतंकवादी गतिविधियों और संगठित अपराधों में उपयोग किए गए हथियारों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

3. धारा 499 (मानहानि):

  • पहले: IPC की धारा 499 में मानहानि से संबंधित प्रावधान थे, जिसमें किसी व्यक्ति के बारे में झूठी जानकारी फैलाने पर सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति समाज में नफरत फैलाने या व्यक्तिगत रूप से मानहानि करने का प्रयास करता है, तो उसे अधिक कठोर सजा दी जाएगी। विशेष रूप से सोशल मीडिया पर झूठी जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कठोर प्रावधान जोड़े गए हैं।

4. धारा 324A (शारीरिक उत्पीड़न):

  • पहले: IPC की धारा 324 में किसी को शारीरिक चोट पहुंचाने या उसे चोट के लिए उकसाने पर सजा का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे संशोधित कर अधिक गंभीर शारीरिक उत्पीड़न के मामलों में सजा को बढ़ाया गया है। इसमें मानसिक उत्पीड़न और शारीरिक उत्पीड़न दोनों को समान महत्व दिया गया है।

5. धारा 199 (झूठी गवाही और कागजात में गड़बड़ी):

  • पहले: IPC में झूठी गवाही देने और दस्तावेजों में गड़बड़ी करने से संबंधित कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं था।
  • अब: अब इस धारा को अपडेट किया गया है और इसके तहत झूठी गवाही देने वालों और कागजात में जानबूझकर फेरबदल करने वालों के खिलाफ और अधिक सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। इससे न्यायालयों में होने वाली भ्रष्टाचार और गवाही की प्रक्रिया को साफ-सुथरा रखने की कोशिश की गई है।

6. धारा 427 (संपत्ति को नुकसान पहुंचाना):

  • पहले: IPC की धारा 427 में संपत्ति को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के मामले में दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा में और अधिक विस्तार किया गया है, जिससे अब इसमें किसी भी प्रकार की संपत्ति को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने, चाहे वह निजी हो या सार्वजनिक, पर विशेष दंड का प्रावधान किया गया है। इसमें विशेष रूप से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों में अधिक कठोर दंड जोड़ा गया है।

7. धारा 151 (व्यक्ति या समूह का उल्लंघन करना):

  • पहले: IPC की धारा 151 में यह कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति या समूह सार्वजनिक शांति को भंग करने का प्रयास करता है, तो उसे दंडित किया जाएगा।
  • अब: अब इस धारा में संशोधन किया गया है, जिसके तहत अब हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों को और सख्त सजा दी जाएगी। खासकर, यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर अव्यवस्था फैलाने का प्रयास करता है, तो उसे शीघ्र सजा का प्रावधान है।

8. धारा 147 (दंगा और सार्वजनिक शांति की भंग):

  • पहले: IPC की धारा 147 में दंगे और सार्वजनिक शांति की भंग से संबंधित प्रावधान थे।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसमें सुधार किया गया है और दंगा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अब इसमें यह भी जोड़ा गया है कि दंगा करने के दौरान यदि किसी व्यक्ति को गंभीर चोटें आती हैं, तो दंगे के आयोजकों को अधिक सजा दी जाएगी।

9. धारा 85 (मानसिक स्थिति और अपराध):

  • पहले: IPC में मानसिक स्थिति को अपराध में एक बचाव के रूप में माना जाता था, यदि व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ था।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित अधिक स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत मानसिक अस्वस्थता वाले अपराधियों के लिए विशेष उपचार और न्यायिक प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी, ताकि वे सुधार कर सकें।

10. धारा 136 (राजद्रोह):

  • पहले: IPC की धारा 136 में राजद्रोह से संबंधित प्रावधान थे, जिसमें किसी भी व्यक्ति या समूह को राज्य के खिलाफ उकसाने पर दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा को और स्पष्ट किया गया है, जिसमें राजद्रोह के मामलों में नागरिक स्वतंत्रताओं और प्रेस की स्वतंत्रता का संतुलन बनाए रखने के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं।

11. धारा 79 (आत्मरक्षा का अधिकार):

  • पहले: IPC की धारा 79 में आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता दी गई थी।
  • अब: अब इसमें यह विस्तार किया गया है कि आत्मरक्षा के दौरान अधिक गंभीर मामलों में अपराधियों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी, बशर्ते उनकी कार्रवाई आवश्यक हो। आत्मरक्षा के अधिकार को और स्पष्ट किया गया है, ताकि इसे गलत तरीके से इस्तेमाल होने से रोका जा सके।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में कुछ और महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो न्याय प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाने और अपराधों से निपटने में मदद करेंगे। यह बदलाव सामाजिक सुरक्षा, नागरिक अधिकारों और न्यायिक तंत्र की पारदर्शिता को बढ़ाने की दिशा में हैं। आइए कुछ और बदलावों पर चर्चा करें:

1. धारा 367 (यौन उत्पीड़न):

  • पहले: IPC की धारा 367 में यौन उत्पीड़न के मामलों में दंड का प्रावधान था, जिसमें बलात्कार और अन्य यौन अपराधों को गंभीरता से लिया गया था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे और विस्तारित किया गया है, जिसमें यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़िता के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े प्रावधान जोड़े गए हैं। इसमें अब डिजिटल और ऑनलाइन उत्पीड़न को भी शामिल किया गया है, जिससे ऑनलाइन यौन अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

2. धारा 409 (विश्वसनीयता का उल्लंघन):

  • पहले: IPC की धारा 409 में यह कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति अपने पद या विश्वास का दुरुपयोग करता है तो उसे दंडित किया जाएगा।
  • अब: इसमें अब इसे और विस्तारित किया गया है, जिससे सरकारी कर्मचारियों, सार्वजनिक संस्थाओं और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों द्वारा किए गए विश्वासघात के मामलों में अधिक कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। इसके तहत बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान है।

3. धारा 302 (हत्या):

  • पहले: IPC की धारा 302 में हत्या के अपराध के लिए सजा का प्रावधान था, जिसमें दोषी को फांसी या आजीवन कारावास हो सकता था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे संशोधित किया गया है और इसमें यह भी जोड़ा गया है कि यदि हत्या से जुड़ा अपराध व्यक्तिगत प्रतिशोध, धर्म, जाति या लिंग आधारित हो, तो ऐसे मामलों में अपराधियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान होगा। इसके तहत सामूहिक हत्या और आतंकवाद से जुड़े मामलों में विशेष धाराएं बनाई गई हैं।

