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ऑनलाइन जुआ प्लेटफ़ॉर्म पर रोक की मांग: सामाजिक गेम और ई-स्पोर्ट्स के रूप में चल रहे दांव-सट्टे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

ऑनलाइन जुआ प्लेटफ़ॉर्म पर रोक की मांग: सामाजिक गेम और ई-स्पोर्ट्स के रूप में चल रहे दांव-सट्टे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त — केंद्र से जवाब तलब

भूमिका

भारत में पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर गेमिंग और ऑनलाइन कौशल प्रतियोगिताओं का विस्तार तेजी से बढ़ा है। इसके समानांतर एक चिंताजनक प्रवृत्ति भी उभरकर सामने आई है—ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाज़ी (Online Gambling & Betting) का बढ़ता नेटवर्क, जो स्वयं को “सोशल गेमिंग” और “ई-स्पोर्ट्स” का रूप देकर संचालित कर रहे हैं। इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर बड़े-बड़े कैश रिवार्ड्स और “विन रियल मनी” के नाम पर युवाओं को आकर्षित किया जाता है, जिसके चलते कई परिवार आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर दाखिल एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है, जिसमें ऑनलाइन जुए को बढ़ावा देने वाले ऐप्स और वेबसाइट्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

याचिका का दावा है कि ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक गेमिंग मॉडल के नाम पर असल में जुए का धंधा चल रहा है, जो कानून, नैतिकता, सार्वजनिक व्यवस्था और युवाओं के मानसिक-आर्थिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है। कोर्ट के इस कदम के बाद यह बहस फिर तेज हो गई है कि क्या ऑनलाइन गेमिंग उद्योग और वास्तविक ई-स्पोर्ट्स को विनियमित करने का समय आ चुका है?


याचिका में क्या कहा गया?

याचिका में प्रमुख रूप से निम्न बिंदुओं पर जोर दिया गया है:

  • ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे “फैंटेसी स्पोर्ट्स”, “विन-मनी गेम्स”, “कैसिनो-स्टाइल गेम्स”, “रम्मी/पोकर-अरेना”, “स्पिन-व्हील गेम्स”, “क्रैश गेम्स”, PUBG/Free-fire आधारित दांव लगाने वाली साइटें—जुए का रूप हैं।
  • इन्हें “E-sports”, “Skill Gaming”, “Social Game” जैसे भ्रामक लेबल देकर चलाया जा रहा है।
  • युवाओं, छात्रों और नौकरीपेशा वर्ग को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
  • आत्महत्या और मानसिक तनाव के मामलों में वृद्धि।
  • केंद्र सरकार और राज्यों के बीच कानूनों में एकरूपता की कमी के कारण इन प्लेटफ़ॉर्म्स का दुरुपयोग बढ़ा।

याचिका में कहा गया कि यदि तुरंत कानूनी कार्रवाई नहीं हुई तो यह डिजिटल जुआ लॉटरी व सट्टे के समान सामाजिक बुराई का रूप ले लेगा।


सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और रुख

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार से स्पष्ट रूप से पूछा है:

क्या केंद्र सरकार ऑनलाइन जुआ और कैश-गेम्स को नियंत्रित करने के लिए ठोस कानून बनाने पर विचार कर रही है?

कोर्ट का रुख यह दर्शाता है कि:

  • संपत्ति और अधिकारों की रक्षा के साथ नागरिकों, विशेषकर युवाओं के हितों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
  • “कौशल आधारित खेल” और “जुए-सट्टे” के बीच अंतर को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना आवश्यक है।
  • अंतरराष्ट्रीय ई-स्पोर्ट्स और जुए को अलग-अलग श्रेणी में रखना होगा।

ऑनलाइन जुआ तथा सोशल गेमिंग — कानूनी परिदृश्य

वर्तमान कानूनी स्थिति

भारत में जुए से संबंधित कानून काफी पुराने हैं, जैसे:

  • Public Gambling Act, 1867
  • विभिन्न राज्यों के Gaming & Gambling Laws

इन कानूनों में ऑनलाइन डिजिटल गेमिंग का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं था, इसलिए धीरे-धीरे राज्यों ने अपने स्तर पर कानून बनाए जैसे:

राज्य नीति
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध
कर्नाटक प्रारंभिक प्रतिबंध → बाद में संशोधन
केरल कैश रमी पर रोक → हाईकोर्ट में चुनौती
नागालैंड Skill Gaming Licensing Act

इसके अतिरिक्त IT Rules 2021 और उसके संशोधन भी गेमिंग नियमों के लिए लागू हैं। मगर अभी भी एकीकृत केंद्रीय कानून की आवश्यकता है।


