कराधान कानून : शॉर्ट आंसर
प्रश्न 1. कराधान कानून की परिभाषा और उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर: कराधान कानून उन विधिक प्रावधानों का समूह है, जिनके अंतर्गत सरकार नागरिकों और संस्थाओं से कर वसूल करती है। इसका उद्देश्य केवल राजस्व जुटाना नहीं है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक समानता स्थापित करना भी है। कर से प्राप्त राशि का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना और सुरक्षा पर किया जाता है। साथ ही, कराधान व्यवस्था के माध्यम से सरकार आय और संपत्ति का पुनर्वितरण करती है, जिससे अमीर-गरीब के बीच अंतर कम किया जा सके।
प्रश्न 2. प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में क्या अंतर है?
उत्तर: प्रत्यक्ष कर सीधे करदाता की आय, संपत्ति या लाभ पर लगाया जाता है जैसे—आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स। इसमें कर का बोझ वही व्यक्ति वहन करता है जिस पर कर लगाया गया है। अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं और सेवाओं की खपत पर लगाया जाता है जैसे—GST, सीमा शुल्क। इसमें कर का बोझ अंतिम उपभोक्ता पर पड़ता है, जबकि व्यापारी इसे सरकार को जमा करता है।
प्रश्न 3. संविधान में कराधान शक्तियों का विभाजन कैसे किया गया है?
उत्तर: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत कराधान शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्यों के बीच किया गया है।
- केंद्रीय सूची – आयकर, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क आदि।
- राज्य सूची – भूमि कर, राज्य उत्पाद शुल्क, स्टाम्प ड्यूटी आदि।
- समवर्ती सूची – सीमित कर शक्तियाँ।
यह विभाजन संघीय ढांचे के अनुरूप है और विवाद की स्थिति में संसद का कानून प्रधान होता है।
प्रश्न 4. आयकर अधिनियम, 1961 की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: आयकर अधिनियम, 1961 भारत में प्रत्यक्ष कर से संबंधित मुख्य कानून है। इसके अंतर्गत व्यक्तियों, कंपनियों, साझेदारी फर्मों और अन्य संस्थाओं की आय पर कर लगाया जाता है। इसमें आय के पाँच मुख्य स्रोत बताए गए हैं—वेतन, गृह संपत्ति, व्यवसाय या पेशा, पूँजीगत लाभ और अन्य स्रोत। यह अधिनियम कर दरें, छूट, रियायतें और कर प्रशासन की प्रक्रिया निर्धारित करता है।
प्रश्न 5. वस्तु एवं सेवा कर (GST) की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: GST 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं—
- एक राष्ट्र, एक कर की अवधारणा।
- केंद्र और राज्य दोनों द्वारा साझा रूप से वसूला जाना।
- अप्रत्यक्ष करों (जैसे वैट, एक्साइज, सर्विस टैक्स) को समाहित करना।
- पारदर्शिता और कर चोरी में कमी।
- व्यापार के लिए सरल और डिजिटलीकृत प्रक्रिया।
यह उपभोग आधारित कर है, जिसका अंतिम बोझ उपभोक्ता पर पड़ता है।
प्रश्न 6. कर चोरी और कर अपवंचन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- कर चोरी (Tax Evasion): अवैध तरीके से कर से बचना, जैसे आय छुपाना, नकली बिल बनाना। यह दंडनीय अपराध है।
- कर अपवंचन (Tax Avoidance): कानूनी प्रावधानों का उपयोग करके कर दायित्व को कम करना, जैसे टैक्स प्लानिंग। यह अवैध नहीं है लेकिन नैतिक दृष्टि से आलोचनीय है।
दोनों ही कराधान प्रणाली की निष्पक्षता को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 7. कराधान प्रशासन में CBDT और CBIC की भूमिका क्या है?