4. धारा 112 (संपत्ति का अवैध कब्जा):

  • पहले: IPC की धारा 112 में अवैध रूप से किसी की संपत्ति पर कब्जा करने पर दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इसमें बदलाव किया गया है और इसे विशेष रूप से उन मामलों में लागू किया गया है, जहां कोई व्यक्ति या समूह अपनी अवैध गतिविधियों के तहत संपत्ति पर कब्जा करता है, जैसे भूमि विवाद, अवैध निर्माण या संपत्ति हड़पने के मामले। इसमें अब अधिक गंभीर दंड और संपत्ति की पुनः प्राप्ति के लिए कदम उठाए जाएंगे।

5. धारा 116 (सामूहिक हिंसा):

  • पहले: IPC में सामूहिक हिंसा से संबंधित कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को जोड़ा गया है, जिसमें सामूहिक हिंसा के मामलों में अपराधियों को दंडित करने के लिए सख्त प्रावधान किया गया है। इसमें सामूहिक हिंसा में शामिल होने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है, और इसमें पुलिस को त्वरित कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।

6. धारा 131 (राज्य विरोधी गतिविधियां):

  • पहले: IPC की धारा 131 में राजद्रोह से संबंधित प्रावधान थे, जिसमें किसी व्यक्ति या समूह को राज्य के खिलाफ उठने पर सजा दी जाती थी।
  • अब: अब इसमें यह जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति राज्य विरोधी गतिविधियों में शामिल होकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालता है, तो उसके खिलाफ अधिक कठोर दंड का प्रावधान होगा। इसमें आतंकवाद, नक्सलवाद और अन्य उपद्रवों से जुड़े मामलों को विशेष महत्व दिया गया है।

7. धारा 292 (पोर्नोग्राफी और अभद्र सामग्री):

  • पहले: IPC की धारा 292 में अभद्र सामग्री को प्रकाशित करने और फैलाने के मामलों में दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इसमें संशोधन करते हुए डिजिटल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से अभद्र सामग्री फैलाने वालों के खिलाफ कड़े प्रावधान जोड़े गए हैं। इसके तहत पोर्नोग्राफी, नाबालिगों को प्रभावित करने वाली सामग्री और सोशल मीडिया पर अवैध सामग्री फैलाने के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान है।

8. धारा 234 (ऑनलाइन धोखाधड़ी):

  • पहले: IPC में ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को जोड़ा गया है, जिसमें इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ विशेष कार्रवाई की जाएगी। इसमें साइबर अपराधों के लिए विशेष पुलिस दल और कोर्ट की स्थापना के लिए कदम उठाए गए हैं।

9. धारा 363 (अपहरण और मानव तस्करी):

  • पहले: IPC की धारा 363 में अपहरण के मामलों में दंड का प्रावधान था, जिसमें किसी का अपहरण करके उसे अवैध रूप से बंधक बनाना या तस्करी करना शामिल था।
  • अब: अब इसमें यह जोड़ा गया है कि यदि अपहरण करने वाले किसी बच्चे, महिला या कमजोर वर्ग के व्यक्ति को तस्करी में शामिल करते हैं, तो ऐसे मामलों में अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई और कड़ी सजा का प्रावधान किया जाएगा। इसमें मानव तस्करी से संबंधित मामलों को भी शामिल किया गया है।

10. धारा 438 (सामाजिक कार्यकर्ताओं और न्याय के अधिकार):

  • पहले: IPC में इस धारा के तहत केवल व्यक्तिगत मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे संशोधित किया गया है, जिसमें अब सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी अपनी सुरक्षा और न्याय के लिए अग्रिम जमानत लेने का अधिकार दिया गया है। इसके तहत किसी भी प्रकार के गलत आरोप से बचने के लिए न्यायिक प्रक्रिया को अधिक सशक्त किया गया है।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में कुछ और महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं जो अपराधों के प्रभावी निवारण, न्याय की तेज़ी, और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन बदलावों का उद्देश्य अधिक पारदर्शिता, न्यायिक प्रक्रिया की प्रभावशीलता और अपराधियों के लिए सख्त दंड सुनिश्चित करना है। यहां कुछ और बदलावों का विवरण दिया गया है:

1. धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को आहत करना):

  • पहले: IPC की धारा 298 में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में दंड का प्रावधान था, जिसमें व्यक्ति को आपत्तिजनक शब्दों या कृत्यों के माध्यम से धर्म, जाति या विश्वास का अपमान करने पर दंडित किया जाता था।
  • अब: अब इसमें यह संशोधन किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी धर्म, जाति, या समुदाय की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर आहत किया, तो उसे और अधिक कठोर सजा दी जाएगी। विशेष रूप से सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर इस प्रकार के अपराधों के लिए भी सख्त दंड का प्रावधान जोड़ा गया है।

2. धारा 135 (अत्याचार के खिलाफ कार्रवाई):

  • पहले: IPC में इस धारा का उद्देश्य सार्वजनिक आदेश और शांति बनाए रखना था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को अपडेट किया गया है, जिसमें अब यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति या समूह अत्याचार करता है, जैसे दंगे, सामूहिक हिंसा या अन्य प्रकार के आक्रमण, तो उसे सख्त दंड दिया जाएगा। इसके तहत दोषी व्यक्तियों को संगठित अपराधों के लिए कठोर सजा दी जाएगी।

3. धारा 411 (चोरी के सामान की खरीद या बिक्री):

  • पहले: IPC की धारा 411 में चोरी के सामान को खरीदने या बेचने पर सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा में यह विस्तार किया गया है, जिसमें डिजिटल या ऑनलाइन चोरी के मामलों को भी शामिल किया गया है। इस संशोधन के तहत यदि कोई व्यक्ति चोरी के सामान को ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर बेचता है या खरीदता है, तो उसे भी सजा दी जाएगी।

4. धारा 375 (बलात्कार):

  • पहले: IPC की धारा 375 में बलात्कार से संबंधित दंड का प्रावधान था, जिसमें यदि कोई पुरुष किसी महिला के साथ बलात्कार करता है, तो उसे सजा दी जाती थी।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसमें विस्तार किया गया है, जिसमें महिलाओं के साथ बलात्कार के मामलों में कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, बलात्कार के मामलों में संवेदनशीलता और मानसिक पीड़ा को ध्यान में रखते हुए पीड़िता को अधिक सहायता और सुरक्षा दी जाएगी।

5. धारा 302 (हत्या):

