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बिना अनुमति के कॉल रिकॉर्ड करना : संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता का उल्लंघन और आईटी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत अपराध

🏛️ बिना अनुमति के कॉल रिकॉर्ड करना : संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता का उल्लंघन और आईटी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत अपराध


🔷 प्रस्तावना (Introduction)

आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन और इंटरनेट का प्रयोग जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन है और अधिकतर बातचीत अब टेलीफोन या व्हाट्सऐप कॉल पर होती है। लेकिन तकनीकी प्रगति के साथ-साथ निजता (Privacy) का उल्लंघन भी एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आया है।
कई बार लोग बिना अनुमति के दूसरों की कॉल रिकॉर्ड कर लेते हैं, फिर उस रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया पर साझा कर देते हैं या किसी निजी उद्देश्य से उपयोग करते हैं। यह न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि कानूनी रूप से भी अपराध है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (Article 21) के तहत प्रत्येक नागरिक को “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता” (Right to Life and Personal Liberty) का अधिकार प्राप्त है, जिसमें “निजता का अधिकार” (Right to Privacy) भी शामिल है। इसलिए किसी व्यक्ति की बातचीत को बिना उसकी अनुमति के रिकॉर्ड करना उसके निजता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है।


🔶 निजता का अधिकार : संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत

📘 अनुच्छेद 21 का प्रावधान

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है —

“किसी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया को छोड़कर वंचित नहीं किया जाएगा।”

इसका अर्थ है कि प्रत्येक नागरिक को अपने जीवन को गरिमा के साथ जीने का अधिकार है, जिसमें उसकी निजी जानकारी, निजी बातचीत और व्यक्तिगत निर्णयों में किसी का अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

📖 ‘निजता का अधिकार’ का विकास

पहले निजता को अनुच्छेद 21 के अंतर्गत स्पष्ट रूप से नहीं माना गया था, परंतु समय के साथ न्यायालयों ने इसे जीवन और स्वतंत्रता का अभिन्न हिस्सा माना।
सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध निर्णय “के. एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (2017)” (K.S. Puttaswamy v. Union of India, 2017) में 9 न्यायाधीशों की पीठ ने ऐतिहासिक रूप से कहा कि —

“Right to Privacy is a Fundamental Right under Article 21 of the Constitution.”

इस फैसले ने यह स्थापित कर दिया कि किसी व्यक्ति की निजी बातचीत, उसकी संचार गतिविधि या उसकी व्यक्तिगत जानकारी बिना उसकी अनुमति के उजागर नहीं की जा सकती।


🔷 बिना अनुमति के कॉल रिकॉर्ड करना क्यों अवैध है

कॉल रिकॉर्डिंग तब वैध होती है जब दोनों पक्षों की सहमति हो। लेकिन यदि कोई व्यक्ति गुप्त रूप से (secretly) किसी की कॉल रिकॉर्ड करता है, तो यह निम्न कारणों से अवैध है —

  1. यह निजता का उल्लंघन है (Violation of Privacy).
    प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बातचीत गोपनीय रखने का अधिकार है।
  2. यह विश्वासघात (Breach of Trust) है।
    यदि दो लोग किसी निजी या व्यावसायिक विषय पर बात कर रहे हैं, तो उसमें से एक व्यक्ति द्वारा रिकॉर्डिंग करना विश्वासघात है।
  3. यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 72 के अंतर्गत अपराध है।
    यह धारा बताती है कि यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के किसी की निजी जानकारी या संवाद को साझा करता है, तो उसे सजा दी जाएगी।

🔶 सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 72 (Section 72 of IT Act, 2000)

📜 धारा का प्रावधान

“यदि कोई व्यक्ति, किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या दस्तावेज़ की जानकारी तक अधिकृत पहुँच प्राप्त करने के पश्चात, उस जानकारी का अनधिकृत रूप से खुलासा करता है, तो उसे दो वर्ष तक की कैद या ₹1 लाख तक जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।”

⚖️ अर्थ

इसका मतलब यह है कि यदि किसी ने कॉल रिकॉर्ड कर ली और बिना अनुमति उसे किसी और के साथ साझा कर दिया — चाहे वह सोशल मीडिया पर हो, परिवार में हो या किसी संस्था में — तो यह अपराध माना जाएगा।


🔷 भारतीय दंड संहिता (IPC) के अंतर्गत भी अपराध

बिना अनुमति कॉल रिकॉर्डिंग केवल आईटी एक्ट के तहत ही नहीं, बल्कि भारतीय दंड संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) के अंतर्गत भी अपराध की श्रेणी में आती है।

🔹 धारा 229 – झूठी या दुर्भावनापूर्ण शिकायत

यदि कोई व्यक्ति किसी की रिकॉर्डिंग को इस उद्देश्य से उपयोग करता है कि उसे बदनाम किया जाए या झूठे आरोप लगाए जाएँ, तो यह अपराध है।

🔹 धारा 356 (पूर्वतः IPC 354C – Voyeurism)

यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य की निजी बातचीत, तस्वीर या वीडियो बिना अनुमति के रिकॉर्ड करता है या उसे प्रसारित करता है, तो यह अपराध “निजता का उल्लंघन” और “वॉयरिज़्म” कहलाता है। इसकी सजा 3 से 7 वर्ष तक हो सकती है।

🔹 धारा 351 (Defamation / मानहानि)

यदि कोई व्यक्ति किसी की रिकॉर्डिंग का उपयोग करके उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाता है, तो वह मानहानि का दोषी होगा।


