“भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने सख्त प्रावधान: न्याय, सम्मान और सुरक्षा की नई दिशा”
🔹 प्रस्तावना
भारत में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान का प्रश्न लंबे समय से सामाजिक और विधिक विमर्श का केंद्र रहा है। समय-समय पर देश में हुई अमानवीय घटनाओं — जैसे निर्भया कांड (2012) — ने न केवल समाज को झकझोरा, बल्कि कानून में सख्त सुधारों की मांग को जन्म दिया।
इसी क्रम में भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) लागू की गई, जिसने पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 को प्रतिस्थापित किया।
BNS ने महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर और अधिक स्पष्ट, सख्त और पीड़िता-केंद्रित प्रावधान जोड़े हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि महिला सुरक्षा से संबंधित प्रमुख धाराएँ (धारा 63 से 124 तक) क्या हैं, उनका उद्देश्य क्या है, और इनसे महिलाओं की स्थिति में किस प्रकार बदलाव की अपेक्षा की जा रही है।
🔹 1. धारा 63 — बलात्कार (Rape)
BNS की धारा 63 बलात्कार की परिभाषा और दंड को निर्धारित करती है। यह धारा IPC की धारा 375 और 376 की जगह लाई गई है।
इस धारा के अंतर्गत किसी भी महिला की इच्छा या सहमति के बिना, बलपूर्वक या धोखे से यौन संबंध स्थापित करना बलात्कार माना गया है।
मुख्य प्रावधान:
- किसी महिला के साथ उसकी सहमति के बिना संभोग करना दंडनीय अपराध है।
- पीड़िता की आयु 18 वर्ष से कम होने पर यह अपराध सहमति के बावजूद भी बलात्कार माना जाएगा।
- दोषी को 10 वर्ष से आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।
- यदि यह अपराध गंभीर परिस्थितियों में (जैसे – पुलिस हिरासत, चिकित्सक द्वारा, नाबालिग के साथ) किया गया हो, तो सजा आजीवन कारावास से मृत्यु दंड तक हो सकती है।
महत्व:
यह धारा महिलाओं के शारीरिक स्वायत्तता (bodily autonomy) और सम्मान की रक्षा का मूल आधार है।
🔹 2. धारा 64 — वैवाहिक बलात्कार (जब पत्नी पति से अलग रह रही हो)
यह प्रावधान भारतीय समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को अपराध नहीं माना गया था।
अब धारा 64 के तहत, यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी के साथ, जो न्यायालय के आदेश से या किसी अन्य कारण से अलग रह रही हो, उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाता है, तो यह बलात्कार माना जाएगा।
सजा:
- दोषी को 2 वर्ष से 7 वर्ष तक का कठोर कारावास और जुर्माना हो सकता है।
महत्व:
यह महिलाओं को विवाह जैसी संस्था में भी स्वतंत्रता और सम्मान की सुरक्षा देता है, जिससे “पति का अधिकार” जैसी मानसिकता को कानूनी चुनौती मिलती है।
🔹 3. धारा 74 — महिला की इज्ज़त पर हमला (Assault on Modesty of Woman)
यह धारा IPC की धारा 354 के समान है।
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ उसकी इज्जत को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से शारीरिक हमला या बल प्रयोग करता है, तो यह अपराध होगा।
सजा:
- 3 वर्ष तक का कारावास, और जुर्माना।
- अपराध गंभीर परिस्थितियों में होने पर सजा और अधिक बढ़ सकती है।
महत्व:
यह प्रावधान महिलाओं के प्रति होने वाले अशोभनीय शारीरिक व्यवहारों को रोकने के लिए बनाया गया है।
🔹 4. धारा 75 — यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment)
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के प्रति अश्लील टिप्पणी करता है, उसे अनुचित तरीके से छूता है, पीछा करता है, या जबरन बात करने की कोशिश करता है, तो यह यौन उत्पीड़न कहलाता है।
सजा:
- 3 वर्ष तक का कारावास, जुर्माना, या दोनों।
महत्व:
यह धारा सार्वजनिक स्थानों, कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं की गरिमा की रक्षा करती है।