  • पहले: IPC की धारा 302 में हत्या के मामलों में फांसी या आजीवन कारावास का प्रावधान था।
  • अब: इसमें संशोधन करते हुए यह सुनिश्चित किया गया है कि जो लोग हत्या के अपराध में लिप्त होते हैं, उन्हें कठोर सजा दी जाएगी। इसके तहत सामूहिक हत्याओं और संगठित अपराधों से जुड़े मामलों में विशेष ध्यान दिया गया है। इसके अलावा, हत्या के मामलों में विशेष परिस्थितियों के तहत मौत की सजा को घटा भी दिया जाएगा, अगर अपराधी मानसिक रूप से अस्वस्थ पाया जाता है।

6. धारा 377 (अस्वीकृत शारीरिक संबंध):

  • पहले: IPC की धारा 377 में अस्वीकृत शारीरिक संबंधों को अपराध माना गया था, जो समलैंगिक संबंधों को भी शामिल करता था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को संशोधित करते हुए समलैंगिक संबंधों को अपराध से बाहर किया गया है। अब यह केवल अस्वीकृत शारीरिक संबंधों, जैसे बलात्कार और अन्य अप्राकृतिक यौन संबंधों के लिए लागू होगा।

7. धारा 499 (मानहानि):

  • पहले: IPC की धारा 499 में मानहानि के मामलों में सजा का प्रावधान था, जिसमें यदि कोई व्यक्ति किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है, तो उसे दंडित किया जाता था।
  • अब: अब इस धारा को और स्पष्ट किया गया है, जिसमें सोशल मीडिया और इंटरनेट पर किए गए मानहानि के मामलों को भी गंभीर रूप से लिया जाएगा। विशेष रूप से अफवाहें फैलाने या झूठी जानकारी देने के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।

8. धारा 201 (अपराध का प्रमाण छिपाना):

  • पहले: IPC की धारा 201 में अपराध के बाद प्रमाण छिपाने का मामला होता था, जिसमें अपराधी अपराध के बाद जांच को प्रभावित करने के लिए सबूतों को नष्ट करते थे।
  • अब: अब इसमें यह जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध के सबूतों को जानबूझकर नष्ट करता है या पुलिस की जांच में बाधा डालता है, तो उसे कठोर सजा दी जाएगी। इसमें विशेष रूप से साइबर अपराध और डिजिटल साक्ष्यों से जुड़ी गतिविधियों को भी शामिल किया गया है।

9. धारा 78 (क़ैद में रखने का दुरुपयोग):

  • पहले: IPC की धारा 78 में क़ैद में रखने से संबंधित दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इसमें यह जोड़ा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को गलत तरीके से क़ैद में रखा जाता है, तो संबंधित अधिकारियों या दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विशेष रूप से राजनीतिक विरोधियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मामलों में यह दुरुपयोग रुक सके, इसके लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं।

10. धारा 145 (सार्वजनिक स्थानों पर अराजकता):

  • पहले: IPC की धारा 145 में सार्वजनिक स्थानों पर अराजकता फैलाने के मामले में दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इसमें संशोधन किया गया है, और इसे और सख्त किया गया है। सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा या अव्यवस्था फैलाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें खासकर राजनीतिक प्रदर्शन और दंगों से जुड़े मामलों में कार्रवाई तेज़ की जाएगी।

11. धारा 411 (चोरी की संपत्ति को रखने और उपयोग करने पर दंड):

  • पहले: IPC की धारा 411 में चोरी की संपत्ति रखने या उसका उपयोग करने वाले को सजा का प्रावधान था।
  • अब: इसमें संशोधन किया गया है और चोरी की संपत्ति को डिजिटल माध्यम से बेचने या खरीदने वालों के खिलाफ कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। इसके तहत साइबर चोरी और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर संपत्ति बेचने को भी अपराध माना गया है।

12. धारा 138 (धन धोखाधड़ी):

  • पहले: IPC में धन धोखाधड़ी और जमानत से संबंधित कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति धन धोखाधड़ी करता है या जमानत राशि का गलत तरीके से उपयोग करता है, तो उसे सख्त दंड मिलेगा। इसमें विशेष ध्यान जमानत और वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता बनाए रखने पर दिया गया है।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में किए गए कुछ और महत्वपूर्ण संशोधनों का उद्देश्य न्याय प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, सख्त, और समावेशी बनाना है, ताकि समाज में कानून के पालन और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। निम्नलिखित कुछ अन्य प्रमुख बदलावों का विवरण दिया गया है:

1. धारा 157 (पुलिस जांच की गति):

  • पहले: IPC में पुलिस जांच की प्रक्रिया में समय की कोई स्पष्ट सीमा नहीं थी, और जांच में देरी आम बात थी।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह प्रावधान किया गया है कि पुलिस को जांच पूरी करने के लिए एक निश्चित समय सीमा निर्धारित की जाएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि आरोपी को बिना किसी अवश्यक देरी के न्याय मिले और मामले को त्वरित तरीके से निपटाया जाए।

2. धारा 109 (उकसाना):

  • पहले: IPC की धारा 109 में उकसाने का मामला तब लागू होता था जब कोई व्यक्ति किसी अपराध को करने के लिए दूसरे व्यक्ति को उकसाता था।
  • अब: इसमें अब यह जोड़ा गया है कि उकसाने के मामलों में शामिल व्यक्तियों को पहले की तुलना में कड़ी सजा दी जाएगी, विशेष रूप से यदि उकसाना आतंकवाद या संगठित अपराध से संबंधित है।

3. धारा 134 (मीडिया की भूमिका):

  • पहले: IPC में मीडिया और प्रेस से संबंधित कोई विशेष प्रावधान नहीं थे, जब वे किसी अपराध की रिपोर्टिंग करते थे।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में मीडिया की भूमिका को स्पष्ट करते हुए, यदि किसी मीडिया संस्थान या पत्रकार ने किसी अपराध की रिपोर्टिंग में दोषपूर्ण जानकारी दी हो या व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप किया हो, तो उस पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। यह मीडिया की जिम्मेदारी को बढ़ाने के लिए है ताकि वे समाज में सकारात्मक प्रभाव डालें और किसी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन न हो।

4. धारा 319 (हमला करने की कोशिश):