उत्तर:
- CBDT (Central Board of Direct Taxes): प्रत्यक्ष करों का प्रशासन करता है। यह आयकर अधिनियम के क्रियान्वयन, नीतिगत सुझाव और कर संग्रह की निगरानी करता है।
- CBIC (Central Board of Indirect Taxes and Customs): अप्रत्यक्ष करों और सीमा शुल्क का प्रशासन करता है। यह GST और कस्टम्स से जुड़े प्रावधानों की देखरेख करता है।
दोनों बोर्ड वित्त मंत्रालय के अधीन कार्य करते हैं और कर प्रणाली को प्रभावी व पारदर्शी बनाने में सहायक हैं।
प्रश्न 8. कराधान और सामाजिक न्याय के बीच संबंध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कराधान केवल राजस्व जुटाने का साधन नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय प्राप्त करने का उपकरण भी है। प्रगतिशील कर प्रणाली (जिसमें आय बढ़ने पर कर दरें बढ़ती हैं) अमीरों से अधिक कर वसूल कर गरीबों के हित में खर्च करती है। अप्रत्यक्ष करों से भी विकास योजनाओं को वित्त पोषण मिलता है। इस प्रकार कराधान से आय असमानता कम होती है और कल्याणकारी राज्य की अवधारणा मजबूत होती है।
प्रश्न 9. हाल के वर्षों में कर सुधारों के प्रमुख कदम कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- GST का लागू होना – अप्रत्यक्ष करों का एकीकरण।
- फेसलेस असेसमेंट – पारदर्शिता और करदाताओं की सुविधा।
- डिजिटल टैक्सेशन – ऑनलाइन सेवाओं और ई-कॉमर्स पर कर।
- त्वरित रिफंड प्रणाली – करदाताओं को राहत।
- कर आधार बढ़ाने के प्रयास – अधिक नागरिकों को कर के दायरे में लाना।
इन सुधारों ने कर प्रणाली को आधुनिक और पारदर्शी बनाया है।
प्रश्न 10. कराधान कानून की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
उत्तर: भारत की कराधान व्यवस्था में कुछ गंभीर चुनौतियाँ हैं—
- कर चोरी और भ्रष्टाचार – राजस्व हानि और प्रणाली पर अविश्वास।
- जटिल प्रक्रियाएँ – छोटे व्यवसायियों और मध्यम वर्ग को कठिनाई।
- कर आधार का सीमित होना – केवल कुछ प्रतिशत लोग ही आयकर भरते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय कर विवाद – बहुराष्ट्रीय कंपनियों का टैक्स नियोजन।
इन चुनौतियों के समाधान हेतु पारदर्शिता, डिजिटलीकरण और कड़े कानूनी प्रावधान आवश्यक हैं।
प्रश्न 11. कराधान और संविधान के अनुच्छेद 265 का महत्व बताइए।
उत्तर: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 265 स्पष्ट करता है कि “कोई कर तब तक नहीं लगाया या वसूला जाएगा जब तक कि कानून द्वारा अधिकृत न हो।” इसका अर्थ है कि कराधान केवल विधायिका द्वारा बनाए गए कानून के आधार पर ही हो सकता है, न कि किसी कार्यपालिका आदेश या प्रशासनिक निर्देश से। यह प्रावधान करदाताओं के अधिकारों की रक्षा करता है और मनमाने ढंग से कर वसूली को रोकता है। अनुच्छेद 265 भारत में “कानून का शासन” (Rule of Law) का महत्वपूर्ण उदाहरण है और यह कर प्रणाली की वैधता तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
प्रश्न 12. प्रत्यक्ष कर संहिता (DTC) क्या है और इसका उद्देश्य क्या था?
उत्तर: प्रत्यक्ष कर संहिता (Direct Tax Code – DTC) भारत सरकार का एक प्रयास था, जिसके अंतर्गत आयकर अधिनियम, 1961 और संबंधित अन्य कानूनों को सरल एवं पारदर्शी बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। इसका उद्देश्य कराधान प्रणाली को आधुनिक बनाना, कर चोरी को कम करना और करदाताओं के लिए अनुपालन आसान करना था। DTC में कर दरों को सरल बनाने, कर छूटों को सीमित करने और कर प्रशासन को डिजिटल व पारदर्शी बनाने के प्रावधान शामिल थे। हालांकि यह अभी तक लागू नहीं हुआ, लेकिन इसके सिद्धांतों का उपयोग हाल के सुधारों, जैसे फेसलेस असेसमेंट और डिजिटल फाइलिंग में किया गया है।
प्रश्न 13. अप्रत्यक्ष करों के लाभ और हानियाँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लाभ:
- कर संग्रह आसान होता है क्योंकि यह वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में शामिल होता है।
- व्यापक कर आधार, क्योंकि हर उपभोक्ता इसे चुकाता है।
- सरकार को लगातार राजस्व प्राप्त होता है।
हानियाँ: - यह प्रतिगामी होता है, अर्थात अमीर-गरीब सभी को समान दर पर बोझ सहना पड़ता है।
- उपभोक्ताओं पर कर का वास्तविक बोझ पड़ता है, जिससे महँगाई बढ़ती है।
- गरीब वर्ग पर इसका प्रभाव अधिक पड़ता है।
इसलिए अप्रत्यक्ष कर प्रशासनिक दृष्टि से सुविधाजनक है, लेकिन सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से कम उपयुक्त है।
प्रश्न 14. आयकर के पाँच प्रमुख स्रोतों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत आय को पाँच प्रमुख स्रोतों में विभाजित किया गया है—
- वेतन से आय – नौकरीपेशा व्यक्तियों की आय।
- गृह संपत्ति से आय – मकान, भवन या अचल संपत्ति से होने वाली आय।