ई-स्पोर्ट्स बनाम जुआ — बड़ा भ्रम

ई-स्पोर्ट्स एक वैध, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य खेल है जैसे:

  • PUBG Mobile global esports
  • FIFA/Tekken esports
  • Valorant & BGMI tournaments

इनमें कौशल, रणनीति, अभ्यास, टीमवर्क और प्रतिभा मुख्य है। वहीं ऑनलाइन जुआ मॉडल में:

  • पैसे लगते हैं
  • परिणाम किस्मत/रैंडम नंबर/कार्ड ड्रॉ पर आधारित
  • ऑनलाइन स्लॉट्स/रम्मी/पोकर में “कैश बेटिंग”
  • “क्रैश गेम्स” और “डबल-अप” पैटर्न — लॉटरी जैसा जोखिम

इसलिए दोनों को एक साथ रखना न्यायसंगत नहीं है।


आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

1. युवाओं पर प्रभाव

  • आर्थिक हानि और कर्ज
  • अवसाद, तनाव, आत्महत्या के मामले बढ़े
  • पढ़ाई और करियर पर नकारात्मक असर
  • व्यसन की लत

2. परिवार और समाज पर प्रभाव

  • घरेलू विवाद
  • वित्तीय संकट और सामाजिक अस्थिरता

3. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • टैक्स चोरी, मनी-लॉन्ड्रिंग की आशंका
  • अनियमित बाजारों का विस्तार

सरकार और उद्योग की दुविधा

चूंकि ई-स्पोर्ट्स और स्किल गेमिंग एक उभरता हुआ उद्योग है, इसलिए सरकार का उद्देश्य है:

  • नवाचार को प्रोत्साहन
  • आर्थिक अवसर और रोजगार
  • लेकिन सामाजिक हानि से सुरक्षा

इसलिए सरकार “Regulated Gaming Framework” की दिशा में काम कर रही है, जिसमें शामिल हैं:

  • केंद्रीय लाइसेंसिंग सिस्टम
  • सख्त KYC और उम्र सीमा
  • विज्ञापन और प्रमोशन पर नियंत्रण
  • बेटिंग आधारित गेम्स पर प्रतिबंध

न्यायालयों के प्रमुख निर्णय (संक्षेप में)

केस निष्कर्ष
K.R. Lakshmanan v. Tamil Nadu (SC) रेसिंग एवं कौशल आधारित खेल “जुआ नहीं”
State of Andhra Pradesh v. Online Rummy Operators ऑनलाइन रमी पर व्यापक नियंत्रण की आवश्यकता
Madras & Kerala HC Judgments स्किल गेम्स ≠ जुआ, पर सरकार नियंत्रण लगा सकती है

सुप्रीम कोर्ट कई मामलों में संकेत दे चुका है कि Skill गेम्स को पूरी तरह जुए के बराबर नहीं माना जा सकता, परंतु जब पैसा शामिल हो तो जोखिम बढ़ता है


प्रस्तावित समाधान

विशेषज्ञ निम्न समाधान सुझाते हैं:

✅ केंद्र स्तर पर एकीकृत कानून
✅ वास्तविक ई-स्पोर्ट्स और जुआ प्लेटफ़ॉर्म में स्पष्ट अंतर
✅ “Real-Money Game” पर कड़े नियम
✅ नाबालिगों का प्रवेश रोकना
✅ विज्ञापनों और सेलिब्रिटी प्रमोशन पर नियंत्रण
✅ मानसिक स्वास्थ्य सहायता और जागरूकता कार्यक्रम
✅ डिजिटल पेमेंट निगरानी और AML नियम


निष्कर्ष

भारत का गेमिंग उद्योग तेजी से उभर रहा है, लेकिन इसके साथ डिजिटल जुआ और सट्टेबाज़ी की चुनौती भी बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र से जवाब तलब करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज को इस डिजिटल खतरे से बचाने की दिशा में निर्णायक हो सकता है। अब गेंद सरकार के पाले में है—जिसे स्पष्ट, संतुलित और कठोर नीति बनानी होगी ताकि:

  • वास्तविक ई-स्पोर्ट्स और नवाचार को बढ़ावा मिले
  • ऑनलाइन जुआ और धोखाधड़ी पर सख्त रोक लगे
  • युवा पीढ़ी सुरक्षित रहे

एक ऐसी डिजिटल दुनिया का निर्माण आवश्यक है जहाँ मनोरंजन और कौशल को सम्मान मिले, लेकिन व्यसन और वित्तीय शोषण की कोई जगह न हो।