  • पहले: IPC की धारा 319 में किसी व्यक्ति को घायल करने के लिए हमला करने की कोशिश पर सजा का प्रावधान था, लेकिन यह केवल हमला करने वाले पर लागू होता था।
  • अब: इसमें संशोधन करते हुए यह जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी को जानबूझकर गंभीर रूप से घायल करने की कोशिश करता है, तो उसे केवल हमला करने के लिए ही नहीं, बल्कि पीड़िता को मानसिक और शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए भी सजा दी जाएगी। विशेष ध्यान इस बात पर है कि किसी भी शारीरिक हमला या हिंसा के परिणामस्वरूप होने वाले मानसिक आघात को भी ध्यान में रखा जाएगा।

5. धारा 354 (महिला के खिलाफ यौन उत्पीड़न):

  • पहले: IPC की धारा 354 में महिला के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में सजा का प्रावधान था, लेकिन यह सिर्फ शारीरिक उत्पीड़न के मामलों तक सीमित था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसमें यह संशोधन किया गया है कि शारीरिक उत्पीड़न के अलावा, मानसिक उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के मामलों में भी कड़ी सजा दी जाएगी। इसमें ऑनलाइन यौन उत्पीड़न और डिजिटल प्लेटफार्मों पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को भी शामिल किया गया है।

6. धारा 302 (हत्या के लिए सजा):

  • पहले: IPC की धारा 302 के तहत हत्या के दोषी को फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जाती थी।
  • अब: अब इसे अपडेट करते हुए यह कहा गया है कि हत्या के मामले में दोषी व्यक्ति के मानसिक और सामाजिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, सजा निर्धारित की जाएगी। यदि अपराधी मानसिक रूप से अस्वस्थ पाया जाता है, तो उसे उपचार की प्रक्रिया के तहत सजा दी जा सकती है, और यदि अपराध राजनीति या अन्य संगठनित अपराध से जुड़ा हो, तो कठोरतम सजा दी जाएगी।

7. धारा 114 (सामाजिक उत्पीड़न):

  • पहले: IPC में सामाजिक उत्पीड़न, विशेषकर उन लोगों के खिलाफ जो किसी विशेष समुदाय या जाति से संबंधित हैं, के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे स्पष्ट करते हुए, यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ जाति, धर्म, या समुदाय के आधार पर उत्पीड़न किया जाता है, तो संबंधित व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें विशेष रूप से सशक्त वर्गों और महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्यों को निशाना बनाया गया है।

8. धारा 377 (अन्य अप्राकृतिक यौन संबंध):

  • पहले: IPC की धारा 377 समलैंगिक संबंधों को अपराध मानती थी।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसमें संशोधन किया गया है कि समलैंगिक संबंधों को अपराध से बाहर कर दिया गया है। अब यह केवल अप्राकृतिक यौन संबंधों के मामलों पर लागू होगा, जिनमें बलात्कार या जबरन यौन संबंध शामिल होते हैं।

9. धारा 409 (धन के दुरुपयोग पर कठोर दंड):

  • पहले: IPC की धारा 409 में सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा धन का दुरुपयोग करने पर दंड का प्रावधान था।
  • अब: इसमें यह संशोधन किया गया है कि यदि कोई सार्वजनिक अधिकारी या अन्य कोई व्यक्ति किसी सरकारी या सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करता है, तो उसे और अधिक कठोर सजा दी जाएगी। इसमें विशेष ध्यान आर्थिक अपराधों, जैसे घोटालों और भ्रष्टाचार पर दिया गया है।

10. धारा 404 (संपत्ति की चोरी या अवैध कब्जा):

  • पहले: IPC की धारा 404 में संपत्ति चोरी के मामलों का प्रावधान था।
  • अब: इसमें संशोधन करते हुए यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी की संपत्ति को अवैध रूप से कब्जा करता है या उसे चोरी करता है, तो उसे केवल संपत्ति के मूल्य के हिसाब से नहीं, बल्कि इसके साथ हुए मानसिक, शारीरिक, और सामाजिक नुकसान के आधार पर सजा दी जाएगी।

11. धारा 143 (संगठित अपराध):

  • पहले: IPC की धारा 143 में अव्यवस्था फैलाने वाले व्यक्तियों के लिए दंड का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे संगठित अपराधों पर केंद्रित करते हुए, संगठित अपराधों के मामले में दंड को अधिक कड़ा किया गया है। इसमें गैंगवार, आतंकवादी गतिविधियां और अन्य संगठित अपराधों से जुड़े अपराधियों के खिलाफ विशेष प्रावधान किए गए हैं।

12. धारा 144 (सार्वजनिक स्थानों पर अराजकता फैलाना):

  • पहले: IPC में सार्वजनिक स्थानों पर अराजकता फैलाने वालों के लिए दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा में यह जोड़ा गया है कि यदि किसी व्यक्ति या समूह ने सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा, हंगामा या किसी प्रकार की अराजकता फैलाई है, तो उसे सख्त सजा दी जाएगी। विशेष रूप से यह प्रावधान शहरी क्षेत्र में बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी रहेगा।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में किए गए और भी कुछ महत्वपूर्ण संशोधन और प्रावधान हैं, जो अपराधों को और अधिक प्रभावी तरीके से रोकने, पीड़ितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, और न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाने पर केंद्रित हैं। नीचे कुछ अन्य महत्वपूर्ण बदलावों का विवरण दिया गया है:

1. धारा 164 (स्वयं-स्वीकृति पर सुनवाई):

  • पहले: IPC की धारा 164 में किसी आरोपी की स्वयं-स्वीकृति (confession) के मामलों में सजा का प्रावधान था। इसमें स्वीकृति को मान्य करने के लिए अदालत की प्रक्रिया की लंबाई और जटिलताएं होती थीं।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह सुधार किया गया है कि यदि आरोपी किसी अपराध के लिए अपनी गलती स्वीकार करता है, तो उसे शीघ्रता से सजा देने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके तहत स्वीकृत अपराधियों को त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए प्रणाली में सुधार किया गया है, जिससे अभियुक्त को बिना अनावश्यक देरी के दंडित किया जा सके।

2. धारा 82 (अवयस्कता और अपराधी):

  • पहले: IPC में यह धाराएं अवयस्कों द्वारा किए गए अपराधों पर केंद्रित थीं, लेकिन अवयस्क अपराधियों के लिए सजा का प्रावधान स्पष्ट नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस मुद्दे को स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अवयस्क होने के कारण अपराध करता है, तो उसे केवल सुधारात्मक और पुनर्वासात्मक उपायों के तहत सजा दी जाएगी। लेकिन गंभीर अपराधों के लिए अवयस्कों को भी कड़ी सजा दी जा सकती है यदि उनकी मानसिक स्थिति अपराध करने के लिए पूरी तरह सक्षम हो।