- व्यवसाय या पेशा से आय – व्यापारिक लाभ और पेशेवर आय।
- पूँजीगत लाभ – संपत्ति, शेयर या भूमि की बिक्री से होने वाला लाभ।
- अन्य स्रोतों से आय – ब्याज, लॉटरी, उपहार आदि।
इस वर्गीकरण से करदाता की आय का सही आकलन और कर निर्धारण सरल हो जाता है।
प्रश्न 15. कराधान और संघीय ढांचे का संबंध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: भारत एक संघीय गणराज्य है जहाँ केंद्र और राज्य दोनों को कराधान शक्तियाँ दी गई हैं। संविधान की सातवीं अनुसूची में कराधान शक्तियों का विभाजन केंद्रीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में किया गया है। यह व्यवस्था संघीय ढांचे की विशेषता है। केंद्र सरकार आयकर, सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर वसूलती है, जबकि राज्य सरकारें भूमि कर, शराब पर उत्पाद शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी वसूलती हैं। GST ने केंद्र और राज्यों के बीच साझा कराधान प्रणाली विकसित की। इस प्रकार कराधान भारतीय संघीय ढांचे का आधारस्तंभ है।
प्रश्न 16. सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 भारत में आयात और निर्यात पर लगने वाले करों को नियंत्रित करता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं—
- आयातित वस्तुओं पर शुल्क लगाकर विदेशी वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा को नियंत्रित करना।
- निर्यात पर शुल्क लगाकर राष्ट्रीय संसाधनों की रक्षा करना।
- तस्करी रोकने के लिए कठोर दंडात्मक प्रावधान।
- व्यापार और उद्योग की सुरक्षा एवं राष्ट्रीय राजस्व में योगदान।
सीमा शुल्क न केवल सरकार की आय का साधन है, बल्कि यह भारत की विदेशी व्यापार नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है।
प्रश्न 17. जीएसटी (GST) के लागू होने से कर प्रणाली में क्या बदलाव आया?
उत्तर: जीएसटी लागू होने से भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव हुआ। इससे पहले वैट, एक्साइज, सर्विस टैक्स, एंट्री टैक्स आदि अलग-अलग कर लागू थे, जिससे कर प्रणाली जटिल और दोहरे कराधान (Cascading effect) की समस्या पैदा होती थी। GST ने इन सभी को एकीकृत कर “एक राष्ट्र, एक कर” की अवधारणा लागू की। इससे व्यापारियों को सुविधा हुई, राज्यों और केंद्र के बीच कर विवाद घटे, कर चोरी पर अंकुश लगा और पारदर्शिता बढ़ी। उपभोक्ताओं को भी वस्तुओं और सेवाओं पर अपेक्षाकृत एक समान कर दर का लाभ मिला।
प्रश्न 18. कर अपवंचन (Tax Avoidance) क्यों चुनौती है?
उत्तर: कर अपवंचन (Tax Avoidance) कानूनी प्रावधानों का उपयोग करके कर देनदारी को न्यूनतम करने की प्रक्रिया है। भले ही यह अवैध नहीं है, परंतु यह कराधान के नैतिक सिद्धांतों के विपरीत है। बड़े कॉरपोरेट हाउस जटिल टैक्स प्लानिंग और अंतरराष्ट्रीय “ट्रांसफर प्राइसिंग” का उपयोग कर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुँचाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि सरकार की विकास योजनाओं के लिए धन कम पड़ता है और कर का बोझ मध्यम वर्ग व छोटे करदाताओं पर बढ़ जाता है। इसलिए कर अपवंचन को नियंत्रित करना आवश्यक है।
प्रश्न 19. कराधान में न्यायपालिका की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
उत्तर: भारतीय न्यायपालिका कराधान विवादों के निपटारे और कर कानूनों की व्याख्या में अहम भूमिका निभाती है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय यह सुनिश्चित करते हैं कि कर केवल कानून द्वारा ही लगाया जाए और करदाताओं के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहें। कई मामलों में न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि कर प्रशासन पारदर्शी होना चाहिए और करदाताओं को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप सुनवाई का अधिकार है। न्यायपालिका कर चोरी और कर अपवंचन से संबंधित मामलों में भी निष्पक्ष निर्णय देकर कर प्रणाली की वैधता को मजबूत करती है।
प्रश्न 20. कराधान और आर्थिक विकास का संबंध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कराधान किसी भी देश के आर्थिक विकास की रीढ़ है। सरकार कर से प्राप्त राजस्व का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना और रक्षा पर करती है, जिससे देश की उत्पादन क्षमता और जीवन स्तर में सुधार होता है। कराधान नीति के माध्यम से सरकार उद्योगों को प्रोत्साहित कर सकती है, निवेश आकर्षित कर सकती है और बेरोजगारी घटा सकती है। यदि कर प्रणाली सरल और न्यायसंगत हो तो यह आर्थिक विकास को गति देती है, जबकि जटिल और भ्रष्ट कर प्रणाली विकास को बाधित करती है।
प्रश्न 21. कराधान कानून में वित्त अधिनियम (Finance Act) का महत्व क्या है?
