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“भारत की समुद्री शक्ति का उदयः ब्लू इकॉनॉमी और Maritime Policy 2025 का विश्लेषण”

“भारत की ब्लू इकॉनॉमी और समुद्री नीति 2025: सतत विकास, निवेश और समुद्री शासन का नया युग”


भूमिका

भारत का समुद्री भूगोल और तटीय क्षेत्र उसकी आर्थिक शक्ति और सामरिक क्षमता का आधार हैं। लगभग 7,500 किलोमीटर लंबा तटीय क्षेत्र, 1,200 से अधिक छोटे-बड़े बंदरगाह, और अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी से सटे समुद्री मार्ग — ये सब मिलकर भारत को एक Maritime Nation के रूप में परिभाषित करते हैं।

हाल के वर्षों में, भारत ने “ब्लू इकॉनॉमी (Blue Economy)” की अवधारणा को अपने आर्थिक विकास के केंद्र में रखा है। इसका उद्देश्य है – समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग, पर्यावरणीय संरक्षण, और तटीय समुदायों का आर्थिक सशक्तिकरण

साल 2025 इस दिशा में ऐतिहासिक साबित हो रहा है, क्योंकि सरकार ने Indian Ports Act, 2025, Merchant Shipping Act, 2025, और एक व्यापक National Maritime Policy 2025 को रूपांतरित किया है। इन नीतियों का लक्ष्य भारत को “Global Maritime Hub” बनाना है।


1. ब्लू इकॉनॉमी का अर्थ और महत्व

“ब्लू इकॉनॉमी” का अर्थ है — समुद्र और तटीय क्षेत्रों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियाँ, जो पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ हों और दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित करें। इसमें शामिल हैं —

  • मछली पालन और समुद्री जैव विविधता,
  • समुद्री पर्यटन,
  • अपतटीय ऊर्जा (Offshore Energy),
  • जहाज निर्माण,
  • समुद्री परिवहन और लॉजिस्टिक्स,
  • और समुद्री खनिज संसाधन।

भारत के लिए यह केवल आर्थिक पहल नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण भी है। ब्लू इकॉनॉमी भारत की “Atmanirbhar Bharat” नीति से सीधे जुड़ी है।


2. ब्लू इकॉनॉमी 2025 के प्रमुख उद्देश्य

भारत की समुद्री नीति 2025 के अंतर्गत ब्लू इकॉनॉमी को निम्नलिखित लक्ष्यों के माध्यम से सशक्त किया जा रहा है:

  1. GDP में समुद्री क्षेत्र का योगदान 5% तक बढ़ाना।
  2. निजी और विदेशी निवेश को आकर्षित करना।
  3. ग्रीन और डिजिटल पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण।
  4. तटीय समुदायों को रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर देना।
  5. समुद्री प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन को कम करना।

3. समुद्री शासन में नीतिगत परिवर्तन (Maritime Governance Reforms)

2025 की नीतियों ने पारंपरिक प्रशासनिक ढांचे को आधुनिक, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बना दिया है।

(क) National Maritime Development Council (NMDC):

एक केंद्रीय संस्था बनाई गई है जो भारत की सभी समुद्री नीतियों, परियोजनाओं और निवेशों का समन्वय करेगी।

(ख) Integrated Coastal Zone Management (ICZM):

तटीय इलाकों के संरक्षण और विकास के लिए राज्यों और केंद्र के बीच साझा योजना बनाई गई है।

(ग) Blue Economy Mission Directorate:

यह संस्था ‘नीली अर्थव्यवस्था’ से जुड़ी सभी गतिविधियों – जैसे समुद्री अनुसंधान, ऊर्जा, मत्स्य उद्योग और पर्यटन – को प्रोत्साहित करेगी।


4. निवेश और आर्थिक संभावनाएँ

भारत में समुद्री क्षेत्र में $80 बिलियन से अधिक निवेश की संभावना अनुमानित की गई है।
सरकार ने इसके लिए Maritime India Vision 2030 और Sagarmala Project जैसी योजनाओं को नई गति दी है।

प्रमुख निवेश क्षेत्र –

  • Port-led Development: बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और कंटेनर टर्मिनल्स का विस्तार।
  • Shipbuilding and Repair: देशी शिपयार्डों को ‘Make in India’ के तहत प्रोत्साहन।
  • Coastal Shipping: घरेलू व्यापार में जलमार्गों के उपयोग को बढ़ावा।
  • Blue Finance: पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार निवेश योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए “Blue Bonds” की शुरुआत।

