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“सरकारी देरी के खिलाफ जनता की आवाज़ — CPGRAMS बना जन-सशक्तिकरण का डिजिटल प्लेटफॉर्म”

CPGRAMS (Centralised Public Grievance Redress and Monitoring System), जिसे आमतौर पर “Public Grievance Portal/PG Portal” कहा जाता है, के संबंध में विस्तृत लेख प्रस्तुत है — जिसमें इसकी उत्पत्ति, कार्यप्रणाली, उपयोगिता, सीमाएँ तथा विशेष रूप से “शासन-कार्य में देरी” (delay in government work) की समस्या के संदर्भ में यह कितना सही एवं प्रभावी है — इस पर गहराई से विश्लेषण किया गया है।


1. प्रस्तावना

आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों को सरकारी सेवाएँ सुचारू और समय-बद्ध प्राप्त हों, यह बुनियादी अपेक्षा है। यदि कोई सेवा देरी से मिले, या उसका निपटारा नहीं हो पाए, तो नागरिक का अधिकार बनता है कि वह शिकायत करें। इसी संदर्भ में केंद्र सरकार ने CPGRAMS पोर्टल बनाया है — एक ऐसा मंच जहाँ नागरिक, 24 घंटे, ऑनलाइन अपने grievances/शिकायतें दर्ज कर सकते हैं।
लेकिन सवाल यह है कि: क्या यह पोर्टल वास्तव में “देरी” वाले सरकारी कार्यों में शिकायत दर्ज कराने एवं उनका सफल समाधान कराने में पूरी तरह सही और प्रभावी है? इस लेख का उद्देश्य उसी प्रश्न का उत्तर देना है — इसके फायदे, प्रक्रियात्मक पहलू, बाधाएँ एवं सुधार-सुझाव।


2. CPGRAMS: गठन, उद्देश्य एवं कार्यप्रणाली

2.1 गठन एवं कानूनी-प्रशासनिक आधार

  • CPGRAMS पोर्टल को Department of Administrative Reforms & Public Grievances (DARPG), Ministry of Personnel, Public Grievances & Pensions द्वारा विकसित किया गया है।
  • उद्देश्य था— नागरिकों की शिकायतों को केंद्रीकृत रूप से (Central & State) एक प्लेटफार्म पर लाना, Ministries/Departments को जिम्मेदार ठहराना, तथा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
  • पोर्टल 24×7 उपलब्ध है, मोबाइल एप्लिकेशन और UMANG ऐप द्वारा भी उपयोगी है।

2.2 उद्देश्य

  • नागरिकों को शिकायत दर्ज कराने की सुलभता देना।
  • शिकायत की प्रगति-ट्रैकिंग संभव बनाना—रजिस्ट्रेशन ID मिले, टेक्स्ट में स्टेटस् देखें।
  • “अपील” की सुविधा देना यदि समाधान से असंतुष्ट हों।
  • शिकायतों के स्वरूप एवं विभागों की कार्यप्रणाली पर मॉनिटरिंग करना—डेटा-आधारित विश्लेषण।

2.3 कार्यप्रणाली (Lodging to Redress)

  • नागरिक पोर्टल / UMANG ऐप द्वारा लॉगिन करके शिकायत दर्ज करते हैं।
  • शिकायत को यूनिक संख्या (Registration ID) दी जाती है।
  • वह संबंधित मंत्रालय, विभाग या राज्य-सरकार को फॉरवर्ड होती है।
  • विभाग को समय-सीमा के भीतर कार्रवाई करनी होती है; यदि समाधान न हो पाए तो अपील का विकल्प मौजूद है।
  • शिकायत के बंद होने के बाद नागरिक से फीडबैक माँगा जाता है; यदि समाधान की रेटिंग “Poor” होगी तो अपील ट्रिगर हो सकती है।

3. “देरी” (Delay) के संदर्भ में CPGRAMS का महत्व

3.1 देरी की समस्या का स्वरूप

  • सरकारी कार्यों में देरी कई रूपों में होती है—योजना का क्रियान्वयन, सेवाओं का वितरण, शिकायतों का निपटारा आदि।
  • जब नागरिक को सेवा नहीं मिलती या देरी होती है, तो वह असंतुष्ट हो जाता है और शिकायत दर्ज करना चाहता है। ऐसी स्थिति में एक तेज़, प्रभावी शिकायत-राह होना महत्वपूर्ण है।

3.2 CPGRAMS द्वारा देरी से संबंधित शिकायतों के लिए उपयोग

  • नागरिक जब देखते हैं कि विभागीय प्रक्रिया लंबित है, तो CPGRAMS पर शिकायत दर्ज कर टाइमलाइन और जवाबदेही स्थापित कर सकते हैं।
  • पोर्टल द्वारा ट्रैकिंग सुविधा होने से यह ज्ञात हो जाता है कि कौन-से विभाग में शिकायत गई, कब, और क्या स्टेटस है—इससे “अनदेखी” या “लॉस्ट” शिकायतों पर दबाव बनता है।
  • यदि समाधान न हो या देरी हो रही हो, नागरिक अपील कर सकता है—यह देरी को कम करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।