उत्तर: वित्त अधिनियम प्रत्येक वर्ष संसद द्वारा पारित किया जाने वाला वह अधिनियम है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों की दरों, छूटों तथा संशोधनों को निर्धारित करता है। भारत में कराधान का प्रमुख आधार संविधान है, परंतु करों की दरें और उनके क्रियान्वयन के लिए वित्त अधिनियम आवश्यक होता है। प्रत्येक वर्ष के बजट सत्र में वित्त मंत्री वित्त अधिनियम प्रस्तुत करते हैं, जिसमें आयकर की स्लैब, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क, और अन्य करों में परिवर्तन किए जाते हैं। इस अधिनियम की विशेषता यह है कि यह अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत से लागू हो जाता है। इसके माध्यम से करदाताओं को यह जानकारी मिलती है कि उन्हें कितनी दर से कर देना होगा। अतः वित्त अधिनियम कराधान कानून का जीवंत दस्तावेज है।
प्रश्न 22. प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में अंतर बताइए।
उत्तर: प्रत्यक्ष कर वह कर है जिसे सीधे करदाता से वसूला जाता है, जैसे—आयकर, संपत्ति कर, पूंजीगत लाभ कर आदि। इसका बोझ उसी व्यक्ति पर पड़ता है जो इसे अदा करता है। दूसरी ओर, अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है और उपभोक्ता अप्रत्यक्ष रूप से इसका भुगतान करता है, जैसे—जीएसटी, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क। प्रत्यक्ष कर में कर संग्रहण अपेक्षाकृत कठिन होता है, परंतु यह आय वितरण में समानता स्थापित करता है। जबकि अप्रत्यक्ष कर संग्रहण में सरल होता है, किंतु इसका बोझ गरीब और अमीर दोनों पर समान रूप से पड़ता है। इस प्रकार दोनों कर प्रणालियों का उपयोग सरकार वित्तीय संतुलन बनाए रखने हेतु करती है।
प्रश्न 23. आयकर अधिनियम, 1961 का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: आयकर अधिनियम, 1961 भारत में आय पर कर लगाने का मूल कानून है। इसका मुख्य उद्देश्य आय के विभिन्न स्रोतों जैसे वेतन, व्यवसाय, पेशा, संपत्ति, पूंजीगत लाभ और अन्य स्रोतों से अर्जित आय पर कर लगाना है। यह अधिनियम कर की दरों, छूटों, कटौतियों तथा अपवादों को परिभाषित करता है। इसके अतिरिक्त यह कर निर्धारण, कर संग्रहण, अपील और दंड संबंधी प्रावधान भी करता है। आयकर अधिनियम का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य कर चोरी और कर बचाव को रोकना तथा कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। इस प्रकार यह अधिनियम भारत में राजस्व संग्रहण की रीढ़ है।
प्रश्न 24. वस्तु एवं सेवा कर (GST) की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: वस्तु एवं सेवा कर (GST) 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ और यह भारत की सबसे बड़ी कर सुधार प्रक्रिया है। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं: (1) यह एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। (2) इसमें “वन नेशन, वन टैक्स” की अवधारणा लागू की गई। (3) इसमें केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की भूमिका है—CGST, SGST, IGST। (4) कर का भुगतान वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर आधारित है। (5) इसमें Input Tax Credit (ITC) की सुविधा दी गई है। (6) यह पारदर्शिता और अनुपालन को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, GST ने जटिल कर संरचना को सरल और एकीकृत बनाया है।
प्रश्न 25. कर चोरी और कर बचाव में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कर चोरी (Tax Evasion) अवैध तरीका है जिसमें व्यक्ति अपनी वास्तविक आय या संपत्ति छुपाकर या गलत विवरण देकर कर भुगतान से बचता है। यह दंडनीय अपराध है। उदाहरणस्वरूप, आय कम दिखाना या नकली बिल बनाना। जबकि कर बचाव (Tax Avoidance) कानूनी खामियों और प्रावधानों का लाभ उठाकर कर का बोझ कम करने की प्रक्रिया है। इसमें करदाता वैधानिक रूप से छूट, कटौती या निवेश योजनाओं का प्रयोग करता है। कर बचाव कानूनी है, किंतु नैतिक दृष्टि से इसे उचित नहीं माना जाता। दोनों ही कराधान कानून में महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं।
प्रश्न 26. ‘स्रोत पर कर कटौती’ (TDS) क्या है?