5. पर्यावरणीय संतुलन और ग्रीन पोर्ट नीति

ब्लू इकॉनॉमी की सफलता का मूल सिद्धांत है — सततता (Sustainability)
इसलिए नई नीति में “Green Port Guidelines” जारी की गई हैं। इसके अंतर्गत –

  • बंदरगाहों में सौर ऊर्जा संयंत्र,
  • विद्युत चालित क्रेन्स और वाहनों का उपयोग,
  • अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण प्रणाली,
  • समुद्री जैव-विविधता संरक्षण,
    को प्राथमिकता दी गई है।

भारत ने 2030 तक Net-Zero Emission Maritime Network विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।


6. तटीय समुदायों और मत्स्य उद्योग का सशक्तिकरण

भारत के तटीय क्षेत्रों में लगभग 3 करोड़ से अधिक लोग अपनी आजीविका समुद्री संसाधनों पर निर्भर करते हैं।
नई समुद्री नीति 2025 के तहत:

  • Coastal Livelihood Missions लागू की जा रही हैं, जो मछुआरों, नौकाचालकों और तटीय मजदूरों को आधुनिक प्रशिक्षण और बीमा सुरक्षा देंगी।
  • Fisheries Infrastructure Development Fund (FIDF) का विस्तार किया गया है ताकि मछली प्रसंस्करण इकाइयों और कोल्ड-स्टोरेज नेटवर्क को बल मिले।
  • महिलाओं के लिए “Blue Skill Women Programme” शुरू किया गया है ताकि वे समुद्री उद्यमिता से जुड़ सकें।

7. अंतरराष्ट्रीय सहयोग और रणनीतिक महत्व

भारत की ब्लू इकॉनॉमी नीति केवल घरेलू नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय साझेदारी पर भी आधारित है।

  • भारत International Maritime Organization (IMO) के साथ सक्रिय सहयोग कर रहा है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में IORA (Indian Ocean Rim Association) के माध्यम से साझा समुद्री सुरक्षा और व्यापारिक नीतियों को सशक्त किया जा रहा है।
  • SAGAR (Security and Growth for All in the Region) नीति के तहत भारत अपने पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस और इंडोनेशिया के साथ साझा समुद्री परियोजनाएँ चला रहा है।

8. तकनीकी नवाचार और डिजिटलीकरण

(क) Maritime Digital Network (MDN):

2025 में लॉन्च की गई यह प्रणाली भारत के सभी प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ती है, जिससे माल निकासी, सुरक्षा जांच और जहाज पंजीकरण पूर्णतः डिजिटल हो गए हैं।

(ख) Artificial Intelligence और Data Analytics:

AI आधारित समुद्री निगरानी से अवैध मछली पकड़ने और समुद्री सीमा उल्लंघन को रोका जा सकेगा।

(ग) Blue Data Centres:

समुद्री मौसम, जल गुणवत्ता, और जैव-विविधता के लिए रियल-टाइम डेटा एकत्रित करने हेतु भारत में कई “Ocean Observation Centres” स्थापित किए जा रहे हैं।


9. चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता

यद्यपि ब्लू इकॉनॉमी नीति 2025 अत्यंत महत्वाकांक्षी है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  1. राज्यों और केंद्र के बीच नीति समन्वय की कमी।
  2. निजी क्षेत्र की भागीदारी में असमानता।
  3. तकनीकी और कौशल आधारित प्रशिक्षण की आवश्यकता।
  4. पर्यावरणीय निगरानी प्रणाली की सीमाएँ।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को “Maritime Skill Development Mission” को और सशक्त बनाना होगा।


10. भविष्य की दिशा: सतत और समावेशी समुद्री विकास

भारत की ब्लू इकॉनॉमी आने वाले दशक में ऊर्जा, व्यापार, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी।

  • तटीय पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
  • नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे Offshore Wind Farms) से ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
  • ग्रीन जहाजों और डिजिटल पोर्ट्स से भारत वैश्विक शिपिंग केंद्र बनेगा।

2030 तक भारत का लक्ष्य है —

“One Ocean, One Policy, One Future”
अर्थात् एकीकृत समुद्री नीति जो आर्थिक विकास, पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक समानता पर आधारित हो।


निष्कर्ष

भारत की Blue Economy और Maritime Policy 2025 केवल समुद्री संसाधनों के उपयोग की नीति नहीं, बल्कि यह एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण है – जो आर्थिक समृद्धि, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और सामरिक शक्ति का संतुलन प्रस्तुत करता है।

Indian Ports Act, 2025, Merchant Shipping Act, 2025, और National Maritime Policy 2025 मिलकर भारत को एक ऐसा समुद्री राष्ट्र बना रहे हैं जो तकनीकी रूप से सक्षम, पर्यावरणीय रूप से उत्तरदायी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी है।