3.3 उदाहरण एवं मीडिया रिपोर्ट

  • उदाहरणस्वरूप: हरियाणा में एक शिकायत को 6 साल तक नहीं देखा गया, जिसमें CPGRAMS संदर्भित था।
  • दिल्ली में सक्षम सरकारी प्रशासन ने शिकायत-बॉक्स और यूपीआई-मोबाइल शिकायत प्रणाली के साथ PGMS/CPGRAMS को जोड़ने की रणनीति अपनाई है।
    इनसे स्पष्ट होता है कि भले ही सिस्टम मौजूद है, लेकिन देरी एवं जवाबदेही की चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।

4. CPGRAMS की क्षमताएँ और सकारात्मक पक्ष

4.1 सुलभता एवं समग्रता

  • पोर्टल 24 घंटे खुला है, इंटरनेट या मोबाइल से भी अपील-लॉज कर सकते हैं।
  • यह केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और ज़िला स्तर से जुड़े विभागों को एक नेटवर्क में लाता है—यानी “वन-स्टॉप” प्लेटफार्म।
  • नागरिक को शिकायत संख्या मिलती है, जिससे ट्रैकिंग संभव है—इससे पारदर्शिता बढ़ती है।

4.2 जवाबदेही एवं निगरानी

  • प्रत्येक मंत्रालय/विभाग में “नोडल अधिकारी” नियुक्त हैं, जिन्हें शिकायतों का समाधान सुनिश्चित करना होता है।
  • पोर्टल में फीडबैक व्यवस्था है—अगर समाधान की रेटिंग “Poor” दी जाती है तो अपील प्रक्रिया खुलती है।
  • अब AI/ML-आधारित विश्लेषण उपकरण भी जोड़े जा रहे हैं ताकि “ओवरड्यू” शिकायतें, बड़ा मामला या बहुतायत की शिकायतें चिन्हित की जा सकें।

4.3 उपयोगकर्ता-मित्रता एवं डिजिटल एकीकरण

  • मोबाइल ऐप एवं UMANG प्लेटफार्म के माध्यम से शिकायत दर्ज करना आसान हुआ है।
  • शिकायत दर्ज करने-वाले नागरिक को स्थिति परिवर्तन पर सूचित किया जाता है, जिससे उन्हें “क्या हुआ” का पता चलता रहता है।
  • पोर्टल कई विभागों और राज्यों में एकीकृत है, इसलिए नागरिक को विभिन्न प्लेटफार्म पर अलग-अलग शिकायत नहीं करनी पड़ती।

5. CPGRAMS की सीमाएँ एवं चुनौतियाँ

5.1 देरी और निष्पादन का मुद्दा

  • सिस्टम के होने के बावजूद “समय पर समाधान” की गारंटी नहीं है। उदाहरण के तौर पर, हरियाणा का मामला दर्शाता है कि शिकायत 6 साल तक लंबित रही।
  • देरी का मुख्य कारण विभागीय प्रक्रिया, संसाधन-घाटा, जिम्मेदारियों का अस्पष्ट बंटवारा, या शिकायत का सही विभाग तक न पहुँच पाना हो सकता है।

5.2 शिकायतों का “सही विभाग” तक न पहुँच पाना

  • बहुत-सी शिकायतें उस विभाग को भेजी जाती हैं जो उस विषय के लिए जिम्मेदार नहीं होता, या उन्हें आगे ट्रांसफर करना पड़ता है—जिससे देरी बढ़ती है।
  • पोर्टल में “विकल्पी क्षेत्र (drop-down menus)” सही चयन न करने से शिकायत गलत तरीके से सबमिट हो सकती है।

5.3 ट्रैकिंग और प्रतिक्रिया का अभाव

  • ट्रैकिंग ID होने पर भी, अगर विभाग स्टेटस अपडेट नहीं करता, तो नागरिक को वास्तविक जानकारी नहीं मिल पाती।
  • फीडबैक दिया गया हो पर समाधान की गुणवत्ता पर नियंत्रण कम हो सकता है।

5.4 समावेशन तथा डिजिटल विभाजन

  • इंटरनेट-सुगमता, मोबाइल-ऐप उपयोग की क्षमता हर नागरिक के पास नहीं है—गाँव-क्षेत्रीय उपयोगकर्ताओं को कठिनाई हो सकती है।
  • शिकायत दर्ज करने वाला व्यक्ति तकनीकी/प्रक्रियात्मक ज्ञान न रखता हो तो गलती का संभावना बढ़ जाती है।

5.5 “सेवा-मामले” व “निजी विवाद” से संबंधित शिकायतों का प्रतिबंध

  • पोर्टल ऐसे मामलों को नहीं लेता जहाँ सेवा नियमों के अंतर्गत विवाद हो, या जहाँ कोर्ट चल रही हो। जैसे RTI, न्यायिक फैसले आदि।
  • इससे यह सीमित हो जाता है कि कुछ प्रकार के “देरी” वाले मामलों को पोर्टल से नहीं उठाया जा सकता।

