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NBW (Non-Bailable Warrant)  कानूनी परिभाषा, उद्देश्य, प्रक्रिया और न्यायिक दृष्टिकोण

 


NBW (Non-Bailable Warrant)  कानूनी परिभाषा, उद्देश्य, प्रक्रिया और न्यायिक दृष्टिकोण

प्रस्तावना

कानून व्यवस्था बनाए रखना और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाना किसी भी संवैधानिक व्यवस्था की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है। इसके लिए पुलिस और न्यायपालिका के पास कई औजार होते हैं, जिनमें एक महत्वपूर्ण औजार है NBW (Non-Bailable Warrant)। यह वॉरंट आरोपी को जबरन कोर्ट में पेश कराने का एक विशेष साधन है।

NBW की भूमिका विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब आरोपी बार-बार समन (Summon) या बेल वॉरंट (Bailable Warrant) के बावजूद अदालत में उपस्थित नहीं होता। इस लेख में हम NBW के उद्देश्य, कानूनी आधार, प्रक्रिया, संबंधित धाराएँ और न्यायिक दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा करेंगे।


1. NBW की परिभाषा

NBW (Non-Bailable Warrant) का अर्थ है एक ऐसा न्यायालय द्वारा जारी किया गया आदेश, जिसके आधार पर आरोपी को जबरन न्यायालय में पेश करने के लिए गिरफ्तार किया जाता है।

NBW वह वॉरंट है जो किसी आरोपी को बिना जमानत मिलने के सीधे गिरफ्तार करने का आदेश देता है। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को बाधित करने वाले आरोपी को अदालत के सामने लाना है।


2. NBW का कानूनी आधार

NBW का प्रावधान भारतीय कानून में विभिन्न धाराओं में मौजूद है। नया कानून, BNSS (Bail and Non-Bailable Warrant System), 2023 में इस विषय में स्पष्ट निर्देश हैं। विशेष रूप से धारा 72 (Section 72) में NBW जारी करने की प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है।

धारा 72 के अनुसार, यदि आरोपी बार-बार अदालत के समन (Summon) या बेल वॉरंट (Bailable Warrant) के बावजूद उपस्थित नहीं होता, तो न्यायालय NBW जारी करने का आदेश दे सकता है।


3. NBW जारी करने का उद्देश्य

NBW जारी करने के पीछे मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले अपराधियों को न्याय के सामने लाना है। NBW का उपयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है:

  1. आरोपी अदालत में उपस्थित नहीं होता है — बार-बार समन या बेल वॉरंट जारी करने के बावजूद।
  2. मामले में गंभीरता — ऐसे मामलों में जहां आरोपी की अनुपस्थिति से न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
  3. फरार आरोपी — अगर आरोपी न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज कर रहा है।
  4. साक्ष्यों की सुरक्षा — आरोपी के भागने की संभावना होने पर NBW जारी कर गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाती है।

4. NBW जारी करने की प्रक्रिया

NBW जारी करने की प्रक्रिया कुछ चरणों में पूरी होती है।

चरण 1: Summon या Bailable Warrant जारी करना

  • अदालत पहले आरोपी को Summon जारी करती है, जिससे वह अदालत में पेश हो सके।
  • यदि आरोपी Summon का पालन नहीं करता है, तो अदालत Bailable Warrant जारी करती है।

चरण 2: NBW जारी करना

  • अगर आरोपी बार-बार Summon या Bailable Warrant का पालन नहीं करता है, तो अदालत Non-Bailable Warrant (NBW) जारी करती है।
  • NBW जारी करने का निर्णय मजिस्ट्रेट या न्यायालय द्वारा किया जाता है।

चरण 3: गिरफ्तारी और पेशी

  • NBW जारी होते ही पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है और उसे अदालत में पेश कर सकती है।
  • गिरफ्तारी के बाद आरोपी को जमानत मिलना स्वतः संभव नहीं है। इसके लिए कोर्ट से विशेष जमानत याचिका दाखिल करनी पड़ती है।

5. कौन जारी करता है NBW?

भारतीय कानून के तहत NBW केवल न्यायालय या मजिस्ट्रेट ही जारी कर सकता है। पुलिस स्वयं NBW जारी करने का अधिकार नहीं रखती। अदालत के आदेश के बिना पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती, सिवाय सामान्य गिरफ्तारी प्रक्रिया के।


6. NBW और Arrest Warrant में अंतर

विशेषता Arrest Warrant Non-Bailable Warrant (NBW)
उद्देश्य गिरफ्तारी के लिए गिरफ्तारी और अदालत में पेश करने के लिए
जमानत का अधिकार हो सकता है स्वतः जमानत नहीं होती
जारी करने वाला मजिस्ट्रेट/अदालत मजिस्ट्रेट/अदालत
उपयोग सामान्य गिरफ्तारी Summon या Bailable Warrant के विफल होने पर