3. धारा 126 (राजद्रोह):

  • पहले: IPC की धारा 124A में राजद्रोह (sedition) से संबंधित प्रावधान था, जिसमें देश के खिलाफ किसी भी प्रकार की बोलचाल या आंदोलन को दंडनीय अपराध माना जाता था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसमें संशोधन किया गया है, जिससे राजद्रोह के मामलों में सख्त जांच और समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि केवल विचारों की अभिव्यक्ति को राजद्रोह के रूप में नहीं लिया जाएगा, और इसके तहत केवल उन अपराधों को दंडित किया जाएगा जो देश की सुरक्षा को सीधे तौर पर खतरे में डालते हैं।

4. धारा 499 (मानहानि और सोशल मीडिया):

  • पहले: IPC की धारा 499 में मानहानि के अपराधों का प्रावधान था, जो आम तौर पर मीडिया और सार्वजनिक स्थानों पर किए गए अपमानजनक बयानों से संबंधित था।
  • अब: अब इसमें सोशल मीडिया और इंटरनेट प्लेटफार्मों पर फैलाई गई झूठी जानकारी, अफवाहें, और व्यक्तिगत मानहानि को भी शामिल किया गया है। इसके तहत, यदि किसी व्यक्ति या समूह ने किसी अन्य की प्रतिष्ठा को सोशल मीडिया के माध्यम से नुकसान पहुंचाया है, तो उसे सख्त दंड दिया जाएगा।

5. धारा 365 (अपहरण और किडनैपिंग):

  • पहले: IPC की धारा 365 में अपहरण और किडनैपिंग के मामलों में सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इसमें यह जोड़ा गया है कि यदि अपहरण या किडनैपिंग के मामले में शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न हुआ हो, तो आरोपियों को और भी सख्त सजा दी जाएगी। इसके साथ ही, बच्चों के अपहरण और उनके शोषण के मामलों में विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

6. धारा 431 (सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना):

  • पहले: IPC की धारा 431 में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों का प्रावधान था, जैसे सरकारी भवनों, परिवहन आदि को नष्ट करना।
  • अब: अब इसमें यह सुधार किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर अपराध किया है, तो उसे और अधिक कड़ी सजा दी जाएगी। विशेष रूप से दंगों या आतंकवादी हमलों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों में कठोर दंड दिया जाएगा।

7. धारा 153 (धार्मिक उन्माद और हिंसा):

  • पहले: IPC की धारा 153 में धार्मिक उन्माद फैलाने वाले और हिंसा की ओर उकसाने के मामले में दंड का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे और सख्त किया गया है। अब यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष धर्म या जाति के खिलाफ नफरत फैलाता है और हिंसा को उकसाता है, तो उसे विशेष रूप से लंबी सजा और जुर्माना लगाया जाएगा। यह प्रावधान सामूहिक हिंसा और सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए है।

8. धारा 68 (कारागार में सुधारात्मक उपाय):

  • पहले: IPC में कारागार में सुधारात्मक उपायों के बारे में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह कहा गया है कि जेल में रहने वाले कैदियों के लिए पुनर्वास और सुधारात्मक उपायों की प्रक्रिया को सुदृढ़ किया जाएगा। इसके तहत अपराधियों को सुधारात्मक शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।

9. धारा 307 (हत्या का प्रयास):

  • पहले: IPC की धारा 307 में हत्या के प्रयास के मामले में दंड का प्रावधान था, जिसमें आरोपी को कारावास या जुर्माने का सामना करना पड़ता था।
  • अब: अब इस धारा में यह संशोधन किया गया है कि यदि हत्या का प्रयास गंभीर और संगठित अपराध के तहत किया गया है, तो दोषी को विशेष रूप से दीर्घकालिक कारावास और उच्चतम दंड दिया जाएगा। इसके तहत, समाज में डर फैलाने वाले और संगठित रूप से अपराध करने वाले व्यक्तियों को ज्यादा कठोर दंड दिया जाएगा।

10. धारा 354 (महिला से छेड़छाड़):

  • पहले: IPC की धारा 354 में महिला से छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के मामलों का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह संशोधन किया गया है कि अब महिलाओं के खिलाफ हिंसा, छेड़छाड़, और यौन उत्पीड़न के मामलों में कड़ी सजा दी जाएगी। इस धारा को यह सुनिश्चित करने के लिए संशोधित किया गया है कि महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और अपराधियों को शीघ्र सजा मिले।

11. धारा 149 (संगठित अपराध):

  • पहले: IPC की धारा 149 में संगठित अपराधों से संबंधित कोई विशेष प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे जोड़ते हुए संगठित अपराधों के लिए एक नया प्रावधान किया गया है, जिसमें गैंगवार, आतंकवाद और संगठित अपराध से जुड़े व्यक्तियों को विशेष दंड दिया जाएगा।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में और भी कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, जो कानून के प्रभावी कार्यान्वयन, नागरिकों की सुरक्षा, और न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू किए गए हैं। निम्नलिखित कुछ और महत्वपूर्ण बदलावों का विवरण दिया गया है:

1. धारा 406 (संपत्ति का उल्लंघन):

  • पहले: IPC की धारा 406 में किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति पर अवैध कब्जा करने या उसका दुरुपयोग करने पर सजा का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसमें संशोधन किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी और की संपत्ति का उल्लंघन किया है और यह साबित हो जाता है कि वह धोखाधड़ी, विश्वासघात या बल प्रयोग से संबंधित था, तो उसे अधिक सख्त सजा दी जाएगी। साथ ही संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए जुर्माना भी लगाया जाएगा।

2. धारा 395 (डकैती):

  • पहले: IPC की धारा 395 में डकैती करने वाले व्यक्तियों को सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इसे और कड़ा किया गया है। भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह जोड़ा गया है कि यदि डकैती के दौरान कोई व्यक्ति गंभीर शारीरिक या मानसिक चोटों का शिकार होता है, तो आरोपियों को तामीलित रूप से सख्त दंड दिया जाएगा। यदि डकैती संगठित रूप से की गई है, तो इसमें और भी कड़ी सजा का प्रावधान है।

3. धारा 498A (दहेज उत्पीड़न):

