सिर्फ वाहन चलाना POCSO अपराध में ‘अभियोजन-सहयोग’ नहीं: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
प्रस्तावना
भारत में बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए POCSO अधिनियम बनाया गया है, जिसमें न केवल यौन हमला, उत्पीड़न आदि अपराध हैं, बल्कि उस अपराध की “सहायता” (अबेमेंट) करने वाला व्यक्ति भी दंड का भागीदार हो सकता है। अधिनियम की धारा 16 में पहले “अबेमेंट” की परिभाषा दी गई है एवं धारा 17 में उस सहायता के लिए दंड का प्रावधान है।
हालाँकि, ३ नवंबर २०२५ को सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय में स्पष्ट किया कि सिर्फ वाहन चलाना – जब आरोपी का रोल केवल वाहन क्रिया तक सीमित हो और उस क्रिया के बाद या उसके द्वारा यौन अपराध का प्रत्यक्ष योगदान नहीं है – उसे बिना अन्य प्रत्यक्ष कृत्यों के POCSO के अंतर्गत “अबेमेंट” की स्थिति में नहीं माना जा सकता।
इस लेख में उस निर्णय, उसके कानूनी तर्क, पिछले प्रावधान, और आगे की उपयोगिता पर गहराई से चर्चा की जाएगी।
POCSO अधिनियम : अबेमेंट (सहायता) का कानूनी स्वरूप
- धारा 16 – अभेमेंट की परिभाषा
POCSO अधिनियम में धारा 16 इस प्रकार है:“16. Abetment of an offence.- A person abets an offence who—
(a)– (b)– (….)”
यानि, किसी अन्य व्यक्ति को अपराध करने के लिए प्रेरित करना, सहायता करना, या सहयोग देना, यदि उस सहायता के बिना अपराध संभव नहीं था। (अभेमेंट के सामान्य सिद्धांतों के अनुरूप)। - धारा 17 – अभेमेंट के लिए दंड
“17. Punishment for abetment.- Whoever abets any offence under this Act, if the offence is committed in consequence of that abetment, shall be liable….”
इसका अर्थ यह है कि अभेमेंट तभी दंडनीय होती है जब उस सहायता के बावजूद अपराध हुआ हो (या उस सहायता से अपराध को प्रेरणा मिली हो) – अर्थात् एक कारण-कारक (causal) संबंध होना चाहिए। - सिद्धांततः आवश्यक तत्व
अभेमेंट की स्थिति स्थापित करने के लिए निम्नलिखित घटक आवश्यक माने जाते हैं:- कृत्य (actus reus): सहायता, प्रेरणा, सहयोग ने अपराध को संभव/सहायक बनाया हो।
- मानसिक मामला (mens rea): आरोपी को यह जानने-समझने की स्थिति हो कि वह अपराध के लिए सहयोग कर रहा है।
- अपराध का होना या होने की संभावना होना: यदि अपराध नहीं हुआ है, तब भी कुछ मामलों में प्रस्तावित सहायता पर विचार हो सकता है, परंतु POCSO में धारा 17 के अंतर्गत “if the offence is committed in consequence of that abetment” की उपशर्त है।
मामले का विवरण और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
पृष्ठभूमि
– एक FIR में आरोप है कि एक नाबालिग को यौन अपराध के लिए ले जाया गया, जिसमें कई आरोपी हैं।
– आरोपी (यानी एप्लीकेंट) का कथित रोल यह था कि उसने वाहन चलाया जिसमें नाबालिग व अन्य आरोपी बैठकर गए थे।
– अभियोजन ने उसे POCSO अधिनियम के अंतर्गत अभियुक्त बनाया था — विशेष रूप से अभेमेंट (धारा 16/17) की धारा के तहत।
– निचली अदालतें (सेशन/हाई कोर्ट) ने अग्रिम जमानत (anticipatory bail) याचिका खारिज की।
– सुप्रीम कोर्ट ने ३ नवंबर २०२५ को उक्त आदेश को स्वीकार करते हुए कहा कि केवल वाहन चालक के रूप में रहना, जब उसके विरुद्ध कोई अन्य प्रत्यक्ष अपराध-कृत्य या मानसिक संलग्नता न हो, उसे POCSO के अंतर्गत अभेमेंट की स्थिति में नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के तर्क
- आपने पढ़ा होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है:
“Driving a Vehicle Cannot Be Construed as Abetment of POCSO Offence… There has been no other overt act alleged against the appellant vis-à-vis the victim.”
- मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
- आरोपी ने वाहन चलाया – लेकिन उसके बाद या पहले कोई प्रत्यक्ष यौन-हेनकृत अभियान नहीं था, कोई अन्य त्वरित क्रिया व कथन अभियोजन द्वारा नहीं लगाई गई।
- उसकी भूमिका “सहायक” या “सहयोगी” से भी कम थी–उसे वाहन सञ्चालन तक सीमित किया गया था।
- अन्य सह-आरोपियों को अग्रिम जमानत मिली हुई थी; उसी सिद्धांत अनुकरण (parity) के तहत आरोपी को भी राहत मिलनी चाहिए।
- इस दृष्टि से, न्याय-निर्णय में यह माना गया कि अभियोजन ने अभेमेंट के लिए आवश्यक “ओवरट एक्ट” (overt act) व “मानसिक तथ्य” (mens rea) की पर्याप्त साबित नहीं की।
- अतः, न्यायालय ने कहा कि वाहन चलाना स्वतः अभेमेंट का सबूत नहीं बनता।
कानूनी एवं व्यवहारिक महत्त्व
- रोल व जिम्मेदारी का विभाजन
इस निर्णय से स्पष्ट हुआ कि सह-आरोपियों में व्यक्तिगत योगदान-स्तर, वास्तविक कृत्य, संबंध व मानसिक संलग्नता को ध्यान में रखा जाएगा। सिर्फ पहचान-व्यक्ति होना या वाहन चलाना स्वयं अपराध-सहायकता तय नहीं करता। - अग्रिम जमानत के लिए प्रासंगिक सिग्नल
विशेष रूप से अग्रिम जमानत (anticipatory bail) के मामले में — जहाँ आरोपों के आधार पर गिरफ्तारी-जोखिम रहता है — यह फैसला एक संकेत है कि न्यायालय भूमिका-विश्लेषण (role-analysis) करेगा। जब अभियोजन सामग्री सीमित हो और आरोप-कर्त्ता का योगदान मामूली हो, तो जमानत देने का रास्ता संभव हो सकता है। - अभियोजन भार का दृष्टिकोण
अभियोजन को यह दिखाना होगा कि आरोपी ने अभेमेंट के लिए सक्रिय रूप से सहायता की, मानसिक संलग्नता थी, तथा उसकी क्रिया ने अपराध की प्रक्रिया में योगदान दिया। केवल “वेहिकल ड्राइवर” के पद पर होना पर्याप्त नहीं। यह अभेमेंट की परंपरागत अवधारणा के अनुरूप है। - भविष्य में मामले-निर्धारण में सहायक
ऐसे मामले जहाँ वाहन-चालक या अन्य “परिफेरल” (परिधीय) भूमिका निभाते हैं, इस निर्णय को दिशा-निर्देशक माना जा सकता है। अदालतें यह देखेंगी—क्या आरोपी ने वाहन चलाने के अलावा कोई अन्य सक्रिय कृति की? क्या उसके द्वारा जान-बूझकर सहायता दी गई थी? क्या बिना उसकी सहायता अभियोजन को अपराध को अंजाम देना कठिन होता? आदि।
सीमाएँ एवं चिंताएँ
- यह निर्णय केवल अग्रिम जमानत (anticipatory bail) के सिलसिले में हुआ है, मुकदमे के परिणाम या अभियोजन-सिद्धि (conviction) पर नहीं।
- यह भी ध्यान देने योग्य है कि यदि वाहन चालक ने पूर्व ज्ञान लिया हो कि अपराध हो रहा है, या उसने बच्चे को गलत स्थान पर पहुँचाया, या आरोपीयों को प्रेरित किया हो, तो भूमिका बदल सकती है।
- इसलिए, हर “वाहन चालक” को स्वतः सुरक्षित नहीं माना जा सकता; तथ्य-स्थिति (fact-situation) महत्वपूर्ण है।
- यह निर्णय POCSO अधिनियम की गंभीरता को कम नहीं करता; बल्कि न्याय-विचार में भूमिका-सापेक्ष विवेचना (role-sensitive adjudication) की आवश्यकता स्पष्ट करता है।
सुझाव-मापदण्ड (Practical Tips)
- अभियोजन पक्ष के लिए: वाहन-चालक आदि को अभेमेंट के आरोप में शामिल करते समय उसका योगदान, उसका ज्ञान, उसकी प्रेरणा/सहयोग की प्रकृति, और अपराध के लिए उसकी क्रिया-सम्पर्क स्पष्ट करना आवश्यक होगा।
- रक्षा पक्ष के वकील के लिए: यह निर्णय उपयोगी है कि यदि आपका मुवक्किल केवल वाहन चला रहा था और उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष कृति-साक्ष्य नहीं है, तो अभेमेंट के आरोप को चुनौती दें।
- न्यायालयों के लिए: दोषरूपी भूमिका-विश्लेषण करना होगा — सिर्फ नाम होने या वाहन चलाने की भूमिका होने से दोषारोपण नहीं होगा।
- सामान्य रूप से: अभेमेंट की जटिलता को समझना महत्वपूर्ण है – केवल “साथ होना”, “गाड़ी चलाना”, “मौके पर मौजूद होना” स्व-सिद्ध नहीं कि सहायता की स्थिति बनती है।
निष्कर्ष
सारांशतः, इस निर्णय ने यह मूल सिद्धांत पुष्ट किया कि —
“वाहन चलाना अकेला POCSO अधिनियम के अंतर्गत अभेमेंट (सहायता) का रूप नहीं लेता जब उसके अतिरिक्त कोई प्रत्यक्ष कृति या मानसिक संलग्नता न हो।”
यह न्याय-प्रक्रिया में निष्पक्षता, भूमिका-विश्लेषण एवं अभियोजन-भार की संतुलना की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है।