7. NBW और Section 72 BNSS, 2023

BNSS (Bail and Non-Bailable Warrant System), 2023 की धारा 72 में NBW को कानूनी मान्यता दी गई है। इस धारा के तहत:

  • NBW केवल तभी जारी होगा जब Summon या Bailable Warrant का पालन नहीं किया गया हो।
  • अदालत को यह स्पष्ट करना होगा कि आरोपी की अनुपस्थिति न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है।
  • NBW जारी होने के बाद पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन जमानत के लिए अदालत से विशेष अनुमति लेनी होगी।

8. NBW पर जमानत

NBW जारी होने के बाद आरोपी को स्वतः जमानत नहीं मिलती। आरोपी को जमानत पाने के लिए अदालत में Special Bail Application दाखिल करनी पड़ती है।

जमानत मिलने के लिए आरोपी को अदालत को विश्वास दिलाना होता है कि वह भविष्य में अदालत में उपस्थित होगा और जांच में सहयोग देगा। न्यायालय आरोपी की परिस्थितियों, अपराध की गंभीरता और आरोपी के भागने की संभावना को ध्यान में रखकर जमानत देने का निर्णय लेता है।


9. पुलिस की भूमिका NBW में

NBW जारी होने के बाद पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पुलिस को यह आदेश मिलता है कि वह आरोपी को गिरफ्तार करे और उसे अदालत में पेश करे।

पुलिस:

  • NBW के आधार पर गिरफ्तारी कर सकती है।
  • गिरफ्तारी के बाद आरोपी को तुरंत अदालत में पेश करती है।
  • सुनिश्चित करती है कि आरोपी न्याय प्रक्रिया में भाग ले।

10. न्यायिक दृष्टिकोण और NBW

भारतीय न्यायपालिका ने NBW के मामलों में कई बार स्पष्ट किया है कि यह न्याय प्रक्रिया को बाधित करने वाले आरोपियों के खिलाफ न्यायिक नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण औजार है। उच्चतम न्यायालय ने अपने कई निर्णयों में कहा है कि NBW का उद्देश्य केवल गिरफ्तारी नहीं, बल्कि न्याय प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है।

महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:

  • कानूनी मान्यता: सुप्रीम कोर्ट ने NBW को न्याय प्रक्रिया का आवश्यक हिस्सा माना है, जो Summon और Bailable Warrant के असफल होने पर जारी किया जाता है।
  • अदालत की स्वतंत्रता: अदालत को आरोपी की अनुपस्थिति पर NBW जारी करने का अधिकार है, लेकिन यह आदेश न्यायिक विवेक पर आधारित होता है।
  • जमानत: NBW आरोपी को स्वतः जमानत देने का अधिकार नहीं देता।

11. NBW के फायदे और चुनौतियाँ

फायदे

  • आरोपी को जबरन अदालत में पेश करने का साधन।
  • न्याय प्रक्रिया में देरी को रोकता है।
  • कानून व्यवस्था को मजबूत करता है।
  • आरोपी के भागने की संभावना को कम करता है।

चुनौतियाँ

  • गलत आरोपों में भी NBW जारी होने का खतरा।
  • आरोपी की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव।
  • पुलिस और न्यायपालिका पर अतिरिक्त दबाव।
  • जमानत प्रक्रिया में कठिनाई।

12. NBW पर विवाद और सुधार की आवश्यकता

NBW का उपयोग न्याय प्रक्रिया में आवश्यक है, लेकिन इसके दुरुपयोग के खतरे को नकारा नहीं जा सकता। इस वजह से कई विद्वानों और विधिक विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि NBW के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और अदालत की सख्त निगरानी होनी चाहिए।

सुधार के सुझाव:

  • NBW जारी करने से पहले आरोपी को पर्याप्त मौका देना।
  • NBW की अवधि और गिरफ्तारी प्रक्रिया का स्पष्ट निर्धारण।
  • आरोपी को जमानत के लिए सहज प्रक्रिया उपलब्ध कराना।
  • NBW के दुरुपयोग को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाना।

13. निष्कर्ष

NBW (Non-Bailable Warrant) भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक प्रभावी साधन है, जिसका उद्देश्य आरोपी को जबरन अदालत में पेश कराना और न्याय प्रक्रिया को प्रभावी बनाना है। धारा 72 BNSS, 2023 ने इसे कानूनी रूप दिया है और न्यायपालिका को स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान किए हैं।

हालांकि NBW के साथ आरोपी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। इस लिए NBW जारी करने में न्यायपालिका का विवेक और प्रक्रियाओं की पारदर्शिता अत्यंत महत्वपूर्ण है।