  • पहले: IPC की धारा 498A में दहेज उत्पीड़न के मामलों का प्रावधान था, जिसमें पति या परिवार के अन्य सदस्य द्वारा पत्नी को दहेज के लिए मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न करने पर सजा दी जाती थी।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह संशोधन किया गया है कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में सजा को अधिक कठोर किया जाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि पुलिस को ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी होगी, और आरोपी को जमानत मिलने में अधिक कठिनाई होगी।

4. धारा 420 (धोखाधड़ी):

  • पहले: IPC की धारा 420 में धोखाधड़ी करने वालों के लिए दंड का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे और कठोर किया गया है। यदि धोखाधड़ी का अपराध किसी व्यक्ति, संस्था या सरकार के खिलाफ किया गया है, तो आरोपी को अधिक सजा दी जाएगी। इसके साथ ही, धोखाधड़ी से पीड़ित को क्षतिपूर्ति के लिए अधिक न्यायिक उपाय उपलब्ध होंगे। इस धारा को व्यावसायिक धोखाधड़ी और ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में भी लागू किया गया है।

5. धारा 114A (महिला के खिलाफ उत्पीड़न की स्थिति में सजा):

  • पहले: IPC में महिला के खिलाफ उत्पीड़न और अपराध से संबंधित कोई विशेष प्रावधान नहीं थे, जिससे महिलाओं को सुरक्षा सुनिश्चित करने में दिक्कतें आती थीं।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह जोड़ा गया है कि यदि कोई महिला किसी पुरुष से उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न की शिकायत करती है, तो उसे सशक्त बनाने के लिए जमानत देने के प्रावधानों को कड़ा किया जाएगा। इसके तहत, महिला उत्पीड़न मामलों में आरोपी को त्वरित सजा देने का प्रावधान किया गया है।

6. धारा 376 (बलात्कार):

  • पहले: IPC की धारा 376 में बलात्कार के मामलों में दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसमें यह जोड़ा गया है कि बलात्कार के मामलों में, विशेष रूप से बच्चों और कमजोर वर्गों के साथ अपराध करने पर, आरोपी को और भी कड़ी सजा दी जाएगी। इसके साथ ही बलात्कार पीड़ितों को अधिक सुरक्षा, चिकित्सा सहायता और मानसिक समर्थन प्रदान करने के लिए प्रावधान किए गए हैं।

7. धारा 302 (हत्या का प्रयास):

  • पहले: IPC की धारा 302 में हत्या करने के मामलों में सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा में यह जोड़ने की कोशिश की गई है कि हत्या के मामलों में आरोपी की मानसिक स्थिति और परिस्थितियों का भी मूल्यांकन किया जाएगा। यदि हत्या किसी अत्यंत मानसिक तनाव या संकट की स्थिति में की जाती है, तो आरोपी को कम सजा दी जा सकती है, लेकिन यदि यह हत्या किसी संगठित तरीके से की गई हो, तो उसे सबसे कठोर सजा दी जाएगी।

8. धारा 138 (धन की धोखाधड़ी):

  • पहले: IPC की धारा 138 में चेक बाउंस के मामलों के लिए दंड का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को अपडेट करते हुए यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर धोखाधड़ी करने के लिए चेक बाउंस करता है, तो उसे कठोर दंड मिलेगा। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित किया गया है कि पीड़ित को शीघ्र न्याय मिले और आरोपी को अधिकतम दंड मिले।

9. धारा 503 (ब्लैकमेलिंग और धमकी):

  • पहले: IPC की धारा 503 में धमकी देने वाले व्यक्तियों के लिए सजा का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसमें संशोधन करते हुए यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी को धमकी देता है या ब्लैकमेल करता है, तो उस पर एक कड़ी सजा का प्रावधान होगा, खासकर यदि धमकी देने के कारण पीड़ित को मानसिक या शारीरिक परेशानी होती है।

10. धारा 363 (बच्चों का अपहरण):

  • पहले: IPC की धारा 363 में बच्चों के अपहरण के मामलों में सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा में यह बदलाव किया गया है कि बच्चों के अपहरण के मामलों में अधिक सख्त दंड दिया जाएगा। इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों के अपहरण से जुड़े मामलों में त्वरित कार्रवाई की जाएगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

11. धारा 7 (सार्वजनिक आपातकाल में सजा):

  • पहले: IPC में सार्वजनिक आपातकाल के तहत कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह प्रावधान किया गया है कि जब किसी सार्वजनिक आपातकाल का सामना किया जाता है, तो सार्वजनिक सुरक्षा और विधि-व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए दोषियों को सजा दी जाएगी। यह विशेष रूप से दंगों, आतंकवाद और आपातकालीन स्थिति के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लागू किया जाएगा।

12. धारा 132 (संघर्ष और दंगे):

  • पहले: IPC में दंगों और संघर्षों को लेकर कोई विशेष प्रावधान नहीं था।
  • अब: अब इसे अपडेट करते हुए यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति दंगे या संघर्षों में शामिल होता है और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाता है, तो उसे विशेष रूप से सख्त सजा दी जाएगी। इस धारा में यह भी कहा गया है कि दंगे भड़काने वालों को कठोर दंड मिलेगा, खासकर जब दंगे राजनीतिक या सांप्रदायिक आधार पर हों।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में किए गए कुछ और महत्वपूर्ण संशोधनों और प्रावधानों के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:

1. धारा 120B (साजिश और षड्यंत्र):

  • पहले: IPC की धारा 120B में साजिश करने वाले व्यक्तियों के लिए दंड का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा में बदलाव किया गया है कि यदि साजिश किसी संगठित अपराध, आतंकवाद, या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हुई है, तो आरोपियों को अधिक कठोर सजा दी जाएगी। इसके साथ ही, ऐसे मामलों में अदालत को अधिक त्वरित प्रक्रिया अपनाने के लिए निर्देशित किया गया है ताकि दोषी जल्दी सजा प्राप्त कर सकें।

2. धारा 374 (मानव तस्करी):

  • पहले: IPC की धारा 374 में मानव तस्करी और शोषण के मामलों के लिए दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह स्पष्ट किया गया है कि मानव तस्करी के मामलों में, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के साथ, अधिक कठोर दंड दिया जाएगा। इसके तहत तस्करी के दोषियों को ना केवल कारावास, बल्कि आर्थिक दंड और संपत्ति का जब्त भी किया जाएगा। साथ ही पीड़ितों को पुनर्वास और चिकित्सा सहायता देने का भी प्रावधान किया गया है।

3. धारा 307A (हत्या का प्रयास – गंभीर अपराध):