🔹 5. धारा 76 — महिला को कपड़े उतरवाने की मंशा से हमला
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के कपड़े उतारने की मंशा से हमला या बल प्रयोग करता है, तो यह अपराध महिला की इज्जत और गोपनीयता पर सीधा आघात है।
सजा:
- 3 से 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
महत्व:
यह प्रावधान महिलाओं को सार्वजनिक अपमान और मानसिक आघात से बचाने में सहायक है।
🔹 6. धारा 77 — वोयूरिज़्म (Voyeurism)
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की निजी गतिविधियों की जासूसी करता है, जैसे –
- महिला के कपड़े बदलते समय उसकी वीडियो/फोटो लेना,
- महिला की अनुमति के बिना उसकी निजी तस्वीरों का प्रसार करना,
तो यह अपराध होगा।
सजा:
- पहली बार अपराध करने पर 3 वर्ष तक का कारावास,
- पुनरावृत्ति पर 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
महत्व:
यह प्रावधान डिजिटल गोपनीयता (digital privacy) और cyber exploitation को रोकने में अहम है।
🔹 7. धारा 78 — पीछा करना या परेशान करना (Stalking)
यदि कोई पुरुष किसी महिला का लगातार पीछा करता है, संदेश भेजता है, ऑनलाइन ट्रैक करता है या उसकी गतिविधियों पर नजर रखता है, तो यह अपराध है।
सजा:
- 3 वर्ष तक का कारावास (पहली बार),
- 5 वर्ष तक का कारावास (दूसरी बार) और जुर्माना।
महत्व:
यह महिलाओं को डिजिटल और वास्तविक जीवन दोनों में सुरक्षा प्रदान करता है।
🔹 8. धारा 79 — महिला की मर्यादा का अपमान करना
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के बारे में अशोभनीय शब्द, टिप्पणी या इशारा करता है, जिससे उसकी मर्यादा को ठेस पहुंचे, तो यह अपराध होगा।
सजा:
- 1 वर्ष तक का कारावास, जुर्माना, या दोनों।
महत्व:
यह धारा महिलाओं के मान-सम्मान और गरिमा की रक्षा के लिए आवश्यक है।
🔹 9. धारा 89 — महिला को गर्भपात के लिए मजबूर करना
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध गर्भपात के लिए बाध्य करता है, तो यह गंभीर अपराध है।
सजा:
- 5 वर्ष तक का कठोर कारावास।
- यदि गर्भपात से महिला की मृत्यु हो जाती है, तो सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है।
महत्व:
यह धारा महिला के प्रजनन अधिकारों (Reproductive Rights) की रक्षा करती है।
🔹 10. धारा 124 — एसिड आदि का प्रयोग करके घोर उपहति कारित करना
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला पर एसिड या किसी संक्षारक पदार्थ का प्रयोग करता है, जिससे उसके शरीर को गंभीर क्षति या विकृति होती है, तो यह अत्यंत गंभीर अपराध है।
सजा:
- 10 वर्ष से आजीवन कारावास,
- भारी जुर्माना, जो पीड़िता के इलाज और पुनर्वास के लिए दिया जाएगा।
महत्व:
यह धारा एसिड अटैक पीड़िताओं की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए कठोरतम कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है।
🔹 निष्कर्ष
भारतीय न्याय संहिता, 2023 महिलाओं के सम्मान, गरिमा और सुरक्षा के लिए एक प्रगतिशील और सशक्त कदम है।
जहाँ IPC में कुछ प्रावधान अस्पष्ट थे, वहीं BNS ने उन्हें आधुनिक परिस्थितियों के अनुरूप बनाया है — जैसे वैवाहिक बलात्कार, साइबर अपराध, और प्रजनन अधिकारों से जुड़े प्रावधान।
इन धाराओं का उद्देश्य केवल अपराधियों को दंडित करना नहीं है, बल्कि समाज में यह संदेश देना भी है कि —
“महिला का सम्मान राष्ट्र की प्रतिष्ठा से जुड़ा है, और उसके विरुद्ध अपराध किसी भी रूप में अस्वीकार्य हैं।”
🔹 सुझाव और सामाजिक दृष्टिकोण
- कानून का सख्त होना पर्याप्त नहीं; क्रियान्वयन (implementation) और न्याय प्रक्रिया में संवेदनशीलता भी उतनी ही आवश्यक है।
- पुलिस, न्यायपालिका और समाज — तीनों को महिला सुरक्षा की साझा जिम्मेदारी उठानी होगी।
- शिक्षा, जागरूकता और मानसिकता में परिवर्तन ही इन कानूनी प्रावधानों की असली सफलता तय करेंगे।