6. “पूरी तरह सही एवं प्रभावी” होने का आकलन

6.1 प्रभावीता के संकेत

  • पोर्टल ने नागरिकों को शिकायत दर्ज कराने का सुलभ जरिया दिया है, पारदर्शिता बढ़ाई है।
  • ट्रैकिंग और फीडबैक की व्यवस्था ने शिकायत-प्रक्रिया को “देखे जाने योग्य” बनाया है।
  • डिजिटल एकीकरण ने शिकायत पंजीकरण व मॉनीटरिंग को तेज किया है।

6.2 “पूरी तरह सही” कहने में सावधानी

हालाँकि पोर्टल ने बहुत-से सकारात्मक बदलाव किए हैं, फिर भी इसे “पूरी तरह सही” कहना अभी उचित नहीं होगा, कारण:

  • शिकायतों के निपटान में नियमित देरी अभी भी देखने को मिल रही है।
  • प्रक्रिया त्रुटियाँ (उचित विभाग न चुनना, समय पर सूचना न देना) रहती हैं।
  • सभी नागरिक-वर्ग तक डिजिटल पहुँच नहीं है।
  • पोर्टल द्वारा लिए गए निर्णयों/कार्रवाइयों का परिणाम सुनिश्चित नहीं हो पाता — यानी शिकायत बंद दिखती है पर व्यावहारिक रूप से समाधान नहीं मिला हो सकता।
  • सबसे महत्वपूर्ण: “देरी” की शिकायतों का समयबद्ध निपटान सुनिश्चित नहीं हुआ है — सेवा-मानों (service-standards) का पालन जरूरी है, पर अधूरा है।

इसलिए, यह कहा जा सकता है: CPGRAMS एक प्रभावी उपकरण है, लेकिन वास्तव में “समयबद्ध और त्रुटिरहित” समाधान का पूर्ण आश्वासन नहीं देता


7. सुधार-सुझाव (Recommendations)

यदि CPGRAMS को देरी-प्रकरणों में और प्रभावी बनाना है, तो निम्न सुधार किये जाने चाहिए:

  1. समय-मान (Service-Standards) तय करें और उनका अनुपालन सुनिश्चित करें — जैसे 21 दिन में उत्तर।
  2. डिपार्टमेंट-निर्देशन सुधारें ताकि शिकायत सीधे सही विभाग/क्षेत्रीय कार्यालय तक पहुंचे, ट्रांसफर समय कम हो।
  3. मूल्यांकन एवं जवाबदेही机制 बनाएं — जिन विभागों में शिकायतें अधिक लंबित हों, उनपर निगरानी रखें। उदाहरण- रूप से, वेद-शाखा निर्देश लागू हों।
  4. डिजिटल समावेशन बढ़ाएं — ग्रामीण/कम-संपर्क इलाकों में शिकायत दर्ज करने हेतु लोक-सहायता केंद्र, कॉल सेंटर, मोबाइल वैन आदि।
  5. उपयोगकर्ता-शिक्षा एवं जानकारी बढ़ाएं — नागरिक को बताना होगा कि कैसे शिकायत करें, किस विभाग को चुनें, ट्रैकिंग कैसे करें।
  6. मूल्यांकन रिपोर्ट्स सार्वजनिक करें — विभागों द्वारा समय-समय पर निपटान-स्टैटिस्टिक्स प्रकाशित हों ताकि जनता देखें सके।
  7. प्रौद्योगिकी-उन्नयन — AI/ML टूल्स का इस्तेमाल बढ़ाएँ ताकि “ओवरड्यू” शिकायतें, क्लस्टर शिकायतें आसानी से चिन्हित हों। DARPG इस दिशा में कदम उठा रहा है।
  8. फीडबैक की गुणवत्ता सुनिश्चित करें — सिर्फ “सॉल्वड” लिखने से काम नहीं चलेगा; समाधान का वास्तविक असर और नागरिक की संतुष्टि देखी जाए।

8. निष्कर्ष

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि CPGRAMS ने भारत में शिकायत-निवारण (grievance redressal) प्रणाली में एक क्वांटम बदलाव का काम किया है। नागरिकों को शिकायत दर्ज कराने, ट्रैक करने और अपील करने की सुविधा मिली है। लेकिन, यदि हम “देरी वाले सरकारी कार्य” के संदर्भ में इसका आकलन करें, तो यह स्पष्ट है कि यह एक पर्याप्त और अंतिम समाधान नहीं है — बल्कि एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिसे बेहतर बनाना अभी बाकी है

यदि सरकारी कार्यों में देरी हो रही है, तो नागरिक द्वारा इस पोर्टल का उपयोग निश्चित रूप से सही दिशा में उठाया गया कदम है। मगर यह आवश्यक है कि शिकायत को सही रूप में लॉग इन करें, ट्रैक करें, फीडबैक दें और यदि संतुष्ट न हों तो अपील करें। साथ ही, सरकार और विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि “शिकायत दर्ज हुई है – अब समाधान तक ले जाई जाए” का वायदा पूरा हो। तभी यह प्रणाली वास्तव में समय-बद्ध, उत्तरदायी और विश्वासपात्र बनेगी।