  • पहले: IPC की धारा 307 में हत्या के प्रयास के मामलों का प्रावधान था, लेकिन इसमें कुछ स्पष्टता की कमी थी।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को और स्पष्ट किया गया है कि यदि हत्या का प्रयास गंभीर अपराध के रूप में किया जाता है, जैसे कि उग्र हिंसा, आतंकवाद या संगठित अपराध के तहत, तो आरोपियों को अधिक कठोर दंड दिया जाएगा। इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि यदि हत्यारे को गंभीर चोटें आती हैं, तो उसे चिकित्सा सहायता दी जाएगी, लेकिन दोषियों को सजा से बचने का कोई अवसर नहीं होगा।

4. धारा 494 (पूर्व पत्नी से पुनर्विवाह):

  • पहले: IPC की धारा 494 में विवाह के दौरान पुनर्विवाह करने पर दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा में बदलाव किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति ने अपनी पूर्व पत्नी से पुनर्विवाह किया है और यह साबित हो जाता है कि उसने यह कदम धोखाधड़ी, धोखा, या अन्य किसी अपराध के रूप में उठाया है, तो उसे सजा दी जाएगी। इस प्रावधान के तहत ऐसे मामलों में सख्त दंड देने का आदेश दिया गया है।

5. धारा 62 (शराब का सेवन और अपराध):

  • पहले: IPC में शराब के सेवन और उसके कारण उत्पन्न होने वाले अपराधों पर स्पष्ट दंड का प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति शराब के नशे में अपराध करता है, तो इसे एक कड़ा अपराध माना जाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि शराब पीने से उत्पन्न होने वाली हिंसा, खासकर महिलाओं या बच्चों के खिलाफ, को अपराध माना जाएगा और आरोपी को विशेष रूप से कड़ी सजा दी जाएगी।

6. धारा 218 (लोक सेवक द्वारा गलतफहमी फैलाना):

  • पहले: IPC की धारा 218 में लोक सेवक द्वारा गलत जानकारी फैलाने के मामलों का प्रावधान था।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई लोक सेवक जानबूझकर गलत जानकारी या झूठी रिपोर्ट पेश करता है जो किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाती है या उसे गलत सजा दिलवाती है, तो उसे अधिक कठोर सजा दी जाएगी। इसके तहत लोक सेवकों की जिम्मेदारी और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं।

7. धारा 377 (यौन अपराध):

  • पहले: IPC की धारा 377 में अप्राकृतिक यौन संबंधों से संबंधित प्रावधान था, जिसे विशेष रूप से पुरुषों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए लागू किया जाता था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे अपडेट करते हुए यह कहा गया है कि अप्राकृतिक यौन अपराधों के मामलों में सजा को और सख्त किया जाएगा। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को बलात्कारी तरीके से यौन संबंधों के लिए मजबूर करता है, तो उसे अधिक कठोर सजा दी जाएगी, और यह किसी भी लिंग के व्यक्तियों पर लागू होगा।

8. धारा 374 (शारीरिक उत्पीड़न):

  • पहले: IPC में शारीरिक उत्पीड़न के लिए दंड का प्रावधान था, लेकिन इस पर कड़ी निगरानी नहीं थी।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह सुनिश्चित किया गया है कि शारीरिक उत्पीड़न, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के मामलों में, आरोपी को कड़ी सजा दी जाएगी। इसके तहत महिलाओं को उत्पीड़न से बचाने के लिए विशेष न्यायिक प्रावधान किए गए हैं, जैसे कि न्यायालय में महिला विशेष अधिकारी और शिकायतों की सुनवाई का समयबद्ध प्रबंधन।

9. धारा 420A (ऑनलाइन धोखाधड़ी):

  • पहले: IPC में ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित कोई विशेष प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों के लिए नई धारा 420A जोड़ी गई है। इसके तहत, यदि कोई व्यक्ति इंटरनेट या डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से धोखाधड़ी करता है, तो उसे विशेष सजा का प्रावधान दिया जाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में त्वरित जांच प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी और धोखाधड़ी से प्रभावित व्यक्तियों को शीघ्र न्याय मिलेगा।

10. धारा 406A (संपत्ति का अवैध कब्जा):

  • पहले: IPC की धारा 406A में संपत्ति का अवैध कब्जा करने के मामले में दंड का प्रावधान था।
  • अब: अब इसे और स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति ने संपत्ति का अवैध कब्जा करने के लिए शारीरिक बल का प्रयोग किया है, तो उसे अधिक कठोर सजा दी जाएगी। इसके साथ ही, संपत्ति का पूरा नुकसान करने पर अतिरिक्त जुर्माना और सजा का प्रावधान है।

11. धारा 91 (संपत्ति का नुकसान और अपराध):

  • पहले: IPC में संपत्ति के नुकसान के मामले में विशेष दंड का प्रावधान नहीं था।
  • अब: अब इस धारा में यह जोड़ा गया है कि यदि किसी व्यक्ति ने संपत्ति का नुकसान करने के इरादे से अपराध किया है, तो उसे अतिरिक्त दंड दिया जाएगा, खासकर जब यह किसी सार्वजनिक या सरकारी संपत्ति से संबंधित हो। इस प्रावधान के तहत, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामलों में अधिक कड़ी सजा दी जाएगी।

12. धारा 467 (धन की धोखाधड़ी):

  • पहले: IPC की धारा 467 में धन की धोखाधड़ी के मामलों में सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा में यह सुधार किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति बड़ी राशि की धोखाधड़ी करता है, खासकर जब वह सरकारी या निजी संस्थाओं से संबंधित हो, तो उसे बहुत कड़ी सजा दी जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि उच्चतम स्तर की धोखाधड़ी के मामलों में आरोपी की संपत्ति जब्त की जा सकती है।

भारतीय न्याय संहिता 2023 में और भी कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, जो कानून व्यवस्था को सुधारने, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू किए गए हैं। यहां कुछ और प्रमुख बदलावों के बारे में बताया गया है:

1. धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध):

  • पहले: IPC की धारा 377 में अप्राकृतिक यौन संबंधों से संबंधित अपराधों को अपराध माना गया था, जो विशेष रूप से समलैंगिक संबंधों पर लागू होता था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इसे पुनः संशोधित किया गया है। अब इस धारा के तहत, कोई भी अप्राकृतिक यौन अपराध जो हिंसा, बलात्कार या धोखाधड़ी के तहत किया जाता है, उसे अधिक कठोर सजा का प्रावधान दिया गया है। विशेष रूप से बलात्कार और उत्पीड़न के मामलों में दोषियों को लंबी सजा और आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा।