🔶 न्यायालयों के महत्वपूर्ण निर्णय

  1. K.S. Puttaswamy v. Union of India (2017)
    निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है — किसी भी निजी सूचना का संग्रह या खुलासा व्यक्ति की सहमति के बिना नहीं किया जा सकता।
  2. People’s Union for Civil Liberties (PUCL) v. Union of India (1997)
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टेलीफोन टेपिंग (telephone tapping) संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता का उल्लंघन है।
    केवल गंभीर अपराधों या राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में ही, वैधानिक प्रक्रिया के तहत टेलीफोन निगरानी की जा सकती है।
  3. R. Rajagopal v. State of Tamil Nadu (1994)
    किसी व्यक्ति के निजी जीवन को उसकी अनुमति के बिना प्रकाशित करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

🔷 कब वैध है कॉल रिकॉर्डिंग (Legally Valid Call Recording)

कुछ स्थितियों में कॉल रिकॉर्डिंग वैध मानी जाती है, जैसे—

  1. स्वयं की सुरक्षा के लिए सबूत के रूप में
    यदि कोई व्यक्ति धमकी, ब्लैकमेल या उत्पीड़न का शिकार हो रहा है, तो वह कॉल रिकॉर्डिंग को साक्ष्य (evidence) के रूप में रख सकता है।
  2. कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा
    पुलिस या जांच एजेंसियां वैधानिक आदेश (court order) के तहत कॉल रिकॉर्ड कर सकती हैं।
  3. सहमति (Consent) के साथ
    यदि दोनों पक्ष बातचीत रिकॉर्ड करने पर सहमत हैं, तो यह अपराध नहीं है।

लेकिन इन मामलों में भी रिकॉर्डिंग का दुरुपयोग या सार्वजनिक प्रसारण (public disclosure) करना अपराध ही रहेगा।


🔶 सोशल मीडिया पर कॉल रिकॉर्डिंग साझा करने के परिणाम

आजकल कई लोग किसी के साथ हुई कॉल रिकॉर्डिंग को “प्रमाण” या “मनोरंजन” के रूप में फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब या व्हाट्सऐप पर अपलोड कर देते हैं।
ऐसा करना कानून की नजर में अत्यंत गंभीर अपराध है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को —

  1. आईटी अधिनियम की धारा 72 के तहत दंड,
  2. मानहानि के लिए दीवानी और आपराधिक कार्रवाई,
  3. निजता के उल्लंघन पर हर्जाने की मांग (Compensation Claim)
    जैसी कार्रवाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

🔷 निजता के उल्लंघन पर मिलने वाली सजा

कानून प्रावधान सजा
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 72 बिना अनुमति निजी सूचना का खुलासा 2 वर्ष तक की जेल या ₹1 लाख जुर्माना या दोनों
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 356 निजी बातचीत या वीडियो रिकॉर्ड कर प्रसारित करना 3 से 7 वर्ष तक की सजा
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 351 मानहानि 2 वर्ष तक की सजा या जुर्माना

🔶 यदि कोई आपकी कॉल रिकॉर्ड करता है तो क्या करें?

  1. सबसे पहले सबूत सुरक्षित रखें
    यदि किसी ने आपकी कॉल रिकॉर्डिंग की है या शेयर की है, तो उस ऑडियो, स्क्रीनशॉट या लिंक को सुरक्षित रखें।
  2. पुलिस या साइबर सेल में शिकायत दर्ज करें
    आप अपने नजदीकी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन या राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in) पर शिकायत कर सकते हैं।
  3. मानहानि या निजता के उल्लंघन का सिविल केस दायर करें
    आप अदालत में हर्जाने की मांग भी कर सकते हैं।
  4. IT Act और BNS के तहत आपराधिक शिकायत
    संबंधित धाराओं के तहत आप आपराधिक केस दर्ज करा सकते हैं।

🔷 साइबर सुरक्षा के लिए सावधानियाँ

  • किसी से बात करते समय संवेदनशील या निजी जानकारी साझा न करें।
  • अज्ञात नंबर से आई कॉल्स पर सावधान रहें।
  • महत्वपूर्ण बातचीत हमेशा लिखित रूप में (email या message) रखें।
  • अपने फोन में call recording alert या consent notification सक्रिय करें।
  • सोशल मीडिया पर किसी की ऑडियो या वीडियो बिना अनुमति के पोस्ट न करें।

🔶 नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से

बिना अनुमति कॉल रिकॉर्डिंग केवल कानूनी अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी निंदनीय है।
यह लोगों के बीच विश्वास (trust) को तोड़ता है, रिश्तों में दरार लाता है और समाज में असुरक्षा की भावना उत्पन्न करता है।

एक सभ्य समाज में संवाद विश्वास और ईमानदारी पर आधारित होना चाहिए, न कि निगरानी और धोखे पर।


🔷 निष्कर्ष (Conclusion)

“बिना अनुमति के कॉल रिकॉर्ड करना” न केवल संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 72 के अनुसार दंडनीय अपराध भी है।
डिजिटल युग में जहाँ सूचना शक्ति है, वहीं जिम्मेदारी भी उतनी ही आवश्यक है।

हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि —

“Privacy is not a privilege, it is a fundamental right.”

इसलिए दूसरों की बातचीत को रिकॉर्ड करने से पहले सोचें कि क्या यह उचित, वैधानिक और नैतिक है।
कानून के दायरे में रहकर ही तकनीक का प्रयोग करें, क्योंकि न्याय और सम्मान दोनों तभी सुरक्षित रहेंगे जब हम दूसरों की निजता का सम्मान करेंगे।