उत्तर: स्रोत पर कर कटौती (Tax Deducted at Source – TDS) एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें आय प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भुगतान करने वाला व्यक्ति, तय दर पर कर काटकर सरकार के पास जमा करता है। उदाहरण के लिए, वेतन, ब्याज, कमीशन, किराया आदि पर TDS लागू होता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर समय पर और नियमित रूप से सरकार तक पहुँचे तथा कर चोरी की संभावना कम हो। TDS कटौती के बाद भुगतान करने वाले को फॉर्म 16 या TDS सर्टिफिकेट देना होता है। करदाता अपनी आयकर रिटर्न दाखिल करते समय इस कटौती का क्रेडिट ले सकता है।
प्रश्न 27. अग्रिम कर (Advance Tax) की संकल्पना समझाइए।
उत्तर: अग्रिम कर वह कर है जिसे आयकरदाता अपनी अनुमानित आय के आधार पर वित्तीय वर्ष के दौरान ही किस्तों में भुगतान करता है। इसे ‘Pay as you earn’ प्रणाली कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कर देयता ₹10,000 या उससे अधिक होती है तो उसे अग्रिम कर देना अनिवार्य है। सामान्यतः इसे जून, सितंबर, दिसंबर और मार्च की किश्तों में चुकाया जाता है। अग्रिम कर का उद्देश्य सरकार को पूरे वर्ष राजस्व की निरंतर प्राप्ति कराना है। इससे करदाता पर वर्षांत में एकमुश्त बोझ नहीं पड़ता।
प्रश्न 28. भारत में सीमा शुल्क (Custom Duty) का महत्व क्या है?
उत्तर: सीमा शुल्क एक अप्रत्यक्ष कर है जो आयातित और निर्यातित वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी व्यापार को नियंत्रित करना, घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करना और सरकार के लिए राजस्व संग्रह करना है। भारत में सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 और सीमा शुल्क शुल्क अधिनियम, 1975 इसके संचालन को नियंत्रित करते हैं। आयात शुल्क विदेशी वस्तुओं को महंगा बनाता है जिससे घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में मदद मिलती है। वहीं निर्यात शुल्क केवल कुछ वस्तुओं पर लगाया जाता है। सीमा शुल्क भारत की विदेशी व्यापार नीति का महत्वपूर्ण साधन है।
प्रश्न 29. सेवा कर (Service Tax) क्या है और यह अब कहाँ सम्मिलित है?
उत्तर: सेवा कर 1994 में भारत में लागू किया गया था और यह सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर था। प्रारंभ में यह केवल कुछ सेवाओं पर लागू था, परंतु बाद में इसे सभी सेवाओं पर विस्तारित कर दिया गया। 1 जुलाई 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के बाद सेवा कर समाप्त हो गया और यह पूर्णतः GST में सम्मिलित कर दिया गया। अब सभी सेवाओं पर कराधान GST के तहत होता है। इस प्रकार सेवा कर भारतीय कर प्रणाली का एक ऐतिहासिक अध्याय बन गया।
प्रश्न 30. कर प्रशासन में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की भूमिका क्या है?
उत्तर: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) भारत सरकार का एक वैधानिक निकाय है, जो प्रत्यक्ष करों से संबंधित नीतियाँ बनाने और उनके क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार है। इसका गठन आयकर अधिनियम, 1963 के अंतर्गत हुआ। CBDT कर प्रशासन, कर चोरी रोकथाम, आयकर अपील, अंतर्राष्ट्रीय कर मामलों, और करदाता सेवाओं का संचालन करता है। इसके अध्यक्ष और सदस्य मिलकर प्रत्यक्ष करों से जुड़ी रणनीतियाँ बनाते हैं। यह संगठन वित्त मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और आयकर विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाता है।