2. धारा 8 (नशीले पदार्थों का उपयोग):

  • पहले: IPC में नशीले पदार्थों के सेवन और उनसे संबंधित अपराधों के लिए स्पष्ट दंड का प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में नशीले पदार्थों का सेवन और उन्हें अनाधिकृत रूप से वितरित करने वाले अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। विशेष रूप से, यदि कोई व्यक्ति बच्चों या युवाओं को नशे की लत में डालता है, तो उसे अधिक कठोर सजा दी जाएगी। इसके अलावा, नशीले पदार्थों के सेवन के कारण हुए अपराधों को भी गंभीर अपराध माना जाएगा।

3. धारा 302 (हत्या):

  • पहले: IPC की धारा 302 में हत्या के अपराध के लिए दंड का प्रावधान था, जिसमें आरोपी को आजीवन कारावास या मृत्यु दंड की सजा मिल सकती थी।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में हत्या के मामलों में यह कहा गया है कि यदि हत्या के दौरान अतिरिक्त जघन्यता, जैसे कि अत्यधिक हिंसा या आतंकवादी गतिविधियों का हिस्सा बनना, तो आरोपी को और अधिक कठोर सजा दी जाएगी। विशेष रूप से यह ध्यान में रखते हुए कि हत्या का उद्देश्य समाज में डर और अस्थिरता फैलाना न हो।

4. धारा 11A (अवधारित अपराध):

  • पहले: IPC में विशेष रूप से “अवधारित अपराध” के लिए कोई प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष अवधि तक अपराधों की पुनरावृत्ति करता है, तो उसे “अवधारित अपराध” के तहत दंडित किया जाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि इन अपराधों की पुनरावृत्ति से अधिक सजा दी जाएगी, जिससे भविष्य में अपराधों के पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

5. धारा 354 (महिला के खिलाफ शारीरिक उत्पीड़न):

  • पहले: IPC की धारा 354 में महिला के खिलाफ शारीरिक उत्पीड़न और छेड़छाड़ के मामलों में दंड का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में इस धारा को संशोधित करते हुए यह कहा गया है कि यदि किसी महिला के साथ शारीरिक उत्पीड़न का प्रयास किया जाता है या उसे जानबूझकर अपमानित किया जाता है, तो इसे और गंभीर अपराध माना जाएगा। इसके तहत आरोपी को कड़ी सजा और जुर्माना दोनों का सामना करना होगा, और मामले की सुनवाई त्वरित की जाएगी।

6. धारा 319 (नौकरी से निष्कासन):

  • पहले: IPC में सरकारी कर्मचारी द्वारा अपराध करने पर केवल सजा का प्रावधान था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह जोड़ा गया है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपराध करता है, तो उसे केवल सजा ही नहीं, बल्कि उसकी नौकरी से भी निष्कासन किया जाएगा। साथ ही, सरकारी कर्मचारी द्वारा अपराध करने पर उनके खिलाफ जांच को प्राथमिकता दी जाएगी और जल्द निर्णय लिया जाएगा।

7. धारा 35 (संविधानिक उल्लंघन):

  • पहले: IPC में संविधानिक उल्लंघन से संबंधित कोई विशेष प्रावधान नहीं था।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह संशोधन किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति संविधान के खिलाफ अपराध करता है, जैसे कि राष्ट्रीय सुरक्षा या संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन करना, तो उसे सख्त सजा दी जाएगी। इसके तहत, विशेष रूप से उन अपराधों पर ध्यान दिया जाएगा जो देश की अखंडता और लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाते हैं।

8. धारा 10 (संगठित अपराध):

  • पहले: IPC में संगठित अपराधों के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में संगठित अपराधों के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं। अब यदि कोई व्यक्ति संगठित अपराधों में संलिप्त पाया जाता है, तो उसे न केवल अपराध के लिए दंडित किया जाएगा, बल्कि उसके द्वारा किए गए अपराधों के लिए सामूहिक दंड का प्रावधान भी होगा। संगठित अपराधियों के खिलाफ विशेष अदालतों में त्वरित सुनवाई का प्रावधान किया गया है।

9. धारा 377A (सामूहिक यौन उत्पीड़न):

  • पहले: IPC में सामूहिक यौन उत्पीड़न के मामलों के लिए सजा का प्रावधान था, लेकिन यह केवल सीमित मामलों में लागू होता था।
  • अब: अब इस धारा में यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को सामूहिक रूप से यौन उत्पीड़न करता है, तो इसे और भी गंभीर अपराध माना जाएगा। इसके तहत सजा को और कठोर किया गया है और दोषियों को उम्रभर के लिए कारावास में रखा जा सकता है। साथ ही, पीड़ितों को चिकित्सा, मानसिक और कानूनी सहायता देने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।

10. धारा 109 (धोखाधड़ी से संबंधित सहयोग):

  • पहले: IPC में धोखाधड़ी से संबंधित सहयोग देने पर सजा का प्रावधान नहीं था।
  • अब: भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह जोड़ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी धोखाधड़ी में सहयोग करता है या इसे बढ़ावा देता है, तो उसे भी उतनी ही सजा दी जाएगी जितनी कि धोखाधड़ी करने वाले को दी जाती है। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि धोखाधड़ी में शामिल सभी व्यक्तियों को सजा मिले, न केवल मुख्य अपराधी को।

11. धारा 119 (संविधानिक आदेशों का उल्लंघन):

  • पहले: IPC में संविधानिक आदेशों के उल्लंघन के लिए कोई स्पष्ट दंड का प्रावधान नहीं था।
  • अब: अब भारतीय न्याय संहिता 2023 में यह संशोधन किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति संविधानिक आदेशों का उल्लंघन करता है, जैसे कि न्यायालय के आदेशों की अवहेलना या सार्वजनिक आदेशों का उल्लंघन, तो उसे कड़ी सजा दी जाएगी।

12. धारा 401 (दंगे और असहमति):

  • पहले: IPC की धारा 401 में दंगे और हिंसा के मामलों में सजा का प्रावधान था।
  • अब: अब इस धारा में यह संशोधन किया गया है कि यदि दंगे या हिंसा राजनीतिक या सांप्रदायिक उद्देश्यों से किए गए हैं, तो दोषियों को और भी कठोर सजा दी जाएगी, और उनका पुनः अपराध करने से रोकने के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे।